ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
बुधवार, 15 जनवरी 2025
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -106 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
हमारी आत्मकथा के पाठकगण -प्रत्येक व्यक्ति का लेखा -जोखा जन्मपत्री होती है | यह ज्योतिष राज विद्या और राजपरिवार की धरोहर है | इस धरोहर को सच्ची निष्ठां से राजा -महराजाओं ने आगे बढ़ाया है | भूदेवों ने भी सच्ची निष्ठा से संस्कारयुक्त होकर सदियों से इस ज्योतिष शास्त्र को आगे प्रेरणादायी बनाने का सार्थक प्रयास किया है | यह ज्योतिष देवभाषा और देववाणी पर आधारित है | सम्प्रति यह ज्योतिष हिन्दी करण और आधुनिक वेष -भूशा पर आधारित हो गयी है | ज्योतिष शास्त्र में -नक्षत्र ,लग्न ,राशि ,मुहूर्त तो मायने रखते ही हैं किन्तु -सबसे बड़ी चीज योग हैं --जिनका बिरले ज्योतिषी के मुखारविन्द से ही सटिक प्रभाव संभव है | आज के समय अंग्रेजी भाषा और आधुनिकता के आगे - ज्योतिष ज्ञान सीमित हो रहा है या ये कहें --प्राचीनता विलुप्त होने के कगार पर है | --यहाँ मेरा एकहि आग्रह है --प्रत्येक स्कूल की वेष -भूषा हो सकती है --तो ज्योतिष की भी भेष -भूषा को ज्योतिषी होने के नाते अवश्य अमल करें | मुझे बाल्यकाल में अंग्रेजी की शिक्षा थोड़ -बहुत मिली थी | हमने उनीसवीं शदी में पंचांग से ही ज्योतिषी सीखी थीऔर की थी जिसमें समय बहुत लगता था किन्तु बिशवी शदी में अंग्रेजी यंत्र पर भले ही कार्य कर रहे हैं किन्तु --फलादेश हमारा व्यक्तिगत एवं शास्त्रसम्मत ही होता है | आज ज्योतिष के कई ऐसे ग्रन्थ हैं --जो बहुत ही उपयोगी हैं किन्तु संस्कृत में हैं --इन ग्रंथों को केवल ज्योतिष विषय के छात्र ही समझ सकते हैं -मुहूर्तचिन्तामणि ,ताजिक नीलकण्ठी ,वृहत्पराशत ,सांख्यकारिका ,जातकाभरणं ,जातकतत्वम -इत्यादि ----आज ज्योतिषी बहुत हैं किन्तु आधुनिक ग्रन्थों के सहारे ,आज मानने वाले भी बहुत हैं किन्तु अल्पज्ञानी हैं या फिर प्राचीनता को नहीं मानने वाले | यही हाल कर्मकाण्ड जगत में भी हो रहा है --जो वैदिक पद्धति है -वो अपना तो कल्याण करती ही है पड़ोसी का भी उतना ही कल्याण करती है | किन्तु --तंत्र और यंत्र ने अपना अस्तित्व इतना बढ़ा दिया है --जो खुद का विनाश करते हैं साथ ही पडोसी का भी --ध्यान दें --जब पड़ोसी नहीं होंगें तो हम कहाँ होंगें ,जब पड़ौसी सुखी नहीं होंगें तो हम कहाँ से सुखी होंगें | -यह यंत्र और तंत्र इसलिए आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि इनमें मेहनत कम करनी पड़ती है ,धन कम खर्च होता है साथ ही सफलता शीघ्र मिलती है --किन्तु भविष्य सुखद नहीं होता है --पर हर व्यक्ति भविष्य की कामना नहीं करता है --वो केवल वर्तमान पर आधारित हैं --इसलिए हर व्यक्ति तत्काल प्रभाव चाहता है --जो मिलता भी है | वैदिक पद्धति महंगी है ,समय लगता है एवं सबको लाभ देती है --जो कतई बर्दास्त नहीं है --हम केवल एकही बात कहना चाहते हैं -जो आज मेरा है -वो कल मेरे बालक का होगा --बालक कैसे सुखी रहे इस ओर सबसे पहले ध्यान देना चाहिए --क्योंकि हर व्यक्ति अपने लिए नहीं बच्चों के लिए ही तो जीते हैं --बच्चों के सुख में ही हर अभिभावक सुखी होते हैं | अतः ज्योतिष शब्द गरिमामयी है --इसकी गरिमा का ध्यान रखना हम सबका के कर्तव्य हैं --उम्मीद करता हूँ -वैदिक पद्धति को आत्मसात अवश्य करेंगें | --आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मार्गी और वक्री ग्रह -ज्योतिष कक्षा - जानें -पढ़ें -भाग -65 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
कौन -सा ग्रह मार्गी और कौन -सा ग्रह वक्री है ,इसका ज्ञान भी पंचांग देखने पर ही हो जाता है | जातक के जन्म के समय जो ग्रह मार्गी होता है ,वो उसे जीवन भर मार्गी ग्रह के रूप में ही अपना फल देता है और जो ग्रह वक्री होता है ,वो जीवन भर वक्री ग्रह के रूप में ही अपना फल प्रदान करता है |
---इसके अतिरिक्त पंचांग की दैनिक गोचर गति के अनुसार जो ग्रह मार्गी अथवा वक्री होते रहते हैं ,वो जातक के जीवन पर अपनी उसी गति के अनुसार अलग से प्रभाव डालते हैं | मार्गी ---अर्थात ---वो ग्रह ,जो अपने मार्ग पर सीधा आगे की ओर चलता रहे | यानि यदि कोई ग्रह सिंह राशि पर है ,तो उसे सिंह राशि पर अपने भोग का समय पूरा करने के बाद ,सिंह से आगे कन्या राशि पर ,तत्पश्चात क्रमशः तुला ,वृश्चिक ,धनु ,मकर ,कुंभ आदि राशियों पर सीधे चलते जाना चाहिए | ऐसी सीधी चाल को "मार्गी ग्रह " कहा जाता है |
-----वक्री का अर्थ है ---वो ग्रह ,जो अपने मार्ग पर सीधा आगे की ओर चलने के बजाय पीछे की ओर लौट जाता है ,अर्थात --यदि कोई ग्रह सिंह राशि पर है ,तो उसे कन्या राशि पर जाना चाहिए ,किन्तु वो कन्या राशि पर न जाकर यदि पीछे कर्क राशि पर लौट जाए ,तो उसे "वक्री ग्रह " कहा जायेगा |
-----अगले भाग में -पारस्परिक दृष्टि -सम्बन्ध पर चर्चा करेंगें | - -भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 13 जनवरी 2025
देश -विदेश की भविष्यवाणी पढ़ें -14 /01/25 से 29 /01 /25 तक -ज्योतिषी झा मेरठ
ॐ श्रीसंवत -2081 शाके -1946 माघ कृष्ण पक्ष तदनुसार दिनांक -14 /01 /2025 से 29 /01 /2025 तक देश- विदेश की पाक्षिक भविष्यवाणी की बात करें -तो इस माह पाँच मंगलवारों का फलादेश उत्तम नहीं रहेगा तो बुधवारों का फलादेश उत्तम रहेगा | प्रमाण देखें --यत्र मासे मही सुणोर्जा यन्ते पंच वासराः ,रक्तेन पूरिता पृथ्वी छत्र भंगस्तदा भवेत "---प्रस्तुत प्रमाण के अनुसार पृथ्वी पर कहीं युद्ध अन्याय उपद्रव के चलते रक्तपात होगा | कहीं सत्ता की उठा पटक ,छीना -झपटी जानलेवा सिद्ध होगी | दूसरा प्रमाण --बद्धस्य पंच वारा स्यु यत्र मासे निरन्तरम,प्रजाश्च सुख सम्पन्ना सुभिक्षं च प्रजायते "--भाव --कहीं किसी देश -प्रदेश में सौख्य -समृद्धि बढ़ेगी | प्रजा नित्यानन्द का अनुभव करती रहेगी | देश में पैदावार बढ़ेगी | उद्योगों का विस्तार होगा ,उत्पादन बढ़ेगा ,सर्वत्र विकास को बल मिलेगा | बाह्य देश भारत से कुछ सीखने का प्रयास करेंगें | ----तेजी मन्दी की बात करें तो ---ग्रहचाल के अनुसार माघ कृष्णपक्ष में चालू मार्किट का रुख नीचा -ऊँचा होता रहेगा | ---इस वर्ष 2025 कर्क तथा मकर संक्रन्ति पाप वार की है ,इसका प्रभाव --महंगाई में अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी होगी | कोई प्रभावी नेता संकट ग्रस्त होगा या अन्नादि का अभाव पीड़ित करेगा | कल्पना से रहित विषम परिस्थिति संसार में दुःख का कारण बनेगी | आकाश लक्षण की बात करें तो --जनवरी के उत्तरार्ध में घामा छायी सी चलती रहेगी | कुछ संभागों में मेघ गर्जन ,विधुत्पात जहाँ -तहाँ ओला वृष्टि ,बर्फबारी होने से शीत लहर चलेगी | खड़ी फसलों में क्षति संभव है | -----एक उक्ति देखें ---शकुन -माघ मास जो परै न सीत ,महंगा नाज जानयो मीत "--इस मास शीत तो पड़ेगी चाहिए | भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 4 जनवरी 2025
ग्रहों के अंश -ज्योतिष कक्षा - जानें -पढ़ें -भाग -64 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
प्रत्येक ग्रह के 30 अंश होते हैं | जातक के जन्म के समय कौन -सा ग्रह कितने अंश पर था ,अर्थात किस ग्रह के कितने अंश व्यतीत हो चुके थे ,इसका ज्ञान उस समय के पंचांग द्वारा हो सकता है | यदि पाठक को प्रारम्भ में कोई असुविधा हो ,तो जन्म -कुण्डली स्थित ग्रहों के अंशों के सम्बन्ध में जानकारी किसी विद्वान ज्योतिषी द्वारा प्राप्त कर लेनी चाहिए | यहाँ पाठकों को इतना बता देना चाहते हैं कि 3 से 9 अंश तक का ग्रह किशोरावस्था वाला होता है | 10 से 22 अंश तक का ग्रह युवावस्था वाला होता है | 23 से 28 अंश तक का ग्रह वृद्धावस्था वाला तथा -29 से 2 अंश "29 ,30 ,1 और 2 " तक का ग्रह मृतक -अवस्था में माना जाता है | किशोरावस्था एवं वृद्धावस्था वाले ग्रह अपना प्रभाव कुछ कम प्रदर्शित करते हैं | युवावस्था वाले ग्रह अपना प्रभाव पूर्ण रूप से प्रदर्शित करते हैं ,तथा मृतक -अवस्था वाले ग्रह अपना प्रभाव अत्यंत सूक्ष्म रूप में प्रदर्शित करते हैं |
----ध्यान दें --अगले भाग में वक्री और मार्गी ग्रह की विवेचना करेंगें | -भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शुक्रवार, 3 जनवरी 2025
ग्रहों की दृष्टि -ज्योतिष कक्षा - जानें -पढ़ें -भाग -63 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
जन्म -कुण्डली प्रत्येक ग्रह जिस भाव में बैठा होता है ,उससे तीसरे तथा दसवें भाव को एक चरण दृष्टि से ,पांचवें तथा नवें भाव को दो चरण दृष्टि से ,चौथे तथा आठवें भाव को तीन चरण दृष्टि -से तथा सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है | इसके अलावा मंगल अपने बैठे हुए स्थान से चौथे तथा आठवें भाव को ,गुरु अपने बैठे हुए स्थान से पांचवें ,नवें भाव को तथा शनि अपने बैठे हुए स्थान से तीसरे ,दसवें भाव को भी पूर्ण दृस्टि से देखता है |
---जातक की जन्म -कुण्डली के जिस भाव में भी सूर्य की स्थिति हो ,उसी भाव से आरम्भ करके अन्य भावों पर पड़ने वाली उसकी खंड तथा पूर्ण दृष्टियों की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए | चंद्र ,मंगल ,बुध ,गुरु ,शुक्र ,शनि ,राहु और केतु इनमें से कोई भी ग्रह जिस भाव में बैठा हो ,वहां से वो तीसरे तथा दसवें भाव को एक चरण दृष्टि से ,पांचवें तथा नवें भाव को दो चरण दृष्टि से ,चौथे तथा आठवें भाव को तीन चरण दृष्टि से तथा सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है |
------भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --अगले भाग में ग्रहों के अंश पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें ---ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें
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सोमवार, 30 दिसंबर 2024
देश -विदेश की भविष्यवाणी पढ़ें -31 /12/24 से 13 /01 /25 तक -ज्योतिषी झा मेरठ
ॐ श्रीसंवत -२०८१ --शाके -१९४६ पौष शुक्लपक्ष तदनुसार दिनांक -31 /12 /2024 से 13 /01 /2025 तक की भविष्यवाणी की बात करें --एक प्रमाण देखें --शनि शुक्र एक राशि में ,भौम दृष्टि भरपूर ,हो हल्ला हो जगत में ,लडिहहि आपस में सूर "---अर्थात -नूतन सन -2025 के जनवरी माह में ग्रहचाल उपद्रवकारी हैं | विश्व में तनाव बढ़ेगा | कोई देश अपने हथियार बेचने के लिए बाजार तैयार करेगा --मारक अस्त्र -शस्त्रों की बिक्री तो बढ़ेगी ही गोला बारूद का उत्पादन ,--करोना जैसी विषैली गैसों का भंडार संसार में जानलेवा सिद्धि होगा | ---एक और प्रमाण देखें --रोग बढे संसार में ,कुदरत के उत्पात ,भूमि कम्प बादल फटे ,ज्वालामुखी विसात "---इस उक्ति का भाव है --इस वर्ष -2025 में विश्व का नक्शा बदलेगा | अजीबो गरीब उत्पात होंगें | सीमा पर आतंकी नित्योत्पात करने ,भय विषाद फैलाने में अपनी महारथ समझेंगें | विषबेल का फैलाव जारी रहेगा | ---ध्यान दें -सन -2025 में रूद्र बीसी का साल है | --तेजी मन्दी की बात करें तो लाल रंग की सभी वस्तुओं में लाभ का योग रहेगा | सस्ते में खरीदे गये गेंहूं ,जौं ,चना ,ज्वार ,बाजरा ,मटर ,छोले ,चावल। साबूदाना ,तिल ,मेवा ,आदि में अच्छा खासा लाभ मिलेगा | ऊनी कम्बल ,गर्म कपड़े ,गजक ,रेवड़ी ,गाजर का हलुआ ,चाट ,मुरब्बा ,अचार ,खेल -खिलौना ,तेज होंगें | उतार -चढ़ाव के बाद स्थिरता बनेगी | ---आकाश लक्षण की बात करें तो --जहाँ -तहाँ बादलचाल ,वायुवेग ,मेघ गर्जन ,कहीं हिमपात ,उपलवृष्टि ,,शीतलहर प्रभावित करेगी | भूकंप ,भूस्खलन ,यान -खान कुघटनाचक्र ,यातायात में बाधा होगी | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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गुरुवार, 26 दिसंबर 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -105 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
सनातन संस्कृति में जो शास्त्र -पुराण हैं उन्हें पढ़ना और उनके पथ पर चलना ये बहुत बड़ी बात है | हमने अपने जीवन में यह अनुभव किया है | शिक्षा की प्रणाली बहुत बदल गयी है --इसकी वजह से भक्ति के आगे श्रद्धा न के बराबर हो रही है | ज्ञान की अपेक्षा विवेक न के बराबर है | आज सनातन संस्कृति का मार्ग प्रगति पथ पर है किन्तु प्राचीनता नहीं आधुनिकता विशेष है | धन ने धर्म पर अपना विशेष अधिकार जमा लिया है --इसका परिणाम यह हो रहा है -हर व्यक्ति असंतुष्ट रहता है --इससे मैं भी नहीं बच सका | हमने अनुभव किया है -पति गुजर जाये --तो प्राचीन पतनी -उस पति के लिए धर्म निभाने का भरसक प्रयत्नशील रहती है | अगर पतनी गुजर जाये तो पति धर्म के विपरीत चलता है -उसका कुछ अस्तित्व नहीं रहता है | भगवान की सात्विक कठोर साधना आज के समय में कम हो रही है | सनातन के -व्रत ,जप ,तप ,नियम ,हवन ,स्वाध्याय --इन नियमों का पालन न के बराबर हो रहे हैं | सनातन संस्कृति में प्रमुख योगदान मध्यमवर्ग के लोगों का विशेष है | विशेष शिक्षा प्राप्त व्यक्ति -खोट विशेष निकालते -रहते हैं --जबकि धर्म का पालन बुद्धि से कदापि संभव नहीं है -सिर्फ विवेक से भी संभव नहीं है --इसके लिए -बुद्धि +विवेक दोनों चाहिए | आज के समय में धर्म का पालन या तो दिखावा में होता है या मज़बूरी में | भारत भूमि पर ऋषि -महर्षियों एवं राजाओं तथा गुरुजनों की विशेष देन --किन्तु आज के समय कोई ऋषि या महर्षि राजा या गुरुजन उन नियमों का पालन करने हेतु अपना -अपना पूर्ण योगदान नहीं दे रहे हैं --इसका परिणाम यह हो रहा है --एक शास्त्री का पुत्र दक्ष शास्त्री ज्ञान में नहीं धन से बनना चाहता है | यह बदलाव सभी क्षेत्रों में प्रायः देखने को मिला है | मेरा जन्म निम्न परिवार में हुआ ,एक शास्त्री बना ,मेरे गुरुदेव परम कर्मनिष्ठ थे -शायद मेरे लिए भगवान थे | सबकुछ होते हुए वैरागी स्वरूप में सदा अपने गुरुदेव को देखा -व्रत ,जप ,नियम ,तप स्वाध्याय ,हवन उसी रूप में करते देखा जो शास्त्र कहते हैं | एक शास्त्री होकर आज मैं वही धर्म का पालन करने का प्रयास करता -रहता हूँ --जो शास्त्र कहते हैं --स्वर्ण दान करना चाहिए --तो देने का हर संभव प्रयास करेंगें --तनिक भी अपनी मति का प्रयोग नहीं करेंगें --ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए दक्षिणा समयानुसार के हिसाब से देनी चाहिए --तो देंगें | यज्ञ कराने चाहिए ऐसे जिनसे अपना भी कल्याण हो एवं समस्त समाज का कल्याण हो --पर हमने पाया --विवाह संस्कार हो -दक्षिणा के लिए युद्ध होता है ,हवन हो ,यज्ञ हो ,पूजा हो पाठ हों --सबमें तोल -मोल होता है --परिणाम --उचित और अनुचित का व्यक्ति को बोध ही नहीं रहता है | हमने जीवन में अनुभव किया है -कुपात्र व्यक्ति मेरा सम्मान बहुत किया है ,दान बहुत दिया है --परन्तु हमारा मन सदा खिन्न रहा है --सुपात्र की तलाश में | हम अपने पाठक से एक ही निवेदन करना चाहते हैं --धर्म को आत्मसात करें बुद्धि +विवेक से तो सबको लाभ मिलेगा ,सनान भी वही अनुशरण करेगी | --आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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बुधवार, 18 दिसंबर 2024
ग्रहों के बल जानें -पढ़ें -भाग -62 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
ग्रहों के क्रमशः 6 बल माने गए हैं --1 स्थान बल ,--2 --कालबल ,---3 --दिग्बल ,---4 --नैसर्गिक बल ,---5 --चेष्टाबल ,--6 --दृग्बल |
--1 --स्थान बल --जो ग्रह उच्च ,स्वग्रही ,मित्रग्रही अथवा मूल त्रिकोण में स्थित होता है --उसे स्थान बली कहा जाता है | चंद्र और शुक्र सम राशि --वृष ,कर्क ,कन्या ,वृश्चिक ,मकर तथा मीन में तथा अन्य ग्रह सूर्य ,मंगल ,बुध ,गुरु ,शनि ,राहु एवं केतु विषम राशि --मेष ,मिथुन ,सिंह ,तुला ,धनु तथा कुम्भ में स्थित होने पर स्थान बली होते हैं |
----2 --कालबल ---जातक का जन्म रात्रि में हुआ हो ,तो चंद्र ,शनि और मंगल --ये तीनों ग्रह काल बली होते हैं और यदि जन्म दिन में हुआ हो ,तो सूर्य ,बुध एवं शुक्र कालबली होते हैं | गुरु सर्वकाल में बली होता है | वस्तुतः --बुध को दिन और रात्रि दोनों में कालबली माना जाता है |
---3 ---दिग्बल --जन्म कुण्डली में प्रथम भाव को पूर्व दिशा ,चतुर्थ भाव को उत्तर दिशा ,सप्तम भाव को पश्चिम दिशा तथा दशम भाव को दक्षिण दिशा माना जाता है | -----बुध और गुरु प्रथम भाव -लग्न -में रहने पर ,चंद्र और शुक्र चतुर्थ भाव में रहने पर तथा सूर्य और मंगल दशम भाव स्थित रहने पर दिग्बली होते हैं |
---4 --नैसर्गिक बली --शनि ,मंगल ,बुध ,गुरु ,शुक्र ,चंद्र तथा सूर्य ये --उत्तरोत्तर एक दूसरे से अधिक बली होते हैं ,---अर्थात --शनि से मंगल अधिक बलवान है | मंगल से बुध अधिक बलवान है | बुध से गुरु अधिक बलवान है | गुरु से शुक्र अधिक बलवान है | शुक्र से चंद्र अधिक बलवान है तथा सूर्य से चंद्र अधिक बलवान है | ---इसी क्रम के अनुसार सूर्य से चंद्र कम बली होता है और चंद्र से शुक्र कम बली होता है -----आगे इसी प्रकार शनि तक समझ लेना चाहिए |
---5 --चेष्टाबली --मकर राशि से मिथुन राशि तक किसी भी राशि में रहने से सूर्य तथा चंद्र चेष्टाबली होते हैं | तथा मंगल ,बुध ,गुरु ,शुक्र तथा शनि --ये चंद्र के साथ रहने से चेष्टाबली होते हैं |
----6 --दृग्बल-----जिन दुष्ट ग्रहों के ऊपर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो ,वो उनकी शुभ दृष्टि के बल को पाकर दृग्बली हो जाते हैं | -----उदहारण के लिए --किसी कुण्डली में शनि सप्तमभाव में बैठा है और गुरु एकादश भाव में बैठा है --तो गुरु की शनि के ऊपर पूर्ण दृष्टि पड़ेगी --क्योंकि गुरु जिस भाव में बैठा होता है ,उस भाव से पाँचवे ,सातवें तथा नवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है | ऐसी स्थिति में दुष्ट ग्रह शनि को शुभ ग्रह शनि का दृग्बल प्राप्त होगा | -------नोट --ध्यान दें ---उपर्युक्त छहो बलों में किसी भी प्रकार के बल को प्राप्त बलवान ग्रह अपने स्वभाव के अनुसार जिस भाव में बैठा होता है ,उस भाव का फल जातक को देता है | -----अगले भाग में ग्रहों की दृष्टि पर विवेचन करेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रविवार, 15 दिसंबर 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -104 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
आज मैं अपनी आत्मकथा में शनि की महादशा का प्रभाव पर कुछ कहना चाहता हूँ | --अस्तु -हर व्यक्ति की कुण्डली समस्त बातों को दर्शाती है --मेरी कुण्डली भी जीवन +मृत्यु को दर्शाती है | मेरी जन्मकुण्डली के अनुसार 2014 से शनि की दशा प्रारम्भ हुई जो 2033 तक चलेगी | शनि मेरी कुण्डली में भाग्य के क्षेत्र में नीच है अतः नीचता से मेरा भाग्योदय होगा --यह बात सौ प्रतिशत सही है | मुझे जीवन में बहुत कुछ मिला पर जिस योग्य था या हूँ उस अनुपात में नहीं मिला | पिता की जगह गैर व्यक्ति पिता की तरह स्नेह तो दिया ही पुत्र की तरह उठाया और बढ़ाया भी | मुझे सहोदर मामा ने कुछ नहीं दिया --गैर व्यक्ति मामा बनकर आगे बढ़ाया | अपने जीजा ने कुछ नहीं दिया --गैर जीजा ने आगे बढ़ाया | अपनी माँ की वात्सलयता या छाया नहीं मिली --सास से दोनों चीजें मिली | अपने सहोदर दीदी हो या अनुज इन दोनों ने मान नहीं बढ़ाया बल्कि गैर व्यक्ति कोई भाई का धर्म निभाया तो कोई दीदी का धर्म निभाया | --मेरा व्यक्तिगत स्वभाव रहा अगर किसी को प्रेम नहीं दिया तो दुःख देने का भी प्रयास नहीं किया | हमने सभी सगे -सम्बन्धियों से भले ही रिश्ते नाते नहीं रखे हों पर कुछ न कुछ दिया और दूर होकर जीने का प्रयास किया | मेरे पिता की कुण्डली में भी नीच का शनि संतान क्षेत्र में था --मेरा भाग्य और पिता से सम्बन्ध बहुत ही गड़बड़ रहा | जबकि पिता और मेरा - दोनों के स्वभाव चाहे समाज हो या व्यक्तिगत जीवन उत्तम और संतोषजनक रहा , पिता परोपकारी थे ,बलशाली थे ,कर्मठ थे ,धार्मिक थे ,सदा मस्त रहते थे -जो था बहुत था यही सोच थी --अपने कार्य में लगे रहते थे | ये तमाम गुण मुझमें भी थे पर --पिता अनपढ़ थे तो मैं विद्वान था ,पिता बहुत ही बलवान थे मैं अति निर्बल था | पिता सदा बल से मुझे जीतने का प्रयास करते थे और मैं सदा बुद्धि से समझाने का प्रयास करता था --पर न मैं पिता को समझा पाया न ही पिता मुझे जीत पाये --परिणाम यह हुआ दोनों के रास्ते अलग -अलग गए | पर न तो पिता मेरे बिना जी पाए और न ही पिता के बिना मैं जी पाया | पिता के पास सबकुछ था --केवल मैं नहीं था --और वो ईश्वर के समीप रहने लगे -जब भी मेरी याद आती थी तो मूर्छित हो जाते थे --यह वेदना ऐसी थी -सांसे तो थी चैन नहीं था | ऐसी स्थिति में केवल मुझे अपने समीप चाहते थे --जो संभव नहीं था | मेरे साथ भी ऐसा ही था --सबकुछ था पर पिता नहीं थे तो अपने आप को अधूरा समझता था | ऐसा लगता था मेरी शान ,मेरी पहचान तो पिता से है --जब पिता नहीं तो संसार के तमाम वैभव किस काम के | मेरे पिता चल बसे -2018 में | पिता के जाने के बाद मैं भी मूर्छित हो गया | ऐसा लगा मेरी वजह से पिता चल बसे --धिक्कार है मुझे अब जीवन जीने और विलाप करने का मेरा कोई अधिकार नहीं है | यह बात न तो पतनी से कह सकता था न ही परजनों को -अंत में मैं भी प्रभु की शरण में रहने लगा | जीने की लालसा खत्म हो गयी -फिर न मेरे पास साज रहे न आवाज , कलम में लिखने की ताकत नहीं रही ,पिता के साथ मानों मेरा तेज समाप्त हो गया | जब मेरे साथ ऐसा होने लगा तो मुझे आभास हुआ मेरे पिता के साथ भी ऐसा ही होने लगा होगा --वो भी माँ से या परिजनों से यह बात नहीं कह पाये होंगें | मेरे पिता सबके साथ होते हुए भी अकेलापन महसूस करते थे इसलिए सदा एकान्त में रहते थे | मैं भी सबके साथ रहता हुआ भी सदा अकेला अपने को पाया है | --मुझे कईबार अहसास हुआ मेरे जीवन का अनमोल रतन मेरे पिता थे -जिनके बिना मैं शून्य हूँ - तो मेरे पिता को भी यही अहसास हुआ होगा | --वैसे मैं ज्योतिषी इसलिए बना था -क्योंकि मेरा अनुज सर्प दंश से मरा था --यह बात मुझे इतनी लगी कि अनन्त ग्रन्थों में यही मृत्यु योग को ढूंढने में जीवन निकल गया --जब होश आया तब पता चला कुण्डली में तो बहुत सी बातें होती हैं जिनपर हमारी नजर नहीं पड़ी | अब एक सक्षम ज्योतिषी होने पर मेरा ध्येय यह है --कोई भी व्यक्ति अपनी कुण्डली का सही आकलन करें और उस पथ पर चले --जिससे उसको सही दिशा मिले ,सही प्रकाश मिले --वो भटके नहीं वो अनन्त बाधाओं का सामना -यत्न और प्रयत्न से करें | -आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 9 दिसंबर 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -103 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -आत्मकथा में आज मैं उन बातों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --जो हमने अनुभव किये हैं | मेरी सही शिक्षा गुरुकुल में हुई थी जो अधूरी रह गयी थी गरीबी के कारण या ग्रहों के प्रभाव के कारण -यह समय था -1983 से 1988 तक | गुरुकुल में मेरे आराध्य सरकार कहाँ से आये वो कौन थे यह कथा अज्ञात थी | मेरे सरकार परम कर्मनिष्ठ थे ,हमने जो ग्रन्थ पढ़ें हैं या उनके सत्संग से जो हमने अनुभव किये हैं उनके अनुसार मेरे लिए ईस्वर सदृश्य थे | आज जब मैं 54 वर्ष का हो चूका हूँ तो मुझे जो अनुभव जीविनि लिखते समय हो रहा है --वो व्यक्त करना चाहता हूँ | --अस्तु --गुरुकुल में वो बालक पढ़ें जिनके माता पिता नहीं थे या जिनके अंग कुछ नहीं थे या वो अष्टावक्र थे या वो चोर थे या वो संस्कार हीन थे या फिर जिनके माता पिता पालने में असमर्थ थे ---ऐसी स्थिति में मैं -दारिद्र तो था ही मूर्ख परिवार से था | हमने किसी ऐसे परिवार के बच्चों को आते नहीं देखा जो उत्तम हों --पर आश्रम में जो संरक्षक थे वो भी ऐसे ही थे | जिनके द्वारा आश्रम की व्यवस्था चलती थी --वो भी वज्र मूर्ख थे --पर सरकार के प्रभाव से वो संस्कारी थे किन्तु उनकी जीवनी उत्तम नहीं थी -पतनी + बेटियों को छोड़कर सरकार के पास रहते थे निःस्वार्थ --उनका नाम कला था --वास्तव में तत्काल के सभी मूर्ख छात्रों को नया जीवन देने में शाम ,दाम ,भेद की ऐसी कला थी कालानन्द जी में जिनकी बदौलत कई छात्र उच्च पद पर आसीन हुए तो कई छात्र भागवतकार हुए | मेरे हिसाब से सभी उदण्ड छात्रों के द्वारा कई छात्र महान हुए | उस आश्रम में ऐसा लग रहा था मानों चारों ओर धर्मध्वज फहरा रहा था | आश्रम के चारों ओर सरकार की कीर्ति व्याप्त थी --बहुत दूर देश से लोग अपने -अपने असहाय स्थिति के कारण या बच्चों से दुःखी होने के कारण अभिभावक सरकार के पास बच्चों को लेकर आते थे बदले में एक निपुण व्यक्ति बनकर वही छात्र सरकार का धर्मध्वज देश -विदेशों में फहराते थे | आदर्श भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बढ़ाते थे | उसमें एक मैं भी ऐसा ही छात्र था -पर आज जहाँ भी हूँ वो केवल उस आश्रम की देन है ,आज जो मुझमें कुछ खूबियां हैं वो सरकार की ही वास्तव में देन हैं | हमारे सरकार उस आश्रम में निर्भय और निर्विकार होकर तप में लगे रहते थे | भारतीय जो सनातन संस्कृति है --उसकी व्यापकता समझना बड़ा ही कठिन है | भारतीय सनातन संस्कृति में --भले ही वो चोर रहा हो ,उदण्ड रहा हो ,संस्कार हीन रहा हो किन्तु --धर्मध्वज पताका का मान बढ़ाने में बहुत बड़ा ह्रदय से योगदान दिया है | मुझे लगता है --विश्व का कोई भी कोना हो --सनातन संस्कृति ह्रदय से सभी को अपना मानती है और बढ़ाती हैं | सनातन संस्कृति पर आंख बंद करके भी भरोसा किया जा सकता है | अतः अपने ज्योतिष और कर्मकाण्ड के पाठक गणों ने निवेदन करता हूँ --किसी सनातनी व्यक्ति से भले ही भूल हो जाय -पर एक न एक दिन अपने आपको वो अवश्य सुधारता है | -आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 30 नवंबर 2024
ग्रहों का पद और फल जानें -पढ़ें -भाग -61 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
भचक्र में स्थित ग्रहों को नामों के साथ -साथ पदों से भी विभूषित किया गया है और प्रत्येक ग्रह को उसके पद के आधार पर जाना जाता है और फल निकालते समय उस पद पर भी विचार किया जाता है |
----ग्रहों के पद निम्न हैं -----
---1 ----सूर्य और चंद्र को राजा |
----2 --बुध को युवराज |
---3 ---मंगल को सेनापति |
---4 --शुक्र और बुध को मंत्री |
--शनि को सेवक |
---नोट ---जिस व्यक्ति पर जिस ग्रह का जितना अधिक प्रभाव होता है ,उसे वो अपने ही समान बनाने का प्रयास करता है | -----अगले भाग में ग्रहों के बल पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 28 नवंबर 2024
बलाबल ग्रहों का --जानें -पढ़ें -भाग -60 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
बलाबल ग्रहों के -में आपने बुध ग्रह तक की जानकारी कर ली -पूर्व भाग में --आगे --
--गुरु --यह धनु एवं मीन राशि का स्वामी है ,अतः यदि गुरु धनु अथवा मीन राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु धनु राशि के 1 से 13 अंश तक गुरु का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 14 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र है | कर्क राशि के 5 अंश तक गुरु उच्च का तथा मकर राशि के 5 अंश तक नीच का होता है |
---शुक्र --यह वृष तथा तुला राशि का स्वामी है ,अतः यदि शुक्र वृष अथवा तुला राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा ,किन्तु तुला राशि के 1 से 10 अंश तक उसका स्वक्षेत्र है | मीन राशि के 27 अंश तक गुरु उच्च का तथा कन्या राशि के 27 अंश तक नीच का होता है |
--शनि ---यह मकर तथा कुम्भ राशि का स्वामी है ,अतः यदि शनि मकर अथवा कुम्भ राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही या स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु कुम्भ राशि के 1 से 20 अंश तक शनि का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र है | तुला राशि के 20 अंश तक शनि उच्च का होता है |
--राहु ---राहु को कन्या राशि का स्वामी माना गया है ,अतः यदि राहु कन्या राशि में स्थित हो तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है | कुछ ज्योतिषशास्त्री मिथुन राशि के 00 अंश तक राहु उच्च का तथा धनु राशि के 00 अंश तक नीच का मानते हैं | इसके विपरीत कुछ अन्य विद्वानों के मत से वृष राशि में राहु उच्च तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है | कर्क राशि को राहु का मूल त्रिकोण माना जाता है |
---केतु --यह मिथुन राशि का स्वामी माना जाता है ,अतः यदि केतु मिथुन राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है | धनु राशि के 15 अंश तक नीच का होता है | इसके विपरीत कुछ् विद्वान वृश्चिक राशि में केतु उच्च तथा वृष राशि में नीच का मानते हैं | सिंह राशि को केतु का मूल त्रिकोण माना जाता है |
---अगले भाग में ग्रहों का पद और फल का जिक्र करेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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रविवार, 24 नवंबर 2024
बलाबल ग्रहों का --जानें -पढ़ें -भाग -59 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
प्रत्येक ग्रह उच्च का होने पर अधिक बलवान होता है | तत्पश्चात यदि वो मूल त्रिकोण में हो ,तो अपनी राशि में रहने की अपेक्षा अधिक बली होता है | उसके बाद स्वक्षेत्री ग्रह बलवान होता है |
---1 ---उच्च होने पर ,सर्वोच्चबली |
--2 ---मूल त्रिकोण में रहने पर -उच्चबली |
---3 ---अपने घर {नक्षत्र } में रहने पर बली |
--4 ---नीच का होने पर निर्बल |
--नौ ग्रहों {नवग्रहों } के उच्च क्षेत्रीय ,मूल त्रिकोणस्थ तथा स्वग्रही होने के सम्बन्ध में इस प्रकार से विचार करना चाहिए --
--------सूर्य ----यह सिंह राशि का स्वामी है ,अतः यदि वो सिंह राशि स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्रीय कहा जाता जायेगा | किन्तु यदि सिंह सूर्य राशि में स्थित हो ,तो सिंह राशि के 1 से 20 अंश तक उसका मूल त्रिकोण माना जाता है तथा -21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र कहा जाता है | मेष के --10 अंश तक सूर्य उच्च का तथा तुला के -10 अंश तक नीच का होता है |
----चंद्र ---यह कर्क राशि का स्वामी है ,अतः यदि वो कर्क राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु यदि चन्द्रमा वृष राशि में स्थित हो ,तो वो वृष राशि के -3 अंश तक उच्च का तथा वृष राशि के -4 अंश से -30 अंश तक मूल त्रिकोण स्थित माना जाता है | वृश्चिक राशि के -3 अंश तक चंद्र नीच का होता है |
---मंगल --यह मेष तथा वृश्चिक राशि का स्वामी है ,अतः यदि वो मेष अथवा वृश्चिक राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु मेष राशि के -1 से 18 अंश तक स्वक्षेत्र कहा जाता है | मकर के -28 अंश तक मंगल उच्च का तथा कर्क के -28 अंश तक नीच का होता है |
---बुध ---यह कन्या तथा मिथुन राशि का स्वामी है ,अतः यदि बुध कन्या अथवा मिथुन राशि राशि में स्थित हो ,तो स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु कन्या राशि - के -1 से 18 अंश तक बुध का मूल त्रिकोण तथा उससे आगे 19 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र माना जाता है | कन्या राशि के 15 अंश तक बुध उच्च का तथा मीन राशि के 15 अंश तक नीच का होता है |
---इस प्रकार यदि बुध कन्या राशि में स्थित हो ,तो वो कन्या राशि के 1 से 15 अंश तक उच्च का और इसके साथ ही -1 से 19 अंश तक मूल त्रिकोण स्थित तथा 19 से 30 तक स्वक्षेत्री होता है |
----ध्यान दें --अगले ग्रहों के बारे अगले भाग में लिखेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
ग्रहों की उच्च तथा नीच स्थिति -जानें -पढ़ें -भाग -58 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
जन्म -कुण्डली में जिस राशि के जितने अंश गत हो चुके हों ,उसके अनुसार विभिन्न ग्रह उच्च तथा नीच स्थिति को प्राप्त करते हैं | निम्न तालिका के द्वारा ग्रहों की स्थिति को ज्ञात किया जा सकता है |
-------ग्रह ------------------ राशि ----------------------- अंश
------सूर्य --------------------मेष -------------------------- 10
------ चंद्र -------------------- वृष ------------------------- 3
-------मंगल ------------------मकर -----------------------28
-------बुध --------------------कन्या ----------------------15
-------गुरु -------------------कर्क ----------------------5
-------शुक्र ------------------मीन ------------------------ 27
------ शनि ------------------तुला -------------------------20
राहु तथा केतु छाया ग्रह हैं ,अतः ज्योतिष शास्त्री के अनेक ग्रंथों में इनकी उच्च तथा नीच स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है ,किन्तु कुछ विद्वानों के मत से मिथुन राशि के 15 अंश पर राहु उच्च का माना जाता है | कुछ विद्वान वृष राशि में राहु को उच्च का मानते हैं इसी प्रकार अनेक ज्योतिष धनु राशि के 15 अंश पर केतु को उच्च का मानते हैं |
---प्रत्येक ग्रह को जिस राशि के जितने अंशों पर उच्च का बताया गया है ,उससे सातवीं राशि के उतने अंशों पर वो नीच का होता है | ---इसे नीचे दी गई तालिका के द्वारा अच्छी तरह से समझा जा सकता है |
-----ग्रह --------------------राशि --------------------अंश
---सूर्य -----------------------तुला ---------------------10
----चंद्र ------------------------वृश्चिक -----------------3
---मंगल --------------------- कर्क ------------------28
----बुध -----------------------मीन -------------------15
-----गुरु ----------------------मकर -----------------5
----शुक्र -----------------------कन्या ----------------27
----शनि -----------------------मेष -----------------20
---राहु -केतु के बारे में विद्वानों का मत यह है कि धनु के 15 अंश पर राहु नीच का होता है और कुछ ज्योतिषी के मतानुसार वृश्चिक राशि में राहु नीच का होता है | कुछ मिथुन राशि के 15 अंश पर केतु को नीच का और कुछ वृष राशि में केतु को नीच का मानते हैं | ग्रहों की उच्च तथा नीच स्थिति को अपने समझ लिया -अगले भाग में बलाबल ग्रहों का पर विचार रखेंगें -- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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बुधवार, 20 नवंबर 2024
त्रिकोण ,केंद्र ,पणकर ,अपोकिलिम तथा मारक किन -किन भावों को कहा जाता है -पढ़ें -भाग -57
--1 ---त्रिकोण --पंचम तथा नवम भावों को त्रिकोण कहते हैं |
--2 --केन्द्र --प्रथम ,चतुर्थ ,सप्तम ,दशम --इन भावों को केन्द्र कहते हैं |
---3 --पणकर ----द्वितीय ,पंचम ,अष्टम ,तथा एकादश --इन चारों भावों को पणकर कहते हैं |
--4 --आपोक्लिम --तृतीय ,षष्ठ ,नवम तथा द्वादश --इन भावों को अपोक्लिम कहते हैं |
---5 --मारक --द्वितीय तथा सप्तम भाव को मारक कहा जाता है |
नोट --कुछ विद्वानों के मतानुसार द्वितीय तथा दशम भाव को पणकर एवं तृतीय तथा एकादश भाव को अपोक्लिम माना जाता है |
---6 ---मूल त्रिकोण --जन्म -कुण्डली के द्वादश भावों में विभिन्न राशियां अलग -अलग भावों में रहती हैं | निम्न रूप से जिस राशि के जितने अंश पर जो ग्रह हो उसे "मूल त्रिकोण " में स्थित समझना चाहिए |
---सूर्य ---सिंह राशि में --1 से 20 अंश तक |
--चन्द्र --वृष राशि में --4 से 30 अंश तक |
--मंगल --मेष राशि में -1 से 18 अंश तक |
--बुध ---कन्या राशि में --1 से 15 अंश तक |
--गुरु --धनु राशि में --1 से 13 अंश तक
| --शुक्र -तुला राशि में --1 से 20 अंश तक |
--शनि --तुला राशि में --1 से 10 अंश तक | -----मूल त्रिकोण के ग्रहों की स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुण्डली का सहारा लेना होगा साथ ही गुरु का सान्निध्य भी चाहिए |
नोट ---राहु को कर्क राशि में मूल त्रिकोणगत माना जाता है | इसी के आधार पर ज्योतिष के विद्वान केतु को मकर राशि में मूल त्रिकोणगत मानते हैं | --अगले भाग में ग्रहों की उच्च तथा नीच स्थिति की जानकारी देंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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जन्म-कुण्डली के द्वादश भावों की जानकारी पढ़ें --ज्योतिष कक्षा पाठ -56- पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
पाठकगण --किसी भी जन्म -कुण्डली के द्वादश भावों के फलादेश करने हेतु - इन तमाम बातों को ठीक से समझें |
--1 --प्रथम भाव -सूर्य ,शरीर ,जाति ,विवेक ,शील ,आकृति ,मस्तिष्क ,सुख -दुःख ,आयु |
--2 --द्वितीय भाव --धन ,कुटुंब ,रत्न ,बंधन |
--3 --तृतीय भाव --पराक्रम ,सहोदर ,धैर्य |
--4 --चतुर्थ भाव --चन्द्र ,बुध ,माता ,सुख ,भूमि ,गृह ,सम्पत्ति ,छल ,उदारता ,दया ,चतुष्पद |
--5 --पंचम भाव --गुरु ,विद्या ,बुद्धि ,संतान ,मामा |
--6 --षष्टम भाव --शनि ,मंगल ,शत्रु ,रोग ,चिंता ,संदेह ,पीड़ा |
-7 --सप्तम भाव --शत्रुता ,रोग ,नाना का सुख ,आत्मबल ,मनोवृत्ति |
--8 --अष्टम भाव --शनि ,मृत्यु ,आयु ,व्याधि ,संकट ,ऋण ,चिंता ,पुरातत्व |
--9 --नवम भाव --सूर्य ,गुरु ,भाग्य ,धर्म ,विद्या ,प्रबास ,तीर्थ- यात्रा ,दान |
--10 --दशम भाव --सूर्य ,बुध ,गुरु ,शनि ,राज्य ,पिता ,नौकरी ,व्यवसाय ,मान -प्रतिष्ठा |
--11 --एकादश भाव --गुरु ,लाभ ,आय ,संपत्ति ,ऐस्वर्य ,वाहन |
--12 ---द्वादश भाव --शनि ,व्यय ,हानि ,दंड ,रोग ,व्यसन |
ये सब कुण्डली के भावों में स्थित समझें ------अगले भाग में त्रिकोण ,केंद्र ,पणकर ,अपोकिलिम तथा मारक किन -किन भावों को कहा जाता है --इसे बताने का प्रयास करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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मंगलवार, 19 नवंबर 2024
जन्म- कुण्डली के द्वादश भाव -ज्योतिष कक्षा पाठ -57- पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
आपने कन्या राशि तक जानकारी कर ली ---आगे
--7 -स्त्री --"जाया "--इसे केन्द्र तथा सप्तम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्त्री ,मृत्यु ,कामेच्छा ,कामचिंता ,सहवास ,विवाह ,स्वास्थ जननेन्द्रिय ,अंग-विभाग ,व्यवसाय ,झगड़ा -झंझट तथा बवासीर आदि रोग के संबंध में विचार किया जाता है |
--8 -आयु -इसे पणकर तथा अष्टम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा आयु ,जीवन ,मृत्यु के कारण ,व्याधि ,मानसिक चिंताएं ,झूठ ,पुरात्तव ,समुद्र -यात्रा ,संकट ,लिंग ,योनि तथा अंडकोष के रोग आदि का विचार किया जाता है |
--9 -धर्म ---इसे त्रिकोण तथा नवम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा तप ,शील ,धर्म ,विद्या ,प्रवास ,तीर्थ यात्रा ,दान ,मानसिक वृत्ति ,भग्योदय तथा पिता का सुख आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--10 --कर्म --इसे केन्द्र तथा दशम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक बुध है | इसके द्वारा अधिकार ,ऐश्वर्य -भोग ,यश -प्राप्ति ,नेतृत्व ,प्रभुता ,मान -प्रतिष्ठा ,राज्य ,नौकरी ,व्यवसाय तथा पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
----11 ---लाभ --इसे उपचय ,पणकर तथा एकादश भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा संपत्ति ,ऐस्वर्य ,मांगलिक कार्य , वाहन ,रत्न आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--12 --व्यय --इसे द्वादश भाव कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा दंड ,व्यय ,हानि ,व्यसन ,रोग ,दान तथा बाहरी सम्बन्ध आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--प्रिय पाठकगण --किसी भी जन्म -कुण्डली के भावों को इन बातों के द्वारा समस्त व्यक्ति की जानकारी करी जा सकती है | इन तमाम बातों को ठीक से समझने का प्रयास करेंगें --तो फलादेश करने में विशेष सहायता मिलेगी |
--अगले भाग में किस भाव से क्या -क्या फलादेश करना चाहिए इस पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें | ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 18 नवंबर 2024
जन्म- कुण्डली के द्वादश भाव -ज्योतिष कक्षा पाठ -56- पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
जन्म -कुण्डली में 12 भावों के नाम इस प्रकार हैं -1 -तनु ,-2 -धन ,--3 -सहज ,--4 -सुहृद ,--5 -पुत्र ,--6 -रिपु ,--7 -स्त्री ,--8 --आयु ,--9 --धर्म ,--10 -कर्म ,--11 -लाभ ,--12 -व्यय | इन भावों के द्वारा किन -किन बातों का विचार किया जाता है --इसे इस प्रकार से समझना चाहिए --
---1 --तनु ---इसे प्रथम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्वरूप ,जाति ,आयु ,विवेक ,शील ,मस्तिष्क ,चिन्ह ,दुःख -सुख तथा आकृति आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है | इस भाव कारक सूर्य है | इसमें मिथुन ,कन्या ,तुला तथा कुम्भ आदि कोई राशि हो ,तो उसे बलवान माना जाता है | लग्नेश की स्थिति और बलाबल के अनुसार इस भाव से उन्नति -अवनति तथा कार्य -कुशलता का ज्ञान प्राप्त किया जाता है |
--2 -धन ----इसे पणकर तथा द्वितीय भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा स्वर ,सौन्दर्य ,आंख ,नाक ,कान ,गायन ,प्रेम ,कुल ,मित्र ,सत्यवादिता ,सुखोपभोग ,बंधन ,क्रय -विक्रय ,स्वर्ण ,चांदी ,मणि ,रत्न आदि संचित पूंजी के संबंध में विचार किया जाता है |
---3 --सहज --इसे आपोक्लिम तथा तृतीय भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक मंगल है | इसके द्वारा पराक्रम ,कर्म ,साहस ,धैर्य ,शौर्य ,आयुष्य ,सहोदर ,नौकर -चाकर , गायन ,क्षय ,श्वास ,कास ,दमा तथा योगाभ्यास आदि का विचार किया जाता है |
---4 --सुहृद -इसे केन्द्र तथा चतुर्थ भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा सुख ,गृह ,ग्राम ,मकान ,सम्पत्ति ,बाग -बगीचा ,चतुष्पद ,माता -पिता का सुख अन्तः करण की स्थिति ,दया ,उदारता ,छल ,कपट ,निधि ,यकृत तथा पेटादि रोगों के संबन्ध में विचार किया जाता है | इस भाव का कारक चंद्र है | इस स्थान को विशेषकर माता का स्थान माना जाता है | ---5 --पुत्र --इसे पणकर ,त्रिकोण तथा पंचम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा बुद्धि ,विद्या ,विनय ,नीति ,देवभक्ति ,संतान ,प्रबंध -व्यवस्था ,मामा का सुख ,धन मिलने के उपाय ,अनायास बहुत से धन प्राप्ति ,नौकरी से विच्छेदन ,हाथ का यश ,मूत्र -पिंड ,वस्ति एवं गर्भाशय आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---6 --रिपु ---इसे आपोक्लिम तथा षष्ठ भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक मंगल है | इस भाव के द्वारा शत्रु ,चिंता ,संदेह ,जागीर ,मामा की स्थिति ,यश ,गुदा -स्थान ,पीड़ा ,रोग तथा व्रणादि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है | ------आगे की जानकरी 62 वे भाग में पढ़ें ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 30 अक्टूबर 2024
भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"
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आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
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ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
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ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
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ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
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ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
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ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
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ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
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ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
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ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
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ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
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ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...


















