ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

ज्योतिष कक्षा भाग -8 -सूर्य का महत्व -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


कोई भी लोक अथवा धरातल हो ,पृथ्वी के ऊपर हो या नीचे --सब स्थानों पर सूर्य -रश्मियों का अत्यधिक प्रभाव पड़ता है | ये सूर्य -रश्मियां रूप ,रस ,गंध ,माधुर्य एवं आकर्षण की विधायित्री ही नहीं ,अपितु जीवन परिपेक्ष्य में मानव को प्राणदायक विभूतियाँ भी प्रदान करती हैं | खनिज और धातु पदार्थों का निर्माण भी मार्तण्ड और विभाबसु सूर्य की क्षमा नामक रश्मि "किरण " से संस्पर्श से होता है | प्राचीन ऋषि -मुनियों ने सूर्य को वैद्यराज सिद्ध किया है | विटामिन "डी "-की कमी से होने वाले रोग सूर्य -रश्मियों में स्नान करने से पास नहीं फटकते | 

----निर्माण और संहारकारी गैस भी उत्पन्न करने वाली पूषन नामक सूर्य की किरणें ही हैं ,जो अणु -आयुध रूप में विनाशकारी महाभयावह संत्रास और विस्फोटन की महती और बलबती शक्तियां बनी हुई हैं | तेज और प्रकाश हमें सूर्य से ही प्राप्त होते हैं | यदि सूर्य न निकले , तो प्रकाश भी आविर्भूत न हो | सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में  अंधकार व्याप्त रहे | सूर्य का प्रकाश जगत के  नेत्र हैं | वायु की निष्पत्ति भी सूर्य ही है | सूर्य की कलाएं ही वायु को गति देती हैं | 

----सूर्य अग्निपुंज है | उसकी तीव्रता जब तिगवांसु बन जाती है , तो उसमें शक्ति का उद्भव होता है और फैलती है ,विस्तार और प्रसार के लिए मचलती है --उस समय अवस्था बड़ी विकत और भयावह होती है | उसके इस उग्र रूप को बवंडर वात्यचक्र और प्रलयंकर का नाम दिया गया है | सूक्ष्म गति में भी इसका प्रवेश है और स्थूल रूप में भी ! कोई  गुण ,तत्व और पदार्थ ऐसा नहीं है --जहाँ इसका अंग समाविष्ट न हो | 

----मेरे ज्योतिष के पाठकगण --ज्योतिष का सम्राट सूर्य है --कोई ग्रह तो कोई भगवान कहता है | ज्योतिष का वास्तविक आधार सूर्यदेव ही हैं --आगे सूर्य और आकाश पर चर्चा करेंगें ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com



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