ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
रविवार, 14 जनवरी 2024
मेरी आत्मकथा सच या व्यथा पढ़ें भाग -95 -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -अब जो भी लिखने का प्रयास कर रहा हूँ वो हर व्यक्ति का अन्तिम सच होता है --जिसे आप बालक हैं तो अभी यह बात अपनी घटना जैसी प्रतीत होगी | अगर युवा हैं तो प्रतिस्पर्धा जैसी सोच बनेगी या तिरस्कार की भावना पनपेगी | अगर प्रौढ़ हैं या जीवन के अन्तिम भाग में प्रवेश कर चुके हैं --तो यथार्थ समझ में आएगा | अस्तु --राजा गरीब भी हो जाय तो प्रवृत्ति वैसी ही रहती है --मैं राजयोग में जन्मा था-- यद्यपि मध्यम परिवार और अशिक्षित समाज था | फिर भी मुझे बिहार ,उत्तर प्रदेश और मुम्बई में शिक्षा मिली --इन तमाम जगहों पर खुद ही पहुंचा ,खुद ही आगे बढ़ा --न तातो न माता न बन्धुर न दाता --इसके लिए न तो किसी की सहायता ली न ही याचना की --सबसे बड़ी बात थी --कोई भांप नहीं सका -अपनी जिम्मेदारी को उठाते हुए अपने घर की भी जिम्मेदारी उठाई थी | जिसके साथ रहा उसका कर्ज उतारकर जिया | मेरा केवल एक ही शौक होता था -वस्त्र अच्छे होने चाहिए -भले ही पेट में रोटी हो या न हो | सदा एक ही सोच रहती थी मेरे पिता को मुझसे कभी कष्ट न मिले | मेरे जीवन के दो मुख्य नायक हैं एक पिता- दूसरी पतनी -जब राहु की दशा चल रही थी 1980 से 1988 तक --तो मेरे मुख्य नायक पिता रहे | मेरे पिता का क्या स्वभाव और प्रभाव था यह संगति नहीं मिली मुझे --क्योंकि जब हम 10 वर्ष के हुए तो अपनी शिक्षा का मार्ग खुद ढूंढा -श्री महर्षि महेश योगी संस्था झंझारपुर बाजार से पातेपुर जिला वैशाली तक | 1983 में पुनः लगमा आश्रम में पिता देकर आ गए थे --फिर कभी देखने नहीं गए | यहाँ मैं विद्वान कम चोर ,उचक्का ,संगतिहीन ज्यादा बना --यद्यपि यहाँ केवल मेरे आराध्य सरकार ही अच्छे थे --जिनकी छवि आज भी हृदय पटल पर अंकित है | इस आश्रम में ज्ञान की नीव बहुत ही मजबूत थी --पर भले ही मैं चोर था ,उचक्का था ,संगतिहीन था किन्तु मैं अपने आराध्य सरकार की तरह बनना चाहता था | मैं अपने पिता की तरह नहीं बनना चाहता था --क्योंकि मेरे पिताजी व्यापारी थे | पर पिता के लिए करना बहुत कुछ चाहता था | -जैसा कि मेरे साथ जन्मजात रहा -प्रभाव क्षेत्र और सगे -सम्बन्धियों से लाभ नहीं मिलना था --इसलिए -इस आश्रम में चोर,उचक्के और संगतिहीन व्यक्ति ज्यादा मिले --मेरा अनुभव है --संस्कृत के पाठशाला में ज्यादातर गरीब बच्चे जाते थे या जो घर में नहीं सुधरते थे उनको वहां माता पिता छोर आते थे --पर भारतीय संस्कृति में भले ही आश्रम ऐसे बच्चे जाते थे किन्तु आचार्य निष्णात होते थे --जिनकी वजह से चोर भी धार्मिक बन जाता था ,संगति हीन भी संस्कारवान बन जाता था | मैं जन्मजात तो चोर ही था --आश्रम की संगति और संस्कारों के प्रभाव से मैं ज्ञानी बना और संस्कारी बना | इस आश्रम में भिक्षाटन से राशन ,जलावन आता था --कईबार -बांस चोरी से काटकर लाते थे तब सभी छात्रों के लिए भोजन बनता था | कईबार -सब्जी ,उपले चुराकर ले आता था किसानों के-- क्योंकि तब सभी छात्रों के लिए भोजन बनता था | आज मैं ठीक राह पर चल रहा हूँ तो ये मेरे आराध्य सरकार का आशीर्वाद है | अपने पिता द्वारा दिए उपदेश को ही याद रखे --हम अपने पिता की एक विशेष बात को सदा याद रखी --मेरे पिता चाहते तो गरीबी थी --हमसे नौकरी करबाते किन्तु वो सदा चाहते थे मैं पढू --भले ही मेरे घर में गरीबी रहे ,पिता से ज्यादा माँ का सान्निध्य मुझे मिला किन्तु माँ का नहीं हो सका न ही माँ मेरी व्यवहार से हो सकी | पिता की सुनी -सुनाई छवि मेरे ह्रदय पटल पर अंकित है --उनके लिए ही सदा जीता रहा | आगे की परिचर्चा आगे करूँगा --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ--आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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