कौन -सा ग्रह मार्गी और कौन -सा ग्रह वक्री है ,इसका ज्ञान भी पंचांग देखने पर ही हो जाता है | जातक के जन्म के समय जो ग्रह मार्गी होता है ,वो उसे जीवन भर मार्गी ग्रह के रूप में ही अपना फल देता है और जो ग्रह वक्री होता है ,वो जीवन भर वक्री ग्रह के रूप में ही अपना फल प्रदान करता है |
---इसके अतिरिक्त पंचांग की दैनिक गोचर गति के अनुसार जो ग्रह मार्गी अथवा वक्री होते रहते हैं ,वो जातक के जीवन पर अपनी उसी गति के अनुसार अलग से प्रभाव डालते हैं | मार्गी ---अर्थात ---वो ग्रह ,जो अपने मार्ग पर सीधा आगे की ओर चलता रहे | यानि यदि कोई ग्रह सिंह राशि पर है ,तो उसे सिंह राशि पर अपने भोग का समय पूरा करने के बाद ,सिंह से आगे कन्या राशि पर ,तत्पश्चात क्रमशः तुला ,वृश्चिक ,धनु ,मकर ,कुंभ आदि राशियों पर सीधे चलते जाना चाहिए | ऐसी सीधी चाल को "मार्गी ग्रह " कहा जाता है |
-----वक्री का अर्थ है ---वो ग्रह ,जो अपने मार्ग पर सीधा आगे की ओर चलने के बजाय पीछे की ओर लौट जाता है ,अर्थात --यदि कोई ग्रह सिंह राशि पर है ,तो उसे कन्या राशि पर जाना चाहिए ,किन्तु वो कन्या राशि पर न जाकर यदि पीछे कर्क राशि पर लौट जाए ,तो उसे "वक्री ग्रह " कहा जायेगा |
-----अगले भाग में -पारस्परिक दृष्टि -सम्बन्ध पर चर्चा करेंगें | - -भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com

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