ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 8 जनवरी 2024

ज्योतिषीय संसार चक्र सन -15 +16 -कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ


 ज्योतिषीय संसार चक्र सन -15 +16 -कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ

-----संवत -2072 अर्थात सन 2015 +2016 के राजा शनि और मन्त्री मंगल हैं । इन दोनों के साम्राज्य में नित -नये उत्पात मचेंगें । विस्व के विशेषतर देशों में टकराव या इनके प्रभाव से जीव -जंतुओं को हानि पंहुचेगी । भारत,नेपाल जैसे शांतिप्रिय देश सुरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित रहेंगें । खाड़ी के देश अमेरिका एवं यूरोप के खिलाफ एकजूट होंगें । 

-------इस 2015 +16 अर्थात संवत =2072 में ऋतु विपरीत होंगें ,प्राकृतिक प्रकोप का कष्ट झेलेंगें ,वर्षा अल्प एवं विशेष होगी ,बाढ़ से नुकसान होगा ,भूकम्प एवं भूस्खलन से जान धन की हानि होगी ,प्रत्येक मास में वर्षा देखने को मिलेगी ,पहाड़ पर भारी हिमपात होगा ,मैदानी भाग ओलावृष्टि से पीड़ित होंगें । 

--------संवत =2072 यानि 2015 +16 में भी कश्मीर समस्या सिरदर्द बनी रहेगी किन्तु राहत की उम्मीद अवश्य होगी । भारतीय पश्चिमोत्तर सीमा से सटे राज्यों में आतंकी विष फैलायेंगें । सरकारी प्रभावी से आतंकियों को पीछा हटना होगा । ------संवत -2072 -में देश के कुछ प्रदेशों में बदलाव होंगें । भारतीय जनता पार्टी को अनेक संघर्षों का सामना करना होगा फिर सत्ता पर आसीन होती जाएगी । भारतीय जनता पार्टी एवं सरकार को आधिकारिक बल मिलेगा । सर्वहारा वर्ग के लिए अनेक योजनाओं की शुरुआत होगी । भारतियों को सुखद आसार 2015 +16 में दिखने लगेगा । ---भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




रविवार, 7 जनवरी 2024

मेरी आत्मकथा में दारुण कथा पढ़ें भाग -93 -ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों -आजकल बड़े लोगों पर जब आक्षेप लगता है --तो पहला हर व्यक्ति का बिचार होता है --इतने बड़े होकर ऐसा  गलत कार्य कैसे किया | मेरे जीवन में ऐसा क्षण 2020  में आया जब पिता नहीं थे और हम नाना बन  चुके थे -दो भाईयों के बीच भवन का बटवारा होना था | अनुज को कोई दिक्क्त नहीं थी -जगह हमारी थी -उसके सभी परिजनों [लोगों }का आना -जाना वहीँ  से होता था  | हमारी जमीन होते हुए भी  दीवाल नहीं  बना सकते थे | शास्त्र कहते हैं -मातृदेवो भव --किन्तु  कुण्डली में चतुर्थ भाव का स्वामी मंगल लग्न में सूर्य +केतु  साथ बिराजमान हैं | इन  मंगल +सूर्य की वजह से मुझे तीन भवन  प्राप्त हुए --किन्तु केतु की  वजह से माँ का स्वभाव मुझसे मेल नहीं खाता है --अतः माँ का एक निर्णय मुझे सुखी बना सकता था --किन्तु  पिता की सहमति होते हुए भी --माँ की वजह से घर टूट गया ,भाई -भाई युद्ध करते रहे --माँ देखती रही ,समाज हँसता  रहा ,रिस्तेदार तालियां बजाते रहे --केवल मरना मेरा होता था --क्योंकि मैं शिक्षाविद था | आज हमारे बच्चों को मेरे प्राण की जरुरत हो तो हँसते -हँसते दे देंगें --किन्तु किसी के हम भी बच्चे थे --मुझे भी  तो माता पिता ने ऐसे ही पाले होंगें --फिर यह दरार क्यों आयी ---मुझे लगता है --पूर्व की अपेक्षा आज के माता पिता बड़े ही दयालु होते हैं | मेरे घर में कोई कमी नहीं थी --दीदी ,अनुज और मैं सभी को ईस्वर ने जरुरत से ज्यादा धन और सुख दिए --किसी को कोई कमी नहीं किन्तु फिर भी मेरा घर --जिस घर में --एक ही माँ के उदर से जन्मे ,एक साथ पले -बढे --सभी को एक ही शिक्षा दी गयी --सच बोलना चाहिए ,किसी का नहीं लेना चाहिए ,परिश्रम से कमाना चाहिए | बाल्य्काल हमारा दरिद्र योग में बीता था --दीदी ,अनुज और मैं तीनों ने यथावत दुःख देखे तो यथावत सुख भी देखे --फिर जब धन आया तो प्रेम कहाँ चला गया | हम दुनिया के सामने झुक सकते हैं किन्तु --अपनों के सामने नहीं झुक सकते हैं | आजकल यह दशा मेरे घर की नहीं है --यह स्थिति घर -घर में है | मेरे बिचार से बड़ा भाई पिता की तरह धर्म निभाते -निभाते चले जाते हैं ,उसके भाग्य में शायद किसी का होना नहीं लिखा रहता है ,उसे -परिजन तो अपमान करते ही हैं --वो अपने बच्चों के भी नहीं होते हैं | खेर--- मेरी कुण्डली में शनि की दृष्टि तृतीय भाव पर थी साथ ही गुरु देव भी यही विराजमान थे --शनि की दशा में मुझे यही पुरस्कार मिलना था | जितने रूपये लगाकर हमने बटबारा किया --उतने में तो खुद आलीशान अपना भवन बना लेते | मेरे तो पैसे भी चले  गए ,समाज में अपमानित भी हुआ ,न बच्चों का हो सका न अपने परिजनों का | यह जीवनी भी एक लीला थी --जिसमें रंग- मंच पर सभी पात्र अपनी -अपनी भूमिका निभाते हैं -अभिनय पूरा होने पर राम +रावण  एक जगह बैठकर ठहाके लगाते रहते हैं --जिसे दर्शक अपनी -अपनी घटनाओं से जोड़कर देखते हैं ,रंगमच के कलाकार केवल अपनी -अपनी भूमिका निभाते हैं अतः इन तमाम बातों का उनपर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है | नाटक बनाने वाले इस ताक में रहते हैं इस नाटक से कितना फायदा हुआ | मुझे लगता है अगर हर व्यक्ति अपनी जीवनी को तीनों रूप में देखे --तो न तो कष्ट होगा न ही मलाल जीवनी से रहेगा | ---अब मेरे जीवन की आत्मकथा में जो सार है --जिससे आपको जीने की राह मिलती है या आपको इसी प्रकार से जीना चाहिए  क्रम से पढ़ते रहें --भवदीय ज्योतिषी झा मेरठ -जीवनी के सभी भागों को  पढ़ने के लिए लिंक का उपयोग करें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



बुधवार, 3 जनवरी 2024

आज मैं अपनी दारुण कथा का प्रसंग सुनाना चाहता हूँ -पढ़ें भाग -92 ज्योतिषी झा मेरठ


 दोस्तों -पिता दिवंगत हुए 2018 में --भाई -भाई तो वास्तव में 1998  में ही अलग हो गए थे | हमारी दो बेटियों का बोझ -माता पिता ,परिजनों के साथ -साथ अनुज पर भारी पड़ रहा था | मेरा अनुज गरीब न हो जाय इसलिए मेरे घर में गृह युद्ध शुरू हुआ --फिर भी हम साथ -साथ रहना चाहते थे किन्तु -एक दिन अनुज ने घर से अपमान  के साथ स परिवार को निकाल  दिया --मुझे कुछ कहता तो मैं सहन कर लेता किन्तु बच्चों का अपमान आज तक मस्तिष्क में जगह बना रखा है | यह जानकारी माता पिता को होने के बाद भी कुछ निर्णय नहीं ले सके जबकि मेरे माता पिता धार्मिक थे | यही अलग होने का कारण था | मेरा भी समय बदला ,मेरा भी राजयोग शुरू हुआ -तो फिर पिता मुझे अलग  नहीं होने दिए -- यह गांठ ऐसी थी हम अपने धन को समझने लगे जोड़ने लगे | मैं भी धन की दुनिया में आगे बढ़ता रहा ,अनुज भी बढ़ता रहा --पर विवाद यथावत था --इसका लाभ चाची ने उठाया --24 मुकदमें हुए मुझे छोड़कर | यह कथा मैं सुना चूका हूँ --2018 में पिता दिवंगत हुए -उसके बाद माँ भाई के साथ पहले से ही रहती थी आगे भी रहने लगी  | मेरी शर्त थी खाओं पीओ भजन करो --किसी के पास बिना काम मत जाओ --यह माँ को मंजूर नहीं था --जब माँ घर्म पथ पर नहीं चल सकती है तो फिर -ठीक से अलग रहना ही हम उचित समझे | हम दोनों भाई के बटबारे में सबसे बड़ी बाधा --भवन का मुख्य दरवाजा था --बिना दीवाल हुए हम दोनों अलग नहीं  हो सकते थे --क्योंकि मार्ग शंकरा था --आने- जाने का रास्ता मेरे हिस्से में था ,सीढ़ी अनुज के हिस्से  में थी | एक निर्णय से यह काम हो सकता था -माँ यह कह दे -दोनों भाई अपने -अपने हिस्से बराबर ले लों --इसके बदले -मामा ,दीदी ,जीजा सबने माँ को गलत सलाह दी --हिस्सा मत होने दो तुम कहीं की नहीं रहोगी --माँ ने यही किया ,जबकि सारा समाज कहता था दोनों को बराबर बाँट लेने दो | लड़ाई बहुत बढ़ गयी --अनुज ने हमारी पतनी को गाली -गलौज तो बहुत छोटी बात थी मेरे सामने बहुत अपमान किया --मेरा चुप रहने का एक कारण यह था --मैं शास्त्री था ,शिक्षाविद था ,पिता के बाद बड़े पुत्र को भी पिता का धर्म निभाना चाहिए --इसका परिणाम यह हुआ न तो पतनी का हो सका न ही अनुज का हो सका | मेरी पतनी का कुछ योगदान था --जो मैं दर्शाना चाहता हूँ --जब माता पिता ,अनुज ,अनुज वधु को जेल हुयी थी साथ ही मुकदमें 24 चल रहे थे तो --मेरी पतनी ने ही मुक्ति दिलाई थी --चाची के पैर पकड़कर | आज जिस भवन के शान से अनुज रह रहा है, माता पिता रहे --वो योगदान भी मेरी पतनी का ही था --बदले में --यह पुरस्कार अनुज ने दिया | कर्य में डूबा था परिवार  तो मंगलसूत्र बेचकर गरीबी से  पतनी ने ही मुक्त करायी थी --इसका ईनाम भी यही मिला | जब भवन बन रहा था तो सिर पर ईंट उठायी थी -मेरी पतनी ने ,जबकि -अनुज ने एक भी ईंट नहीं उठायी | हम दोनों भाई तो अलग थे ही किन्तु --अनुज वधु एवं उसकी पुत्री  को स्वर्ण के गहने परिवार में किसी ने नहीं दिए --मेरी पतनी ने ही दिए थे --इन तमाम कार्यों के  पुरस्कार अनुज  ने अपशब्दों से दिए  | --अब मेरे जीवन की आत्मकथा में जो सार है --जिससे आपको जीने की राह मिलती है या आपको इसी प्रकार से जीना चाहिए  क्रम से पढ़ते रहें --भवदीय ज्योतिषी झा मेरठ -जीवनी के सभी भागों को  पढ़ने के लिए लिंक का उपयोग करें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



शनिवार, 30 दिसंबर 2023

महिलाओं को लाभ तो गरीबों को खुशहाली मिलेगी =2016 पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था


 महिलाओं को लाभ तो गरीबों को खुशहाली मिलेगी =2016 पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ

नववर्ष=2016 यानि संवत =2073 का आगमन होने वाला है तो जिज्ञासा भी उठ रही होगी मन में तो जानिए नववर्ष यानि श्रीसम्वत् में ज्योतिष की दृष्टि में --"कन्यायां सुस्थिरा प्राच्यांघृतेमहर्घतामता ,मरिर्दक्षिण देशस्यात्तथा बंगेप्युद्रवाः,चतुष्पदसुखं प्राच्या मुदीच्यां राजविग्रहः ,मध्यदेशे प्रजाभंगः समर्घत्वं घृतेपुनः | | --अर्थात नववर्ष की शुरुआत कन्या लग्न से हो रही है जिसके प्रभाव से प्रारम्भ में स्थिरता देखने को मिलेगी । दक्षिण भारत एवं बंगाल में उपद्रव होंगें ,साथ ही प्राकृतिक प्रकोप से जनता को दुःख रहना होगा । मध्य भारत -भोपाल ,नागपुर ,हैदराबाद के समीप कहीं भी राजविग्रह से क्षति होगी । घी ,तेल ,अन्न आदि खाद्य पदार्थ के दाम बढ़ेंगें । नववर्ष में भारतीय तीन राज्यों में सत्ता परिवर्तन होगा । भारतीय उत्तरी भाग कश्मीर को लेकर भारी झगड़े -झमेले होंगें । सीमाओं पर युध की परिस्थिति आ सकती है । -वैसे -श्रीसंवत=2073 का प्रारम्भ 07 /04 /2016 शाम 4 /54 पर हो रहा है । लग्न का मालिक त्रिक स्थान में निर्बल है साथ ही बुध ही नववर्ष का मन्त्री भी है इसका मतलब है मन्त्रीजी की बात नहीं सुनी जाएगी । नववर्ष का राजा शुक्र है और वर्ष कुण्डली में भाग्य का और धन का स्वामी होकर सूर्य एवं चन्द्र के साथ केंद्र में विराजमान है इससे यह बात पक्की है कि पूरे साल राजतन्त्र पर शुक्र का अधिकार रहेगा ----शुक्र के कारण अत्यंत गरीब तबका ,अल्पसंख्यक ,तामसवृति वाले लोग एवं महिलाओं का रहनुमा रहेगा नववर्ष =2016 -ऐसे लोगों को हर संभव सहायता अवश्य मिलेगी । आगे श्री हरि कृपा ।- भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




शुक्रवार, 29 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -91 ज्योतिषी झा मेरठ


 मेरे प्रिय आत्मकथा के पाठकगण -अब हम क्रम से जिन -जिन बातों को बताना चाहता हूँ --वास्तव में इस एटीएम कथा का सार है या यह समझें निचोर है | अब तमाम बातों इस तरह समझें -जैसे कोई फ़िल्म बनाता है तो वो तमाम बातों का रसा स्वादन  धन के लिए करता है --वास्तविक रूप में हर व्यक्ति को अपने जीवन की बातों को समझने के लिए -अगर नायक  नायिका बनकर देखेगा --तो अनन्त विषमताओं का स्वाद चखना होगा --जिसमें केवल उलझनें होतीं हैं --अगर ईस्वर की नियति समझकर देखेंगें --तो चाहे  सुख हो या दुःख कोई फर्क नहीं पड़ेगा | --खासकर हमने तो यही अनुभव किया है --पहले मैं एक वैदिक था , फिर साहित्य विषय से शास्त्री की --फिर ज्योतिषी हुआ --अन्त में आध्यात्मिक हुआ | इसी प्रकार से भले ही मध्यम परिवार में जन्म हुआ -राजयोग था उत्तम खान -पीन के साथ उत्तम  शिक्षा अंग्रेजी में मिलनी शुरू हुई  पर --ग्रहों के खेल निराले होते हैं सो -केवल 10 वर्ष में राहु की दशा आयी | अति दरिद्र हो गया ,अंग्रेजी की शिक्षा से संस्कृत की शिक्षा में आ गया | भले ही दरिद्र हो गया किन्तु -राजा भले ही गरीब हो जाय स्वभाव से राजा ही थे --इसी कल खण्ड में शिक्षा ,विवाह ,संतान ,नौकरी मिलनी थी --किन्तु ग्रहों के प्रभाव के कारण कुछ सही मार्गदर्शन नहीं होने के कारण --इन तमाम क्षेत्रों में भटकाव रहा --पर फिर गुरु की दशा आयी तो स्वभाव से तो राजा थे ही धन से भी राजा हो गए | --ऐसी स्थिति  में लगा दोषी -माता पिता या परिजन थे --तो आग उगलनी हमने शुरू की --पर जब हम खुद पिता से नाना बनें -तो लगा ये ग्रहों के खेल थे --किसी भी बंजर भूमि को उपयोगी बनायीं सकती है --तो मानव तो उसकी अपेक्षा सरल और सुकोमल है --इसे ज्ञानी ,वैरागी ,संस्कारी  बनाया जा सकता है | हर व्यक्ति के जीवन में यह सुधारने का काम पहले माता पिता करते हैं --वो भले ही निरक्षर हों किन्तु --संतान को साक्षर बनाने के लिए अनन्त प्रयास करते हैं | यही काम गुरु करते हैं | ज्योतिष का पूरक कर्मकाण्ड है और कर्मकाण्ड का पूरक ज्योतिष --ज्योतिष का लाभ कर्मकाण्ड के द्वारा  लिया जाता है | कर्मकाण्ड का लाभ ज्योतिष के बिना असंभव है -| -आजकल ज्योतिष में भी  रूचि है और कर्मकाण्ड में भी --खूब कुण्डली दिखाते हैं ,खूब पूजा +पाठ करते हैं किन्तु एक दूसरे पर श्रद्धा नहीं है ,आपस में तोल +मोल करते हैं --यद्पि कोई ज्योतिषी भगवान नहीं होते ,यद्पि कोई वैदिक भगवान नहीं होते किन्तु --वास्तव ये भगवान से  कम भी नहीं होते --अगर यह विस्वास हो जाय तो अवश्य लाभ मिलेगा | अब मेरे जीवन की आत्मकथा में जो सार है --जिससे आपको जीने की राह मिलती है या आपको इसी प्रकार से जीना चाहिए  क्रम से पढ़ते रहें --भवदीय ज्योतिषी झा मेरठ -जीवनी के सभी भागों को  पढ़ने के लिए लिंक का उपयोग करें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

2012 -देश -विदेशों - में क्या- होगा - पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ


  १३अप्रैल २०१२ वैशाख कृष्ण अष्टमी शुक्रवार सायं ७बज्कर १९मिनत पर सूर्य भगवान् -अश्विनी नक्षत्र -मेष

राशि में प्रवेश करेंगें ||
{१}-अंतर्राष्ट्रीय जगत में नई तकनीक के माध्यम से होने वाले लाभ के मालिक सूर्य तथा चंद्रमा केन्द्रगत गुरु के साथ बैठे हैं | जो विज्ञानं के क्षेत्र में पर्याप्त उन्नति कर्वएंगें ||
{२}-भौतिक संसाधन उतरोत्तर बढ़ते जायेंगें | विश्व लग्न में -उच्च का शनि बैठा है,एवं लग्नेश शुक्र आठवे स्थान {मृत्यु }पर केतु के साथ हैं ,साथ ही विश्व कुंडली में गुरु ,सूर्य तथा शनि का प्रतियोग भी है | इस कुयोग के कारण-संवत -२०६९ में २२मार्च -२०१२ से १०अप्रैल २०१३ तक की समयावधि में बढ़ते ईसा -मूसा के विरोध में अत्यधिक मारक हथियार ,गोला- बारूद,बहुविनाशकारी बम आदि खूब बनाये जायेंगें | हथियार संग्रह सैन्य बल वृद्धि में कोई भी देश पीछे नहीं रहेगा |दूसरों को शांति का पाथ पढ़ाएंगे -स्वयं अपनी अपनी ही राह पर चलेंगें |{३}-विश्व की सोच अपने -अपने बचाब पर रहेगी | अमेरिका -आदि समृद्ध देश छोटे देशों पर अपना दबाब बनाने का पर्यास करेंगें | आतंकवाद से भयभीत भी रहेंगें |
संसार की घटना के लिए शास्त्रों का मत =
तुला लग्ने मध्य देशे,छत्र भंगश्च विग्रहः |
धान्यस्य विक्रयः प्राच्यां छत्र भंग्मुपद्रवः ||--के अनुसार पश्चिम के देश पाकिस्तान आदि में भारी विग्रह होगा |खाड़ी के देशों में युद्ध की त्रासदी झेलनी पड़ सकती है | पाकिस्तान के प्रति सहानुभूति के रुख में बदलाव हुआ तो टकराव का रास्ता साफ हो जायेगा |शनि का वेध पृथ्वी के किसी भाग को तहस -नहस कर सकता है ||
--सूर्यपुत्रो तुलायाति,ह्य्ग्नुपद्र्वमादिशेत |
सप्त धान्य महर्घनी मेदिनी नष्ट कारिका ||
संवत २०६९ में तेजी का चक्र चलेगा | यदि मंदी की शुरुआत हो गयी तो थमने का नाम नहीं लेगी | किसी देश की मुद्रा फेल हो सकती है |
भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


बुधवार, 27 दिसंबर 2023

"विस्वावसु" संवत २०६९{२०१२}का संसार के ऊपर प्रभाव - पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ


 "विस्वावसु" संवत २०६९{२०१२}का संसार के ऊपर प्रभाव - पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ

श्रीसंवत २०६९ का शुभारम्भ २२ मार्च २०१२ गुरूवार रात्रि ८.०६ बजे पर उदित कन्या लग्न से हो रहा है | साथ ही कुंडली में भाग्येश धनेश शुक्र आठवे स्थान में विरोधी ग्रह के साथ बैठा है | वर्ष का आरम्भ लग्न पापकर्तरी योग में नेष्ट है |जिस वर्ष की लग्न पापकर्तरी योग में होती है ,उस वर्ष दैहिक ,दैविक एवं भौतिक संताप विशेष होते है | झगडे -झमेले खूब होते हैं | वर्ष का सञ्चालन शुक्र के हाथ में होगा ,जो स्वभावतः -मलेछ प्रवृत्ति एवं स्त्री करक ग्रह है | अतः -स्त्रियों के साथ -साथ नपुंशक ,अल्पसंख्यक ,निम्न्स्रेनी ,नीच प्रकृति के लोगों का वर्चस्व बढेगा |सरकार की सोच भी अयोग्यता की तरफ वोट बैंक की खातिर सिमटती जाएगी |
---अपूज्या यत्र पूज्यन्ते ,पूज्यानाम च व्यतिक्रमः |
त्रोन त्रीनी भविष्यन्ति ,दुर्भिक्षं मरणं भयम ||
-जब अपूज्य लोगों की पूजा होने लगे ,एवं पूज्य लोग अपूज्य हो जाय तो -विनाश के योग बनने लगते हैं |
वर्ष प्रवेश कुंडली में विरोधी ग्रह गुरु शुक्र अष्टम भाव में { गृहयुद्ध लड़ाई -झगडे वाले स्थान पर बैठे हैं } हैं ,इससे स्पष्ट है कि देश में राजा -प्रजाजनों में तथा सम्प्रदायक दंगे -फसाद खूब होंगें | धर्मांध मठाधीश लोलुप्चारि नेता भोली भली जनता को लड्वाएंगें-- गुरु शुक्रो यदैकस्थो नर युध्हम तदा भवेत् |
अकाले वा भवेद वृष्टिरजगत्यां नात्र संशयः ||
भाव -कहीं अकाल पड़ेगा ,कहीं भारी वर्षा होगी ,बर्फबारी होगी ,कहीं सूखा पड़ेगी तो कहीं आंधी -तूफान जानलेवा सीधी होंगें |--पूवी उत्तर प्रदेश ,गुजरात ,झारखण्ड ,छतीसगढ़ ,पंजाब ,जम्मू -कश्मीर तथा हिमाचल में सर्वाधिक उत्पात मचेंगें | सुश्री मायावती तथा मोदीजी की सरकार के लिए समय कुछ अनुकूल नहीं रहेंगें |इस वर्ष चार महानगर ,चार प्रसिद्द देवस्थान ,चार बड़े होटल -ग्रहवेध के कारण त्रस्त होंगें |-- भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -90 ज्योतिषी झा मेरठ


 प्रिय पाठक जनों -मेरे एक यजमान मेरठ के ही रहने वाले हैं ,जिनसे मेरा सम्पर्क मोबाइल की वजह से हुआ | यह यजमान ब्राहण परिवार से हैं | साधारण किराये की  दुकान से अपनी दुकान तक आये | दिनों दिन धन की दुनिया में बहुत आगे बढ़ते गए | धन तो मिल गया किन्तु शराबी हो गए | कहावत है पानी कुछ देर के लिए बर्फ बन सकता है किन्तु  फिर  पानी का ही रूप धारण कर लेती है बर्फ क्योंकि मूल रूप पानी था | अनायास  मेरा इनसे संपर्क पूजा के लिए हुआ --फिर क्या था -पूजा होते ही शराब तो छूट गयी साथ ही परम सात्विक भी हो गए किन्तु सब कुछ खो  दिया | --पूजा शुरू होते ही घर में अनन्त दरारें थीं जो शराब के नशे के कारण अहसास नहीं थी | जन्म लेते ही माँ छोड़कर चल बसी थी ,दूसरी माँ आयी -उनकी दो कन्या थी --पहली माँ से दो भाई थे --गरीबी की अन्तिम छोड़ से जीवन की शुरुआत हुई थी --इसलिए शिक्षा अधूरी रही तो सत्संग भी उत्तम नहीं रहा | जीवन में सही मार्गदर्शन नहीं मिला --किन्तु धर्म की अपनी परिभाषा होती है ---विवाह हुआ ,संतानें हुई ,धन वैभव सभी हुए -पर आत्मीयता नहीं हुई ,दुकान ,मकान ,धन पर सभी राज किये --शराबी बने रहे यही सभी परिजनों के प्रयास रहते थे --जब मुझसे सम्पर्क यज्ञ के लिए हुआ तो यह तमाम बातें मुझे नहीं पत्ता थी | किसी तरह छुपके से पहला यज्ञ हुआ --2013 में --इस यज्ञ के प्रभाव से परत दर परत खुलने लगी -अब यह यजमान परम  सात्विक हो चुके थे --तब उन्हें ज्ञात होने लगा सच क्या है -जब यह ज्ञात होने लगा --तो सभी लुटेरे समझ में आने लगे | मुझे यह अनुभव हुआ --जब यह शराबी थे तो सभी के प्यारे थे ,नशा हटते ही सबके शत्रु बन गए --किसी तरह हमने कोशिश की दुकान जो अपनी मेहनत से ली थी वो इनके नाम हो जाय -हो गयी ,मकान जो इन्हौनें बनाया था वो इनके नाम हो जाय -वो भी हो गया | एक बहिन का विवाह नहीं हुआ था -उसका उत्तम घर में विवाह हो जाय हो गया --अब हम चाहते थे -जो धन है वो भविष्य के लिए सुरक्षित रहे --किन्तु --होनी हो के रहती है | मेरे प्रति यजमान का अति विस्वास बढ़ता गया --हमने भी धर्म को साक्षी मानकर कोशिश करते रहे किन्तु --एक भूचाल आया -- सभी शत्रु बन गए --दुकान में जितने भी सेवक थे सभी लूटते थे ,घर में सभी परम शत्रु थे -जब यजमान सजग हुए और तमाम बातों का भान हुआ -इस बात का ऐसा असर हुआ --कि आत्महत्या करने की सोचने लगे ,विक्षिप्त सा रहने लगे --छे महीने के अन्दर दुकान तो बची रही पचास  लाख के माल समाप्त हो गए --दुकान की देन- दारी लाखों की हो गयी | सभी परिजन महाशत्रु हो गए --मकान- दुकान तो बच गए पर --धन शून्य हो गया --अब विरक्त भाव से रहने लगे --यह यजमान सभी बातों को सह सकते थे --किन्तु गृहणी उत्तम नहीं थी इसलिए यह स्थिति आयी | जीवन में मुझे लगा है या अनुभव हुआ है --गृहणी सजग हो तो व्यक्ति गिर कर भी उठ जाता है --अन्यथा वो कभी भी मजबूत नहीं हो सकता है --हमने कई यज्ञ किये --उन्हें इंसान भी बनाया ,धार्मिक बनाया किन्तु भाग्य को नहीं बदल सके | यह इसलिए क्योंकि मेरे भाग्य के क्षेत्र में नीच का शनिदेव हैं अतः धन नीचता से ही प्राप्त हो सकता है ,नीच कर्म करने वाले ही वास्तव में धन मुझे दे सकते हैं --सात्विक व्यक्ति से मुझे भाग्योदय नहीं हो सकता है | -भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



2012 -की प्रमुख घटित होने वाली "घटनाएँ"? पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ


 2012 -की प्रमुख घटित होने वाली "घटनाएँ"? पढ़ें - कभी यह आलेख लिखा था -ज्योतिषी झा मेरठ

राजा एवं मंत्री स्वयं शुक्र हैं २०१२ के |-जो झगडे -झमेले खूब दिखाएंगें | कहीं सत्ता का परिवर्तन होगा तो कहीं आरक्षण के कारण क्लेश होंगें | भ्रष्टाचार की बढ़ोत्तरी होगी | भारत ,पाकिस्तान ,अफगानिस्तान आदि एशिया के देशों में युद्ध के संकेत बनेंगें किन्तु शांति की जीत होगी | आतंकवादी अधिक ही पड़ेशान करेगी | अमेरिका आदि देश छोटे देशों पर दबाब बनाने का विशेष कोशिश करेंगें ||
{१}-पश्चिमी देशों में हिंसा होगी ,जो थमने का नाम नहीं लेगी |स्वदेश में राजतन्त्र की कमजोड़ी के कारण -चोरी डकैती ,लूटपाट ,आगजनी ,बालहत्या ,विदूषी महिलाओं का अपमान , तोड़ -फोड़ ,हड़ताल ,तालाबंदी ,श्रमिक आक्रोश,हिंसक उपद्रव के कारण देश में भयभीत की स्थिति रहेगी ||
{2}-कश्मीर समस्या यथावत रहेगी | चीन से खटपट हो सकती है | बदलते राजतन्त्र का वर्चस्व कायम नहीं हो पयेगा | जनतंत्र पर भ्रष्टतंत्र हावी होता जायेगा | इस वर्ष आरक्षण तथा भ्रष्टतंत्र का मुद्दा केंद्र में रहेगा | भारत के दो प्रदेशों में अलग राज्य बनाने की आवाजें बहुत उठेंगी |
{३}-प्राकृतिक प्रकोप होगा | अतिवृष्टि -अनावृष्टि होगी | आंधी -तूफान आयेंगें | भूकंप -भूस्खलन होंगें | अग्निदाह ,ज्वालामुखीविस्फोट तो कहीं सुनामी लहरों के कारण जन - धन की हानी होंगीं | २०१२ में असाध्य बीमारी फैल सकती है ||
{४}=अंतर्राष्ट्रीय जगत में तेजी -मंदी का संतुलन बिगड़ सकता है |उपयोगी वस्तुएं ,तेल -पानी के आभाव में चारो तरफ हो -हल्ला मचेगा | युध्ह के संकेत मिलने लगेंगें | पश्चीमोत्तर सीमाओं पर चौकसी विशेष बरतनी चाहिए |-- {५}=कलियुगी करतूत ,छल -कपट,दंभ ,पाखंड ,.सूरा -सुन्दरी ,घोटालेबाजी तथा सत्तारूढ़ दल उठा पटक के चलते किंचित बदलाव नेताओं की होगी ||
भवदीय ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

रविवार, 24 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -89 ज्योतिषी झा मेरठ


 प्रिय पाठक गण --मेरे जीवन में आठो रसों का भरपूर आनन्द मिला है -हमने आत्मकथा को पुस्तक का प्रारूप इसलिए कहा था क्योंकि काव्य की रचना में नायक के जीवन में आठों रसों का प्रयोग हुआ हो ,साथ ही प्रेरणादायी बातें हों --जिससे जन हित तो हो ही साथ ही यह कथा अमरता की कसौटी पर भी उतरे --इन तमाम बातों पर विवेचना की है | आत्मकथा कब ,कैसे और कहाँ समाप्त होगी -इस बात का  अभी ठीक से मुझे अनुभव नहीं है --किन्तु विस्वास है --प्रेरणादायी बातों की भरमार रहेगी | --अस्तु --शनिदेव को न्यायाधीश कहा गया है --शनिदेव से सभी डरते हैं क्योंकि -व्यक्ति का लेखा -जोखा इनके पास ही होता है -तो व्यक्ति डरता है --कभी -कभी व्यक्ति के जीवन की शुरुआत ही शनि दशा से होती है तो कभी -कभी मध्यम जीवन में शनि की दशा आती है किन्तु ज्यादातर व्यक्ति के जीवन के अन्तिम भाग में यह शनि दशा शुरू होती है | -व्यक्ति जानबूझकर या अनजाने में अनन्त अपराध करता है -जब निर्णय की घडी आती है तब कुछ शेष नहीं बचता है --मेरी यही कोशिश इस कथा के माध्यम से है --आप संभलो  नहीं तो जन्म -जन्मान्तर तक ऐसे ही भटकते रहोगे --धन भी होगा ,तन भी होगा --सबकुछ होगा किन्तु जिसके लिए आगमन हुआ है वो नहीं होगा | मैं खानदानी ज्योतिषी नहीं हूँ न ही अल्पज्ञानी हूँ --किन्तु मेरा अनुभव और गुरुजनों की कृपा ही मेरी प्रेरणा की श्रोत रही है --कभी किताबें तो थी जिह्वा पर मन नहीं था, श्रद्धा नहीं थी -अगर यह ज्ञान बाल्यकाल में ही होता तो वैरागी हो जाते | --मेरे जीवन का अन्तिम भाग चल रहा है --2014 से 2033 तक यह भाग रहेगा --इसी बीच कभी न कभी अन्तिम लेने को मिलेगी | मेरी कुण्डली में भाग्य के क्षेत्र में शनिदेव हैं किन्तु नीच होकर --इनका कितना प्रभाव मेरे ऊपर रहा है वह कथा क्रम से सुना रहा हूँ --आपने कुछ कथा पूर्व के आलेखों  में सुनी --आज एक कथा और सुनाता हूँ --मुझे बहुत जिज्ञासा रहती थी उत्तम यजमान मिले किन्तु --नीच का शनि होने की वजह से मेरे तमाम दाता जिन्हौनें बहुत कुछ दिया --स्वभाव से ,कर्म से  नीच के रहे --जिसे शास्त्रों ने निषेद कर रखा है --ऐसा हो तो -धन नहीं लेना चाहिए -पानी नहीं पीना चाहिए --किन्तु मेरे जीवन में ऐसे लोगों की ही भरमार रही है --ऐसे लोगों से धन तो मिला किन्तु मेरी आत्मा कभी प्रसन्न नहीं हुई --चाहे ज्योतिष का क्षेत्र हो या कर्मकाण्ड का | अंत में सभी चीजों का परित्याग करना ही उत्तम समझ में आया | जैसा आप सभी जानते हैं --ब्राहण का एक स्वभाव होता है -क्रोधी इतना कि तत्काल नष्ट कर दे ,दयालु इतना कि तुरन्त राजा बना दे --मेरे साथ जीवन भर यही होता रहा --कठोर व्यक्ति मुझे सहन नहीं हुए ,मुलायम व्यक्ति आसमान को छू लिए | हमारे जीवन में महिलाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा --कई व्यक्ति धनाढ्य हुए तो पतनी की वजह से -जिनकी नम्रता ,स्नेह ,दया ,प्रेम ये सभी गुण --मेरे क्रोध पर विजय प्राप्त कर लेते थे | जिनकी पतनी -दयालु नहीं थी --ऐसे व्यक्ति आगे नहीं बढ़ पाए | भारत भूमि पर सदियों से चाहे राजा हों या साहूकार --सबकी जीत में पत्नियों का बहुत बड़ा योगदान रहा है | वही राजा या साहूकार परास्त हुए --जिन पर भार्या का सहयोग नहीं रहा | मेरे जीवन में कईबार धर्म संकट आया --ये धन लें कि न लें ,यह कार्य करें कि न करें --किन्तु जब कोई भारतीय नारी विनम्रता से ब्राह्मणों से निवेदन करती हैं --तो मुझे नहीं लगता कठोर से कठोर भूदेव भी उनकी अवहेलना  करते होंगें | इस कारण से कई कुपात्र भी राजा बन गए | जिनकी भार्या कठोर थी उन्हौनें बहुत कुछ प्राप्त करने के बाद भी खो दिया | ----भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


गुरुवार, 21 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -88 ज्योतिषी झा मेरठ


 हमारे प्रिय पाठकगण - 2017  में -मेरा कल आज और कल लिखने की कोशिश की थी --तब केवल आक्रोश था ,उद्वेग था ,मन पर नियंत्रण नहीं था --अनन्त माता पिता ,परिजनों से शिकायत थी,तब हमने 33 भाग लिखे थे  | 2018 --में पिता के देहावसान के बाद मेरा भाव बदला तो अपनी जीवनी रूपी मात्र एक अस्त्र था जो व्यक्तिगत मेरा था --उससे हम आप सभी का दिल जीतना चाहते थे | --इसमें उन तमाम बातों को हूबहू लिखने का प्रयास किया -जो केवल सच पर आधारित थे --33 भाग से 55 भाग तक | अब 2023 में मुझे लगा --जीवनी व्यक्गित सबकी होती है ,बहुत लिखकर समझाने का प्रयास करते हैं तो कुछ दिल में ही रखकर जीते रहते हैं या चले जाते हैं | --वस्तुतः --मानव से बड़ा ढीठ प्राणी कोई हो ही नहीं सकता है -वो लोभ ,अर्थ ,काम ,मद और मोह से बच ही नहीं सकता है --इसलिए प्रत्येक व्यक्ति अनन्त प्रकार की अपनी -अपनी भूमिका बनाता है ---उससे व्यक्तिगत मैं भी बाहर नहीं आ सका -भले ही मैं ये कहूं ये अच्छा था वो बुरा था --सच तो यह है --प्रत्येक व्यक्ति की जो चार अवस्था होती है --समयानुसार हर व्यक्ति में बदलाव आता रहता है --कभी व्यक्ति समाज से सीखता है ,कभी प्रकृति से सीखता है ,कभी व्यक्ति क्षेत्रों से सीखता है --तो कभी व्यक्ति पूर्वजों से सीखता है | मैं भी बालक था तो कुछ और अनुभव था ,युवा हुआ तो कुछ और अनुभव हुआ ,प्रौढ़ हुआ तो कुछ और तजुर्बा हुआ --जब हम -2020 में 50 वर्ष के हुए --उसके बाद स्वतः ही बहुत बदलाव आया --जो हमने पूर्वजों से सीखा और हमें लगा --अब जानें की तैयारी करनी चाहिए -उसके लिए वैसे ही तैयार होना चाहिए --जैसे मानव बनकर आये थे अनन्त आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए छल -प्रपंच न जाने ब्राह्मण  होकर ,एक शास्त्री होकर --जिनसे समाज कुछ सीखता है -बहुत सारे तर्क और कुतर्कों के सहारे अपने आप को सही दिखाने का प्रयास किया | वास्तव में --मानव देह मोक्ष की प्राप्ति के लिए मिली है किन्तु --जीवन में व्यक्ति इस बात को जानते हुए भी इतना लाचार हो जाता है --चाह कर भी बच नहीं सकता है --यह बात --बाल्यकाल ,युवावस्था में समझ में नहीं आती है --जब आती है तब वो इस योग्य नहीं रहता है | मुझे लगता है -हमने जो बातें लिखी हैं या कहीं हैं या जो कहने का अभिप्राय है --वो हर व्यक्ति के काम आ सकती है -हो सकता है --अवस्था के कारण इस कथा को कोई सुख -दुःख समझे ,कोई अपनी तरह की कथा समझे ,कोई राग द्वेष की बात समझे -अनन्त प्रकार के लोग होते हैं --सभी अपना -अपना तर्क लगाते होंगें --किन्तु वास्तविकता यह है -ज्योतिषी  हूँ- तो मुझे लगा है --जीवन में ग्रहों के खेल निराले हैं -जिनका प्रभाव जन -जन पर पड़ता है | वास्तव में किसी का कोई शत्रु नहीं है --इसे आप ऐसे समझें --जैसे नाटक में सभी पात्र एक साथ रहते हैं --किन्तु रंग मंच पर आकर सभी अपनी -अपनी भूमिका निभाने लगते हैं --फिर मण्डली में सभी एक जैसा हो जाते हैं --तब न कोई रावण होता है न राम ,न सीता होती है --बस सभी नाटक मण्डली के कलाकार होते हैं --यही बातों को दर्शाने का प्रयास कर रहा हूँ | --अब मैं  उन्हीं  बातों को  समझाने का प्रयास करूँगा --जो आपको करना चाहिए --भवदीय निवेदक ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


बुधवार, 20 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -87 ज्योतिषी झा मेरठ


 मेरे प्रिय पाठकगण --अब एक दूसरी कहानी जीवनी की सुनना चाहता हूँ  | चूकि  शनि की दशा  है मेरे ऊपर चल रही है | शनि भाग्य क्षेत्र में  नीच का होकर विराजमान है - शत्रुता ,रोग और सगे -सम्बन्धियों के साथ -साथ आय के  क्षेत्र में विशेष प्रभाव पड़ना है --तथा दाम्पत्य क्षेत्र का भी स्वामी है | सभी बातों पर क्रम से  प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा ---अस्तु --मेरे  एक यजमान मेरठ के  ही हैं --मेरा उनसे सम्पर्क -2001 से ही हैं ,किन्तु  धन की जिज्ञासा थी तो हमने कुछ यज्ञ करने की सलाह दी | यजमान बहुत अच्छे -स्वभाव से  भी और सिद्धान्तों से भी | ऐसा कोई यज्ञ नहीं था धन प्राप्ति का जो उन्होनें न कराया हो --सभी यज्ञों के लाभ मिल रहे थे | दिनों दिन धन से प्रगति हो रही थी | हमें भी पूर्ण दक्षिणा मिल रही थी | उनके पास दो -दो कार हो गयी ,वातानुकूलित रहन -सहन हो गया | सुखद जीवन था --किन्तु --2012 में पुत्री का विवाह था --हमने कुछ धन की याचना की --तो श्रीमती बोली --महराज 2100 लें स्थिति ठीक नहीं है --अन्यथा बहुत धन देती | --हमने मान भी लिया --हमारी पुत्री का  विवाह पूर्ण हुआ  बिहार मातृभूमि पर -- जब हम मेरठ आये --तो उनकी पुनः पूजा शुरू हुई --पूजा होते समय ही --उन्हौनें सपने देखे --समुद्र सूख गया है --केवल रेत -ही रेत दिखाई दे रहा है |  इसका भावार्थ था --पुनर्मूषको भव --यज्ञ किसी तरह पूर्ण हुआ | --एक दिन यजमान खुद बोले --महराज -मेरे पास करोड़ बाईस लाख थे जो एकहि बार में चला गया --पर आप यकीन नहीं करोगे --क्यों ? क्योंकि --आपकी पुत्री के विवाह  हमने कहा था --धन है ही नहीं हमारे पास | जबकि मेरा अनुमान था -इनके पास साठ से सत्तर लाख होंगें  | --उसके बाद कभी यज्ञ नहीं हुए ---दोस्तों --हमने यह देखा --मेरे आय के  क्षेत्र में शनि की त्रिपाद दृष्टि थी --अतः --उस नीच कर्म करने वाले व्यक्ति से मरने के बाद  भी लाख रूपये मिले किन्तु --यह सात्विक यजमान थे --इनसे कुछ नहीं मिला --- क्यों कि नीच का शनि भाग्य क्षेत्र में है | --आगे अभी उन तमाम बातों पर प्रकाश डालने की कोशिश करूँगा --जो ग्रहों  प्रभाव क्या  पड़ते हैं -


---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -86 ज्योतिषी झा मेरठ


 प्रिय पाठकगण -कभी -कभी पण्डितजी लोगों के दुःखों को देखते हुए खुद बीमार हो जाते हैं कैसे - सुनें --मेरा सम्बन्ध उस व्यक्ति के साथ यजमान -पुरोहित का तो था ही अपनापन का भी हो गया था | उनकी चार बेटियां थीं ,तीन बेटे थे ,सात भाई थे --सभी लोगों में यही वो व्यक्ति था --जो धार्मिक भी था और अधर्म की चरम सीमा का दलाल था | इस बात का ज्ञान मुझे बहुत बाद में हुआ --अन्यथा हम धन की वजह से दोस्ती नहीं करते या धन के लिए यज्ञ नहीं करते --यही करना होता तो हम बहुत धनवान होते --आज के समय में मुझे लगता है --धनवान उसे कहना चाहिए --जो स्वभाव का धनवान हो --वरना देखने में तो सभी धनवान ही लगते हैं | --अस्तु --उनकी एक पुत्री मुम्बई में बड़ी हस्ती वाली और सुन्दर थी | मैं बहुत छोटी सी उम्र 14 वर्ष में प्रेम पत्र लिख चूका था जिसकी वजह से आश्रम से निकाला गया था --उसके बाद मेरे जीवन में  महिला के प्रति आकर्ष समाप्त हो चूका था | परन्तु --मेरी कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी शनि है जो नीच होकर भाग्य के  क्षेत्र में है साथ ही लग्न में मंगल ,सूर्य ,केतु की युति है एवं सप्तम भाव में राहु विराजमान है --इसका भावार्थ है --नीच व्यक्ति से विवाहित सम्बन्ध होना साथ ही टूट जाना --पर मुझे कई बार इस योग पर शंका रहती थी --मेरा विवाह भी हो गया ,दो कन्या भी हो गयी ,पुत्र भी हो चूका था ,मुम्बई जैसे शहर से भी आ चूका था | अपनी जिम्मेदारी के पथ पर चल रहा था ,उत्तम गुरु की दशा चल रही थी ,परम धार्मिक था --पर --भारत भूमि पर बहुत सारे सूत्र चाहे अनपढ़ हों या शिक्षित --तर्क देते रहते हैं --वृथा न होहि देव  रिषि वाणी --अर्थात ऋषियों की वाणी असत्य नहीं हो सकती है --अतः कुण्डली में योग हो और प्रभावित न करें ऐसा हो ही नहीं सकता --मैं 37  वर्ष का था --तब यह लड़की मुझे भा गई --हुआ यह उसे धनाढ्य बनना था तो हमने यज्ञ के लिए कहा --वो तैयार भी हो गयी --मेरा मन धर्म में कम उसमें ज्यादा लगने लगा --किन्तु ईस्वर की ऐसी कृपा हुई --यज्ञ करते समय  मेरे मन में शुद्धता के प्रति कुभाव आने लगा --इसकी वजह से मेरे मन में यह विचार आया -इसके पास धन है और सुन्दर भी है --यह मेरे पास प्रेम के लिए नहीं  यज्ञ के लिए आयी है --धन तो यह दुनिया से कमाती है --और किसी की इसलिए हो नहीं सकी है --अतः एक छोटी सी भूल मुझे पतन की ओर ले जा सकती है | इसे ईस्वर की कृपा कहें  या ग्रहों के खेल --क्योंकि गुरु की दशा चल रही थी --अतः धर्म का स्तर  मजबूत  होना था --उस यज्ञ के बाद वो मेरी शिष्या बन गयी --उसके बाद  मुझे उसमें पुत्री का ही रूप दिखाई देने लगा | मेरा कहने का अभिप्राय है --जैसा खाओगे अन्न वैसा होगा मन --यह उक्ति बिल्कुल सही है | मेरे पास हर तरह के लोग आते रहे हैं -- मेरी गरिमा धर्म की रक्षा करना है --यह सोच मुझे महान बनाती है अन्यथा --पग -पग पर कोई भी क्षेत्र हो भटकाव विशेष होता --इसकी वजह से हम सुधारने की जगह खुद गड़बड़ हो जाते हैं | जिस दिन उसे शिष्या बना लिया उसके बाद हम कर्मकाण्ड में उन्हीं यज्ञों  को किया जो एक शास्त्री को करने चाहिए  | अतः इसके बाद ज्योतिष का मार्ग ही ठीक लगा -- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



रविवार, 17 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -85 ज्योतिषी झा मेरठ


 मेरे प्रिय पाठकगण --उस व्यक्ति के साथ  मेरा सम्बन्ध इस लोक में  तो 2011 तक था किन्तु --आत्मा का सम्बन्ध अजर -अमर है | हम बहुत सारे लोगों से 1983 से ही जुड़ें रहे हैं --पहला यज्ञ दुर्गासप्तशती का बिहार के अवाम -पोखरभिंडा -जिला दरभंगा में किया था -तब मेरी उम्र 13 वर्ष थी | ठीक से सप्तशती का पाठ भी नहीं कर सकते थे --किन्तु भारत भूमि पर एक विशेषता है --समाज के हर वर्ग ब्राह्मण देव को बड़े ही सम्मान विचार से देखते हैं | परन्तु  कुछ कमी भी है --जब से लोगों को आधुनिक ज्ञान हुआ है तो तर्क और कुतर्क बढ़ गए हैं --इस कारण से यजमान में भटकाव विशेष रहता है ,तोल - मोल विशेष करते हैं -| -मुझे अपने जीवन में सम्मान बहुत मिला --पर जिस योग्य थे या प्रत्येक यजमान के जो कर्तव्य होते हैं --उससे वो विमुख होते जा रहे हैं --अतः एक अहित कार्य करने वाला व्यक्ति पौत्र  होने पर स्वर्ण की चेन निःस्वार्थ दे सकता है ,बेटी की शादी में लाख रूपये दे सकता है --इतना ही नहीं जो खुद बहू -बेटियों की कमाई खा सकता है --वो व्यक्ति हमारी बेटियों को देवी की तरह देखे ,सम्मान करें साथ ही धनवान होते हुए भी --धन दिया तो नतमस्तक होकर ,कभी नहीं कहा पानी पीना पड़ेगा मेरे हाथों से --कभी नहीं कहा चाय पीनी पड़ेगी मेरे घर में --अगर कहा तो --तो महराज ये धन लें -राशन लाएं अपने घर में उत्तम भोजन बनायें --हो सके तो थोड़ा प्रसाद हमें भी दें --ये शब्द मानों मुझे गौरव से भर देते थे | हमने तन ,मन से उनके लिए यज्ञ किये --जिसका परिणाम वह व्यक्ति धनाढ्य की सीमा से बहुत आगे चलता गया | हम दोनों के बीच इतनी श्रद्धा और विस्वास था --अपना दुःख उसे मैं सुनाता था --अपना दुःख  वह व्यक्ति मुझे सुनाता था --साथ ही भरसक हम दोनों प्रयास करते थे --दुःखों का निवारण किस विधि से हो --जहाँ धन की जरुरत होती थी ,जहां मन की जरुरत होती थी ,जहाँ तन की जरुरत होती थी --मेरे लिए वह व्यक्ति सपरिवार तैयार रहता था ---इसके लिए हमने उसके विस्वास को कभी नहीं तोडा --उस व्यक्ति ने हमारे विस्वास को नहीं तोडा | --मेरे जीवन के इतिहास में -बिहार हो ,यूपी हो ,मुम्बई हो या और भी बहुत भारत के शहर --लोगों ने केवल तोल - मोल किया है  | निःस्वार्थ ज्योतिष सेवा देने की तमन्ना थी --2010 से 2019 तक एक लाख पचीस हजार लोगों -को सेवा निःशुल्क दी ,  बदले में सहानुभूति भी नहीं मिली | कई लोगों के हित  के लिए यज्ञ किये - कई लोग गरीब से अमीर हुए ,कई लोगों के आयु -आरोग्य के लिए जाप किये ,कई लोगों के लिए -पुत्र -पुत्री ,पौत्र  के लिए कुण्डली देखी ,राह बतायी --पर --उन्होनों वो दिए जो हमने मांगा --निःस्वार्थ कुछ नहीं मिला ,जब चूल में फँस गए तब या तो दान किये या यज्ञ किये | --एक कहावत है --यथा राजा तथा प्रजा --जब मुझे लगा वैसे कुछ नहीं मिलेगा --तो हमने भी अपनी रूप रेखा बदली --आज शुल्क महंगा भी है लोग देते भी हैं --पर एक चीज की कमी महसूस होती है --धन देने वाले देते हैं और हम धन लेते भी हैं किन्तु --यजमान पुरोहित का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध नहीं है | -- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


शनिवार, 16 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -84 ज्योतिषी झा मेरठ


 मेरे प्रिय पाठकगण -उस यजमान   के कई पण्डितजी से सम्बन्ध थे ,चाहे मेरठ हो ,धौलपुर हो या फिर मुम्बई | किन्तु सबसे कठिन जो कार्य होते थे वो कार्य मुझसे ही कराता था --तमाम कार्य  सफल होते थे | किसी भी यज्ञ का पूर्ण लाभ लेने के लिए --तन ,मन और धन के साथ -साथ सही आचार्य हों तो निश्चित ही सफलता मिलती है | हम दोनों के बीच - चार शतचण्डी हुई --यह व्यक्ति पृर्णरूपेण -तन ,मन और धन से धनाढ्य था | इस व्यक्ति का मेरे जीवन में बहुत योगदान रहा --पौत्र होने पर बिन मांगे सोने की चेन दी --यह उपहार मेरे दिल को जीत  लिया | मुझे तो शादी में भी चेन नहीं मिली थी --क्योंकि दरिद्री सीमा से भी मेरी हस्ती बहुत दूर थी | मेरठ में भवन लिया --इनका बहुत बड़ा योगदान था ,यहाँ तक कि  मेरी बड़ी बेटी की शादी 2012 में हुई उससे पूर्व यह व्यक्ति दिवंगत हो गए किन्तु जाने से पूर्व --इन्होनें कहा --पंडित जी पुत्री का विवाह ठीक जगह करना --जो धन चाहिए --मदद करूँगा | संयोग से 2011 में दिवंगत हो गए --जब 2012 में पुत्री का विवाह हुआ --तो इनके बालक बिना कहे एक लाख रूपये दिए |  हम इस व्यक्ति को पिता की उपाधि इसलिए देते हैं --क्योंकि हमारी देखभाल ,हमारे बच्चों की देखभाल साथ ही हमारा रहन -सहन इनकी वजह से उत्तम हुआ ,हम गरीबी की सीमा से ऊपर इनकी वजह से आये | मेरी कुण्डली में नीच का शनि भाग्य क्षेत्र में है --अतः ऐसे व्यक्ति से मेरा भाग्योदय हुआ | मेरी कुण्डली में गुरु की भाग्य पर पूर्ण  दृष्टि है अतः हमने भी धर्म को निभाया -हमने प्रयास किया यह व्यक्ति अब न अधम कार्य करें न ही इनके परिवार के लोग करे किन्तु --इस प्रक्रिया की शुरुआत शुरू हुई थी तो ये दिवंगत हो गए | इनके योगदान के आगे --मेरा योगदान अधूरा रहा | इनके द्वारा जो धन मिला उसका उपयोग हमने पेट के लिए न करके -पुत्री के विवाह में किया | धन आने के बाद भी हम -धर्म सम्मत चलने का प्रयास नहीं किये | इनके जीते जी --हम नेट की दुनिया में आ चुके थे --आज जो नेट का लाभ मुझे मिल रहा है --वो कार्य हमने 2009 में ही शुरू किये थे --किन्तु परिजन हों या पड़ौसी या फिर- दोस्त लोग --ये सभी मुझे वही समझते हैं कि इसका यजमान दलाल है | जब भी भाई -भाई का युद्ध होता है --तो खूबी नहीं दिखती है --अक्सर कहता है --तुम दलाल की कमाई खाते  हो | दोस्तों --पण्डितजी के पास समाज के  हर वर्ग के लोग आते हैं --आने भी चाहिए --परन्तु पण्डितजी को यह बात सदा यद् रखनी चाहिए --मेरे पास आने वाला व्यक्ति -अपने कार्यों के समाधान हेतु आया है अतः अपनी मर्यादा का सदा  ध्यान रखें --अन्यथा --दूसरे को ठीक करते -करते खुद न बीमार हो सकते हैं | आज सामाजिकता इसलिए खत्म हो रही है --उपदेश तो देते हैं खुद पालन  नहीं करते है ----- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -83 ज्योतिषी झा मेरठ


प्रिय पाठकगण -उस यजमान के साथ मेरा सम्बन्ध 2011 तक रहा | इनकी वजह से धौलपुर ,दुबारा मुम्बई जानें का भी अवसर मिला | इनका परिवार बहुत विशाल था | सभी में संगठन था --जबकि सभी अशिक्षित थे | भारतीय भूभागों पर न जानें कितने ऐसे बाजार होंगें -जहाँ धन से शारीरिक आदान -प्रदान होते होंगें --हमने मुम्बई में ग्रांट रोड आँखों से देखी थी  -इस बाजार से होते हुए मेरे मुम्बई महाविद्यालय के दोस्त एकबार ले गए थे --इस बाजार में भले ही बहुत लोग जाते हों देखने के लिए किन्तु --इस वीभत्स दृश्य का हमने दुबारा अबलोकन नहीं किया | मेरठ कबाड़ी बाजार के सन्निकट सदा रहे किन्तु --इस दृश्य को देखना मुझे कतई बर्दाश्त नहीं था न है --फिर भी इस व्यक्ति के साथ बहुत दिनों तक मेरा सम्बन्ध --पिता पुत्र ,मित्र ,यजमान का रहा --यह व्यक्ति कभी भी अपने कामों की चर्चा मेरे पास नहीं की | यह व्यक्ति मेरे पास नित्य बैठता था शान्ति की तलाश में | मैं बाल्यकाल से सदा अपने में मस्त रहता हूँ --आजकल लिखने में तो कभी हारमोनियम बजाने में या साधना में --यह व्यक्ति केवल यह देखता था --पण्डितजी के पास जो लोग आते हैं --क्या वास्तव में लाभ मिलता है या ठगने का काम करते | इस व्यक्ति ने देखा --बड़े -से बड़े यजमान मेरे पास आते हैं सबका भला होता है | यह व्यक्ति मुझे अपने सभी परिजनों से जोड़ा | सभी लोगों का कार्य गारण्टी से मैं करता था --मुद्रा मेरे अनुकूल मिला करती थी | मेरे इर्द -गिर्द के लोग ,परिजन ,मित्र सभी यही जानते थे --केवल पण्डितजी के पास यह दलाल आता है और पण्डितजी इस दलाल से बहुत कमाते हैं | यह सच नहीं था --वास्तव में मेरी कमाई -ज्ञान से थी --हमने मेरठ में बड़े -से बड़े यज्ञ करबाये ,बहुत प्राण प्रतिष्ठा में आचार्य बनें --किन्तु एकदिन मुझे लगा --आज के समय ज्ञान कम ठगना ज्यादा होता है --तो दूसरा रास्ता हमने ढूंढा --वो रास्ता था नेट का --2009 में नेट की दुनिया में आये --यह सोचकर कुछ नया करते हैं साथ ही --पढ़े लिखे लोगों को ज्ञान -प्रदान के कार्य करने चाहिए --सो --जो ज्ञान है -भले ही मान्यता प्राप्त शिक्षक नहीं बन सके --किन्तु कोशिश करते रहनी चाहिए | अतः इस बात से सभी परिजन हों या परिवार या दोस्त या फिर पड़ौसी सबको आजतक मैं वही दीखता हूँ --जो उनकी नजर में था | धीरे -धीरे नेट की दुनिया ही आज मेरी पहचान है ,यह बात --मेरे परिजनों को ,पड़ौसी को  पत्ता ही नहीं --मुझे बहुत दूर के लोग मेरे ज्ञान के कायल हैं किन्तु --अपने परिजन हों या फिर पड़ौसी --या फिर सहपाठी मित्र --सभी मुझे हे दृष्ट्रि से आज भी देखते हैं --वास्तव में अपभंश जो शब्द है --वो -रण्डी -ध्यान  दें-- जन्मजात कोई वेश्या नहीं होती है उसे हम जैसे लोग वेश्या  बनाते हैं --उसका आनन्द भी उठाते हैं किन्तु --जीवन भर तिरस्कृत करते हैं |  एक शास्त्री होने के नाते -हमारे पास कोई भी आये --हमारा काम सुधारने का है न कि तिरस्कार करने का साथ ही --भटकाव से बचना भी पहला धेय होना चाहिए --कईबार ऐसा भी होता है --सुधारने के बजाय हम खुद भटक जाते है --- -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...