ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शनिवार, 23 सितंबर 2023

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -9-ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?- "भाग -{9}-ज्योतिषी झा मेरठ

मेरे आश्रम में गोष्ठी हुआ करती थी ,उसमें संस्कृत भाषा में संवाद -भाषण ,अंत्याक्षरी साथ ही पारितोषिक भी दिया जाता था | एक छात्र ऐसे थे -जो पढ़ते तो थे नहीं, पर हर कला में निपुण थे, साथ ही सरल थे- मानों स्वयं सरस्वती उनकी जिह्वा पर थी| मैं भी ऐसा ही बनना चाहता था | उस आश्रम में ब्राह्ममुहूर्त में प्रभात स्मरण होता था| जिसमें सभी छत्रों को सम्मिलित होना पड़ता था| कई श्लोक हमें केवल सुनने से याद हुए |आश्रम में दो प्रकार के लोग थे शाकाहारी- जो सरकार के संचालन में थे दूसरे महाविद्यालय के छात्र जो अत्यधिक मांसाहारी थे | प्रांगण एक था, विचार अलग -अलग थे |पर हम सब एक थे | ऐसा लगता था मानों एक टोली के सारे अपने हों | सरस्वती पूजा बड़े धूम धाम से होती थी | ज्यादातर निमंत्रण सामूहिक आते थे और एक साथ सभी पैदल आते जाते थे | इस आने -जाने के बीच ,बड़े छात्रों को श्लोक छोटे छात्रों को सीखने होते थे |जो मुझको आज भी याद हैं | एकबार लगमा गांव के जमींदार गुरुकुल के छात्र श्री पवनदेव को पीटा |हमारे सरकार को बहुत कष्ट हुआ | हमने पहलीबार सरकार के आँखों में आंसू देखे | पूरा समाज सरकार के चरणों में नतमस्तक हुए ,क्षमा मांगी ,क्योंकि हमारे सरकार अगर रोये -तो प्रलय जैसी मुसीबत से इर्द -गिर्द के लोगों रूबरू होना पड़ेगा | सरकार के चारो ओर अनन्य भक्त थे ,या ये कहें मानों सरकार के कारण चारो ओर धर्म ध्वज फहरा रहा था ,नास्तिक आस्तिक बने ,अशान्ति से शान्ति थी | अब हम 15 वर्ष के हो गए | पहलीबार मेरी मां, नानी के साथ मुझसे मिलने आयी, साथ में -मेरे लिए कुछ नास्ता की वस्तु भी लायी ,साथ में 10 रूपये भी दिए | मैं धन्य हो गया |क्योंकि दो वर्षों में पहलीबार मेरा अपना कोई मिलने आया | जबकि अब आदत सी पड़ गयी थी जीने की | अब हमारा कार्य बदला गाय चराने का काम मिला | छे गायों को चराना वो भी दूसरे की जमीं पर बहुत कठिन कार्य था | क्योंकि अनुभव नहीं था | आश्रम में गायें तो थीं पर उनके योग्य भोजन की व्यवस्था नहीं थी केवल चराने के चारा पर निर्भर थीं | वहां के जमींदार अपने -अपने बगीचे में घास बढियाँ उगाते थे | मेरी गायें उन घासों को देखकर ललचा जाती थीं मैं भी चाहता था कि हमारी गायें उन घासों चोरी छुपके खाये, खाती भी थी, पर एकदिन एक जमींदार ने मुझको बहुत मारा | उसके बाद हमारी गायें भूखीं रहती थीं कुछ इधर भागतीं तो कुछ उधर हमारे हाथों में डंडा और किताब होती थीं अब पढ़ें या गायों को देखें | इसी बीच चप्पल नहीं होने के कारण मेरे पैरों के तलवों में गढ़ें हो गए क्योंकि चप्पल नहीं थी | बरसात का मौसम था मैं चलने में असमर्थ था पर पहलीबार सरकार ने मुझको बाल्टी की रस्सी से मारा और मैं गिर गया | क्योंकि मेरे शरीर में जान नहीं थी ऊपर से पैर में दर्द दवा नहीं दुआ नहीं | सरकार ने कहा या तो गाय चराओगे या आश्रम में नहीं रहोगे | मैं मरने को तैयार था सामने बिजली ते तार थे तो सोचा अब कहाँ जाऊ ,न परिजन न जीवन | फिर पैरों में पन्नी बाँधी और पैदल -पैदल घर आये किराये के पैसा नहीं थे | मां ने तेल गरम करके मेरे घावों में डालती गयीं और धीरे -धीरे ठीक हुआ फिर आश्रम आये और पूर्व मध्यमा पास हुए | अब हम 16 वर्ष के हो गए | आगे की परिचर्चा कल करेंगें |----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-.

कोई टिप्पणी नहीं:

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...