रोमन तथा आंग्ल भाषा साहित्य में ही नहीं ,संप्रदाय में भी उग्र संक्रांतियां हुई हैं | देवार्चन -को वहां भी महत्व और प्रधानता दी गई है | उसी के आधारभूत देवताओं पर उनके मास प्रस्तुत हैं --
{1 }--जनवरी -जेनस नामक एक रोमन देवता के नाम पर वर्ष के प्रथम मास का नाम जनवरी रखा गया | इस देवता के सम्बन्ध में यह प्रसिद्धि है कि इसके दो मुख थे | एक सामने की ओर तथा दूसरा पीछे की ओर --इस तथ्य में यह औचित्य है कि जब हम बीते हुए वर्ष की सफलताओं और असफलताओं पर विचार करते हैं --तो हमें आगे आने वाले नववर्ष की नूतन योजनाओं का भी विवेचन करना पड़ेगा | भाव यह है कि जेनस आदि और अंत का देवता समझा जाता है |
---{2 }--फरवरी --प्राचीन रोमन जगत में फेबुआ नामक एक बहुत बड़ा भोज हुआ करता था ,जो अति पवित्र तथा पुण्यतम माना जाता था --इसी के नाम पर वर्ष के दूसरे मास को फेबुरी कहा गया |
---{3 }--मार्च ---रोमन के एक देवता का नाम मार्स था | वो देवता युद्ध का प्रतीक माना जाता था | उसी के गुणों के आधार पर तीसरे मास का नाम मार्च रखा गया |
----{4 }---अप्रैल ---रोमन भाषा में दो शब्द हैं --अमोनिया और एपारि जिनका अर्थ है --सब कुछ खोल देना | उसी पर वर्ष के चौथे मास का नाम अप्रैल पड़ा और यह भी कितना सार्थक नाम है --क्योंकि अप्रैल के मास में ही यूरोप की धरती पल्ल्वित होती है | यह अप्रैल ही है --जो धरती पर से बर्फ और कुहासा का आवरण उठा देता है और प्रकृति को सर्व सुन्दर रूप प्रदान करता है |
---{5 }---मई --इस मास का यह नाम एटलस की कन्या "मइया " से उपलब्ध हुआ है | मइया अपनी सातो बहनों से अति सुन्दर थी और वर्ष के बारहो महीनों में भी मई का महीना प्रकृति को सर्व सुन्दर रूप प्रदान करता है |
----{6 }--जून --यह शब्द जुपिटर की पत्नी जूनों से प्राप्त हुआ है | यह अपरिमित सुंदर और सुकोमल थी | इसके रथ के वाहक घोड़े नहीं बल्कि मयूर थे |
---{7 }--जुलाई ---इसका नाम रोमन के महान शासक जूलियस सीजर से मिला | वो यशस्वी और लोकप्रिय शासक थे |
---{8 }---अगस्त --आक्टेवियस का ही एक रूप अगस्त है | यह नाम जूलियस के पोते का था | वो साहित्य और कला के लिए प्रख्यात था इसी के नाम पर अगस्त नाम रखा गया |
----{9 }--सितंबर --सेप्टेम्बर -"सेप्टेम "यह शब्द लेटिन भाषा का शब्द है --जिसका अर्थ सातवां है | वर्ष का आरम्भ जब मार्च से हुआ करता था --तब यह सातवां था | किन्तु जूलियस सीजर के जनवरी को वर्ष का प्रथम मास का स्थान देने के कारण इसका क्रम नवां हुआ |
----{10 }---अक्टूबर -यह भी लेटिन भाषा का शब्द है --जिसका अर्थ आठ है ,किन्तु जनवरी मास को प्रथम स्थान देने से इसका क्रम दसवां हो गया |
---{11 }----नवंबर ---नोवेम भी लेटिन शब्द है | इस मास को रक्त मास नाम से पुकारते हैं ,---क्योंकि इसी मास में मुख्यतः पशु संहार किया जाता था | इस कारण इसका नाम नवंबर रखा गया |
---{12 }---दिसंबर ---लैटिन भाषा के इस शब्द का अर्थ दसवां है | जूलियस ने मासक्रम में इसका स्थान बारहवां रखा है | ईसामसीह का जन्म इसी मास में हुआ था |
---पाठकगण --आधुनिक समय में कोई भी देश हो सबको आंग्लभाषा के साथ -साथ चलना पड़ता है | जबकि सभी देशों में अपने -अपने अनुसार पंचांग हैं किन्तु --सभी ने आंग्लभाषा में समाहित किया है --अतः ज्योतिष की दुनिया में यह ज्ञान हमें अवश्य होना चाहिए --अगले भाग में तिथियों पर चर्चा करेंगें ----- भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -khagolshastri.blogspot.com





















