जन्म -कुण्डली प्रत्येक ग्रह जिस भाव में बैठा होता है ,उससे तीसरे तथा दसवें भाव को एक चरण दृष्टि से ,पांचवें तथा नवें भाव को दो चरण दृष्टि से ,चौथे तथा आठवें भाव को तीन चरण दृष्टि -से तथा सप्तम भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है | इसके अलावा मंगल अपने बैठे हुए स्थान से चौथे तथा आठवें भाव को ,गुरु अपने बैठे हुए स्थान से पांचवें ,नवें भाव को तथा शनि अपने बैठे हुए स्थान से तीसरे ,दसवें भाव को भी पूर्ण दृस्टि से देखता है |
---जातक की जन्म -कुण्डली के जिस भाव में भी सूर्य की स्थिति हो ,उसी भाव से आरम्भ करके अन्य भावों पर पड़ने वाली उसकी खंड तथा पूर्ण दृष्टियों की जानकारी प्राप्त कर लेनी चाहिए | चंद्र ,मंगल ,बुध ,गुरु ,शुक्र ,शनि ,राहु और केतु इनमें से कोई भी ग्रह जिस भाव में बैठा हो ,वहां से वो तीसरे तथा दसवें भाव को एक चरण दृष्टि से ,पांचवें तथा नवें भाव को दो चरण दृष्टि से ,चौथे तथा आठवें भाव को तीन चरण दृष्टि से तथा सातवें भाव को पूर्ण दृष्टि से देखता है |
------भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --अगले भाग में ग्रहों के अंश पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें ---ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें
---khagolshastri.blogspot.com

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