आपने कन्या राशि तक जानकारी कर ली ---आगे
--7 -स्त्री --"जाया "--इसे केन्द्र तथा सप्तम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्त्री ,मृत्यु ,कामेच्छा ,कामचिंता ,सहवास ,विवाह ,स्वास्थ जननेन्द्रिय ,अंग-विभाग ,व्यवसाय ,झगड़ा -झंझट तथा बवासीर आदि रोग के संबंध में विचार किया जाता है |
--8 -आयु -इसे पणकर तथा अष्टम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा आयु ,जीवन ,मृत्यु के कारण ,व्याधि ,मानसिक चिंताएं ,झूठ ,पुरात्तव ,समुद्र -यात्रा ,संकट ,लिंग ,योनि तथा अंडकोष के रोग आदि का विचार किया जाता है |
--9 -धर्म ---इसे त्रिकोण तथा नवम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा तप ,शील ,धर्म ,विद्या ,प्रवास ,तीर्थ यात्रा ,दान ,मानसिक वृत्ति ,भग्योदय तथा पिता का सुख आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--10 --कर्म --इसे केन्द्र तथा दशम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक बुध है | इसके द्वारा अधिकार ,ऐश्वर्य -भोग ,यश -प्राप्ति ,नेतृत्व ,प्रभुता ,मान -प्रतिष्ठा ,राज्य ,नौकरी ,व्यवसाय तथा पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
----11 ---लाभ --इसे उपचय ,पणकर तथा एकादश भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा संपत्ति ,ऐस्वर्य ,मांगलिक कार्य , वाहन ,रत्न आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--12 --व्यय --इसे द्वादश भाव कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा दंड ,व्यय ,हानि ,व्यसन ,रोग ,दान तथा बाहरी सम्बन्ध आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--प्रिय पाठकगण --किसी भी जन्म -कुण्डली के भावों को इन बातों के द्वारा समस्त व्यक्ति की जानकारी करी जा सकती है | इन तमाम बातों को ठीक से समझने का प्रयास करेंगें --तो फलादेश करने में विशेष सहायता मिलेगी |
--अगले भाग में किस भाव से क्या -क्या फलादेश करना चाहिए इस पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें | ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com

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