बलाबल ग्रहों के -में आपने बुध ग्रह तक की जानकारी कर ली -पूर्व भाग में --आगे --
--गुरु --यह धनु एवं मीन राशि का स्वामी है ,अतः यदि गुरु धनु अथवा मीन राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु धनु राशि के 1 से 13 अंश तक गुरु का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 14 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र है | कर्क राशि के 5 अंश तक गुरु उच्च का तथा मकर राशि के 5 अंश तक नीच का होता है |
---शुक्र --यह वृष तथा तुला राशि का स्वामी है ,अतः यदि शुक्र वृष अथवा तुला राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा ,किन्तु तुला राशि के 1 से 10 अंश तक उसका स्वक्षेत्र है | मीन राशि के 27 अंश तक गुरु उच्च का तथा कन्या राशि के 27 अंश तक नीच का होता है |
--शनि ---यह मकर तथा कुम्भ राशि का स्वामी है ,अतः यदि शनि मकर अथवा कुम्भ राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही या स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु कुम्भ राशि के 1 से 20 अंश तक शनि का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र है | तुला राशि के 20 अंश तक शनि उच्च का होता है |
--राहु ---राहु को कन्या राशि का स्वामी माना गया है ,अतः यदि राहु कन्या राशि में स्थित हो तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है | कुछ ज्योतिषशास्त्री मिथुन राशि के 00 अंश तक राहु उच्च का तथा धनु राशि के 00 अंश तक नीच का मानते हैं | इसके विपरीत कुछ अन्य विद्वानों के मत से वृष राशि में राहु उच्च तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है | कर्क राशि को राहु का मूल त्रिकोण माना जाता है |
---केतु --यह मिथुन राशि का स्वामी माना जाता है ,अतः यदि केतु मिथुन राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है | धनु राशि के 15 अंश तक नीच का होता है | इसके विपरीत कुछ् विद्वान वृश्चिक राशि में केतु उच्च तथा वृष राशि में नीच का मानते हैं | सिंह राशि को केतु का मूल त्रिकोण माना जाता है |
---अगले भाग में ग्रहों का पद और फल का जिक्र करेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com

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