ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
शुक्रवार, 13 अक्टूबर 2023
भगवान की पूजा कैसे करें --सुनें -भाग -41 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
भगवान की पूजा कैसे करें --सुनें -भाग -41 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
सनातन संस्कृति में पूजा के अनन्त विधान हैं | एक हवनात्मक पूजा होती है | दूसरी यज्ञात्मक पूजा होती है | --हवन के द्वारा ईस्वर प्रसन्न किया जाता है --इसे हवनात्मक पूजा कहते हैं | यज्ञों के द्वारा जिसमें अनन्त सामग्री की जरुरत होती है ---उसे यज्ञात्मक पूजा कहते हैं | --तमाम बातों को क्रम से सुनते रहें -----भवदीय निवेदक --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा -मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई से ---ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को सुनने या पढ़ने हेतु प्रस्तुत लिंक -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut पर पधारें साथ ही निःशुल्क आनन्द लेते रहें |
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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कुछ देवों को क्यों -धरती पर रहना पड़ा -विस्तार से बतायें -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ
प्रश्न -कुछ देवों को क्यों -धरती पर रहना पड़ा -विस्तार से बतायें --पढ़ें- ज्योतिषी झा मेरठ
--उत्तर -वत्स -सृष्टि की रचना के बाद जब पृथ्वी को स्थापित किया श्री हरि ने तो घरती पर -अग्नि ,वायु ,जल ,सूर्य देवों के बिना जीवों का रहना कठिन था | अतः सभी देव तो अपने -अपने लोकों को गये किन्तु ये देव सभी जीवों की रक्षा हेतु मृत्यलोक में ही रहे | ---वत्स हम सबके प्रत्यक्ष देवता वर्तमान में यहीं है साथ ही समस्त जीव प्रथम इनकी ही आराधना करते हैं | ----प्रमाण --चराचर जगत में भले ही भाषा अलग-अलग हों या शकल अलग -अलग हों या रहन -सहन भिन्न -भिन्न हों पर निर्विरोध अग्नि ,सूर्य ,वायु ,जल की पूजा सभी करते हैं | कर्मकाण्ड जगत में सर्वप्रथम अग्नि की पूजा होती हैं ,संसार के प्रत्येक प्राणी दीप अवश्य जलाते हैं | इसी प्रकार से कर्मकाण्ड जगत में सूर्यदेव की पूजा दीप प्रज्ज्वलित होने के बाद ही होती है -संसार के समस्त प्राणी भगवान भास्कर को नमन अवश्य करते हैं | कर्मकाण्ड जगत में वायु को शुद्ध रखने हेतु हवन का विधान है साथ ही जो हवन में सामग्री डलती है उसका नाम शाकल्य है -इसका निर्माण -तिल ,जौ ,चवाल ,शक्कर एवं गुड़ से होता है जो वायु को शुद्ध तो करता ही है साथ ही जीवों को आरोग्य भी प्रदान करता है | प्रायः विश्व के सभी लोग वायु को शुद्ध रखने का प्रयत्न भी करते रहते हैं | जल अर्थात वरुणदेव -कर्मकाण्ड जगत में अग्नि ,सूर्य के बाद कलश यानि वरुणदेव का ही पूजन होता है --संसार में प्रायः सभी किसी ,न किसी आयोजन में कलश को सिरोधार्य अवश्य ही करते हैं | ये चारो देव प्रत्यक्ष देवता हैं जबतक जगत रहेगा इनकी आराधना सभी जन निर्विघ्नता पूर्वक करते रहेगें | आगे की चर्चा कल करेंगें | -----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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2023 -अपनी जीवनी हमने --2017+18 में लिखी थी -पढ़ें - भाग -41 -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 12 अक्टूबर 2023
कर्मकण्ड का प्रतिपादन शाण्डिल्य ऋषि ने क्यों किया सुनें -भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ
कर्मकण्ड का प्रतिपादन शाण्डिल्य ऋषि ने क्यों किया सुनें -भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ
पूजा किसे कहते हैं | पूजा कैसे करनी चाहिए --कर्मकाण्ड की तमाम बातों को ठीक से सुनें और पथ का अनुशरण करें -लाभ मिलेगा | ------दोस्तों ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें ---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सृष्टि पर अजर अमर क्यों और कौन -कौन हैं-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
सृष्टि पर अजर अमर क्यों और कौन -कौन हैं-पढ़ें-ज्योतिषी झा मेरठ
--वत्स -सृष्टि के नियम हैं -जो आया है उसको जाना होता है | पर कुछ चीजें अमर रहतीं हैं अतः सृष्टि पर आजतक कोई उत्पन्न हुआ व्यक्ति अजर अमर नहीं हुए किन्तु उन्होंने कुछ ऐसे कर्म किये जिसकी वजह से जबतक सृष्टि रहेगी अजर और अमर रहेंगें | ---1 -अश्व्थामा का नाम अजर और अमर रहेगा | --2 राजा वली का नाम अजर और अमर रहेगा | 3 -श्री व्यासजी का नाम अजर अमर रहेगा | 4 -श्री हनुमानजी का नाम अजर और अमर रहेगा |5 विभीषणजी का नाम अजर और अमर रहेगा |6 - कृपाचार्यजी का नाम अजर और अमर रहेगा | 7 महर्षि -परशुरामजी का नाम अजर और अमर रहेगा | ----इन सभी महान पुरुषों ने ऐसे कार्य किये जिनकी वजह से जबतक सृष्टि रहेगी इनके नाम चलते रहेंगें या ये कहें -इनके उदाहरणों का दृष्टान्त मिलते रहेंगें | ---दोणाचार्य के पुत्र अश्वथामा अपनी करनी के कारण क्योंकि जबतक भागवत की चर्चा होती रहेगी इनके नाम भी सामने आते रहेगें | राजा वली --जैसा महादानी आजतक पृथ्वी पर नहीं हुआ --इसलिए जब भी दान की बात होगी या भागवत कथा रहेगी इनके नाम की चर्चा होती रहेगी | भगवान व्यास ने वेदों की रचना की पुराणों की रचना की जबतक -कथा ,पूजा, पाठ या यज्ञों की बात होती रहेगी ये अमर रहेंगें | श्री हनुमानजी महराज ने भक्ति का ऐसा उदारहरण प्रस्तुत किया जबतक धर्म की चर्चा होती रहेगी भक्ति के कारण अटल श्री हनुमानजी का नाम अजर -अमर रहेगा | श्री विभीषणजी ने श्री रामजी की सहायता कर अमर हो गए जबतक रामायण की परिचर्चा होगी अमर रहेंगें श्री विभीषणजी | कुलगुरु के बिना ज्ञान संभव नहीं है अतः जबतक यज्ञादि में गुरुजनों की चर्चा होगी तो कृपाचार्य जी अमर रहेंगें | --भगवान श्री परशुरामजी ने पिता की भक्ति का जो उदारण दिए वो जब -जब पुत्र का कर्तव्य क्या है कि चर्चा होगी -नाम अजर और अमर रहेंगें --इन सभी महापुरुषों के | ज्योतिष की फ्री एकबार सेवा कैसे मिलेगी -ठीक से पढ़ें या सुनें !------दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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माँ शब्द की व्याख्या या व्युत्पत्ति या भावार्थ निकालना बहुत सहज नहीं है -पढ़ें - भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -
पढ़ें ?--- भाग -40 -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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कर्मकाण्ड -"पूजा +पाठ " कहते किसे हैं सुनें भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ
कर्मकाण्ड -"पूजा +पाठ " कहते किसे हैं सुनें भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ
कर्मकाण्ड एवं ज्योतिष किसे कहते हैं सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ - भाग 39
ज्योतिष और कर्मकाण्ड के श्रोतागण --आप सबके मन में ज्योतिष और कर्मकाण्ड से सम्बंधित अनन्त प्रश्न मन में उठते होगें | यद्पि मैं स्वयं अल्प ज्ञानी हूँ --फिर भी जितना अनुभव है उतना तो बताने का प्रयास कर ही सकता हूँ --तो सुनें --पूजा कैसे करनी चाहिए ,ज्योतिष का सहारा कब लेना चाहिए ----ज्योतिष या कर्मकाण्ड विषय से सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में-https://www.facebook.com/astrologerjha/ उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई "
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सृष्टि को जाने बिना ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझाना अनुचित है-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
प्रश्न -क्या सृष्टि को जाने बिना ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझाना अनुचित है-पढ़ें?-ज्योतिषी झा मेरठ
उतर -यद्पि आप ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझ सकते हैं किन्तु --जैसे परीक्षा के लिए छात्र किताब की जगह प्रश्नोत्तरी का अध्ययन करते हैं -और उनका ज्ञान अधूरा रहता है | जबकि उपाधि से विभूषित भी रहते हैं | ---अतः ज्योतिष और कर्मकाण्ड को समझने से पहले यथार्थ को समझें | तभी आप एक योग्य पण्डित या ज्योतिषी हो सकते हैं | -प्रश्न ---क्या विधाता ब्रह्मा भी सृष्टि में उलझ गए थे ?उत्तर --कुछ पुराणों में यह कथा आती है -ब्रह्माजी भी आदि शक्ति को देखकर मोहित हो चुके थे | ज्योतिष में जब कोई योग नहीं बनता है तब सर्बार्थ सिद्ध योग में कोई भी कार्य कर कर सकते हैं किन्तु --जबसे यह कथा बनी तबसे -विवाह संस्कार सभी नक्षत्रों में हो सकता है किन्तु सर्बार्थ सिद्ध योग में वर्जित होता है | पंचकों में भी विवाह होता है कोई दोष नहीं लगता है | -----सृष्टि में हमलोग कहाँ स्थित हैं ?उत्तर ---भू लोक ,भुवर लोक, स्वर लोक,मध्यलोक ,जनलोक ,तप लोक और सत्य लोक --ये सतलोक पृथ्वी के ऊपर हैं और तल ,अतल इत्यादि सप्तलोक पृथ्वी के नीचे हैं | हमलोग मध्यलोक अर्थात बीच में स्थित हैं | --प्रश्न --देवता किसे कहते हैं ?-उत्तर ---जो अवतरित होते हैं उन्हें देवता कहते हैं --ये वास्तव में परमशक्ति के अंश होते हैं -जिनको कर्मकाण्ड के प्रत्येक {अनुष्ठान} यज्ञ में भाग दिया जाता है --ये तभी समझ में आते हैं | --प्रश्न ---फिर भगवान कौन होते हैं ?उत्तर ---गर्भ से उत्पन्न होने वाले को भगवान कहते हैं | कोई भी माँ कर्मनिष्ठ बनकर ऐसी संतान को जन्म दे सकतीं हैं | --तथा जो अविरल अचम्भित करने वाले जन्म लेते हैं उनके कर्मो से उनको भगवान का पद प्राप्त होता हैं ---गौतम बुध ,भगवान व्यास इत्यादि | प्रश्न ---फिर परमतत्व क्या होता है ?उतर --संसार में एक ही परमतत्व है -वो अजन्मा है अविनाशी है -वही अनंत रूप धारण करते हैं | वही स्रष्टा है -वही श्री हरी हैं - वही ब्रह्मा है- वही शिव हैं | संसार की सभी चीजें उनमें ही हैं वो जब चाहे जैसे चाहें चलाते हैं किन्तु नियमावली से वो भी बंधे होते हैं ---इसलिए कोई सत्य तो चित तो कोई आनंद के नामों से जनता है |--आगे की चर्चा आगे करेंगें "ॐ "--दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -39 -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 11 अक्टूबर 2023
मेरे पिता महान थे फिर भी कभी बनी नहीं क्यों- सुनें-भाग -38-ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे पिता महान थे फिर भी कभी बनी नहीं क्यों- सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -38
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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जगत की रचना क्यों हुई एवं नियमावली क्या थी -पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ
जगत की रचना क्यों हुई एवं नियमावली क्या थी -पढ़ें-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
--वत्स --तुमने उत्तम प्रश्न किया- क्योंकि प्रत्येक निर्माणकर्ता की उत्सुकता रहती है -कि हमारी बातें या चीजें जन -जन तक पंहुचे तभी कार्य की सार्थकता मानी जाती है | ----अस्तु --जैसे प्रत्येक माता पिता संतानों के बिना अधूरे रहते हैं ,या प्रत्येक गुरु उत्तम शिष्य के बिना अधूरे रहते हैं ठीक इसी प्रकार से -जगतपिता भी जगत रचना के बिना अधूरे थे | क्योंकि परमतत्व और परमात्मा की पहचान तो केवल मानव से ही संभव था | संसार में तीन प्रकार के जीव हैं --अण्डज --जो अण्डों से उत्पन्न होते हैं | स्वेदज -जो पसीनों से उत्पन्न होते हैं | उद्भिज --जो उदर से जन्म लेते हैं | इनमें सभी जीव कहलाते हैं सबकी जीने की प्रक्रिया एक जैसी होती हैं किन्तु उदर में भी जो मनुष्य योनि है -उससे अवतरित होने वाले ही परमतत्व को जानने वाले होते हैं | यहाँ यह समझने वाली बात है कि प्रत्येक माता पिता या गुरु अपने से उत्तम पुत्र या शिष्य पाकर ही गदगद होते हैं अन्यथा ये असंतुष्ट रहते हैं | ऐसे ही जगत रचयिता ब्रह्मा ,पालनकर्ता श्रीहरि या संहारकर्ता शिव भी जगत के बिना अधूरे थे साथ ही उन देवों की भी मनसा थी हमें चुनौती देने वाले या हमारी प्रसन्नता को देने वाले केवल मानव ही है | अतः जगत में चौरासी लाख हजार योनियों में नियंत्रण करने की शक्ति केवल मनुष्य को मिली | आज भी प्रत्येक व्यक्ति अपनी अंगुली से चौरासी
अँगुलियों का होता है | साढ़े तीन हाथ का प्रत्येक व्यक्ति होता है | ---इस जगत का नियंत्रण एक छोटा कद का व्यक्ति कैसे करें --इसके लिए मन्त्रों के निर्माण हुए जो अदृश्य शक्ति के रूप में मानवों की सहायता करते हैं | बड़ी से बड़ी कठिनाइयों का सामना करने में मदद करते हैं | यह मन्त्र भी तीन प्रकार के हैं -तंत्र -अर्थात असंभव को संभव बनाने में काम आते हैं | यंत्र --जो कम श्रम से शीघ्र कार्य करें | मन्त्र -ये भी तीन प्रकार के हैं --वैदिक मन्त्र जो केवल सत्य पर आधारित हैं --इनको पाने के लिए अत्यधिक कठिनाइयां झेलनी होती हैं | इसे पाने के लिए सत्पात्र बनना होता | इसका प्रभाव अचूक होता है यह निष्फल नहीं होते हैं | पौराणिक मन्त्र का प्रयोग यंत्रों में होते हैं इसे कोई भी साध सकते हैं | तांत्रिक मन्त्र -ये केवल कुमार्गगामी ही इन मन्त्रों को अपनाते हैं ये तत्काल तो कार्य सिद्ध करते हैं किन्तु अंतिम परिणाम हानि भी पंहुचाते हैं | ---यथा राजा तथा प्रजा ---जैसा राजा होगा प्रजा भी वैसी ही होगी | जगत में उपभोग की अत्यधिक चीजें पतन की ओर ले जाती हैं | बिना उपभोग किये जीव रह भी नहीं सकते -इसलिए दिनों दिन नियमावली बदलती गई |--जो परमात्मा की ओर बढ़ता है उसे परमात्मा गोद में बिठाते हैं जो अधम की ओर बढ़ता है उसे पुनः इसी संसार में भटकते रहना पड़ता है | ध्यान दें --हम प्रत्येक चीजों का अविष्कार कर सकते हैं किन्तु -विधाता के मन्त्रों का पुनः अविष्कार नहीं कोई कर सकता वो अभेद्य हैं अडिग हैं वो अचल हैं यही नियमावली में जगत के जन -जन को अपने में समेटे हुए हैं तभी तो संसार में जब हम आये तभी परमात्मा थे जब चले जायेंगें तब भी रहेंगें | जब हम आये तो तमाम सगे सम्बन्धी मिलते गए और छूटते गये पर वो परमात्मा सदा हमारे साथ थे हैं और रहेंगें यही जगत की नियमावली है | ---आगे की चर्चा आगे करेंगें "ॐ "--दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -38 -ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -38 -ज्योतिषी झा मेरठ
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मंगलवार, 10 अक्टूबर 2023
मेरे जीवन की अन्तिम यह शनि दशा है -सुनें -भाग -37 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे जीवन की अन्तिम यह शनि दशा है -सुनें -भाग -37 ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल सम्पूर्ण कथा सुनें - -ज्योतिषी झा "मेरठ "भाग -37
-दोस्तों ज्योतिष जगत की तमाम बातों को लोग जो पढ़ते हैं वो या तो किसी के पूर्व उल्लेख हैं या कभी किसी आचार्य ने ये बातें कहीं थीं किन्तु हम आपको वर्तमान समय में अपनी कुण्डली से समस्त अपनी जीवनी को दर्शाऊँगा --जो केवल सत्य पर आधारित होगी | न लोभ से ,न द्वेष से ,न मोह से केवल जिज्ञासा से तो --सभी बातों को वीडियों के माध्यम से सुनते रहें और अपना -अपना आशीष प्रदान करते रहें --- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है-पढ़ें ?
सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है-पढ़ें ?
---जिज्ञासु ---सृष्टि क्या होती है एवं सृष्टि का ज्योतिष और कर्मकाण्ड से क्या सम्बन्ध है -गुरुदेव ! अंक -2--वत्स -वास्तव में परमात्मा की रचना ही सृष्टि है | ऐसी सृष्टि जिसमें रचयिता स्वयं बंधन से मुक्त हैं किन्तु सृष्टि की सभी चीजें एक दूसरे से जुड़ीं हैं -जैसे -संसार का आधार सृष्टि है | जैसे शरीर के आधार -जल ,वायु ,भोजन और अग्नि हैं | जैसे पति का आधार पतनी होती है | शिष्य का आधार गुरु होते हैं | संतान का आधार माता पिता होते हैं | राजा का आधार प्रजा होती है --इसी प्रकार से प्रजा के बिना राजा अधूरा रहता है | संतान के बिना माता पिता अधूरे रहते हैं | संसार के तमाम वस्तुओं के बिना सृष्टि अधूरी रहती है | --यद्पि सृष्टि का संचालन परमपिता करते हैं किन्तु --सभी सृष्टि में रहने वाले नियम से बंधे होते हैं तथा जिस दिन नियमावली समाप्त हो जाएगी उसी दिन सृष्टि समाप्त हो जाएगी |-----वत्स ---ज्योतिष के बिना सृष्टि अधूरी रहती है क्योंकि वर्तमान ,भूत ,भविष्य की जानकारी जिससे मिलती है उसे ज्योतिष कहते हैं | ज्योतिष की रचना जन हित के लिए हुई है | यह ज्योतिष भी नियमावली पर आधारित है -अर्थात -तमाम बातों को जानने के बाद भी रहस्य को गुप्त रखा जाता है समयानुसार
उपचार का मार्ग बताया जाता है | संसार में केवल मनुष्य ही वो प्राणी है जिसको वर्तमान ,भूत और भविष्य की जानकारी की जरुरत होती है साथ ही सभी कलाओं में निपुण भी होता है |-----वत्स -कर्मकाण्ड का वास्तविक अर्थ कर्म से है चाहे सकाम कर्म हो या निष्काम कर्म दोनों कर्मकाण्ड ही कहलाते हैं | किन्तु जिस कर्मकाण्ड का प्रतिपादन सृष्टि में किया गया है -वो षोडश संस्कारों से युक्त एवं जन -जन का जिससे कल्याण होता है वही वास्तविक कर्मकाण्ड कहलाता है | यह भी नियमावली पर आधारित है |-----यद्यपि ज्योतिष के द्वारा जानकारी मिलती है एवं समय का निर्धारित भी ज्योतिष ही करता है किन्तु निदान कर्मकाण्ड के द्वारा ही संभव है ये दोनों परस्पर एक दूसरे के पूरक हैं | इस संसार में जैसे हमने कहा सभी एक दूसरे से जुड़ें हैं और नियम पर आधारित हैं -कोई भी नियम के विपरीत नहीं कार्य कर सकते हैं अगर करते हैं तो इससे सृष्टि का हनन होता है | जब सृष्टि का हनन होता है तब संतुलन बिगड़ता है फिर सृष्टि नष्ट हो जाती है | फिर कुछ नहीं बचता है न हम न तुम |आगे की परिचर्चा आगे करेंगें- वत्स ?-------आपका--"खगोलशास्त्री" ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई " --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज मेंhttps://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं कृपया पधारें और
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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