"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{22}- ज्योतिषी झा मेरठ
1999
-में जो हमने यज्ञ किया वो न तो हम तांत्रिक थे ,न ही दिव्य पुरुष थे
,हमें केवल मार्ग की जानकारी थी कि इस विधि से यह जाना जा सकता है -उस विधि
का प्रयोग किया और माँ आदिशक्ति की कृपा हुई -उनको पुत्री मिली साथ ही
मुझको मन्दिर और निवास मिला पत्ता -कृष्णपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ | हम
आज तक यहाँ विराजमान हैं | --अस्तु --राहु की महादशा समाप्त हुई | अब 16
वर्षों के लिए गुरु की दशा आयी -मेरी कुण्डली गुरु तृतीय भाव में हैं --तो
निश्चित ही भार्या सुख और भाग्योदय होना था साथ ही प्रचुर आय भी होनी थी |
यह मेरा सौभाग्य रहा -दौराला -मेरठमें शिव की प्रतिष्ठा हेतु हम आचार्य
नियुक्त हुए ,शिव चौक बागपत गेट मेरठ यहाँ भी प्रतिष्ठा का दायित्व मिला
,कबाड़ी बाजार एवं जुनेजा मार्किट शहर की प्राण प्रतिष्ठा में आचार्य का
प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला | सब्जी मण्डी मेरठ में पीपली -पीपल का
विवाह हेतु आचार्य बनें जो मेरठ नगर एवं समस्त मीडिया जगत के लिए कौतुहल का
विषय था | --जो हम दूसरे पर आधारित थे आज परमात्मा एवं गुरुदेव की कृपा से
स्वतंत्र कार्य किये ,साथ ही आज हम इस योग्य बने किअब हम दूसरे को कार्य
देने लगे | --एकदिन एक छात्र नाम हीरा ठाकुर ये संगीत सीखने मेरठ के
प्रसिद्ध बैण्ड -जय हिन्द बैण्ड के संचालक श्री जगदीश धानक के पास जाते थे
,कौतुहल बस मैं भी देखने गया -जब गया तो हमने पूछा क्या सीखते हो उसने
बताया सरगम -हमने कहा यह ऐसे बजाते हैं वो तो फिर कभी सीखने नहीं गया पर हम
नित्य सीखने लगे -अब हम -31 वर्ष के हो चुके थे -ये हारमोनियम बजाना तो
नहीं जानते थे पर सुरों की उत्तम जानकारी थी और स्वभाव के बड़े ही सनेही थे |
कुछ दिनों तक सीखने के बाद मुझको लगा यहाँ हम कामयाब नहीं हो सकते क्योंकि
संगीत के लिए उत्तम गुरु और संगति की जरुरत होती है जो मुझको यहाँ नहीं
मिलेगी | अतः हमने हारमोनियम ख़रीदा और अपने बाल्य काल के संगीत गुरु का
ध्यान किया साथ में टेपरिकार्ड से गाना -गाना सीखने लगा | इतनी उम्र में
लोग बच्चों को पढ़ाते हैं किन्तु हम फिर से पढ़ने लगे --ॐ - आपका - ज्योतिषी
झा
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