ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
मंगलवार, 9 जनवरी 2024
नवसंवत 2075 -2018 क्या कहता है --कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
ॐ श्रीगणेशायनमः,ॐ श्रीसरस्वत्यैनमः ,ॐ श्रीगुरुचरणकामलेभ्योनमः ---नव श्रीसंवत 2075 की शुरुआत 17 /03 /2018 शनिवार सायंकाल 6 /42 पर कन्या लग्न से हो रही है | लग्नेश बुध कर्मेश बनकर सातवें भाव में लाभेश चंद्र व्ययेश सूर्य एवं भावेश -धनेश शुक्र के साथ चतुर्ग्रही योग में मंगल +शनि से दृष्ट है | इससे यह निश्चित है कि देश में भौतिक विकास उत्तम होगा | ग्रह परिषद के वार्षिक चुनाव में राजा "सूर्यदेव "और मन्त्री शनि को बनाया गया है |पुत्र शनि है तो पिता सूर्यदेव किन्तु व्यवहार में एक दूसरे के कट्टर विरोधी हैं | मंत्री शनि का युद्ध के देवता मंगल से गठजोड़ 7 /03 /2018 तक चलेगा | मंगल युद्ध से सम्बंधित गोला -बारूद ,विशेष मारक अस्त्र -शस्त्र एकत्रित करने पर विशेष खर्च करायेगा | कहीं युद्धोत्पात में भारी गोला -बारूद भी चलवा सकता है | ---विशेष ध्यान दें ---इस साल शनिदेव की क्रूर दृष्टि पश्चिमी देश -प्रदेशों पर पड़ेगी -अतः भारी विनाशलीला को जन्म दे सकती है | प्रमाण ---"शनैचरः क्रमातपश्यन तद्देशान प्रपीड्येत ,दुर्भिक्षं देश भङ्गा दैविगृहो राजविडंवरैः "---आगे -पश्चिमोत्तर के देशों में कहीं भयंकर भूकम्प ,दिग्दाह ,तूफान ,शासन के विपरीत बगावत ,ज्वालामुखी विस्फोट ,आतंकित उग्रवादी जनांदोलन ,तोड़फोड़ ,अस्त्र -शस्त्र रूपी विनाश के कारण कोई देश -प्रदेश -महानगर या भूभाग तहस -नहस हो सकता है | दैहिक -दैविक -भौतिक आपदा से भारत भी अछूता नहीं रहेगा | कारन --भारत देश -की प्रभाव राशि कर्क -मकर में राहु -केतु का वर्चस्व बना है | 2 /5 /2018 से 6 /11 /2018 तक मंदातिचारी मंगल केतु के साथ उच्चस्थ प्रभाव डालेगा | मंगल का अपना स्वभाव है युद्ध कराना तो केतु भारी विनाश ,भूमि पर छिन्न -भिन्नता कराता है | एक और प्रमाण देखते हैं ---पूर्वाषाढ़ा काशि राजमुत्तरा हन्ति कैकतम"--अर्थात --भूभाग कहीं का नहीं विभाजित हो जाता है | या कोई छोटा -मोटा देश बड़े राष्ट्र में विलय हो जाता है | राष्ट्रनायक विनय रहित एक दूसरे की बातें नहीं सुनते -उल्टा दुःख देते हैं | --एक और प्रमाण --रविसेतु यदि मंत्रिणी पार्थिवा विनय संरहिता बहु दुःखदा "-नववर्ष की हार्दिक शुभकानायें -भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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ज्योतिष की दृष्टि में विश्व की स्थिति 2018 --कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
14 /04 /2018 को दिन में भगवान भास्कर अश्विनी नक्षत्र मेष राशि में गमन करेंगें | उस समय वृष लग्न की कुण्डली में लग्नेश शुक्र सुखेश सूर्य के साथ खर्च भाव में है साथ ही आय भाव का स्वामी गुरु के साथ सम्बन्ध बना लिया है | नववर्ष ग्रहों के चयन में शुक्र मेघपति एवं दुर्गपति चुने गए हैं | कुण्डली में केंद्र से बाहर शक्तिविहीन दुर्गेश किला की क्या रक्षा करेगा बल्कि कोई दूसरा देश जमीन हड़पने का प्रयास करेगा तो यह शुक्र उसकी मदद करेगा | --शुक्र स्वभाव से स्त्रीकारक ग्रह है सो यह तामस प्रवृति वालों की भरपूर मदद करेगा | --विश्व लग्न वृष का फलादेश के बारे में एक प्रमाण देखें ---वृषे पिपश्चि मेकालः पूर्वस्यां राजविग्रहः ,उदगधनयार्ध निष्पत्तिर्द क्षिणस्यां विकालतः "---इस "वृषप्रबोध" नामक ग्रन्थ में फलादेश लिखा है ---कि पश्चिम दिशा में काल कलवित नरसंहार यानि भारी विनाश होगा | पूर्व दिशा में -राजविग्रह होगा | उत्तर दिशा में -तूफान ,बडंबर से हानि होगी तथा दक्षिण दिशा में -अकाल पड़ेगा साथ ही स्थिति उत्तम नहीं रहेगी --विश्व की | ----एक और प्रमाण देखें --"रविसुते यदि मंत्रिणी पार्थिवा विनय संरहिता बहु दुःखदा ,न जलदा जलदा जनतापदा जनपदेषु सुखं न धनं क्वचित "-----अर्थात विश्व कुण्डली में जब वर्ष के राजा सूर्य सुख के स्वामी होकर खर्च भाव में बैठा हो ,इस वर्ष सूर्य ,शुक्र ,गुरु ,मंगल और शनि पांचों प्रमुख ग्रह त्रिक स्थान में बैठे सही नहीं हों तो सम्पूर्ण संसार की सोच में कमी आयेगी | अन्तर्राष्ट्रीय विश्व समुदाय में उग्रवाद ,अपनतव परिपूर्ण संहारात्मक प्रवृत्ति को बल मिलेगा | जहाँ -तहाँ सभी जगह चोरी ,अग्निभय अन्य बाधाएं यानि नाना प्रकार के दुःख सताएंगें | विश्व के राष्ट्रनायक सही समझ को स्वीकार नहीं करेंगें | दूसरों को दुःख देने में सुख का अनुभव करेंगें | कोई प्रभावी नायक नष्ट हो सकता है |--भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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विरोधकृत" नवसंवत 2018 -२०७५ -कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
संवत -२०७५ यानि सन -2018 /19 का पूर्व भाग तक | को ज्योतिष ग्रंथों में "विरोधकृत "नामक संवत कहा गया है | इस संवत के बारे में जानने से पूर्व इस प्रमाण को देखें -"खण्ड वृष्टिर्भवेद्देवि सस्य -हानिश्च जायते ,कोंकणे मध्य देशेषु विरोधशचाहि -मण्डले "----अर्थात -जैसा नाम वैसा ही प्रभाव देखने को मिलेगा |अस्तु --देश में कहीं वर्षा ,कहीं सूखा या अकाल जैसी स्थिति होगी | कहीं खड़ी फसलों को नुकसान होगा तो कहीं बाढ़ से भयंकर जनधनहानि के भी संकेत मिल रहे हैं | बिहार ,मध्यप्रदेश तथा उत्तराखंड आदि प्रदेशों में प्राकृतिक प्रकोप ,भूकम्प या प्रलयंकारी दृश्य देखने को मिलेंगें | ---ज्योतिष ग्रन्थ "वर्षप्रबोध "के अनुसार विरोधिकृत संवत २०७५ में -राजनैतिक दलों में गठबंधन परस्पर विरोध या स्वसत्ता -प्राप्ति देश हित में नहीं रहेगा | राजनीतिज्ञों के लिए 2018 /19 के पूर्वभाग तक सत्ता -लोलुपता वाला सिद्ध होगा | शासक एवं शासित में मतभिन्नता रहेगी | राजनैतिक दृश्य अजीब करवट बदलेगा ,विपक्षीदल क्षुब्द रहेंगें | परिणाम आश्चर्जनक रहेंगें | ----संवत -2075 यानि -2018 /19 के पूर्वार्ध भाग तक का राजा सूर्य होने से समयानुसार वर्षा न होने से खेती एवं फलादि को हानि होगी | अनैतिक और आपराधिक कार्य विशेष होंगें | अनेक जगह भयंकर अग्निकांडों से पशुधन -पक्षी एवं जनधन की हानि होगी | इस वर्ष दो देशों के सीमाप्रांतों पर सैन्यसंघर्ष से भयंकर अशान्ति उत्पन्न होगी | समय का बदलाव से गर्मी अत्यधिक पड़ेगी | किसी विशेष राजनीतिज्ञ या प्रतिष्ठित व्यक्ति के निधन -या हत्या से इस साल भारी शोक व्याप्त होगा ,परिणाम उत्तम नहीं होंगें क्योंकि "निधनं नृपानां के योग भी बनते हैं | ----इस साल 2075 यानि 2018 /19 में मन्त्री का पद ---इस संवत के राजा सूर्य के शत्रु शनि को प्राप्त हुआ है | अतः यह साल राजनैतिक कठिन परिस्थितियों को लेकर उपस्थित हो रहा है | विपक्षी पार्टियों दवरा सत्ता प्राप्ति के कारण महागठबंधन का गठन अंततः एक असफल प्रयास सिद्ध होगा | अतः देश हित के लिए सकारात्मक कार्य करने में सत्तारूढ़ दल ने ढील की तो जनाधार एवं जनता का विस्वास क्षीण होगा ,साथ ही परिणाम उत्तम नहीं होंगें | अतः देशहित को सर्वोच्च रखकर कार्य करना होगा | ----इस साल का सस्येश चन्द्र के होने पर अनेक जगह उचित एवं सुखद वर्षा से किसानों को दालवाना ,तिलहन आदि के व्यापारियों के लिए यह साल उत्तम रहेगा | ----विशेष बात --इस साल सूर्य -शनि के सौर जगत में राजा -मन्त्री पद पर विराजमान होने से भारत को कश्मीर ,चीन ,उत्तर कोरिया ,नेपाल और बांग्लादेश के सीमाप्रांतों पर विशेष सुरक्षा रखनी होगी |---भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 8 जनवरी 2024
ज्योतिषीय संसार चक्र सन -15 +16 -कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
ज्योतिषीय संसार चक्र सन -15 +16 -कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
-----संवत -2072 अर्थात सन 2015 +2016 के राजा शनि और मन्त्री मंगल हैं । इन दोनों के साम्राज्य में नित -नये उत्पात मचेंगें । विस्व के विशेषतर देशों में टकराव या इनके प्रभाव से जीव -जंतुओं को हानि पंहुचेगी । भारत,नेपाल जैसे शांतिप्रिय देश सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित रहेंगें । खाड़ी के देश अमेरिका एवं यूरोप के खिलाफ एकजूट होंगें ।
-------इस 2015 +16 अर्थात संवत =2072 में ऋतु विपरीत होंगें ,प्राकृतिक प्रकोप का कष्ट झेलेंगें ,वर्षा अल्प एवं विशेष होगी ,बाढ़ से नुकसान होगा ,भूकम्प एवं भूस्खलन से जान धन की हानि होगी ,प्रत्येक मास में वर्षा देखने को मिलेगी ,पहाड़ पर भारी हिमपात होगा ,मैदानी भाग ओलावृष्टि से पीड़ित होंगें ।
--------संवत =2072 यानि 2015 +16 में भी कश्मीर समस्या सिरदर्द बनी रहेगी किन्तु राहत की उम्मीद अवश्य होगी । भारतीय पश्चिमोत्तर सीमा से सटे राज्यों में आतंकी विष फैलायेंगें । सरकारी प्रभावी से आतंकियों को पीछा हटना होगा । ------संवत -2072 -में देश के कुछ प्रदेशों में बदलाव होंगें । भारतीय जनता पार्टी को अनेक संघर्षों का सामना करना होगा फिर सत्ता पर आसीन होती जाएगी । भारतीय जनता पार्टी एवं सरकार को आधिकारिक बल मिलेगा । सर्वहारा वर्ग के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत होगी । भारतियों को सुखद आसार 2015 +16 में दिखने लगेगा । ---भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रविवार, 7 जनवरी 2024
मेरी आत्मकथा में दारुण कथा पढ़ें भाग -93 -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -आजकल बड़े लोगों पर जब आक्षेप लगता है --तो पहला हर व्यक्ति का बिचार होता है --इतने बड़े होकर ऐसा गलत कार्य कैसे किया | मेरे जीवन में ऐसा क्षण 2020 में आया जब पिता नहीं थे और हम नाना बन चुके थे -दो भाईयों के बीच भवन का बटवारा होना था | अनुज को कोई दिक्क्त नहीं थी -जगह हमारी थी -उसके सभी परिजनों [लोगों }का आना -जाना वहीँ से होता था | हमारी जमीन होते हुए भी दीवाल नहीं बना सकते थे | शास्त्र कहते हैं -मातृदेवो भव --किन्तु कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल लग्न में सूर्य +केतु साथ बिराजमान हैं | इन मंगल +सूर्य की वजह से मुझे तीन भवन प्राप्त हुए --किन्तु केतु की वजह से माँ का स्वभाव मुझसे मेल नहीं खाता है --अतः माँ का एक निर्णय मुझे सुखी बना सकता था --किन्तु पिता की सहमति होते हुए भी --माँ की वजह से घर टूट गया ,भाई -भाई युद्ध करते रहे --माँ देखती रही ,समाज हँसता रहा ,रिस्तेदार तालियां बजाते रहे --केवल मरना मेरा होता था --क्योंकि मैं शिक्षाविद था | आज हमारे बच्चों को मेरे प्राण की जरुरत हो तो हँसते -हँसते दे देंगें --किन्तु किसी के हम भी बच्चे थे --मुझे भी तो माता पिता ने ऐसे ही पाले होंगें --फिर यह दरार क्यों आयी ---मुझे लगता है --पूर्व की अपेक्षा आज के माता पिता बड़े ही दयालु होते हैं | मेरे घर में कोई कमी नहीं थी --दीदी ,अनुज और मैं सभी को ईस्वर ने जरुरत से ज्यादा धन और सुख दिए --किसी को कोई कमी नहीं किन्तु फिर भी मेरा घर --जिस घर में --एक ही माँ के उदर से जन्मे ,एक साथ पले -बढे --सभी को एक ही शिक्षा दी गयी --सच बोलना चाहिए ,किसी का नहीं लेना चाहिए ,परिश्रम से कमाना चाहिए | बाल्य्काल हमारा दरिद्र योग में बीता था --दीदी ,अनुज और मैं तीनों ने यथावत दुःख देखे तो यथावत सुख भी देखे --फिर जब धन आया तो प्रेम कहाँ चला गया | हम दुनिया के सामने झुक सकते हैं किन्तु --अपनों के सामने नहीं झुक सकते हैं | आजकल यह दशा मेरे घर की नहीं है --यह स्थिति घर -घर में है | मेरे बिचार से बड़ा भाई पिता की तरह धर्म निभाते -निभाते चले जाते हैं ,उसके भाग्य में शायद किसी का होना नहीं लिखा रहता है ,उसे -परिजन तो अपमान करते ही हैं --वो अपने बच्चों के भी नहीं होते हैं | खेर--- मेरी कुण्डली में शनि की दृष्टि तृतीय भाव पर थी साथ ही गुरु देव भी यही विराजमान थे --शनि की दशा में मुझे यही पुरस्कार मिलना था | जितने रूपये लगाकर हमने बटबारा किया --उतने में तो खुद आलीशान अपना भवन बना लेते | मेरे तो पैसे भी चले गए ,समाज में अपमानित भी हुआ ,न बच्चों का हो सका न अपने परिजनों का | यह जीवनी भी एक लीला थी --जिसमें रंग- मंच पर सभी पात्र अपनी -अपनी भूमिका निभाते हैं -अभिनय पूरा होने पर राम +रावण एक जगह बैठकर ठहाके लगाते रहते हैं --जिसे दर्शक अपनी -अपनी घटनाओं से जोड़कर देखते हैं ,रंगमच के कलाकार केवल अपनी -अपनी भूमिका निभाते हैं अतः इन तमाम बातों का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | नाटक बनाने वाले इस ताक में रहते हैं इस नाटक से कितना फायदा हुआ | मुझे लगता है अगर हर व्यक्ति अपनी जीवनी को तीनों रूप में देखे --तो न तो कष्ट होगा न ही मलाल जीवनी से रहेगा | ---अब मेरे जीवन की आत्मकथा में जो सार है --जिससे आपको जीने की राह मिलती है या आपको इसी प्रकार से जीना चाहिए क्रम से पढ़ते रहें --भवदीय ज्योतिषी झा मेरठ -जीवनी के सभी भागों को पढ़ने के लिए लिंक का उपयोग करें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 3 जनवरी 2024
आज मैं अपनी दारुण कथा का प्रसंग सुनाना चाहता हूँ -पढ़ें भाग -92 ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -पिता दिवंगत हुए 2018 में --भाई -भाई तो वास्तव में 1998 में ही अलग हो गए थे | हमारी दो बेटियों का बोझ -माता पिता ,परिजनों के साथ -साथ अनुज पर भारी पड़ रहा था | मेरा अनुज गरीब न हो जाय इसलिए मेरे घर में गृह युद्ध शुरू हुआ --फिर भी हम साथ -साथ रहना चाहते थे किन्तु -एक दिन अनुज ने घर से अपमान के साथ स परिवार को निकाल दिया --मुझे कुछ कहता तो मैं सहन कर लेता किन्तु बच्चों का अपमान आज तक मस्तिष्क में जगह बना रखा है | यह जानकारी माता पिता को होने के बाद भी कुछ निर्णय नहीं ले सके जबकि मेरे माता पिता धार्मिक थे | यही अलग होने का कारण था | मेरा भी समय बदला ,मेरा भी राजयोग शुरू हुआ -तो फिर पिता मुझे अलग नहीं होने दिए -- यह गांठ ऐसी थी हम अपने धन को समझने लगे जोड़ने लगे | मैं भी धन की दुनिया में आगे बढ़ता रहा ,अनुज भी बढ़ता रहा --पर विवाद यथावत था --इसका लाभ चाची ने उठाया --24 मुकदमें हुए मुझे छोड़कर | यह कथा मैं सुना चूका हूँ --2018 में पिता दिवंगत हुए -उसके बाद माँ भाई के साथ पहले से ही रहती थी आगे भी रहने लगी | मेरी शर्त थी खाओं पीओ भजन करो --किसी के पास बिना काम मत जाओ --यह माँ को मंजूर नहीं था --जब माँ घर्म पथ पर नहीं चल सकती है तो फिर -ठीक से अलग रहना ही हम उचित समझे | हम दोनों भाई के बटबारे में सबसे बड़ी बाधा --भवन का मुख्य दरवाजा था --बिना दीवाल हुए हम दोनों अलग नहीं हो सकते थे --क्योंकि मार्ग शंकरा था --आने- जाने का रास्ता मेरे हिस्से में था ,सीढ़ी अनुज के हिस्से में थी | एक निर्णय से यह काम हो सकता था -माँ यह कह दे -दोनों भाई अपने -अपने हिस्से बराबर ले लों --इसके बदले -मामा ,दीदी ,जीजा सबने माँ को गलत सलाह दी --हिस्सा मत होने दो तुम कहीं की नहीं रहोगी --माँ ने यही किया ,जबकि सारा समाज कहता था दोनों को बराबर बाँट लेने दो | लड़ाई बहुत बढ़ गयी --अनुज ने हमारी पतनी को गाली -गलौज तो बहुत छोटी बात थी मेरे सामने बहुत अपमान किया --मेरा चुप रहने का एक कारण यह था --मैं शास्त्री था ,शिक्षाविद था ,पिता के बाद बड़े पुत्र को भी पिता का धर्म निभाना चाहिए --इसका परिणाम यह हुआ न तो पतनी का हो सका न ही अनुज का हो सका | मेरी पतनी का कुछ योगदान था --जो मैं दर्शाना चाहता हूँ --जब माता पिता ,अनुज ,अनुज वधु को जेल हुयी थी साथ ही मुकदमें 24 चल रहे थे तो --मेरी पतनी ने ही मुक्ति दिलाई थी --चाची के पैर पकड़कर | आज जिस भवन के शान से अनुज रह रहा है, माता पिता रहे --वो योगदान भी मेरी पतनी का ही था --बदले में --यह पुरस्कार अनुज ने दिया | कर्य में डूबा था परिवार तो मंगलसूत्र बेचकर गरीबी से पतनी ने ही मुक्त करायी थी --इसका ईनाम भी यही मिला | जब भवन बन रहा था तो सिर पर ईंट उठायी थी -मेरी पतनी ने ,जबकि -अनुज ने एक भी ईंट नहीं उठायी | हम दोनों भाई तो अलग थे ही किन्तु --अनुज वधु एवं उसकी पुत्री को स्वर्ण के गहने परिवार में किसी ने नहीं दिए --मेरी पतनी ने ही दिए थे --इन तमाम कार्यों के पुरस्कार अनुज ने अपशब्दों से दिए | --अब मेरे जीवन की आत्मकथा में जो सार है --जिससे आपको जीने की राह मिलती है या आपको इसी प्रकार से जीना चाहिए क्रम से पढ़ते रहें --भवदीय ज्योतिषी झा मेरठ -जीवनी के सभी भागों को पढ़ने के लिए लिंक का उपयोग करें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 30 दिसंबर 2023
महिलाओं को लाभ तो गरीबों को खुशहाली मिलेगी =2016 पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था
महिलाओं को लाभ तो गरीबों को खुशहाली मिलेगी =2016 पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
नववर्ष=2016 यानि संवत =2073 का आगमन होने वाला है तो जिज्ञासा भी उठ रही होगी मन में तो जानिए नववर्ष यानि श्रीसम्वत् में ज्योतिष की दृष्टि में --"कन्यायां सुस्थिरा प्राच्यांघृतेमहर्घतामता ,मरिर्दक्षिण देशस्यात्तथा बंगेप्युद्रवाः,चतुष्पदसुखं प्राच्या मुदीच्यां राजविग्रहः ,मध्यदेशे प्रजाभंगः समर्घत्वं घृतेपुनः | | --अर्थात नववर्ष की शुरुआत कन्या लग्न से हो रही है जिसके प्रभाव से प्रारम्भ में स्थिरता देखने को मिलेगी । दक्षिण भारत एवं बंगाल में उपद्रव होंगें ,साथ ही प्राकृतिक प्रकोप से जनता को दुःख रहना होगा । मध्य भारत -भोपाल ,नागपुर ,हैदराबाद के समीप कहीं भी राजविग्रह से क्षति होगी । घी ,तेल ,अन्न आदि खाद्य पदार्थ के दाम बढ़ेंगें । नववर्ष में भारतीय तीन राज्यों में सत्ता परिवर्तन होगा । भारतीय उत्तरी भाग कश्मीर को लेकर भारी झगड़े -झमेले होंगें । सीमाओं पर युध की परिस्थिति आ सकती है । -वैसे -श्रीसंवत=2073 का प्रारम्भ 07 /04 /2016 शाम 4 /54 पर हो रहा है । लग्न का मालिक त्रिक स्थान में निर्बल है साथ ही बुध ही नववर्ष का मन्त्री भी है इसका मतलब है मन्त्रीजी की बात नहीं सुनी जाएगी । नववर्ष का राजा शुक्र है और वर्ष कुण्डली में भाग्य का और धन का स्वामी होकर सूर्य एवं चन्द्र के साथ केंद्र में विराजमान है इससे यह बात पक्की है कि पूरे साल राजतन्त्र पर शुक्र का अधिकार रहेगा ----शुक्र के कारण अत्यंत गरीब तबका ,अल्पसंख्यक ,तामसवृति वाले लोग एवं महिलाओं का रहनुमा रहेगा नववर्ष =2016 -ऐसे लोगों को हर संभव सहायता अवश्य मिलेगी । आगे श्री हरि कृपा ।- भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -91 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे प्रिय आत्मकथा के पाठकगण -अब हम क्रम से जिन -जिन बातों को बताना चाहता हूँ --वास्तव में इस एटीएम कथा का सार है या यह समझें निचोर है | अब तमाम बातों इस तरह समझें -जैसे कोई फ़िल्म बनाता है तो वो तमाम बातों का रसा स्वादन धन के लिए करता है --वास्तविक रूप में हर व्यक्ति को अपने जीवन की बातों को समझने के लिए -अगर नायक नायिका बनकर देखेगा --तो अनन्त विषमताओं का स्वाद चखना होगा --जिसमें केवल उलझनें होतीं हैं --अगर ईस्वर की नियति समझकर देखेंगें --तो चाहे सुख हो या दुःख कोई फर्क नहीं पड़ेगा | --खासकर हमने तो यही अनुभव किया है --पहले मैं एक वैदिक था , फिर साहित्य विषय से शास्त्री की --फिर ज्योतिषी हुआ --अन्त में आध्यात्मिक हुआ | इसी प्रकार से भले ही मध्यम परिवार में जन्म हुआ -राजयोग था उत्तम खान -पीन के साथ उत्तम शिक्षा अंग्रेजी में मिलनी शुरू हुई पर --ग्रहों के खेल निराले होते हैं सो -केवल 10 वर्ष में राहु की दशा आयी | अति दरिद्र हो गया ,अंग्रेजी की शिक्षा से संस्कृत की शिक्षा में आ गया | भले ही दरिद्र हो गया किन्तु -राजा भले ही गरीब हो जाय स्वभाव से राजा ही थे --इसी कल खण्ड में शिक्षा ,विवाह ,संतान ,नौकरी मिलनी थी --किन्तु ग्रहों के प्रभाव के कारण कुछ सही मार्गदर्शन नहीं होने के कारण --इन तमाम क्षेत्रों में भटकाव रहा --पर फिर गुरु की दशा आयी तो स्वभाव से तो राजा थे ही धन से भी राजा हो गए | --ऐसी स्थिति में लगा दोषी -माता पिता या परिजन थे --तो आग उगलनी हमने शुरू की --पर जब हम खुद पिता से नाना बनें -तो लगा ये ग्रहों के खेल थे --किसी भी बंजर भूमि को उपयोगी बनायीं सकती है --तो मानव तो उसकी अपेक्षा सरल और सुकोमल है --इसे ज्ञानी ,वैरागी ,संस्कारी बनाया जा सकता है | हर व्यक्ति के जीवन में यह सुधारने का काम पहले माता पिता करते हैं --वो भले ही निरक्षर हों किन्तु --संतान को साक्षर बनाने के लिए अनन्त प्रयास करते हैं | यही काम गुरु करते हैं | ज्योतिष का पूरक कर्मकाण्ड है और कर्मकाण्ड का पूरक ज्योतिष --ज्योतिष का लाभ कर्मकाण्ड के द्वारा लिया जाता है | कर्मकाण्ड का लाभ ज्योतिष के बिना असंभव है -| -आजकल ज्योतिष में भी रूचि है और कर्मकाण्ड में भी --खूब कुण्डली दिखाते हैं ,खूब पूजा +पाठ करते हैं किन्तु एक दूसरे पर श्रद्धा नहीं है ,आपस में तोल +मोल करते हैं --यद्पि कोई ज्योतिषी भगवान नहीं होते ,यद्पि कोई वैदिक भगवान नहीं होते किन्तु --वास्तव ये भगवान से कम भी नहीं होते --अगर यह विस्वास हो जाय तो अवश्य लाभ मिलेगा | अब मेरे जीवन की आत्मकथा में जो सार है --जिससे आपको जीने की राह मिलती है या आपको इसी प्रकार से जीना चाहिए क्रम से पढ़ते रहें --भवदीय ज्योतिषी झा मेरठ -जीवनी के सभी भागों को पढ़ने के लिए लिंक का उपयोग करें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 28 दिसंबर 2023
2012 -देश -विदेशों - में क्या- होगा - पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
१३अप्रैल २०१२ वैशाख कृष्ण अष्टमी शुक्रवार सायं ७बज्कर १९मिनत पर सूर्य भगवान् -अश्विनी नक्षत्र -मेष
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 27 दिसंबर 2023
"विस्वावसु" संवत २०६९{२०१२}का संसार के ऊपर प्रभाव - पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
"विस्वावसु" संवत २०६९{२०१२}का संसार के ऊपर प्रभाव - पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मंगलवार, 26 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -90 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठक जनों -मेरे एक यजमान मेरठ के ही रहने वाले हैं ,जिनसे मेरा सम्पर्क मोबाइल की वजह से हुआ | यह यजमान ब्राहण परिवार से हैं | साधारण किराये की दुकान से अपनी दुकान तक आये | दिनों दिन धन की दुनिया में बहुत आगे बढ़ते गए | धन तो मिल गया किन्तु शराबी हो गए | कहावत है पानी कुछ देर के लिए बर्फ बन सकता है किन्तु फिर पानी का ही रूप धारण कर लेती है बर्फ क्योंकि मूल रूप पानी था | अनायास मेरा इनसे संपर्क पूजा के लिए हुआ --फिर क्या था -पूजा होते ही शराब तो छूट गयी साथ ही परम सात्विक भी हो गए किन्तु सब कुछ खो दिया | --पूजा शुरू होते ही घर में अनन्त दरारें थीं जो शराब के नशे के कारण अहसास नहीं थी | जन्म लेते ही माँ छोड़कर चल बसी थी ,दूसरी माँ आयी -उनकी दो कन्या थी --पहली माँ से दो भाई थे --गरीबी की अन्तिम छोड़ से जीवन की शुरुआत हुई थी --इसलिए शिक्षा अधूरी रही तो सत्संग भी उत्तम नहीं रहा | जीवन में सही मार्गदर्शन नहीं मिला --किन्तु धर्म की अपनी परिभाषा होती है ---विवाह हुआ ,संतानें हुई ,धन वैभव सभी हुए -पर आत्मीयता नहीं हुई ,दुकान ,मकान ,धन पर सभी राज किये --शराबी बने रहे यही सभी परिजनों के प्रयास रहते थे --जब मुझसे सम्पर्क यज्ञ के लिए हुआ तो यह तमाम बातें मुझे नहीं पत्ता थी | किसी तरह छुपके से पहला यज्ञ हुआ --2013 में --इस यज्ञ के प्रभाव से परत दर परत खुलने लगी -अब यह यजमान परम सात्विक हो चुके थे --तब उन्हें ज्ञात होने लगा सच क्या है -जब यह ज्ञात होने लगा --तो सभी लुटेरे समझ में आने लगे | मुझे यह अनुभव हुआ --जब यह शराबी थे तो सभी के प्यारे थे ,नशा हटते ही सबके शत्रु बन गए --किसी तरह हमने कोशिश की दुकान जो अपनी मेहनत से ली थी वो इनके नाम हो जाय -हो गयी ,मकान जो इन्हौनें बनाया था वो इनके नाम हो जाय -वो भी हो गया | एक बहिन का विवाह नहीं हुआ था -उसका उत्तम घर में विवाह हो जाय हो गया --अब हम चाहते थे -जो धन है वो भविष्य के लिए सुरक्षित रहे --किन्तु --होनी हो के रहती है | मेरे प्रति यजमान का अति विस्वास बढ़ता गया --हमने भी धर्म को साक्षी मानकर कोशिश करते रहे किन्तु --एक भूचाल आया -- सभी शत्रु बन गए --दुकान में जितने भी सेवक थे सभी लूटते थे ,घर में सभी परम शत्रु थे -जब यजमान सजग हुए और तमाम बातों का भान हुआ -इस बात का ऐसा असर हुआ --कि आत्महत्या करने की सोचने लगे ,विक्षिप्त सा रहने लगे --छे महीने के अन्दर दुकान तो बची रही पचास लाख के माल समाप्त हो गए --दुकान की देन- दारी लाखों की हो गयी | सभी परिजन महाशत्रु हो गए --मकान- दुकान तो बच गए पर --धन शून्य हो गया --अब विरक्त भाव से रहने लगे --यह यजमान सभी बातों को सह सकते थे --किन्तु गृहणी उत्तम नहीं थी इसलिए यह स्थिति आयी | जीवन में मुझे लगा है या अनुभव हुआ है --गृहणी सजग हो तो व्यक्ति गिर कर भी उठ जाता है --अन्यथा वो कभी भी मजबूत नहीं हो सकता है --हमने कई यज्ञ किये --उन्हें इंसान भी बनाया ,धार्मिक बनाया किन्तु भाग्य को नहीं बदल सके | यह इसलिए क्योंकि मेरे भाग्य के क्षेत्र में नीच का शनिदेव हैं अतः धन नीचता से ही प्राप्त हो सकता है ,नीच कर्म करने वाले ही वास्तव में धन मुझे दे सकते हैं --सात्विक व्यक्ति से मुझे भाग्योदय नहीं हो सकता है | -भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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2012 -की प्रमुख घटित होने वाली "घटनाएँ"? पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
2012 -की प्रमुख घटित होने वाली "घटनाएँ"? पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रविवार, 24 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -89 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठक गण --मेरे जीवन में आठो रसों का भरपूर आनन्द मिला है -हमने आत्मकथा को पुस्तक का प्रारूप इसलिए कहा था क्योंकि काव्य की रचना में नायक के जीवन में आठों रसों का प्रयोग हुआ हो ,साथ ही प्रेरणादायी बातें हों --जिससे जन हित तो हो ही साथ ही यह कथा अमरता की कसौटी पर भी उतरे --इन तमाम बातों पर विवेचना की है | आत्मकथा कब ,कैसे और कहाँ समाप्त होगी -इस बात का अभी ठीक से मुझे अनुभव नहीं है --किन्तु विस्वास है --प्रेरणादायी बातों की भरमार रहेगी | --अस्तु --शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है --शनिदेव से सभी डरते हैं क्योंकि -व्यक्ति का लेखा -जोखा इनके पास ही होता है -तो व्यक्ति डरता है --कभी -कभी व्यक्ति के जीवन की शुरुआत ही शनि दशा से होती है तो कभी -कभी मध्यम जीवन में शनि की दशा आती है किन्तु ज्यादातर व्यक्ति के जीवन के अन्तिम भाग में यह शनि दशा शुरू होती है | -व्यक्ति जानबूझकर या अनजाने में अनन्त अपराध करता है -जब निर्णय की घडी आती है तब कुछ शेष नहीं बचता है --मेरी यही कोशिश इस कथा के माध्यम से है --आप संभलो नहीं तो जन्म -जन्मान्तर तक ऐसे ही भटकते रहोगे --धन भी होगा ,तन भी होगा --सबकुछ होगा किन्तु जिसके लिए आगमन हुआ है वो नहीं होगा | मैं खानदानी ज्योतिषी नहीं हूँ न ही अल्पज्ञानी हूँ --किन्तु मेरा अनुभव और गुरुजनों की कृपा ही मेरी प्रेरणा की श्रोत रही है --कभी किताबें तो थी जिह्वा पर मन नहीं था, श्रद्धा नहीं थी -अगर यह ज्ञान बाल्यकाल में ही होता तो वैरागी हो जाते | --मेरे जीवन का अन्तिम भाग चल रहा है --2014 से 2033 तक यह भाग रहेगा --इसी बीच कभी न कभी अन्तिम लेने को मिलेगी | मेरी कुण्डली में भाग्य के क्षेत्र में शनिदेव हैं किन्तु नीच होकर --इनका कितना प्रभाव मेरे ऊपर रहा है वह कथा क्रम से सुना रहा हूँ --आपने कुछ कथा पूर्व के आलेखों में सुनी --आज एक कथा और सुनाता हूँ --मुझे बहुत जिज्ञासा रहती थी उत्तम यजमान मिले किन्तु --नीच का शनि होने की वजह से मेरे तमाम दाता जिन्हौनें बहुत कुछ दिया --स्वभाव से ,कर्म से नीच के रहे --जिसे शास्त्रों ने निषेद कर रखा है --ऐसा हो तो -धन नहीं लेना चाहिए -पानी नहीं पीना चाहिए --किन्तु मेरे जीवन में ऐसे लोगों की ही भरमार रही है --ऐसे लोगों से धन तो मिला किन्तु मेरी आत्मा कभी प्रसन्न नहीं हुई --चाहे ज्योतिष का क्षेत्र हो या कर्मकाण्ड का | अंत में सभी चीजों का परित्याग करना ही उत्तम समझ में आया | जैसा आप सभी जानते हैं --ब्राहण का एक स्वभाव होता है -क्रोधी इतना कि तत्काल नष्ट कर दे ,दयालु इतना कि तुरन्त राजा बना दे --मेरे साथ जीवन भर यही होता रहा --कठोर व्यक्ति मुझे सहन नहीं हुए ,मुलायम व्यक्ति आसमान को छू लिए | हमारे जीवन में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा --कई व्यक्ति धनाढ्य हुए तो पतनी की वजह से -जिनकी नम्रता ,स्नेह ,दया ,प्रेम ये सभी गुण --मेरे क्रोध पर विजय प्राप्त कर लेते थे | जिनकी पतनी -दयालु नहीं थी --ऐसे व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाए | भारत भूमि पर सदियों से चाहे राजा हों या साहूकार --सबकी जीत में पत्नियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है | वही राजा या साहूकार परास्त हुए --जिन पर भार्या का सहयोग नहीं रहा | मेरे जीवन में कईबार धर्म संकट आया --ये धन लें कि न लें ,यह कार्य करें कि न करें --किन्तु जब कोई भारतीय नारी विनम्रता से ब्राह्मणों से निवेदन करती हैं --तो मुझे नहीं लगता कठोर से कठोर भूदेव भी उनकी अवहेलना करते होंगें | इस कारण से कई कुपात्र भी राजा बन गए | जिनकी भार्या कठोर थी उन्हौनें बहुत कुछ प्राप्त करने के बाद भी खो दिया | ----भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 21 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -88 ज्योतिषी झा मेरठ
हमारे प्रिय पाठकगण - 2017 में -मेरा कल आज और कल लिखने की कोशिश की थी --तब केवल आक्रोश था ,उद्वेग था ,मन पर नियंत्रण नहीं था --अनन्त माता पिता ,परिजनों से शिकायत थी,तब हमने 33 भाग लिखे थे | 2018 --में पिता के देहावसान के बाद मेरा भाव बदला तो अपनी जीवनी रूपी मात्र एक अस्त्र था जो व्यक्तिगत मेरा था --उससे हम आप सभी का दिल जीतना चाहते थे | --इसमें उन तमाम बातों को हूबहू लिखने का प्रयास किया -जो केवल सच पर आधारित थे --33 भाग से 55 भाग तक | अब 2023 में मुझे लगा --जीवनी व्यक्गित सबकी होती है ,बहुत लिखकर समझाने का प्रयास करते हैं तो कुछ दिल में ही रखकर जीते रहते हैं या चले जाते हैं | --वस्तुतः --मानव से बड़ा ढीठ प्राणी कोई हो ही नहीं सकता है -वो लोभ ,अर्थ ,काम ,मद और मोह से बच ही नहीं सकता है --इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अनन्त प्रकार की अपनी -अपनी भूमिका बनाता है ---उससे व्यक्तिगत मैं भी बाहर नहीं आ सका -भले ही मैं ये कहूं ये अच्छा था वो बुरा था --सच तो यह है --प्रत्येक व्यक्ति की जो चार अवस्था होती है --समयानुसार हर व्यक्ति में बदलाव आता रहता है --कभी व्यक्ति समाज से सीखता है ,कभी प्रकृति से सीखता है ,कभी व्यक्ति क्षेत्रों से सीखता है --तो कभी व्यक्ति पूर्वजों से सीखता है | मैं भी बालक था तो कुछ और अनुभव था ,युवा हुआ तो कुछ और अनुभव हुआ ,प्रौढ़ हुआ तो कुछ और तजुर्बा हुआ --जब हम -2020 में 50 वर्ष के हुए --उसके बाद स्वतः ही बहुत बदलाव आया --जो हमने पूर्वजों से सीखा और हमें लगा --अब जानें की तैयारी करनी चाहिए -उसके लिए वैसे ही तैयार होना चाहिए --जैसे मानव बनकर आये थे अनन्त आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए छल -प्रपंच न जाने ब्राह्मण होकर ,एक शास्त्री होकर --जिनसे समाज कुछ सीखता है -बहुत सारे तर्क और कुतर्कों के सहारे अपने आप को सही दिखाने का प्रयास किया | वास्तव में --मानव देह मोक्ष की प्राप्ति के लिए मिली है किन्तु --जीवन में व्यक्ति इस बात को जानते हुए भी इतना लाचार हो जाता है --चाह कर भी बच नहीं सकता है --यह बात --बाल्यकाल ,युवावस्था में समझ में नहीं आती है --जब आती है तब वो इस योग्य नहीं रहता है | मुझे लगता है -हमने जो बातें लिखी हैं या कहीं हैं या जो कहने का अभिप्राय है --वो हर व्यक्ति के काम आ सकती है -हो सकता है --अवस्था के कारण इस कथा को कोई सुख -दुःख समझे ,कोई अपनी तरह की कथा समझे ,कोई राग द्वेष की बात समझे -अनन्त प्रकार के लोग होते हैं --सभी अपना -अपना तर्क लगाते होंगें --किन्तु वास्तविकता यह है -ज्योतिषी हूँ- तो मुझे लगा है --जीवन में ग्रहों के खेल निराले हैं -जिनका प्रभाव जन -जन पर पड़ता है | वास्तव में किसी का कोई शत्रु नहीं है --इसे आप ऐसे समझें --जैसे नाटक में सभी पात्र एक साथ रहते हैं --किन्तु रंग मंच पर आकर सभी अपनी -अपनी भूमिका निभाने लगते हैं --फिर मण्डली में सभी एक जैसा हो जाते हैं --तब न कोई रावण होता है न राम ,न सीता होती है --बस सभी नाटक मण्डली के कलाकार होते हैं --यही बातों को दर्शाने का प्रयास कर रहा हूँ | --अब मैं उन्हीं बातों को समझाने का प्रयास करूँगा --जो आपको करना चाहिए --भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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बुधवार, 20 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -87 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे प्रिय पाठकगण --अब एक दूसरी कहानी जीवनी की सुनना चाहता हूँ | चूकि शनि की दशा है मेरे ऊपर चल रही है | शनि भाग्य क्षेत्र में नीच का होकर विराजमान है - शत्रुता ,रोग और सगे -सम्बन्धियों के साथ -साथ आय के क्षेत्र में विशेष प्रभाव पड़ना है --तथा दाम्पत्य क्षेत्र का भी स्वामी है | सभी बातों पर क्रम से प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा ---अस्तु --मेरे एक यजमान मेरठ के ही हैं --मेरा उनसे सम्पर्क -2001 से ही हैं ,किन्तु धन की जिज्ञासा थी तो हमने कुछ यज्ञ करने की सलाह दी | यजमान बहुत अच्छे -स्वभाव से भी और सिद्धान्तों से भी | ऐसा कोई यज्ञ नहीं था धन प्राप्ति का जो उन्होनें न कराया हो --सभी यज्ञों के लाभ मिल रहे थे | दिनों दिन धन से प्रगति हो रही थी | हमें भी पूर्ण दक्षिणा मिल रही थी | उनके पास दो -दो कार हो गयी ,वातानुकूलित रहन -सहन हो गया | सुखद जीवन था --किन्तु --2012 में पुत्री का विवाह था --हमने कुछ धन की याचना की --तो श्रीमती बोली --महराज 2100 लें स्थिति ठीक नहीं है --अन्यथा बहुत धन देती | --हमने मान भी लिया --हमारी पुत्री का विवाह पूर्ण हुआ बिहार मातृभूमि पर -- जब हम मेरठ आये --तो उनकी पुनः पूजा शुरू हुई --पूजा होते समय ही --उन्हौनें सपने देखे --समुद्र सूख गया है --केवल रेत -ही रेत दिखाई दे रहा है | इसका भावार्थ था --पुनर्मूषको भव --यज्ञ किसी तरह पूर्ण हुआ | --एक दिन यजमान खुद बोले --महराज -मेरे पास करोड़ बाईस लाख थे जो एकहि बार में चला गया --पर आप यकीन नहीं करोगे --क्यों ? क्योंकि --आपकी पुत्री के विवाह हमने कहा था --धन है ही नहीं हमारे पास | जबकि मेरा अनुमान था -इनके पास साठ से सत्तर लाख होंगें | --उसके बाद कभी यज्ञ नहीं हुए ---दोस्तों --हमने यह देखा --मेरे आय के क्षेत्र में शनि की त्रिपाद दृष्टि थी --अतः --उस नीच कर्म करने वाले व्यक्ति से मरने के बाद भी लाख रूपये मिले किन्तु --यह सात्विक यजमान थे --इनसे कुछ नहीं मिला --- क्यों कि नीच का शनि भाग्य क्षेत्र में है | --आगे अभी उन तमाम बातों पर प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा --जो ग्रहों प्रभाव क्या पड़ते हैं -
---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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सोमवार, 18 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -86 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठकगण -कभी -कभी पण्डितजी लोगों के दुःखों को देखते हुए खुद बीमार हो जाते हैं कैसे - सुनें --मेरा सम्बन्ध उस व्यक्ति के साथ यजमान -पुरोहित का तो था ही अपनापन का भी हो गया था | उनकी चार बेटियां थीं ,तीन बेटे थे ,सात भाई थे --सभी लोगों में यही वो व्यक्ति था --जो धार्मिक भी था और अधर्म की चरम सीमा का दलाल था | इस बात का ज्ञान मुझे बहुत बाद में हुआ --अन्यथा हम धन की वजह से दोस्ती नहीं करते या धन के लिए यज्ञ नहीं करते --यही करना होता तो हम बहुत धनवान होते --आज के समय में मुझे लगता है --धनवान उसे कहना चाहिए --जो स्वभाव का धनवान हो --वरना देखने में तो सभी धनवान ही लगते हैं | --अस्तु --उनकी एक पुत्री मुम्बई में बड़ी हस्ती वाली और सुन्दर थी | मैं बहुत छोटी सी उम्र 14 वर्ष में प्रेम पत्र लिख चूका था जिसकी वजह से आश्रम से निकाला गया था --उसके बाद मेरे जीवन में महिला के प्रति आकर्ष समाप्त हो चूका था | परन्तु --मेरी कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी शनि है जो नीच होकर भाग्य के क्षेत्र में है साथ ही लग्न में मंगल ,सूर्य ,केतु की युति है एवं सप्तम भाव में राहु विराजमान है --इसका भावार्थ है --नीच व्यक्ति से विवाहित सम्बन्ध होना साथ ही टूट जाना --पर मुझे कई बार इस योग पर शंका रहती थी --मेरा विवाह भी हो गया ,दो कन्या भी हो गयी ,पुत्र भी हो चूका था ,मुम्बई जैसे शहर से भी आ चूका था | अपनी जिम्मेदारी के पथ पर चल रहा था ,उत्तम गुरु की दशा चल रही थी ,परम धार्मिक था --पर --भारत भूमि पर बहुत सारे सूत्र चाहे अनपढ़ हों या शिक्षित --तर्क देते रहते हैं --वृथा न होहि देव रिषि वाणी --अर्थात ऋषियों की वाणी असत्य नहीं हो सकती है --अतः कुण्डली में योग हो और प्रभावित न करें ऐसा हो ही नहीं सकता --मैं 37 वर्ष का था --तब यह लड़की मुझे भा गई --हुआ यह उसे धनाढ्य बनना था तो हमने यज्ञ के लिए कहा --वो तैयार भी हो गयी --मेरा मन धर्म में कम उसमें ज्यादा लगने लगा --किन्तु ईस्वर की ऐसी कृपा हुई --यज्ञ करते समय मेरे मन में शुद्धता के प्रति कुभाव आने लगा --इसकी वजह से मेरे मन में यह विचार आया -इसके पास धन है और सुन्दर भी है --यह मेरे पास प्रेम के लिए नहीं यज्ञ के लिए आयी है --धन तो यह दुनिया से कमाती है --और किसी की इसलिए हो नहीं सकी है --अतः एक छोटी सी भूल मुझे पतन की ओर ले जा सकती है | इसे ईस्वर की कृपा कहें या ग्रहों के खेल --क्योंकि गुरु की दशा चल रही थी --अतः धर्म का स्तर मजबूत होना था --उस यज्ञ के बाद वो मेरी शिष्या बन गयी --उसके बाद मुझे उसमें पुत्री का ही रूप दिखाई देने लगा | मेरा कहने का अभिप्राय है --जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन --यह उक्ति बिल्कुल सही है | मेरे पास हर तरह के लोग आते रहे हैं -- मेरी गरिमा धर्म की रक्षा करना है --यह सोच मुझे महान बनाती है अन्यथा --पग -पग पर कोई भी क्षेत्र हो भटकाव विशेष होता --इसकी वजह से हम सुधारने की जगह खुद गड़बड़ हो जाते हैं | जिस दिन उसे शिष्या बना लिया उसके बाद हम कर्मकाण्ड में उन्हीं यज्ञों को किया जो एक शास्त्री को करने चाहिए | अतः इसके बाद ज्योतिष का मार्ग ही ठीक लगा -- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
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ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
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ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
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ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
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ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
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ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
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ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
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ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
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ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
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ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
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ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...















