ज्योतिष कक्षा में आज पांचवा दिन ऋतु ज्ञान का है -इसको जाने बिना ज्योतिष में आगे नहीं बढ़ सकते है --
---"ऋतु " शब्द युगवाची है | काल माषन गणना में इस शब्द का प्रयोग होता है | जिसको गति मित्र "सूर्य " देता है | अर्थात --प्रभापुंज दिवाकर ही ऋतुओं का जन्मदाता है | वेद ग्रन्थों में 6 ऋतुओं के नामों का उल्लेख है | किसी समय 3 और 5 ऋतू भी मानी जाती थीं | इस काल में हेमन्त और शिशिर दोनों को मिलाकर ही एक ऋतु मानते थे |
---ऋतुएं निम्न हैं ---{1 }--बसंत ऋतु ,---{2 }---ग्रीष्म ऋतु ---{3 }--वर्षा ऋतु ---{4 }--शरद ऋतु ---{5 }--हेमन्त ऋतु ---{6 }--शिशिर ऋतू ----सभी ऋतुओं में बसन्त ऋतु को ही अधिक प्राथमिकता दी गई है | वेदों में बसंत ऋतु को ही ऋतुओं का मुख कहा गया है | --साल में 12 महीनें होते हैं -प्रत्येक ऋतु को दो माह का समय निर्धारित किया है पंचागकारों ने --इसकी चर्चा आगे करेंगें | --अगले भाग में प्रकृति की चर्चा करेंगें --भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com

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