ज्योतिष कक्षा का छठा दिन है --विषय है प्रकृति किसे कहते हैं ?--ज्योतिष के दो भाग हैं --एक गणित और दूसरा फलित --ज्यादातर छात्र --गणित की दुनिया में न जाकर फलित की दुनिया में ज्योतिषी बनते है | -- यह तो यह है --दोनों विषय -चाहे गणित हो या फलित सरल नहीं हैं | अधूरा ज्ञान से आप धन तो कमा सकते हैं -किन्तु अपने ह्रदय पटक पर आप स्वयं को ठगा हुआ महसूस करेंगें ---हम चाहते हैं --ज्योतिष की तमाम बातों को क्रम से पढ़ते रहें निःशुल्क -आप ऐसा ज्योतिषी बनें --जिसे खगोलशास्त्री कहते हैं |
----प्रकृति --जड़ -जंगम ही प्रकृति है | इसके नव द्रव्य हैं --{1 }-पृथ्वी ,--{2 }-जल ,--{3 }-तेज ,--{4 }-वायु ,--{5 }-आकाश ,--{6 }--काल ,--{7 }--दिक -{दिशा },--{8 }-आत्मा ,---एवं --{9 }--मन ---इन नव द्रव्यों में प्रथम चार परमाणु रूप हैं -ये निराकार होते हुए भी इंद्रिय गम्य हैं | ये अपने गुणों से पहचाने जाते हैं और जब इनके ऊपर दिनकर {सूर्यदेव } का प्रभाव पड़ता है ,तो वह शान्त -अशान्त ,सुन्दर से असुन्दर ,मधुर से विषम और जीवन से मरण में परिणत हो जाते हैं |
----आपने -ज्योतिष का परिचय जाना ,सूर्यदेव वैभव जाना ,संवत्सर को जाना ,ऋतुओं को जाना --आज -प्रकृति को जाना -- अगले भाग में लोक किसे कहते हैं पर परिचर्चा करेंगें ----जब आप सभी आलेखों को ठीक से पढेंगें --तो खुद एक खगोलशास्त्री बन जायेंगें --जिसपर देश को गर्व होगा --कोई शंका हो तो निःशुल्क हमसे सम्पर्क कर सकते हैं --ध्यान दें केवल छात्रों लिए निःशुल्क सेवा है ---भवदीय निवेदक -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष सीखनी है तो ब्लॉकपोस्ट पर पधारें तमाम आलेखों को पढ़ने हेतु -पधारें --khagolshastri.blogspot.com

















