प्रिय पाठक जनों -मेरे एक यजमान मेरठ के ही रहने वाले हैं ,जिनसे मेरा सम्पर्क मोबाइल की वजह से हुआ | यह यजमान ब्राहण परिवार से हैं | साधारण किराये की दुकान से अपनी दुकान तक आये | दिनों दिन धन की दुनिया में बहुत आगे बढ़ते गए | धन तो मिल गया किन्तु शराबी हो गए | कहावत है पानी कुछ देर के लिए बर्फ बन सकता है किन्तु फिर पानी का ही रूप धारण कर लेती है बर्फ क्योंकि मूल रूप पानी था | अनायास मेरा इनसे संपर्क पूजा के लिए हुआ --फिर क्या था -पूजा होते ही शराब तो छूट गयी साथ ही परम सात्विक भी हो गए किन्तु सब कुछ खो दिया | --पूजा शुरू होते ही घर में अनन्त दरारें थीं जो शराब के नशे के कारण अहसास नहीं थी | जन्म लेते ही माँ छोड़कर चल बसी थी ,दूसरी माँ आयी -उनकी दो कन्या थी --पहली माँ से दो भाई थे --गरीबी की अन्तिम छोड़ से जीवन की शुरुआत हुई थी --इसलिए शिक्षा अधूरी रही तो सत्संग भी उत्तम नहीं रहा | जीवन में सही मार्गदर्शन नहीं मिला --किन्तु धर्म की अपनी परिभाषा होती है ---विवाह हुआ ,संतानें हुई ,धन वैभव सभी हुए -पर आत्मीयता नहीं हुई ,दुकान ,मकान ,धन पर सभी राज किये --शराबी बने रहे यही सभी परिजनों के प्रयास रहते थे --जब मुझसे सम्पर्क यज्ञ के लिए हुआ तो यह तमाम बातें मुझे नहीं पत्ता थी | किसी तरह छुपके से पहला यज्ञ हुआ --2013 में --इस यज्ञ के प्रभाव से परत दर परत खुलने लगी -अब यह यजमान परम सात्विक हो चुके थे --तब उन्हें ज्ञात होने लगा सच क्या है -जब यह ज्ञात होने लगा --तो सभी लुटेरे समझ में आने लगे | मुझे यह अनुभव हुआ --जब यह शराबी थे तो सभी के प्यारे थे ,नशा हटते ही सबके शत्रु बन गए --किसी तरह हमने कोशिश की दुकान जो अपनी मेहनत से ली थी वो इनके नाम हो जाय -हो गयी ,मकान जो इन्हौनें बनाया था वो इनके नाम हो जाय -वो भी हो गया | एक बहिन का विवाह नहीं हुआ था -उसका उत्तम घर में विवाह हो जाय हो गया --अब हम चाहते थे -जो धन है वो भविष्य के लिए सुरक्षित रहे --किन्तु --होनी हो के रहती है | मेरे प्रति यजमान का अति विस्वास बढ़ता गया --हमने भी धर्म को साक्षी मानकर कोशिश करते रहे किन्तु --एक भूचाल आया -- सभी शत्रु बन गए --दुकान में जितने भी सेवक थे सभी लूटते थे ,घर में सभी परम शत्रु थे -जब यजमान सजग हुए और तमाम बातों का भान हुआ -इस बात का ऐसा असर हुआ --कि आत्महत्या करने की सोचने लगे ,विक्षिप्त सा रहने लगे --छे महीने के अन्दर दुकान तो बची रही पचास लाख के माल समाप्त हो गए --दुकान की देन- दारी लाखों की हो गयी | सभी परिजन महाशत्रु हो गए --मकान- दुकान तो बच गए पर --धन शून्य हो गया --अब विरक्त भाव से रहने लगे --यह यजमान सभी बातों को सह सकते थे --किन्तु गृहणी उत्तम नहीं थी इसलिए यह स्थिति आयी | जीवन में मुझे लगा है या अनुभव हुआ है --गृहणी सजग हो तो व्यक्ति गिर कर भी उठ जाता है --अन्यथा वो कभी भी मजबूत नहीं हो सकता है --हमने कई यज्ञ किये --उन्हें इंसान भी बनाया ,धार्मिक बनाया किन्तु भाग्य को नहीं बदल सके | यह इसलिए क्योंकि मेरे भाग्य के क्षेत्र में नीच का शनिदेव हैं अतः धन नीचता से ही प्राप्त हो सकता है ,नीच कर्म करने वाले ही वास्तव में धन मुझे दे सकते हैं --सात्विक व्यक्ति से मुझे भाग्योदय नहीं हो सकता है | -भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
मंगलवार, 26 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -90 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठक जनों -मेरे एक यजमान मेरठ के ही रहने वाले हैं ,जिनसे मेरा सम्पर्क मोबाइल की वजह से हुआ | यह यजमान ब्राहण परिवार से हैं | साधारण किराये की दुकान से अपनी दुकान तक आये | दिनों दिन धन की दुनिया में बहुत आगे बढ़ते गए | धन तो मिल गया किन्तु शराबी हो गए | कहावत है पानी कुछ देर के लिए बर्फ बन सकता है किन्तु फिर पानी का ही रूप धारण कर लेती है बर्फ क्योंकि मूल रूप पानी था | अनायास मेरा इनसे संपर्क पूजा के लिए हुआ --फिर क्या था -पूजा होते ही शराब तो छूट गयी साथ ही परम सात्विक भी हो गए किन्तु सब कुछ खो दिया | --पूजा शुरू होते ही घर में अनन्त दरारें थीं जो शराब के नशे के कारण अहसास नहीं थी | जन्म लेते ही माँ छोड़कर चल बसी थी ,दूसरी माँ आयी -उनकी दो कन्या थी --पहली माँ से दो भाई थे --गरीबी की अन्तिम छोड़ से जीवन की शुरुआत हुई थी --इसलिए शिक्षा अधूरी रही तो सत्संग भी उत्तम नहीं रहा | जीवन में सही मार्गदर्शन नहीं मिला --किन्तु धर्म की अपनी परिभाषा होती है ---विवाह हुआ ,संतानें हुई ,धन वैभव सभी हुए -पर आत्मीयता नहीं हुई ,दुकान ,मकान ,धन पर सभी राज किये --शराबी बने रहे यही सभी परिजनों के प्रयास रहते थे --जब मुझसे सम्पर्क यज्ञ के लिए हुआ तो यह तमाम बातें मुझे नहीं पत्ता थी | किसी तरह छुपके से पहला यज्ञ हुआ --2013 में --इस यज्ञ के प्रभाव से परत दर परत खुलने लगी -अब यह यजमान परम सात्विक हो चुके थे --तब उन्हें ज्ञात होने लगा सच क्या है -जब यह ज्ञात होने लगा --तो सभी लुटेरे समझ में आने लगे | मुझे यह अनुभव हुआ --जब यह शराबी थे तो सभी के प्यारे थे ,नशा हटते ही सबके शत्रु बन गए --किसी तरह हमने कोशिश की दुकान जो अपनी मेहनत से ली थी वो इनके नाम हो जाय -हो गयी ,मकान जो इन्हौनें बनाया था वो इनके नाम हो जाय -वो भी हो गया | एक बहिन का विवाह नहीं हुआ था -उसका उत्तम घर में विवाह हो जाय हो गया --अब हम चाहते थे -जो धन है वो भविष्य के लिए सुरक्षित रहे --किन्तु --होनी हो के रहती है | मेरे प्रति यजमान का अति विस्वास बढ़ता गया --हमने भी धर्म को साक्षी मानकर कोशिश करते रहे किन्तु --एक भूचाल आया -- सभी शत्रु बन गए --दुकान में जितने भी सेवक थे सभी लूटते थे ,घर में सभी परम शत्रु थे -जब यजमान सजग हुए और तमाम बातों का भान हुआ -इस बात का ऐसा असर हुआ --कि आत्महत्या करने की सोचने लगे ,विक्षिप्त सा रहने लगे --छे महीने के अन्दर दुकान तो बची रही पचास लाख के माल समाप्त हो गए --दुकान की देन- दारी लाखों की हो गयी | सभी परिजन महाशत्रु हो गए --मकान- दुकान तो बच गए पर --धन शून्य हो गया --अब विरक्त भाव से रहने लगे --यह यजमान सभी बातों को सह सकते थे --किन्तु गृहणी उत्तम नहीं थी इसलिए यह स्थिति आयी | जीवन में मुझे लगा है या अनुभव हुआ है --गृहणी सजग हो तो व्यक्ति गिर कर भी उठ जाता है --अन्यथा वो कभी भी मजबूत नहीं हो सकता है --हमने कई यज्ञ किये --उन्हें इंसान भी बनाया ,धार्मिक बनाया किन्तु भाग्य को नहीं बदल सके | यह इसलिए क्योंकि मेरे भाग्य के क्षेत्र में नीच का शनिदेव हैं अतः धन नीचता से ही प्राप्त हो सकता है ,नीच कर्म करने वाले ही वास्तव में धन मुझे दे सकते हैं --सात्विक व्यक्ति से मुझे भाग्योदय नहीं हो सकता है | -भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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2012 -की प्रमुख घटित होने वाली "घटनाएँ"? पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
2012 -की प्रमुख घटित होने वाली "घटनाएँ"? पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रविवार, 24 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -89 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठक गण --मेरे जीवन में आठो रसों का भरपूर आनन्द मिला है -हमने आत्मकथा को पुस्तक का प्रारूप इसलिए कहा था क्योंकि काव्य की रचना में नायक के जीवन में आठों रसों का प्रयोग हुआ हो ,साथ ही प्रेरणादायी बातें हों --जिससे जन हित तो हो ही साथ ही यह कथा अमरता की कसौटी पर भी उतरे --इन तमाम बातों पर विवेचना की है | आत्मकथा कब ,कैसे और कहाँ समाप्त होगी -इस बात का अभी ठीक से मुझे अनुभव नहीं है --किन्तु विस्वास है --प्रेरणादायी बातों की भरमार रहेगी | --अस्तु --शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है --शनिदेव से सभी डरते हैं क्योंकि -व्यक्ति का लेखा -जोखा इनके पास ही होता है -तो व्यक्ति डरता है --कभी -कभी व्यक्ति के जीवन की शुरुआत ही शनि दशा से होती है तो कभी -कभी मध्यम जीवन में शनि की दशा आती है किन्तु ज्यादातर व्यक्ति के जीवन के अन्तिम भाग में यह शनि दशा शुरू होती है | -व्यक्ति जानबूझकर या अनजाने में अनन्त अपराध करता है -जब निर्णय की घडी आती है तब कुछ शेष नहीं बचता है --मेरी यही कोशिश इस कथा के माध्यम से है --आप संभलो नहीं तो जन्म -जन्मान्तर तक ऐसे ही भटकते रहोगे --धन भी होगा ,तन भी होगा --सबकुछ होगा किन्तु जिसके लिए आगमन हुआ है वो नहीं होगा | मैं खानदानी ज्योतिषी नहीं हूँ न ही अल्पज्ञानी हूँ --किन्तु मेरा अनुभव और गुरुजनों की कृपा ही मेरी प्रेरणा की श्रोत रही है --कभी किताबें तो थी जिह्वा पर मन नहीं था, श्रद्धा नहीं थी -अगर यह ज्ञान बाल्यकाल में ही होता तो वैरागी हो जाते | --मेरे जीवन का अन्तिम भाग चल रहा है --2014 से 2033 तक यह भाग रहेगा --इसी बीच कभी न कभी अन्तिम लेने को मिलेगी | मेरी कुण्डली में भाग्य के क्षेत्र में शनिदेव हैं किन्तु नीच होकर --इनका कितना प्रभाव मेरे ऊपर रहा है वह कथा क्रम से सुना रहा हूँ --आपने कुछ कथा पूर्व के आलेखों में सुनी --आज एक कथा और सुनाता हूँ --मुझे बहुत जिज्ञासा रहती थी उत्तम यजमान मिले किन्तु --नीच का शनि होने की वजह से मेरे तमाम दाता जिन्हौनें बहुत कुछ दिया --स्वभाव से ,कर्म से नीच के रहे --जिसे शास्त्रों ने निषेद कर रखा है --ऐसा हो तो -धन नहीं लेना चाहिए -पानी नहीं पीना चाहिए --किन्तु मेरे जीवन में ऐसे लोगों की ही भरमार रही है --ऐसे लोगों से धन तो मिला किन्तु मेरी आत्मा कभी प्रसन्न नहीं हुई --चाहे ज्योतिष का क्षेत्र हो या कर्मकाण्ड का | अंत में सभी चीजों का परित्याग करना ही उत्तम समझ में आया | जैसा आप सभी जानते हैं --ब्राहण का एक स्वभाव होता है -क्रोधी इतना कि तत्काल नष्ट कर दे ,दयालु इतना कि तुरन्त राजा बना दे --मेरे साथ जीवन भर यही होता रहा --कठोर व्यक्ति मुझे सहन नहीं हुए ,मुलायम व्यक्ति आसमान को छू लिए | हमारे जीवन में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा --कई व्यक्ति धनाढ्य हुए तो पतनी की वजह से -जिनकी नम्रता ,स्नेह ,दया ,प्रेम ये सभी गुण --मेरे क्रोध पर विजय प्राप्त कर लेते थे | जिनकी पतनी -दयालु नहीं थी --ऐसे व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाए | भारत भूमि पर सदियों से चाहे राजा हों या साहूकार --सबकी जीत में पत्नियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है | वही राजा या साहूकार परास्त हुए --जिन पर भार्या का सहयोग नहीं रहा | मेरे जीवन में कईबार धर्म संकट आया --ये धन लें कि न लें ,यह कार्य करें कि न करें --किन्तु जब कोई भारतीय नारी विनम्रता से ब्राह्मणों से निवेदन करती हैं --तो मुझे नहीं लगता कठोर से कठोर भूदेव भी उनकी अवहेलना करते होंगें | इस कारण से कई कुपात्र भी राजा बन गए | जिनकी भार्या कठोर थी उन्हौनें बहुत कुछ प्राप्त करने के बाद भी खो दिया | ----भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 21 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -88 ज्योतिषी झा मेरठ
हमारे प्रिय पाठकगण - 2017 में -मेरा कल आज और कल लिखने की कोशिश की थी --तब केवल आक्रोश था ,उद्वेग था ,मन पर नियंत्रण नहीं था --अनन्त माता पिता ,परिजनों से शिकायत थी,तब हमने 33 भाग लिखे थे | 2018 --में पिता के देहावसान के बाद मेरा भाव बदला तो अपनी जीवनी रूपी मात्र एक अस्त्र था जो व्यक्तिगत मेरा था --उससे हम आप सभी का दिल जीतना चाहते थे | --इसमें उन तमाम बातों को हूबहू लिखने का प्रयास किया -जो केवल सच पर आधारित थे --33 भाग से 55 भाग तक | अब 2023 में मुझे लगा --जीवनी व्यक्गित सबकी होती है ,बहुत लिखकर समझाने का प्रयास करते हैं तो कुछ दिल में ही रखकर जीते रहते हैं या चले जाते हैं | --वस्तुतः --मानव से बड़ा ढीठ प्राणी कोई हो ही नहीं सकता है -वो लोभ ,अर्थ ,काम ,मद और मोह से बच ही नहीं सकता है --इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अनन्त प्रकार की अपनी -अपनी भूमिका बनाता है ---उससे व्यक्तिगत मैं भी बाहर नहीं आ सका -भले ही मैं ये कहूं ये अच्छा था वो बुरा था --सच तो यह है --प्रत्येक व्यक्ति की जो चार अवस्था होती है --समयानुसार हर व्यक्ति में बदलाव आता रहता है --कभी व्यक्ति समाज से सीखता है ,कभी प्रकृति से सीखता है ,कभी व्यक्ति क्षेत्रों से सीखता है --तो कभी व्यक्ति पूर्वजों से सीखता है | मैं भी बालक था तो कुछ और अनुभव था ,युवा हुआ तो कुछ और अनुभव हुआ ,प्रौढ़ हुआ तो कुछ और तजुर्बा हुआ --जब हम -2020 में 50 वर्ष के हुए --उसके बाद स्वतः ही बहुत बदलाव आया --जो हमने पूर्वजों से सीखा और हमें लगा --अब जानें की तैयारी करनी चाहिए -उसके लिए वैसे ही तैयार होना चाहिए --जैसे मानव बनकर आये थे अनन्त आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए छल -प्रपंच न जाने ब्राह्मण होकर ,एक शास्त्री होकर --जिनसे समाज कुछ सीखता है -बहुत सारे तर्क और कुतर्कों के सहारे अपने आप को सही दिखाने का प्रयास किया | वास्तव में --मानव देह मोक्ष की प्राप्ति के लिए मिली है किन्तु --जीवन में व्यक्ति इस बात को जानते हुए भी इतना लाचार हो जाता है --चाह कर भी बच नहीं सकता है --यह बात --बाल्यकाल ,युवावस्था में समझ में नहीं आती है --जब आती है तब वो इस योग्य नहीं रहता है | मुझे लगता है -हमने जो बातें लिखी हैं या कहीं हैं या जो कहने का अभिप्राय है --वो हर व्यक्ति के काम आ सकती है -हो सकता है --अवस्था के कारण इस कथा को कोई सुख -दुःख समझे ,कोई अपनी तरह की कथा समझे ,कोई राग द्वेष की बात समझे -अनन्त प्रकार के लोग होते हैं --सभी अपना -अपना तर्क लगाते होंगें --किन्तु वास्तविकता यह है -ज्योतिषी हूँ- तो मुझे लगा है --जीवन में ग्रहों के खेल निराले हैं -जिनका प्रभाव जन -जन पर पड़ता है | वास्तव में किसी का कोई शत्रु नहीं है --इसे आप ऐसे समझें --जैसे नाटक में सभी पात्र एक साथ रहते हैं --किन्तु रंग मंच पर आकर सभी अपनी -अपनी भूमिका निभाने लगते हैं --फिर मण्डली में सभी एक जैसा हो जाते हैं --तब न कोई रावण होता है न राम ,न सीता होती है --बस सभी नाटक मण्डली के कलाकार होते हैं --यही बातों को दर्शाने का प्रयास कर रहा हूँ | --अब मैं उन्हीं बातों को समझाने का प्रयास करूँगा --जो आपको करना चाहिए --भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 20 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -87 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे प्रिय पाठकगण --अब एक दूसरी कहानी जीवनी की सुनना चाहता हूँ | चूकि शनि की दशा है मेरे ऊपर चल रही है | शनि भाग्य क्षेत्र में नीच का होकर विराजमान है - शत्रुता ,रोग और सगे -सम्बन्धियों के साथ -साथ आय के क्षेत्र में विशेष प्रभाव पड़ना है --तथा दाम्पत्य क्षेत्र का भी स्वामी है | सभी बातों पर क्रम से प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा ---अस्तु --मेरे एक यजमान मेरठ के ही हैं --मेरा उनसे सम्पर्क -2001 से ही हैं ,किन्तु धन की जिज्ञासा थी तो हमने कुछ यज्ञ करने की सलाह दी | यजमान बहुत अच्छे -स्वभाव से भी और सिद्धान्तों से भी | ऐसा कोई यज्ञ नहीं था धन प्राप्ति का जो उन्होनें न कराया हो --सभी यज्ञों के लाभ मिल रहे थे | दिनों दिन धन से प्रगति हो रही थी | हमें भी पूर्ण दक्षिणा मिल रही थी | उनके पास दो -दो कार हो गयी ,वातानुकूलित रहन -सहन हो गया | सुखद जीवन था --किन्तु --2012 में पुत्री का विवाह था --हमने कुछ धन की याचना की --तो श्रीमती बोली --महराज 2100 लें स्थिति ठीक नहीं है --अन्यथा बहुत धन देती | --हमने मान भी लिया --हमारी पुत्री का विवाह पूर्ण हुआ बिहार मातृभूमि पर -- जब हम मेरठ आये --तो उनकी पुनः पूजा शुरू हुई --पूजा होते समय ही --उन्हौनें सपने देखे --समुद्र सूख गया है --केवल रेत -ही रेत दिखाई दे रहा है | इसका भावार्थ था --पुनर्मूषको भव --यज्ञ किसी तरह पूर्ण हुआ | --एक दिन यजमान खुद बोले --महराज -मेरे पास करोड़ बाईस लाख थे जो एकहि बार में चला गया --पर आप यकीन नहीं करोगे --क्यों ? क्योंकि --आपकी पुत्री के विवाह हमने कहा था --धन है ही नहीं हमारे पास | जबकि मेरा अनुमान था -इनके पास साठ से सत्तर लाख होंगें | --उसके बाद कभी यज्ञ नहीं हुए ---दोस्तों --हमने यह देखा --मेरे आय के क्षेत्र में शनि की त्रिपाद दृष्टि थी --अतः --उस नीच कर्म करने वाले व्यक्ति से मरने के बाद भी लाख रूपये मिले किन्तु --यह सात्विक यजमान थे --इनसे कुछ नहीं मिला --- क्यों कि नीच का शनि भाग्य क्षेत्र में है | --आगे अभी उन तमाम बातों पर प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा --जो ग्रहों प्रभाव क्या पड़ते हैं -
---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 18 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -86 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठकगण -कभी -कभी पण्डितजी लोगों के दुःखों को देखते हुए खुद बीमार हो जाते हैं कैसे - सुनें --मेरा सम्बन्ध उस व्यक्ति के साथ यजमान -पुरोहित का तो था ही अपनापन का भी हो गया था | उनकी चार बेटियां थीं ,तीन बेटे थे ,सात भाई थे --सभी लोगों में यही वो व्यक्ति था --जो धार्मिक भी था और अधर्म की चरम सीमा का दलाल था | इस बात का ज्ञान मुझे बहुत बाद में हुआ --अन्यथा हम धन की वजह से दोस्ती नहीं करते या धन के लिए यज्ञ नहीं करते --यही करना होता तो हम बहुत धनवान होते --आज के समय में मुझे लगता है --धनवान उसे कहना चाहिए --जो स्वभाव का धनवान हो --वरना देखने में तो सभी धनवान ही लगते हैं | --अस्तु --उनकी एक पुत्री मुम्बई में बड़ी हस्ती वाली और सुन्दर थी | मैं बहुत छोटी सी उम्र 14 वर्ष में प्रेम पत्र लिख चूका था जिसकी वजह से आश्रम से निकाला गया था --उसके बाद मेरे जीवन में महिला के प्रति आकर्ष समाप्त हो चूका था | परन्तु --मेरी कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी शनि है जो नीच होकर भाग्य के क्षेत्र में है साथ ही लग्न में मंगल ,सूर्य ,केतु की युति है एवं सप्तम भाव में राहु विराजमान है --इसका भावार्थ है --नीच व्यक्ति से विवाहित सम्बन्ध होना साथ ही टूट जाना --पर मुझे कई बार इस योग पर शंका रहती थी --मेरा विवाह भी हो गया ,दो कन्या भी हो गयी ,पुत्र भी हो चूका था ,मुम्बई जैसे शहर से भी आ चूका था | अपनी जिम्मेदारी के पथ पर चल रहा था ,उत्तम गुरु की दशा चल रही थी ,परम धार्मिक था --पर --भारत भूमि पर बहुत सारे सूत्र चाहे अनपढ़ हों या शिक्षित --तर्क देते रहते हैं --वृथा न होहि देव रिषि वाणी --अर्थात ऋषियों की वाणी असत्य नहीं हो सकती है --अतः कुण्डली में योग हो और प्रभावित न करें ऐसा हो ही नहीं सकता --मैं 37 वर्ष का था --तब यह लड़की मुझे भा गई --हुआ यह उसे धनाढ्य बनना था तो हमने यज्ञ के लिए कहा --वो तैयार भी हो गयी --मेरा मन धर्म में कम उसमें ज्यादा लगने लगा --किन्तु ईस्वर की ऐसी कृपा हुई --यज्ञ करते समय मेरे मन में शुद्धता के प्रति कुभाव आने लगा --इसकी वजह से मेरे मन में यह विचार आया -इसके पास धन है और सुन्दर भी है --यह मेरे पास प्रेम के लिए नहीं यज्ञ के लिए आयी है --धन तो यह दुनिया से कमाती है --और किसी की इसलिए हो नहीं सकी है --अतः एक छोटी सी भूल मुझे पतन की ओर ले जा सकती है | इसे ईस्वर की कृपा कहें या ग्रहों के खेल --क्योंकि गुरु की दशा चल रही थी --अतः धर्म का स्तर मजबूत होना था --उस यज्ञ के बाद वो मेरी शिष्या बन गयी --उसके बाद मुझे उसमें पुत्री का ही रूप दिखाई देने लगा | मेरा कहने का अभिप्राय है --जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन --यह उक्ति बिल्कुल सही है | मेरे पास हर तरह के लोग आते रहे हैं -- मेरी गरिमा धर्म की रक्षा करना है --यह सोच मुझे महान बनाती है अन्यथा --पग -पग पर कोई भी क्षेत्र हो भटकाव विशेष होता --इसकी वजह से हम सुधारने की जगह खुद गड़बड़ हो जाते हैं | जिस दिन उसे शिष्या बना लिया उसके बाद हम कर्मकाण्ड में उन्हीं यज्ञों को किया जो एक शास्त्री को करने चाहिए | अतः इसके बाद ज्योतिष का मार्ग ही ठीक लगा -- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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रविवार, 17 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -85 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे प्रिय पाठकगण --उस व्यक्ति के साथ मेरा सम्बन्ध इस लोक में तो 2011 तक था किन्तु --आत्मा का सम्बन्ध अजर -अमर है | हम बहुत सारे लोगों से 1983 से ही जुड़ें रहे हैं --पहला यज्ञ दुर्गासप्तशती का बिहार के अवाम -पोखरभिंडा -जिला दरभंगा में किया था -तब मेरी उम्र 13 वर्ष थी | ठीक से सप्तशती का पाठ भी नहीं कर सकते थे --किन्तु भारत भूमि पर एक विशेषता है --समाज के हर वर्ग ब्राह्मण देव को बड़े ही सम्मान विचार से देखते हैं | परन्तु कुछ कमी भी है --जब से लोगों को आधुनिक ज्ञान हुआ है तो तर्क और कुतर्क बढ़ गए हैं --इस कारण से यजमान में भटकाव विशेष रहता है ,तोल - मोल विशेष करते हैं -| -मुझे अपने जीवन में सम्मान बहुत मिला --पर जिस योग्य थे या प्रत्येक यजमान के जो कर्तव्य होते हैं --उससे वो विमुख होते जा रहे हैं --अतः एक अहित कार्य करने वाला व्यक्ति पौत्र होने पर स्वर्ण की चेन निःस्वार्थ दे सकता है ,बेटी की शादी में लाख रूपये दे सकता है --इतना ही नहीं जो खुद बहू -बेटियों की कमाई खा सकता है --वो व्यक्ति हमारी बेटियों को देवी की तरह देखे ,सम्मान करें साथ ही धनवान होते हुए भी --धन दिया तो नतमस्तक होकर ,कभी नहीं कहा पानी पीना पड़ेगा मेरे हाथों से --कभी नहीं कहा चाय पीनी पड़ेगी मेरे घर में --अगर कहा तो --तो महराज ये धन लें -राशन लाएं अपने घर में उत्तम भोजन बनायें --हो सके तो थोड़ा प्रसाद हमें भी दें --ये शब्द मानों मुझे गौरव से भर देते थे | हमने तन ,मन से उनके लिए यज्ञ किये --जिसका परिणाम वह व्यक्ति धनाढ्य की सीमा से बहुत आगे चलता गया | हम दोनों के बीच इतनी श्रद्धा और विस्वास था --अपना दुःख उसे मैं सुनाता था --अपना दुःख वह व्यक्ति मुझे सुनाता था --साथ ही भरसक हम दोनों प्रयास करते थे --दुःखों का निवारण किस विधि से हो --जहाँ धन की जरुरत होती थी ,जहां मन की जरुरत होती थी ,जहाँ तन की जरुरत होती थी --मेरे लिए वह व्यक्ति सपरिवार तैयार रहता था ---इसके लिए हमने उसके विस्वास को कभी नहीं तोडा --उस व्यक्ति ने हमारे विस्वास को नहीं तोडा | --मेरे जीवन के इतिहास में -बिहार हो ,यूपी हो ,मुम्बई हो या और भी बहुत भारत के शहर --लोगों ने केवल तोल - मोल किया है | निःस्वार्थ ज्योतिष सेवा देने की तमन्ना थी --2010 से 2019 तक एक लाख पचीस हजार लोगों -को सेवा निःशुल्क दी , बदले में सहानुभूति भी नहीं मिली | कई लोगों के हित के लिए यज्ञ किये - कई लोग गरीब से अमीर हुए ,कई लोगों के आयु -आरोग्य के लिए जाप किये ,कई लोगों के लिए -पुत्र -पुत्री ,पौत्र के लिए कुण्डली देखी ,राह बतायी --पर --उन्होनों वो दिए जो हमने मांगा --निःस्वार्थ कुछ नहीं मिला ,जब चूल में फँस गए तब या तो दान किये या यज्ञ किये | --एक कहावत है --यथा राजा तथा प्रजा --जब मुझे लगा वैसे कुछ नहीं मिलेगा --तो हमने भी अपनी रूप रेखा बदली --आज शुल्क महंगा भी है लोग देते भी हैं --पर एक चीज की कमी महसूस होती है --धन देने वाले देते हैं और हम धन लेते भी हैं किन्तु --यजमान पुरोहित का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध नहीं है | -- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 16 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -84 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे प्रिय पाठकगण -उस यजमान के कई पण्डितजी से सम्बन्ध थे ,चाहे मेरठ हो ,धौलपुर हो या फिर मुम्बई | किन्तु सबसे कठिन जो कार्य होते थे वो कार्य मुझसे ही कराता था --तमाम कार्य सफल होते थे | किसी भी यज्ञ का पूर्ण लाभ लेने के लिए --तन ,मन और धन के साथ -साथ सही आचार्य हों तो निश्चित ही सफलता मिलती है | हम दोनों के बीच - चार शतचण्डी हुई --यह व्यक्ति पृर्णरूपेण -तन ,मन और धन से धनाढ्य था | इस व्यक्ति का मेरे जीवन में बहुत योगदान रहा --पौत्र होने पर बिन मांगे सोने की चेन दी --यह उपहार मेरे दिल को जीत लिया | मुझे तो शादी में भी चेन नहीं मिली थी --क्योंकि दरिद्री सीमा से भी मेरी हस्ती बहुत दूर थी | मेरठ में भवन लिया --इनका बहुत बड़ा योगदान था ,यहाँ तक कि मेरी बड़ी बेटी की शादी 2012 में हुई उससे पूर्व यह व्यक्ति दिवंगत हो गए किन्तु जाने से पूर्व --इन्होनें कहा --पंडित जी पुत्री का विवाह ठीक जगह करना --जो धन चाहिए --मदद करूँगा | संयोग से 2011 में दिवंगत हो गए --जब 2012 में पुत्री का विवाह हुआ --तो इनके बालक बिना कहे एक लाख रूपये दिए | हम इस व्यक्ति को पिता की उपाधि इसलिए देते हैं --क्योंकि हमारी देखभाल ,हमारे बच्चों की देखभाल साथ ही हमारा रहन -सहन इनकी वजह से उत्तम हुआ ,हम गरीबी की सीमा से ऊपर इनकी वजह से आये | मेरी कुण्डली में नीच का शनि भाग्य क्षेत्र में है --अतः ऐसे व्यक्ति से मेरा भाग्योदय हुआ | मेरी कुण्डली में गुरु की भाग्य पर पूर्ण दृष्टि है अतः हमने भी धर्म को निभाया -हमने प्रयास किया यह व्यक्ति अब न अधम कार्य करें न ही इनके परिवार के लोग करे किन्तु --इस प्रक्रिया की शुरुआत शुरू हुई थी तो ये दिवंगत हो गए | इनके योगदान के आगे --मेरा योगदान अधूरा रहा | इनके द्वारा जो धन मिला उसका उपयोग हमने पेट के लिए न करके -पुत्री के विवाह में किया | धन आने के बाद भी हम -धर्म सम्मत चलने का प्रयास नहीं किये | इनके जीते जी --हम नेट की दुनिया में आ चुके थे --आज जो नेट का लाभ मुझे मिल रहा है --वो कार्य हमने 2009 में ही शुरू किये थे --किन्तु परिजन हों या पड़ौसी या फिर- दोस्त लोग --ये सभी मुझे वही समझते हैं कि इसका यजमान दलाल है | जब भी भाई -भाई का युद्ध होता है --तो खूबी नहीं दिखती है --अक्सर कहता है --तुम दलाल की कमाई खाते हो | दोस्तों --पण्डितजी के पास समाज के हर वर्ग के लोग आते हैं --आने भी चाहिए --परन्तु पण्डितजी को यह बात सदा यद् रखनी चाहिए --मेरे पास आने वाला व्यक्ति -अपने कार्यों के समाधान हेतु आया है अतः अपनी मर्यादा का सदा ध्यान रखें --अन्यथा --दूसरे को ठीक करते -करते खुद न बीमार हो सकते हैं | आज सामाजिकता इसलिए खत्म हो रही है --उपदेश तो देते हैं खुद पालन नहीं करते है ----- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -83 ज्योतिषी झा मेरठ
प्रिय पाठकगण -उस यजमान के साथ मेरा सम्बन्ध 2011 तक रहा | इनकी वजह से धौलपुर ,दुबारा मुम्बई जानें का भी अवसर मिला | इनका परिवार बहुत विशाल था | सभी में संगठन था --जबकि सभी अशिक्षित थे | भारतीय भूभागों पर न जानें कितने ऐसे बाजार होंगें -जहाँ धन से शारीरिक आदान -प्रदान होते होंगें --हमने मुम्बई में ग्रांट रोड आँखों से देखी थी -इस बाजार से होते हुए मेरे मुम्बई महाविद्यालय के दोस्त एकबार ले गए थे --इस बाजार में भले ही बहुत लोग जाते हों देखने के लिए किन्तु --इस वीभत्स दृश्य का हमने दुबारा अबलोकन नहीं किया | मेरठ कबाड़ी बाजार के सन्निकट सदा रहे किन्तु --इस दृश्य को देखना मुझे कतई बर्दाश्त नहीं था न है --फिर भी इस व्यक्ति के साथ बहुत दिनों तक मेरा सम्बन्ध --पिता पुत्र ,मित्र ,यजमान का रहा --यह व्यक्ति कभी भी अपने कामों की चर्चा मेरे पास नहीं की | यह व्यक्ति मेरे पास नित्य बैठता था शान्ति की तलाश में | मैं बाल्यकाल से सदा अपने में मस्त रहता हूँ --आजकल लिखने में तो कभी हारमोनियम बजाने में या साधना में --यह व्यक्ति केवल यह देखता था --पण्डितजी के पास जो लोग आते हैं --क्या वास्तव में लाभ मिलता है या ठगने का काम करते | इस व्यक्ति ने देखा --बड़े -से बड़े यजमान मेरे पास आते हैं सबका भला होता है | यह व्यक्ति मुझे अपने सभी परिजनों से जोड़ा | सभी लोगों का कार्य गारण्टी से मैं करता था --मुद्रा मेरे अनुकूल मिला करती थी | मेरे इर्द -गिर्द के लोग ,परिजन ,मित्र सभी यही जानते थे --केवल पण्डितजी के पास यह दलाल आता है और पण्डितजी इस दलाल से बहुत कमाते हैं | यह सच नहीं था --वास्तव में मेरी कमाई -ज्ञान से थी --हमने मेरठ में बड़े -से बड़े यज्ञ करबाये ,बहुत प्राण प्रतिष्ठा में आचार्य बनें --किन्तु एकदिन मुझे लगा --आज के समय ज्ञान कम ठगना ज्यादा होता है --तो दूसरा रास्ता हमने ढूंढा --वो रास्ता था नेट का --2009 में नेट की दुनिया में आये --यह सोचकर कुछ नया करते हैं साथ ही --पढ़े लिखे लोगों को ज्ञान -प्रदान के कार्य करने चाहिए --सो --जो ज्ञान है -भले ही मान्यता प्राप्त शिक्षक नहीं बन सके --किन्तु कोशिश करते रहनी चाहिए | अतः इस बात से सभी परिजन हों या परिवार या दोस्त या फिर पड़ौसी सबको आजतक मैं वही दीखता हूँ --जो उनकी नजर में था | धीरे -धीरे नेट की दुनिया ही आज मेरी पहचान है ,यह बात --मेरे परिजनों को ,पड़ौसी को पत्ता ही नहीं --मुझे बहुत दूर के लोग मेरे ज्ञान के कायल हैं किन्तु --अपने परिजन हों या फिर पड़ौसी --या फिर सहपाठी मित्र --सभी मुझे हे दृष्ट्रि से आज भी देखते हैं --वास्तव में अपभंश जो शब्द है --वो -रण्डी -ध्यान दें-- जन्मजात कोई वेश्या नहीं होती है उसे हम जैसे लोग वेश्या बनाते हैं --उसका आनन्द भी उठाते हैं किन्तु --जीवन भर तिरस्कृत करते हैं | एक शास्त्री होने के नाते -हमारे पास कोई भी आये --हमारा काम सुधारने का है न कि तिरस्कार करने का साथ ही --भटकाव से बचना भी पहला धेय होना चाहिए --कईबार ऐसा भी होता है --सुधारने के बजाय हम खुद भटक जाते है --- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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गुरुवार, 14 दिसंबर 2023
सच व्यक्ति के भीतर होता है -बाहर नहीं पढ़ें -- मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -82 ज्योतिषी झा मेरठ
जिस कथा को समझाना चाहता हूँ -वो प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में सच होते हुए भी असत्य सा प्रतीत होता है --अति सन्निकट रहने वाले चाहे मित्र हों ,पतनी हो या फिर पड़ौसी | 1999 में जिस शिव चौक शिव मन्दिर में रहता था --उसके समीप कबाड़ी बाजार था जिसमें अति जरुरत की सभी चीजों मिला करती थी --इसके बहाने बड़े दूर -दूर तक के लोग चीजों को तो खरीदते ही थे साथ ही शारीरिक मनोरंजन के लिए मानों स्वयं आधुनिक युग के राजा इन्द्रदेव अप्सराओं को धन के लालच में पड़ोसते थे | इस कबाड़ी बाजार की सबसे बड़ी विशेषता थी अति निम्न वस्तु से लेकर सबसे उत्तम वस्तु जिसकी सबको जरुरत होती है --सभी पहंचते थे | इन वस्तुओं को बेचने वाले लोग सभी आमिर थे --आज के समय में धन से आमिर होना बड़ी बात नहीं है --आचरण से आमिर होना बहुत बड़ी बात है --किन्तु ये शास्त्रों में कही गयी है --लोकाचार में नहीं | ---अस्तु --मेरा जिस यजमान से सम्बन्ध था वो भी इस बाजार का इन्द्रदेव था | लोगों की नजर में वो भले ही कर्महीन था पर मेरी नजर में धार्मिक था --कैसे सुनें --बड़े से बड़े लोग धर्म की आर में अधर्म करते हैं -यह बात प्रमाणिकता से कह सकता हूँ | बड़े से बड़े अधर्मी -दान देना हो ,पूजा करनी हो ,मंदिर बनाना हो --या फिर परोपकार --अगर उनका सम्बन्ध उन बातों से रहा है -जो सनातन कहता है --तो भले ही अधर्म के मार्ग पर बहुत चलते हों पर एक न एक दिन सत्य को अवश्य मानते हैं | मेरे इस यजमान के साथ यही बड़ी बात थी --भले ही जीवन भर रोजगार का साधन अधर्म से था ,क्रूर शासक था पर धर्म के पथ पर चलता था | मेरी दो बेटियां थी --देवी की तरह मानता था | मुझे कभी अपने हाथों से जल नहीं पिलाया --बल्कि पानी का पैसा देता था और कहता था स्वयं पीलें खरीदकर ,मुझे कभी अपने हाथों से स्पर्श नहीं करता था --बल्कि जमीन का स्पर्श करके नमन करता था | एक शास्त्री होने के नाते -जब हमने इस व्यक्ति का धन ले लिया और यह बात ज्ञात हो गयी कि यह सुपात्र नहीं है --तो हमने प्रतिज्ञा की --बदले में इसे बदलकर रहेंगें | पर भारतीय जो समाज है --पतीत व्यक्ति को क्षमा न करके उसे और तिरस्कार करता है --इसलिए भी भेद -भाव की स्थिति रहती है | पतीत पावन सीता राम हैं --तो हम भी तो उनके ही वन्दे हैं --अतः बहुत ऐसे ऋषि हुए हैं --जिन्होनें सारा दोष अपने ऊपर ले लिया है --पर समाज को एक नई दिशा देने की कोशिश की है --यही सनातन है | अतः इस व्यक्ति के साथ जुड़े रहे --यहाँ तक की हमने जानने की कोशिश की --यह साम्राज्य कहाँ तक है --तो मुझे लगा भारत में बहुत से ऐसे शहर हैं जहाँ यही काम होते हैं --मुम्बई का अनुभव था मुझको ,कलकत्ता का नाम सुना था -कभी जाना नहीं हुआ --तो सोचा सभी को तो नहीं सुधार सकता पर एक को तो सुधर दें ---यह काम इतना सरल नहीं था ----- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 13 दिसंबर 2023
मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -81 ज्योतिषी झा मेरठ
-1999 -जब जीवन में धन से सम्बन्ध जुड़ने लगे तो व्यक्ति को सजग हो जाना चाहिए अन्यथा मेरे जैसा हाल ही होगा --सुनें - आपकी उस कथा को आगे बताने की कोशिश करूँगा --पहले यह प्रेरणादायी बातों को सुनें --अपनी ममता और दया के कारण अनुज के साथ रह रहा था ,कमाई उत्तम थी ,सारा धन माता पिता को जाता था ,परन्तु हम सोचते थे -हमारा धर्म घर को ठीक करने का है अतः सारा धन माता पिता को समर्पित कर रहे थे | माता पिता अनपढ़ थे ,समाज अनपढ़ था तो भला सचिव कैसे बढ़िया मिलता सो मामा + जीजा ही सचिव थे | धन पर राज इन लोगों ने खूब किया साथ ही घर को तोड़ने का भी काम किया --मेरी पतनी +पुत्री माता पिता के साथ रहती थी ,सभी लोग तिरस्कार करते थे , माँ और दीदी -व्रत के दिन फलाहार दूसरे के आंगन में करती थी ताकि मेरी पतनी और बेटी को देना न पड़ें --ये बातें मुझे मालूम नहीं थी अगर मालूम होती तो भी कुछ नहीं करते क्योंकि --भारत में मातृदेवो भव ,पितृ देवो भव से सभी बालक ओत -प्रोत रहते हैं --भारतीय बालकों को इन सूत्रों से ऊपर अपनी सोच होती ही नहीं है --इसलिए कई घर बिखर जाते हैं | माता पिता अनुज का विवाह बढ़िया कैसे हो ,अनुज धनिक कैसे हो यही सोच से आगे बढ़ रहे थे | मेरी पतनी और बेटी बोझ सा दिख रही थी | इन तमाम बातों से मैं अनभिज्ञ था --हमारी एक ही सोच थी --अनुज को पढ़ना ,धन कमाना ,घर को गरीबी से हटाना ---इसके बदले सभीने मुझे ही हटा दिया | घर से मेरठ पतनी +बेटी आ गयी --अनुज ने निवास से निकाल दिया ,किसी और व्यक्ति ने पनाह दी | अब मैं उस कथा में ले चलना चाहता हूँ --जो व्यक्ति शिव मन्दिर,शिव चौक बागपत गेट मेरठ में मिला था - वो यजमान तो था ही साथ ही दुनिया की नजर में उत्तम कार्य करने वाला भले ही नहीं था -पर मेरी मदद बहुत की साथ ही मुझसे उनका सम्बन्ध पिता पुत्र की तरह था --उस व्यक्ति ने इतना धन दिया, मान -सम्मान दिया जिसका मैं जितना वर्णन करू कम है | यद्पि एक शास्त्री को अधर्म करने वाले व्यक्ति का साथ नहीं देना चाहिए --पर जब यह बात मुझे ज्ञात हुई तब तक मेरी रोम -रोम में वो धन समा चूका था --जिसका प्रायश्चित एक ही था --उस व्यक्ति को सही पथ पर लाना --यही सोच से हम जुड़े रहे | -1999 -जब अनुज ने निकाल दिया निवास से तब हमारी सहायता -माता पिता ,परिजन या अपनों ने नहीं की बल्कि पराया व्यक्ति ने किया | एक किराये का मकान दिलाया -मलियाना फाटक चंद्रलोक मेरठ में -निवास तो मिल गया किन्तु रोजगार की तलाश में भटक रहा था --तो वही व्यक्ति मिला -जिनका विस्वास हमने जीता था --बोलै --महराज आपको मैं ठंढ रहा था ,हमने कहा -कार्य बताएं --बोले एक लड़की खो गयी है | हमने कहा मिल जाएगी --बोले खच बताएं --हमने कहा 11000 दक्षिणा काम होने के बाद --पर जो सिद्धि मैं करूँगा -उसमें सहायता धन से तन से और मन से करनी होगी | बोले ठीक है | यह बात कहने का अभिप्राय था --कभी बाल्यकाल - लगमा आश्रम दरभंगा में शिक्षा के समय गुरूजी किसी को एक बात कही थी -कोई व्यक्ति खो जाय तो किस विधि का प्रयोग करना चाहिए --उस समय मेरी उम्र -14 वर्ष थी --ठीक से ध्यान नहीं दिया ,अब जब हम 29 वर्ष के हुए ,धन की जरुरत थी तो इसका प्रयोग करके देखना चाहते थे --क्या सच में इस प्रक्रिया से जाना जा सकता है | अतः हमने यजमान से यह बात कही --दक्षिणा काम होने के बाद किन्तु पूजा में जितना खर्च होगा --वो आपको करना होगा | यजमान ने विधिवत यज्ञ संपादन किया --यज्ञ के प्रभाव से कन्या मिली बहुत दूर मुम्बई में | अब हम उनके बहुत ही प्रिय आचार्य हो गए | | -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
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शादी की बात नहीं बनती है -पढ़ें -"ज्योतिषी झा "मेरठ “
बालक के विवाह का कारक ग्रह "शुक्र "और कारक सप्तम भाव होता है 1यदि बालक की कुण्डली में "शुक्र "कमजोर ,नीच ,पापी ग्रहके प्रभाव में होगा तो निश्चित विवाह में बिलम्ब के साथ -साथ बाधा भी उत्पन्न होगी ! -------यदि "शुक्र "बालक की कुण्डली में बलवान ,मित्र या उच्च राशिमें है ,किन्तु सप्तम अथवा सप्तमेश पर पापी ग्रहों का प्रभाव है ,अथवा सप्तमेश नीच का है तो भी विवाह होने में देर होगी -अथवा विवाह में बाधा होगी !------इसी प्रकार बालिका की कुण्डली में "गुरु "पतिकारक ग्रह तथा सप्तमभाव व सप्तमेश विवाह कारकहोता है !---बालिका की कुण्डली में "गुरु "शत्रुराशि ,नीच ,अस्त या पापी ग्रह के प्रभाव में होगा तो बालिका के विवाह में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा !-----बालिका की कुण्डली में "गुरु "के साथ सप्तमभाव एवं सप्तमेश को मित्र राशि,उच्चराशि के साथ -साथ शुभ प्रभाव में होना जरुरी है !-------यदि "शुक्र एवं "गुरु "शुभ या मित्र राशि में हो या अपनी उच्च राशि में हो लेकिन सप्तम भाव अथवा सप्तमेश पापी प्रभाव में हो या नीच राशि के साथ -साथ अस्त हो तो विवाह तो होगा ,किन्तु विरोधाभास {परस्पर विरोध }या अस्वस्थता तो रहेगी ही वैवाहिक जीवन के सुख में अशांति रहेगी !---नोट ---दाम्पत्य सुख में सप्तम भाव और सप्तमेश साथ ही सप्तमेश और द्वादश भाव का स्वामी ग्रह कमजोर ,नीच ,पापी ग्रह के प्रभाव में हो तो विवाह सुख में बाधा आती है ! -------आपका --------खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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"ज्योतिष का अभिप्राय क्या है --पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
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----ग्रह नक्षत्र हमारे जीवन को पल -पल प्रभावित करते रहते हैं ,इस बात से तो विज्ञानं भी इनकार नहीं कर सकता । ग्रहों की चाल से ही दिन -रात ,मौसम बदलते हैं । ग्रहों की गति से ही हमारा भाग्य और स्वास्थ बनता सुधरता है । ग्रहों की दशा ही सम्पूर्ण ज्योतिष ज्ञान का मुख्य विषय है । हमारे लेखों के अध्ययन से न सिर्फ आपका ज्योतिष ज्ञान चमत्कारिक रूप से बढ़ेगा बल्कि इन आलेखों को पढ़ने से आप अपना भविष्य ,ग्रह ,ग्रहों का राशि पर प्रभाव ,अपनी जन्म कुण्डली का अध्ययन तथा अनिष्टकारी ग्रहों को शान्त करने के उपाय भी सीख सकते हैं ।
-----आपका --------खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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मंगलवार, 12 दिसंबर 2023
आत्मकथा में सच और असत्य पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --पढ़ें भाग -80 ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा में आज सत्य और असत्य पर प्रकाश डालना चाहता हूँ | 1997 - शिव चौक बागपत गेट शिव मन्दिर में अनुज के साथ रहते थे | केवल 18 माह रहे थे -तब मेरा जीवन पराधीन था ,शिक्षाविद थे ,विदेश मुम्बई से जाना था ,पर राहु की दशा चल रही थी साथ ही परिपक्वत्व ज्योतिषी नहीं थे --तमाम शास्त्र ,डिगरियां तो थी | शादी हो चुकी थी एक पुत्री भी थी ,घर की माली हालत थी --पिता का एक निर्णय --कर्या तुम्हारा --ऐसी स्थिति में पतनी का मंगलसूत्र बेचकर कर्य चुकाया था ,नौकरी की तलाश में में मेरठ आये थे | मेरा अनुज दक्ष था धन के मामले में और अविवाहित था ,माता पिता एवं परिजनों के प्रिय था | मैं शिक्षाविद होने के बाद काम की तलाश में दर -दर भटक रहा था --इसका कारण था किसी काम का अनुभव नहीं था न ही कोई मददगार या परिजन थे ,ससुराल में ससुर ,साले सभी अकाल मृत्यु को अनायास प्राप्त हो गए थे | पतनी -पुत्री का वजन सभी परिजनों पर भारी था | जो भी धन था सभी परिजन आनन्द उठा चुके थे | अनुज अपने साथ बड़ा या अपना न समझकर सेवक के रूप में मुझे रखा था | सत्य ,धर्म ,नियम ,संस्कार मुझे ये सभी अन्दर ही अन्दर अग्नि की ज्वाला प्रदान कर रहे थे | इसके बावयुद भी मेरी ममता अनुज के साथ रहने को विवस कर रही थी ,एक अनुज पहले ही खो चूका था ,इस अनुज को भी शिक्षाविद बनाने की इच्छा थी पर --कालचक्र के आगे किसी की नहीं चलती है | ---मुझे रोजगार के अनन्त कार्य मिल रहे थे पर पराधीन रहने को लाचार था ---इसी स्थान पर एक व्यक्ति मिला --हमने उसके रूप और व्यवहार को जाना था --इन दोनों मामलों में पिता की तरह यह व्यक्ति था | मेरे भाग्य क्षेत्र में नीच का शनि है साथ ही गुरु की पूर्ण दृष्टि है --इसका भावार्थ जो आज मेरी समझ में आ रही है --वो -- यजमान जो आचरणवान होंगें वो हमारे यजमान या दाता नहीं होंगें ,जो संस्कार हीन या अनैतिक कार्य करने वाले होंगें वो पूर्णरूपेण मेरे दाता होंगें | यह बात मेरे जीवन में सौ प्रतिशत उत्तरी है --साथ ही -मैं स्वयं धर्मानुरागी ,आचरणवान ,धर्म सम्मत कार्य करूँगा क्योंकि गुरु की पूर्ण दृस्टि भाग्य के क्षेत्र में है --अतः भले ही यजमान कैसे भी हों पर मुझे सभी धर्म के कारण आदर सम्मान करेंगें | इस व्यक्ति का नाम नहीं लिखना चाहता हूँ --क्योंकि मुझसे किसी व्यक्ति को ठेंस पहुंचे ये कदापि मैं नहीं कर सकता | --यह व्यक्ति मेरठ से दूर राजस्थान धौलपुर के रहने वाले थे ,जिनका साम्राज्य ,मेरठ ,मुम्बई में था | भगवन शिव की पूजा करने नित्य मन्दिर में आते थे --राम राम नित्य हुआ करती थी ,धीरे -धीरे हम दोनों का सम्बन्ध यजमान पुरोहित का आगे बढ़ने लगा | एक दिन हमने कहा लालाजी आज का दिन अच्छा नहीं रहेगा --संयोग से पुलिस ने 2000 ले लिए --फिर जब मेरी बात याद आयी तो उन्हें लगा --मैं योग्य पण्डित जी हूँ | धीरे -धीरे उनकी नजर में मैं बहुत बड़ा पण्डित होने लगा --मेरी दक्षिणा का मूल्य बढ़ता गया | अब यजमान मुझसे होने वाली घटनाओं नित्य जिक्र करते और हम समाधान का रास्ता बताते रहते थे | 1999 में मुझे ज्ञात हुआ यह यजमान मेरे अनुकूल नहीं है | तब तक मेरी रग -रग में यजमान का अन्न -पानी पहुंच चूका था | अब न तो उल्टी कर सकता था न ही दूर हो सकता था --मेरी गरीबी चरम सीमा पर थी | पुत्री -पतनी को बहुत तिरस्कार माता पिता परिजन करते थे --सारा धन उनके हाथों में जा रहा था | स्वयं का अपना कोई अस्तित्व नहीं था | -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 9 दिसंबर 2023
धनवान का भावार्थ केवल धन से ही नहीं होता है -पढ़ें भाग -79 ज्योतिषी झा मेरठ
आज मैं अपनी आत्मकथा में उस प्रश्न का जबाव देना चाहता हूँ -जो हमने पूर्व आलेख में लिखा था कि जब इतनी खामिया सामाजिक रीति - रिवाज में है तो हम धनिक कैसे हुए | --अस्तु --दोस्तों कोई धन का राजा होता है तो कोई मन का ,कोई रूप का तो स्वभाव का ,कोई आचरण का तो कोई व्यवहार का --परन्तु समाज में धनवान वास्तव में धन को आंका गया है | आपके पास धन है तो प्रायः हर चीज संभव है | ज्योतिष जगत में केंद्र ,त्रिकोण को सर्वोत्तम माना गया --और इससे भी बड़ा योग को --जिसे बिरले ज्योतिषी भली भांति समझ जाते हैं | मेरी कुण्डली में केन्द्र ,त्रिकोण और योग का विशेष योगदान है --सिंह लग्न का हूँ सूर्य +मंगल लग्न में हैं -त्रिकोणेश भी हैं ,चन्द्रमा उच्च का केंद्र क्षेत्र में है | बुध +शुक्र की युति धन क्षेत्र में है --इसका भावार्थ है --जन्मजात राजा होना --स्वभाव का ,धन ,मन मर्यादा का ---यह योग मेरी कुण्डली में ऐसा है -थोड़ा हो पर सुखद जीवन रहे , संयमित जीवन कैसे रहे --इस बात पर मेरा सतत ध्यान रहता है | हम किसी की सम्पत्ति या किसी भी वस्तु को देखकर कभी लालायित नहीं होते हैं | हम कभी भी याचना किसी व्यक्ति से नहीं करते हैं ,थोड़े में ही संतुष्ट रहते हैं ,हमसे किसी को हानि न हो सतत सोच रहती है ,दूसरे को देना -पर लेने की सोच रखना यह बात मेरे मन में कभी नहीं रहती है | स्वभाव और प्रभाव कठोर रखना आदत है ,प्रत्येक गलती से सबक लेना सदा प्रयास रहता है | मर्यादा का ख्याल रखना ,ईस्वर पर भरोसा और अपने कर्म पथ पर आरूढ़ रहना ही हमें वास्तव में धनवान बनाया है | --ज्योतिष जगत में एकबात और होती है --स्वास्थ ठीक है , पतनी का सान्निध्य , धन के प्रति विशेष आसक्ति नहीं है तो भी आप राजा की तरह जी सकते हैं | मेरी कुण्डली में गुरु ग्रह की दृष्टि ने ऐसा ही वैवाहिक योग दिया है --जबकि विचारधारा दोनों की नहीं मिलती है पर दोनों एक दूसरे पर अटूट भरोसा करते हैं | दान देना ,यज्ञ करना ,धर्म का आचरण करना ,ईस्वर पर भरोसा रखना ,जितना है उसी में गुजारा करना ,धन को बचाकर रखना ,किसी से याचना न करना --ये तमाम गुण हम दोनों में हैं --इसलिए हम धनवान हैं | यधपि --हम दोनों में अक्सर तकरार ,नोक झोक --ये होती रहती है | --प्रिय पाठकगण -हम यही कहना चाहते हैं --वास्तव में हर व्यक्ति किसी न किसी चीज का राजा होता है --जो उसे अपने में झांककर देखने से पता चलता है | गरीबी वास्तव में स्वभाव होता है -जिसे हर व्यक्ति को ठीक करना चाहिए | अमीरी वास्तव में स्वभाव होता है --जिस पर सदा हर व्यक्ति को चलना चाहिए | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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"राशियां"ज्योतिष में क्या होतीं हैं -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
------पृथ्वी के {सूर्य के चारो ओर परिक्रमा }रास्ते {मार्ग} को 12 भागों में विभाजित किया गया है । इस रास्ते के प्रत्येक जगह की पहचान केवल तारों के अनेक प्रकार के झुंडों से होती है । इस तारों के झुंड या ढेड को संस्कृत में राशि कहते हैं । आकाश स्थित भचक्र के 360 अंश या 108 भाग निश्चित आचार्यों द्वारा किये गए हैं -यानि एक राशि का अधिकार -9 अक्षरों तक होता है एवं समस्त भचक्र को 12 राशियों में बांटा गया है -यानि 30 अंश या ९ भाग की एकेक राशि होती है । -इन राशियों के क्रम {1 }-मेष -चिन्ह -मेढ़ा,अंग्रेजी में -एरीज {2 }-वृष =सांड़ ,अंग्रेजी में -तौरुस ,{3 }-मिथुन -युवा -दंपत्ति ,अंग्रेजी में जैमिनी ,{4 }कर्क =केकड़ा ,अंग्रेजी में =कैंसर ,{5 }सिंह -शेर अंग्रेजी =लिओ ,{6 }कन्या =कुमारी ,अंग्रेजी =विरगो ,{7 }तुला =तराजू अंग्रेजी = लिब्रा ,{8 वृश्चिक =बिच्छू ,अंग्रेजी =स्कार्पियो ,{9 }-धनु =धनुर्धारी ,अंग्रेजी =सैँगीटेरियस ,{10 }मकर =मगरमच्छ ,अंग्रेजी =कैप्रीकौर्न ,{11 }कुम्भ =घड़ा {कलश },अंग्रेजी =अकवेरियस ,{12 }-मीन =दो मछली ,अंग्रेजी पीसेस ----ध्यान दें -प्रत्येक राशि की क्रम -व्यवस्था एवं संख्या उतनी ही महत्व पूर्ण -जितना महत्वपूर्ण इसका चिन्ह है । -----दोस्तों आशा है जन्म्पत्रि में विद्यमान "राशियों का मतलब समझ गए होंगें --आगे ज्योतिष की अगली बातों पर जिक्र करेंगें । आपका -
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023
ग्रहों के प्रभाव से ही सुख दुःख मिलते हैं -पढ़ें भाग -78 ज्योतिषी झा मेरठ
वास्तव में व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता ही रहता है -ज्ञान और अनुभव की कोई सीमा नहीं होती है | -हमने अनुभव किया है -जितनी उम्र बढ़ती गयी उतना ही सटीक अनुभव होता गया | जब जीवनी लिखने की कोशिश की थी तो हमें भी अहसास नहीं था --क्या लिखना है --पर हर व्यक्ति के जीवन में गुरुजनों की छत्रछाया हो तो वो कठिन से कठिन मार्ग को भी सरल बनाया जा सकता है | ---व्यक्ति जब जन्म लेता है तो कुण्डली बनायीं जाती है -अनन्त गुण और अवगुण विद्यमान रहते हैं --फिर भी व्यक्ति अवगुणों को न देखते हुए हर्षोल्लाष में खो जाता है | उन अवगुणों को ठीक करने के लिए माता पिता ,गुरुजन पग -पग पर बालक को सही मार्गदर्शन देते -रहते है | परिणाम स्वरूप वह बालक सभी कष्टों का सामना मार्गदर्शन से करते हुए आगे बढ़ता रहता है | मेरे जीवन में एक सबसे बड़ी कमी रही न तो अभिभावक शिक्षित थे न ही किसी एक गुरु या स्थान का वरद हस्त था -मेरे ऊपर | ---इसका परिणाम यह हुआ -किसी भी कार्य का सम्पादन सही समय से नहीं हुआ | न ही किसी योग्य बन सका ,मस्तिष्क ने जो कहा ,जो हमने देखा ,पढ़ा -उसे ही अमल करता गया --काश ! मेरे जीवन की डोर किसी सही गुरुदेव ,या मित्र या सगे सम्बन्धियों से जुडी होती तो हर कार्य मेरे भी समयानुसार होते | जब मेरी जिह्वा पर वेद -वेदान्त थे ,जब दसों राग कंठाग्र थे ,जब ऊर्जा से मेरा शरीर भरा हुआ आज भी है , आज जिस ज्योतिष+कर्मकाण्ड के उपदेश लोगों को देता हूँ --वो बातें मुझमें समय से क्यों नहीं उत्तरी --इसका एक ही कारण है --आज जब हम लोगों को उपदेश देते हैं तो हमारा धेय केवल जन हित होता है --इसलिए लोगों को लाभ मिलता है | अब अपनी कुण्डली से दिखाना चाहता हूँ --शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --जिसका परिणाम यह हुआ -जो दीखता है वो होता नहीं है ,जो होता है- वो दीखता नहीं है | आप मुझे विद्वान समझते हैं तो मुझसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है ,आप मुझे मूर्ख समझते हैं -तो दूर होने पर आपको ज्ञानी सा ही अहसास होगा --ये सच है | आप मुझे धनिक समझते हैं -तो मुझसे बड़ा गरीब कोई नहीं होगा ,आप मुझे गरीब समझते हैं तो मुझसे बड़ा धनिक कोई नहीं होगा | आप मुझे भाग्यवान समझते हैं तो मुझसे बड़ा भाग्यहीन कोई नहीं होगा, किन्तु आप मुझे भाग्यहीन समझते हैं तो मुझसे बड़ा भाग्यवान कोई नहीं होगा | --क्या आप जानते हैं -जो हम लिखते हैं या बोलते हैं --उसे अगर आप दुबारा मुझसे पूछेंगें तो वही जवाब नहीं मिलेगा | जब मुझे --ज्योतिष के माध्यम से यह अहसास हुआ --तो हमने अपनी डोर भगवान शिव को समर्पित कर दिया --परिणाम यह हुआ --मेरा अहंकार ,घमण्ड ,क्रूरता समाप्त होने लगा --मेरा जीवन सुखद हो गया ,तनिक में प्रसन्नता होने लगी और मुझे अपने मन्त्रों ,शास्त्रों में ही गुरु दिखने लगे | आप जो भी मेरे पाठक या श्रोता हैं उनसे यही कहना चाहता हूँ -- ग्रह भले ही खराब हो ,भाग्य भले ही निर्बल हो --पर गुरु और कर्म ये दोनों व्यक्ति के हाथों में सटीक होने चाहिए ---जीत अवश्य होगी | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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"राजस्थान "में "वसुंधरा राजे सिंधियाजी " ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
"राजस्थान "में "वसुंधरा राजे सिंधियाजी " ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
------"राजस्थान "प्रान्त- की नाम राशि तुला है । साथ ही इस वर्ष तुला में शनि +राहु का वर्चस्व बना रहेगा । "राहु "अपने स्वभाव के अनुसार राजनीति में उठा -पटक के चलते भारी रद्दोबदल करायेगा ।
-------अस्तु ----सत्तारूढ़ दल को विघटनकारी असामाजिकतत्वों से निरंतर सतर्क रहना होगा । येन -केन प्रकारेण सरकार तो चलती रहेगी । किन्तु "राजस्थान" में --श्रीमति विजयाराजे सिंधियाजी का पुनः एकबार वर्चस्व बढेगा ।
------इस वर्ष "राजस्थान में वर्षा समय पर होगी । खेती में पर्याप्त उन्नति से कृषकों में उत्साह बढेगा ।
{ आगे-- "श्री हरि"- की कृपा क्योंकि सर्वग्य तो प्रभु ही हैं } ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
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ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
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ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
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ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
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ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
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ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
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ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
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ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
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ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
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ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
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ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...
















