ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 3 अक्टूबर 2023

पुंसवन संस्कार क्यों होता है --सुनें -भाग -25--- ज्योतिषी झा मेरठ


 


पुंसवन संस्कार क्यों होता है --सुनें -भाग -25--- ज्योतिषी झा मेरठ--
--उत्तर ----वत्स -इस प्रकृति में जो भी वस्तु या चीजें हैं -सभी का विस्तार होता रहता है | जो छोटा है वो बड़ा होगा जो बड़ा होगा वो एक दिन समाप्त होगा | एक जैसा कोई भी इस प्रकृति में नहीं रहता है | एक जैसा केवल श्री हरी ही इस प्रकृति में रहते हैं | पर मानवों में वो कला है जो चाहे बन सकता है ,बना सकता है --वो चाहे तो असंभव हो संभव बना सकता है | ----मानवों के पूर्वज रिषि -महर्षियों ने -मानवों के हित के लिए षोडश संस्कार की रचना की | इन संस्कारों के बल पर ही असंभव को संभव किया जा सकता है | पर दुर्भाग्य यह है --इनमें से बहुत से संस्कार जातकों के होते ही नहीं हैं या माता पिता -उन संस्कारों से अनभिज्ञ हैं | वत्स हम भी इन संस्कारों को संतान होने के बाद जाना -अतः हमारे भी बहुत से संस्कार नहीं हुए किन्तु हम चाहते हैं --तुम सब इन संस्कारों को समझों और अपनाने की कोशिश करो | ------अस्तु ---जब माँ का गर्भ तीन माह का होता है -तो पूर्व के विधियों का परित्याग कर पुंसवन संस्कार --यानि जातक कैसे हृष्ट -पुष्ट हो-इस संस्कार से जातक हृष्ट -पुष्ट ही नहीं होता बल्कि ---नियमावली -यह है -जब गर्भ तीन माह का हो तो सास को पुरोहित जी को बुलाकर पहले पंचांग पूजन करना चाहिए फिर बट वृक्ष के पास जाकर उत्तम संतान यानि निरोगी संतान की कामना करनी चाहिए इतना ही नहीं -कृपया ध्यान दें आप सभी के मन में एक शंका आ सकती है कि इतने वृक्षों में बट वृक्ष ही क्यों -आम क्यों नहीं तो ध्यान दें --बट वृक्ष एक ऐसा वृक्ष इस जगत में है जो बिना खाद पानी के सभी वृक्षों से बलिष्ठ होता है --तो संतान कैसी होनी चाहिए बलिष्ठ या दुबला -पतला ----इसलिए इस वृक्ष से यह कामना करनी चाहिए -हे बटवृक्ष आपकी तरह हमारी संतान बलिष्ठ हो और प्रार्थना के बाद इस वृक्ष के दूध को मां के वायी नाक में दूध डालने से कन्या और दायीं नाक में दूध डालने से पुत्र की प्राप्ति होती है | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "शंखनाद "नामक कालसर्प योग का प्रभाव पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में अगर भाग्य स्थान अर्थात नवमभाव में राहु हो एवं पराक्रम क्षेत्र अर्थात तृतीय भाव में केतु हो साथ ही सूर्यादि सातों ग्रह दोनों मध्य स्थित हों तो "शंखनाद "नामक कालसर्प योग बनता है । प्रभाव -"शंखनाद "नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक प्रायः अपने दाम्पत्य जीवन से या परिवार से दुखी रहता है । भाग्य एवं कर्म क्षेत्र उत्तम होने पर भी किसी को स्त्रीकष्ट तो किसी को पुरुषकष्ट तो किसी को संतान कष्ट या फिर परिवार कलह से ही पीड़ित रहता है जातक । ऐसे जातक को जीवन में जाने -अंजाने कुछ गलतियां खुद से हो जाती है ,और अन्त में कठिन पश्चाताप ही हाथ लगता है । ऐसे जातक के गुप्त शत्रु बहुत होते हैं और शत्रुता घर से ही शुरू हो जाती है । इस कारण वही शत्रुता बाहरी जीवन में बिस्तार रूप ले लेती है । ऐसे जातक का नाम और लोकप्रियता विशेष होती है । ---निदान ---अपने -अपने ज्योतिषाचार्यों से निर्णय लें --धनाभाव या सरल उपाय यह है -पंचमी ,सप्तमि ,अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दर्शी तिथियों में दक्षिण मुखी हनुमानजी की उपासना करें साथ ही नारियल +प्रसाद + दक्षिणा के साथ यथा योग अर्पण करें केवल शुक्लपक्ष की तिथियों में -विजयी अवश्य होंगें । -- ------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -25ज्योतिषी झा मेरठ


 


""मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--"भाग -{25}-ज्योतिषी झा मेरठ

-2010 -अब हम 40 वर्ष के हो गए | एक दिन मेरी दूसरी कन्या {बालिका }बोली पिताजी मैं कम्प्यूटर सीखना चाहती हूँ -मैंने कहा अच्छी बात है | वेसिक सीख रही थी सीख भी ली पर घर में कम्प्यूटर नहीं होने के कारण सीखने में दिक्कत हो रही थी -पर मेरे जैसे साधारण पंडित के घर में इस यंत्र की क्या जरुरत थी तो -नहीं लेना चाहते थे साथ ही मंहगा भी था | पर एक दिन जहाँ सीख रही थी उसने विशेष समय सीखने नहीं दिया -इस बात की जानकारी मुझको दी | हम अपना कुछ स्वभाव बताना चाहते हैं ---हम कभी भी नवीन चीज लेना पसंद करते हैं ,सस्ती वस्तु मुझको पसंद नहीं है ,खराब वस्तु का हम शीघ्र त्याग कर देते हैं | हमारा रहन -सहन सात्विक और उत्तम दर्जे का होता है | नियम का पालन करना मेरा कर्तव्य है | संध्या -गायत्री के जाप हम बाल्यकाल से करते रहे हैं | जो मेरे पास है उससे मैं संतुष्ट रहता हूँ | याचना करना भिखारी जैसा समझता हूँ | अगर कोई कार्य ठीक नहीं होता है तो दोष हम अपना मानते हैं न कि भाग्य या पमात्मा का | हमें जो चीज चाहिए चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े उस वस्तु को श्रम से या आराधना से प्राप्त कर लेता हूँ | ज्योतिष सत्य है -गलती मुझ जैसा व्यक्ति करता है | भोजन साधारण चाहिए | कोई मुझसे याचना न करें | शिक्षाविद एवं संतलोग तथा आचरणवान व्यक्ति मुझको परमात्मा जैसा दीखते हैं | माता पिता को प्रथम भगवान मानता हूँ | किसी का उपकार भूलता नहीं हूँ | समय का सदुपयोग मुझको पसंद है | मेरी हर वस्तु चीरकाल तक एक जैसी रहती है | क्रोध आने पर सबका नाश कर सकता हूँ | सत्य का अपमान करने वाला मुझको पसंद नहीं है | दुश्मनी आजीवन निभाता हूँ | वैसे शत्रुता पसंद नहीं है | मेरी सोच है व्यक्ति चाहे तो अपने श्रम से संसार की हर वस्तु प्राप्त कर सकता है | मेरे लिए -चाहे नेता हो या अभिनेता या प्रधान पद पर आसीन व्यक्ति हमें साधारण सा सभी दीखते हैं | चाकरी पसंद नहीं है | प्रेम एकबार ही और एक से ही करता हूँ | अपनी पतनी को सर्व सुन्दर मानता हूँ | प्रवचन ,उपदेश ,नियमावली ,शास्त्रीय संगीत ,लिखना ,याद करना तथा शिष्टाचार ,दान करना ,यज्ञ करना ,शास्त्रों को पढ़ाना ,सत्य बोलना ,भ्रमण अल्प करना ये सब ठीक लगता है |----अस्तु --अतः २७ हजार में जेनिथ कम्पनी का कम्प्यूटर खरीदा और मैं अपनी बेटी से कहा मुझको केवल खोलना और बंद करना सीखा दो | उसके बाद ईमेल बनाया और ऑरकुट पर पहलीबार आया 2010 में | हमें न तो अनुभव था न ही अंग्रेजी ही आती थी तो भला कैसे आगे बढ़ते फिर एकदिन सोचा क्यों न ऐसी आईडी बनाया जाय जिससे - लोग प्रभावित हों --तो ज्योतिष सेवा सदन के नाम से शुरुआत की --केवल तीन मास में एक हजार दोस्त बन गए | आगे की चर्चा कल करेंगें |---ॐ |-------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

गर्भ और मृत्यु का देह से सम्बन्ध सुनें --खगोलशास्त्री झा मेरठ -भाग 24



 गर्भ और मृत्यु का देह से सम्बन्ध सुनें --खगोलशास्त्री झा मेरठ -भाग 24
कर्मकाण्ड जगत के 16 संस्कार हैं --पहला संस्कार --गर्भाधान संस्कार है | इन संस्कारों का सही अभिप्राय क्या है --ठीक से समझें और सुनें तभी समझ में आएगा --अन्यथा हास्य और उपहास तो मानव की सोच रहती ही है | --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को समझ हेतु --इस लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- -आपका खगोलशास्त्री झा मेरठ

"कर्कोटक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "कर्कोटक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में "कर्कोटक "नामक योग तब बनता है -जबकि अष्टम में राहु और द्वितीय भाव में केतु हो साथ ही सभी सूर्यादि सातों ग्रह इनके मध्य स्थिति हों । कर्कोटक नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातक की धन की स्थिति उत्तम नहीं रहती है । ऐसे जातक की जिंदगी में रहस्य्मय ,रोमांचक और आकस्मिक घटनाएँ घटित होतीं रहतीं हैं । जो कुछ होता है वह अकस्मात् ही होता है । चाहे शुभ हो या अशुभ कार्य । ऐसे जातक "प्राण जाय पर वचन न जाय " वाली बात पर अटल रहते हैं । ऐसे जातक के जब भी किसी से अनायास मधुर सम्बन्ध बनता है वह स्थिर नहीं होता है । रोजी -रोटी का उत्तम से उत्तम साधन मिलने पर भी ऐसे जातक असंतुष्ट रहते हैं । ----निदान -वैसे अपने -अपने आचार्य की बात का पालन करें -किन्तु धनाभाव या कुछ करने की कामना हो तो -शिव की उपासना से आयु की प्राप्ति प्राप्त करें और माँ लक्ष्मी की उपासना से धन से सदा युक्त रहें । अष्टमी ,नवमी एवं चतुर्दशी तिथियों में श्री फल और लाल फल माँ लक्ष्मी को अर्पण करने से लाभ अवश्य होगा । ----------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -24-- ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{24}-- ज्योतिषी झा मेरठ

2009 -हम चाहते थे कि अपने तमाम श्लोकों को संगीत से सजायें और माँ शारदे की कृपा से करने में सफल भी हुए | इस कार्य में मेरी भार्या ने बहुत साथ भी दिया किन्तु 2009 आते -आते सब्र टूट गया भार्या का और उलाहना देने लगी | यद्यपि मेरे घर में किसी वस्तु की कमी नहीं थी -मकान ,वाहन ,प्रेम सबकुछ था पर सगीत के क्षेत्र में मेरी कोई पहचान नहीं थी तो भला मेरे जैसे निकम्मे व्यक्ति का यही हाल होना था | हमने अपने हारमोनियम का परित्याग कर दिया | ऐसा नहीं कि ऐसा व्यक्ति मैं ही संसार में हूँ | बहुत से माता पिता अपनी संतानों पर धन इसलिए खर्च करते हैं कि उनको ज्ञान कम भले ही हो पर ओहदा जरूर मिले क्योंकि आज पढ़ाई धन के लिए पहले होती है ज्ञान के लिए बाद में | ऐसा भोले नाथ के साथ भी हुआ अपने लिए भिखारी रहते हैं तो दूसरों के लिए दानी है | बहुत से छात्र ज्ञान में सक्षम होते हैं किन्तु सफलता नहीं मिलती है तो आत्महत्या भी कर लेते हैं | मेरी ललक शिक्षा थी न कि धन -जब ज्ञान होता है तो धन खुद ही आता है | बहुत से लोग हैं जो जीजान से मेहनत करते हैं किन्तु राजा नहीं बन पाते हैं | ---तो भला मेरे जैसा नाकाम व्यक्ति ज्ञान की बात ही कर सकता है | मैंने अपनी कुण्डली देखने की कोशिश की कि आखिर मुझको सफलता क्यों नहीं मिलती है ऐसी सफलता नहीं जो पद न दिला सके, तो पत्ता चला मेरी कुण्डली में गुरु तृतीय भाव में हैं और शनि भाग्य में इसका मतलब है --मुझसे परिजनों को तो सुख मिलेगा किन्तु मुझको परिजनों से सुख नहीं मिलेगा | आगे मेरा भाग्य तो अच्छा रहेगा किन्तु पद नहीं मिलेगा | तीसरा जीवन में निरन्तर अध्ययन करता रहेगा | अतः हमने सोच लिया जिससे भार्या को कष्ट हो वो कार्य नहीं करेंगें ,संगीत की शिक्षा समाप्त कर दी | ----पर क्या करें गुनगुनाना बंद नहीं हुआ, -- |-------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

सोमवार, 2 अक्टूबर 2023

गर्भाधान संस्कार किसे कहते हैं सुनें -भाग -23 -ज्योतिषी झा मेरठ



गर्भाधान संस्कार किसे कहते हैं सुनें -भाग -23 -ज्योतिषी झा मेरठ

 संस्कार किसे कहते हैं -सुनें -खगोलशास्त्री झा मेरठ --भाग-23
कर्मकाण्ड जगत के 16 संस्कार हैं --पहला संस्कार --गर्भाधान संस्कार है | इन संस्कारों का सही अभिप्राय क्या है --ठीक से समझें और सुनें तभी समझ में आएगा --अन्यथा हास्य और उपहास तो मानव की सोच रहती ही है | --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को समझ हेतु --इस लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- -आपका खगोलशास्त्री झा मेरठ

"तक्षक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "-


  "तक्षक "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "-

 "तक्षक "नामक कालसर्पयोग -जन्मकुण्डली में तब बनता है -यदि सप्तम भाव में राहु और लग्न में केतु हो साथ ही सभी सातों ग्रह इन दोनों के बीच हों । "तक्षक " नामक कालसर्प योग में जन्म लेने वाले जातक धन और स्वाभिमान के सवालों पर संघर्षशील रहते हैं । इनमें अर्थात इस योग के जातक ज्योतिषी ,राजनीतिज्ञ ,लेखक ,पत्रकार आदि अवश्य बनते हैं या ऐसी कला अवश्य होती है । किन्तु ऐसे जातक किसी भी क्षेत्र में पूर्णता से खिन्न रहते हैं । ऐसे जातक की त्याग भावना इतनी प्रबल होती है कि पलक झपकते ही सबकुछ त्यागकर कहीं भी पलायित हो सकते हैं । स्त्री पक्ष से पुरुष वर्ग का और पुरुष पक्ष से महिला वर्ग का खूब लगाव होता है परन्तु मूड बिगड़ जानें पर स्त्री पुरुष से पुरुष स्त्री से बगावत भी कर बैठते हैं । ---निदान -वैसे अपने आचार्य से अवश्य कुण्डली का ज्ञात करें और उनका सुझाव मानें शास्त सम्मत उपाय गौरी +गणेश की उपासना से लाभ मिलेगा । सूर्य की उपासना से भी लाभ मिलेगा । धनाभाव में -प्रत्येक ,पंचमी ,सप्तमी ,नवमी एवं चतुर्दशी को -लालफूल या लाल वस्तु गौरी या गणेशजी को अर्पण करें । देविशुक्त का पथ इन तिथियों में करने से लाभ मिलेगा । ----- ------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -23-ज्योतिषी झा मेरठ


 


""मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{23}-ज्योतिषी झा मेरठ

2001 से 2010 तक का समय जो समय मिला हमने भरपूर कोशिश की सदुपयोग करने की | जिन ग्रन्थों को हमने अध्ययन केवल कण्ठाग्र {याद } किये थे उन ग्रन्थों को हमने पुनः समझने की कोशिश की ,जो संगीत बाल्यकाल में हारमोनियम के आभाव में छूट गया था उसको हमने सीखने का अथक प्रयास किया और सीखा | क्योंकि अगर श्लोकों को अगर आप संगीत से सजाते हैं तो परमात्मा की कृपा और विशेष होती है इतना ही नहीं साधना में और भी आनन्द आता है | किन्तु ध्यान दें संगीत वही उत्तम होता है जो रागों पर आधारित होता है -बहुत से गायक सरगम भी नहीं जानते किन्तु उत्तम गाते हैं किन्तु मेरी नजर में रागों के बिना संगीत अधूरा रहता है | अतः हमें संगीत सीखने में समय लगा क्योंकि गुरु नहीं थे | मेंहदीपुर राजस्थान बालाजी में भी प्रतिष्ठा हेतु हम आचार्य बनें ,दैनिक जगरण के संपादकजी के यहाँ इंदौर मध्य प्रदेश जाने का सौभाग्य मिला ,पटना श्री देवेन्द्र यादवजी के यहाँ 2 बार जाने का सौभाग्य मिला | न जाने कितने लोगों से मिले ,कितने लोगों को कार्य दिए ,धौलपुर राजस्थान के एक यजमान ने मोटरसाईकिल 2006 में दी ,2003 में मेरठ में अपना छोटा सा भवन मिला | जो पैतृक जगह बिहार है वहाँ भी पिताजी ने शानदार भवन हमलोगों के लिए बनवाये | मेरे आराध्य गुरु पुनः दुबारा नहीं मिले न प्रत्यक्ष न अप्रत्यक्ष | सबसे बड़ी बात अपनी जिम्मेदारी को संभालते हुए हमने अध्ययन और अध्यापन की पूर्ण कोशिश की | मेरी तम्मना थी शिक्षक बनू ,पत्रकार बनू साथ ही ज्ञान प्रदाता बनें यह सभी कार्य आपकी और ईस्वर की कृपा से पूर्ण हुए | अब एक संकट और आया- मेरी दो कन्या थीं -लोग कहने लगे तुम इतने बड़े पंडित हो तो पहले पुत्र क्यों नहीं होते --फिर माँ की शरण में गए -माँ के दरबार से कोई खाली नहीं जाता है -एक पुत्र भी मिला 2007 में | मेरी सोच है -किसी विद्वान की पहचान धन नहीं -संस्कार होते हैं ,किसी विद्वान का अलंकार स्वर्ण नहीं विद्या होती है -घर्मो रक्षति रक्षकः --जो धर्म की रक्षा करता है उसे धर्म अपनी गोद में उठाता अतः हम आप सभी को एक बात कहना चाहते हैं --सत्य के मार्ग में देर हो सकती किन्तु अंधेर नहीं | अभी मेरी जीवनी की कुछ विशेष बात बाँकी है जिन्हें आगे बताने की कोशिश करेंगें |--------ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं कृपया पधारें और अपने -अपने योग्य ज्योतिष का लाभ उठायें ,आपका लाभ ही हमारी दक्षिणा होती है ------आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई-- - उपलब्ध हैं |

रविवार, 1 अक्टूबर 2023

भाग्य ही फलता -फूलता है कैसे सुनें -भाग -22 -ज्योतिषी झा मेरठ



 -भाग्य ही फलता -फूलता है  कैसे सुनें -भाग -22 -ज्योतिषी झा मेरठ 

""मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-22
--दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

"महापदम "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  "महापदम "नामक कालसर्प योग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में अगर छठे भाव में राहु एवं द्वादश भाव में केतु हो साथ ही सभी सातों ग्रह इनके बीच में हों तो महापदम नामक कालसर्प योग होता है । महापदम नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक मानसिक परेशानियाँ बड़ी ही विलक्षण होती है । अधिकतर लोग ऐसे जातक को कलंकित एवं अपमानित करने का मौका तलाशते रहते हैं । ऐसे जातक मुसीबतों के समय घबराते नहीं हैं बल्कि कठोर साहस से परिस्थितियों का सामना करते रहते हैं अन्ततः विजयी भी बनते हैं । ऐसे जातक दूसरों की मदद को सदा आतुर रहते हैं । ऐसे जातक अक्सर मानसिक तनाव मोल खरीदते रहते हैं और इज्जत के साथ खाने पहनने की तकलीफ नहीं होती । --निदान ---ऋणमोचन स्तोत्र का पाठ एवं मृत्युंजय की उपासना करनी चाहिए जिससे शत्रुता और रोग से मुक्ति मिलती है । वैसे अपने -अपने आचार्य से परामर्श अवश्य लें । धनाभाव में ऊपर बताये हुए पाठ करें या पंचमी ,सप्तमी और चौदश तिथियों में घी का दान दक्षिणा के साथ करें । ---------------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




""मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{22}- ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{22}- ज्योतिषी झा मेरठ

1999 -में जो हमने यज्ञ किया वो न तो हम तांत्रिक थे ,न ही दिव्य पुरुष थे ,हमें केवल मार्ग की जानकारी थी कि इस विधि से यह जाना जा सकता है -उस विधि का प्रयोग किया और माँ आदिशक्ति की कृपा हुई -उनको पुत्री मिली साथ ही मुझको मन्दिर और निवास मिला पत्ता -कृष्णपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ | हम आज तक यहाँ विराजमान हैं | --अस्तु --राहु की महादशा समाप्त हुई | अब 16 वर्षों के लिए गुरु की दशा आयी -मेरी कुण्डली गुरु तृतीय भाव में हैं --तो निश्चित ही भार्या सुख और भाग्योदय होना था साथ ही प्रचुर आय भी होनी थी | यह मेरा सौभाग्य रहा -दौराला -मेरठमें शिव की प्रतिष्ठा हेतु हम आचार्य नियुक्त हुए ,शिव चौक बागपत गेट मेरठ यहाँ भी प्रतिष्ठा का दायित्व मिला ,कबाड़ी बाजार एवं जुनेजा मार्किट शहर की प्राण प्रतिष्ठा में आचार्य का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला | सब्जी मण्डी मेरठ में पीपली -पीपल का विवाह हेतु आचार्य बनें जो मेरठ नगर एवं समस्त मीडिया जगत के लिए कौतुहल का विषय था | --जो हम दूसरे पर आधारित थे आज परमात्मा एवं गुरुदेव की कृपा से स्वतंत्र कार्य किये ,साथ ही आज हम इस योग्य बने किअब हम दूसरे को कार्य देने लगे | --एकदिन एक छात्र नाम हीरा ठाकुर ये संगीत सीखने मेरठ के प्रसिद्ध बैण्ड -जय हिन्द बैण्ड के संचालक श्री जगदीश धानक के पास जाते थे ,कौतुहल बस मैं भी देखने गया -जब गया तो हमने पूछा क्या सीखते हो उसने बताया सरगम -हमने कहा यह ऐसे बजाते हैं वो तो फिर कभी सीखने नहीं गया पर हम नित्य सीखने लगे -अब हम -31 वर्ष के हो चुके थे -ये हारमोनियम बजाना तो नहीं जानते थे पर सुरों की उत्तम जानकारी थी और स्वभाव के बड़े ही सनेही थे | कुछ दिनों तक सीखने के बाद मुझको लगा यहाँ हम कामयाब नहीं हो सकते क्योंकि संगीत के लिए उत्तम गुरु और संगति की जरुरत होती है जो मुझको यहाँ नहीं मिलेगी | अतः हमने हारमोनियम ख़रीदा और अपने बाल्य काल के संगीत गुरु का ध्यान किया साथ में टेपरिकार्ड से गाना -गाना सीखने लगा | इतनी उम्र में लोग बच्चों को पढ़ाते हैं किन्तु हम फिर से पढ़ने लगे --ॐ - आपका - ज्योतिषी झा
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पहली सफलता या असफलता आजीवन याद रहेगी कैसे सुनें भाग -21


             पहली सफलता या असफलता आजीवन याद रहेगी कैसे सुनें  भाग -21 -


ज्योतिषी झा मेरठ -""मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-21
--दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

"पदम "नामक कालसर्पयोग क्या होता है -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


 " पदम "नामक कालसर्पयोग क्या होता है -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

 किसी भी जन्मकुण्डली में राहु यदि पंचमभाव में हो और केतु एकादशभाव में हो साथ ही सभी सातों ग्रह इनके मध्य में हों -तो शास्त्रकारों नें इस योग का नाम पदम नामक कालसर्पयोग कहा है । इस पदम नामक कालसर्पयोग में जन्म लेनें वाले जातक बुद्धिमान ,परिश्रमी ,इज्जतदार ,स्नेहशील एवं सतत उद्यमी रहते हैं । किन्तु अपने द्वारा अर्जित धन से नाखुश भी रहते हैं तभी तो इस योग के जातक अत्यधिक कामनाओं की पूर्ति हेतु तत्पर सदा रहते हैं । दूसरों के लिए ऐसे जातक सदा जीते हैं और जो दूसरों को निर्णय देते हैं उससे लाभ अवश्य मिलता है । परन्तु निजी कर्मों के लिए किया गया खुद का निर्णय हानिकारक होता है । ऐसे योग के जातक विशेषतर बड़े लोगों के शत्रु तो प्रेमी भी होते रहते हैं । इस योग के जातक प्रेम के क्षेत्र में प्रेमी से केवल हार मानते हैं । ---निदान ---माँ सरस्वती की उपासना से शिक्षा सुन्दर होगी ,संतान उत्तम होगी आय में बाधा नहीं आएगी । वैसे अपने आचार्य से परामर्श लेना चाहिए कुण्डली का । धनाभाव में -काष्ठ या शिक्षा की चीजों का दान पंचमी को भूदेव को देने लाभ मिलता है । -----------ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें --भाग 21-ज्योतिषी झा मेरठ



""मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--"भाग -{21}-ज्योतिषी झा मेरठ

1999 -अब हम मेरठ में अपने आप को स्थापित कर रहे थे | परमात्मा और सद्गुरु की सच्ची कृपा तभी होती है जब आप सच्ची निष्ठा से जुड़ते हैं | अभी हमारे अंदर एक कमी थी -मेरठ में मेरा अनुज मुझसे आठ वर्ष छोटा मुझसे सफल था किन्तु ज्ञान का आभाव था | मेरठ जैसे शहर में मंदिर में ज्ञानी पुरुष की जरुरत कम सेवक की ज्यादा होती है | अतः यह अनुज केवल आठवीं पास था पर केवल धन की जिज्ञासा थी तो उसे मंदिर और निवास मिला था | अनुज ने प्रस्ताव दिया मेरे पास रहो ,हम एक अनुज को पहले ही खो चुके थे अतः अपनी संतान जैसा ही चाहते थे और इसे किसी प्रकार का कष्ट न हो यह सोचकर इसके पास स्थान --शिव चौक बागपत गेट मेरठ-में रहने लगा और इसे पढ़ाने भी लगा | एक दिन 1999 में पिता के साथ बच्चे मेरठ आ गए ,पिता छोड़कर चले गए -उनके जाते ही मेरी नन्ही -नहीं सी बच्चियों को ताना मारने लगा -इस बात जानकारी मुझको मिली -मैंने कुछ नहीं कहा ,इसके बाद गर्मी का समय था हम बच्चों के साथ छत पर सो रहे थे तो अनुज ने कमरे में ताला लगा दिया ,मेरी छोटी सी डेढ़ साल की बच्ची दूध के लिए रोने लगी ,जब दूध लेने पतनी कमरे जाने लगी तो ताला लगा देखा -अनुज का अता -पत्ता नहीं चला ,मुझसे बच्ची की दशा देखी नहीं गयी तो हमेंने दरवाजे में धक्का दिया ताला सहित दरवाजा खुल गया | इसके बाद मेरे अनुज ने मकान मालिक से कहा ताला तोड़कर यह मेरे पैसे चुराया है और आपका दरवाजा भी तोड़ दिया | यह शब्द मानो मरने जैसा था | हमने मालिक से अनुरोध किया 15 दिन का समय दें हम घर चले जायेंगें, तत्काल बच्चों को लेकर कहाँ और कैसे जायें | उन्होंने कहा अभी खाली करो मकान --अब हमने चन्द्रलोक मलियाना फाटक मेरठ के पास मेरे एक मित्र थे उनसे अनुरोध किया -उन्होंने मुझे पनाह दी -फिर किराये का मकान दिलाया -इस मित्र ने अपनों से बढ़कर सम्मान दिया | अब मेरा कोई न तो मददगार परिजन न ही ससुराल पक्ष में कोई आसरा देने वाला --अब क्या करें कैसे आगे बढ़ें यही सोचने लगा -- --अब हम सच्ची निष्ठा से परमात्मा के सहारे हो गए फिर क्या था ----पत्रं पुष्पं फलं तोयं मामेकं शरणं व्रज " परमात्मा ने दोनों हाथों से मुझको उठाया -कैसे -जानिए -एक व्यक्ति नाम सुरेश निवासी -धौलपुर राजस्थान मेरठ में रहते थे वो मुझको जानते थे उनकी लड़की खो गयी थी मुम्बई में -हमसे पूछा महराज कैसे मिलेगी ,हमने कहा मिल जाएगी -पर खर्च बहुत होगा -बोले कोई बात नहीं | हमने कहा -मिल जाएगी तब तुम 11००० हजार दक्षिणा देना -पर मैं जो साधना करूँगा उसमें तुम्हें मेरे बच्चों की देखभाल करनी होगी ---हम एक मास बोलेंगें नहीं ,केवल साधना करेंगें ,और इस बीच हमारा राशन पानी सारी जिम्मेदारी तुम्हारी -बोले ठीक है -आप यज्ञ करो --ये व्यक्ति ऐसे थे मानो स्वयं मेरे पिता मेरी रक्षा करने हेतु पधारे हों | इन्होने इतना राशन लाया जिसे हम छे महीने ग्रहण किये ,बिस्तर ,चौकी ,मेरे बच्चों ने पहली बार पिता के साम्राज्य में उत्तम वस्त्र पहनें | अब हमें कोई चिंता नहीं थी तो चिंतन उत्तम होना लाजमी था ---- -आगे की चर्चा आगे करेंगें --ॐ |--ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut. खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

शनिवार, 30 सितंबर 2023

शंखपाल "नामक कालसर्पयोग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


  शंखपाल "नामक कालसर्पयोग का प्रभाव -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "



फलित ज्योतिष जगत के आचार्यों ने -अगर जन्मकुण्डली के चतुर्थभाव में राहु एवं दशम भाव में केतु हो साथ ही सातों ग्रह इनके मध्य तो -"शंखपाल नामक कालसर्पयोग का दोष माना है । ----अस्तु ----वैसे तो कुण्डली का सही आकलन से ही सही बात कही जा सकती है किन्तु मोटे तौर पर -इस शंखपाल नामक कालसर्पयोग में जन्म लेने वाले जातक माता पिता से दुःखी रहते हैं या ऐसे जातकों से माता पिता को कष्ट मिलता है । ऐसे जातक के मित्र स्वार्थी होते हैं । चचेरे परिवार से जान का खतरा का भय रहता है । ऐसे जातक अनेक प्रकार के रोगों की शंका से घिरे रहते हैं । ऐसे जातक स्वतंत्रता एवं स्वाधीन जीवन जीना चाहते रहते हैं । ऐसे जातक प्रेम रस के महारथी होते हैं । ऐसे जातक परोपकारी तो होते हैं किन्तु यश नहीं मिल पाता है । --निदान -शास्त्र सम्मत पितरों की विधिवत पूजा से ही संभव है किन्तु -अपने -अपने पुरोहितजी राय अवश्य लें । धनाभाव हो तो -अमावश्या के दिन दूध +मिठान्न ब्राह्मणों को देने से राहत मिल सकती है -अमावस्या को गंगास्नान से भी लाभ मिल सकता है । दोस्तों -वैसे कालसर्पदोष 320 प्रकार के होते हैं किन्तु प्रत्येक जातक की जन्मकुण्डली में जो कालसर्पदोष देखने को मिलते है उनके नाम और प्रभाव हमने क्रम से जैसे -शंखपाल ,शेषनाग ,विषाक्त ,पातक ,शंखनाद ,कर्कोटक ,तक्षक ,महापदम ,पदम् नामक कालसर्प दोषों को बताने की कोशिश की अब हम आगे आपको कालसर्पदोष क्या सच है ,सबसे पहले किसने पहचान की और साथ ही कालसर्प दोष की प्रमाणिकता की भी बातों समझाने का प्रयास करेंगें । ------


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-मेरे जीवन में गुरु की दशा पहले आती तो क्या होता सुनें - भाग -20



 -मेरे जीवन में गुरु की दशा पहले आती तो क्या होता सुनें - भाग -20

""मेरा" कल आज और कल की सम्पूर्ण कथा सुनें -ज्योतिषी झा -मेरठ-भाग-20
--दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

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मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...