ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

रविवार, 10 सितंबर 2023

कुण्डली मिलान में आयु का निर्णय अवश्य करें ---पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

 कुण्डली मिलान में आयु का निर्णय अवश्य करें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ






-----वर -कन्या के कुण्डली मिलान में आयु का विचार भी बहुत ही जरुरी होता है ,क्योंकि इसके बिना संसार में सब कुछ निरर्थक है । महर्षि जैमिनी के मत के अनुसार आयुर्दाय त्रिय सूत्र लगभग सही से ही बैठते हैं । जैसे -दीर्घायु ,मध्यायु ,अल्पायु जानने के लिए ज्योतिष के कई ग्रंथों में कई बिधियाँ लिखी हैं साथ ही आयु सारणियाँ भी छपी हैं ।
             अस्तु जन्मकुण्डली में छटे ,आठवें और बारहवें भाव का नामकरण ज्योतिषाचार्यों ने त्रिकसंज्ञक माना  है---जिसका अर्थ होता है तिर्यकगति अर्थात पतन से लिया जाता है । संसार में तीन तरह के संताप होते हैं --------"दैहिक दैविक भौतिक तापा ,राम राज मह काहु न व्यापा "------भाव ---दैहिक परेशानी {शारीरिक कष्ट }कुंडली के छटे भाव से देखे जाते हैं । जिन लोगों का लग्नेश -छटे -आठवें -बारहवें भाव में पाप ग्रहों के साथ बैठा हो --उन्हें शारीरिक कष्ट अवश्य हते हैं । अगर छ्टे -आठवें -बारहवें भाव का स्वामी लग्न में हो साथ ही पाप ग्रह की दृष्टि पड़ती हो तब तो अत्यधिक कष्टों से सामना जातक को करना पड़ता हैं ।--  -------रिपु मृत्यु द्वादस गेह मह ,पापयुक्त लग्नेस । जन्म समय जाने परै ,ताको अंग कलेस । ।
अर्थात ---अनुभव से देखा गया है कि लग्नेश अष्टम में हो और अष्टमेश लग्न में बैठ जाय तब उम्र के साथ -साथ अपार दुःख का कारण भी बनता है ।
   -----पाप युक्त तनु भवन मंह ,रिपु मृत्युप के ईस । जथा जोग जेक परै ,तन दुःख बिस्वा बीस । ।
भाव ---पाप ग्रह के साथ अर्थात -शनि ,राहु ,केतु ,मंगल या सूर्य के साथ लग्नेश लग्न में बैठा हो तो वह अपनी दशा एवं अन्तर्दशा में परेशानियाँ पैदा करता है ।
     अभिप्राय ---कुंडली मिलान में आयु का निर्णय अर्थात दाम्पत्य जीवन सुखी रहेगा या नहीं इस पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए ।---आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"नाड़ी दोष अर्थात वियोग और संताप -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 "नाड़ी दोष अर्थात वियोग और संताप--पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



---वैवाहिक जीवन -लोभ ,अर्थ ,काम के बाद मोक्ष प्राप्ति से ही सही माना जाता है ।और इसके लिए पत्ति -पतनी का सहयोग अतिम घडी तक बना रहना चाहिए । ये संभव नाड़ी का मिलान सही होने से ही होता है ।
  ---------कुंडली मिलान का आठवाँ विचार नाड़ी विचार को जानते हैं ।
  {1}-आदि नाडी -अश्विनी ,आर्द्रा ,पुनर्वसु ,उत्तर फाल्गुनी ,हस्त ,ज्येष्ठा ,मूल ,शतभिषा और पूर्व भाद्रपद -ये 9-नक्षत्र को आदि नाडी कहते हैं ।---  {2}-भरणी ,मृगशिरा ,पुष्य ,पूर्व फाल्गुनी ,चित्रा ,अनुराधा ,पूर्वा षाधा ,धनिष्ठा और उत्तर भाद्रपद को मध्य नाडी कहते हैं ।
 {3}-कृतिका ,रोहिणी ,शलेषा ,मघा ,स्वाति ,विशाखा ,उत्तर षाढा श्रवण और रेवती को अन्त्य नाड़ी कहते हैं ।प्रभाव ------किसी भी एक नाड़ी में वर -कन्या दोनों के नक्षत्र होने पर दाम्पत्य सुख अत्यंत भयावह हो जाता है ।दोनों में से किसी एक को शारीरिक अत्यंत पीड़ा होती है और वियोग हो जाता है ।
  "निधनं मध्यम नाड्याम दाम्पत्योर्नैव पार्श्व योनाड्योह "
-----अर्थात -ज्योतिष प्रकाश -में इस वाक्य में मध्य नाडी होने पर दोनों दोनों {पति -पतनी }को बहुत कष्ट झेलने पड़ते हैं ।-तीनों नाड़ियों में दोष होने पर दाम्पत्य जीवन अडिग नहीं रहता है ।----- "नाडी दोशोस्ति विप्राणां वर्ण दोषोस्ती भूभुजाम । वैश्यानां गण दोषः स्यात शुद्राणाम योनिदूश्नाम ।।
भाव -कुछ आचार्यों ने कहा -नाडी दोष केवल ब्राह्मणों को लगता है ।और वर्ण दोष क्षत्रियों को ही लगता है ।एवं गण दोष वैश्यों को ही लगता है तथा -योनी दोष दासों को ही लगता है ।
 नोट -जब जीवन की घडी लम्बी न हो ,सुखद न हो ,मोक्ष प्राप्ति तक न पंहुंचे -अर्थात पति -पतनी साथ -साथ अंतिम पड़ाव तक न पँहुचे तो वैवाहिक सुख अधूरा रहता है इसलिए कुंडली मिलान नितांत आवश्यक है ।जिस प्रकार नरकों के वर्णन सुनकर नरकों में नहीं जाना चाहते हैं इसी प्रकार वैवाहिक जीवन सर्वगुण संपन्न हो कुंडली मिलान अनिवार्य समझें ।---

----प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


वैवाहिक जीवन की आयु अर्थात "भकूटदोष-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


  वैवाहिक जीवन की आयु अर्थात "भकूटदोष"-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ




-------दाम्पत्य जीवन सरस हो ,प्रेम की अविरल धारा वहती हो अर्थात सभी सुख हो किन्तु अवधि {आयु }लम्बी न हो तो फिर पुत्र ,पौत्र के बिना वैवाहिक जीवन अधूरा रहता है । ये वैवाहिक जीवन दीर्घायु हो इसलिए "भकूट दोष अर्थात राशि मिलान करते  हैं ।
         "मृत्युह षडाष्ट के ज्ञेयो पत्य्हा निर्नवात्माजे ।
          द्विर्द्वादशो दरिद्रत्व्म द्वयोर्न्यत्र सौख्यक्रित ।।
-----अर्थात -वर -कन्या की राशियों का स्वामी ग्रह एक ही हो ,अथवा दोनों राशियों में मैत्री हो तथा नाड़ी नक्षत्र शुद्ध रहे तो दुष्ट "भकूट दोष "में भी विवाह शुभ होता है ।
    --------किन्तु उक्त शलोक में --{1}-वर की राशि से कन्या की राशि तक और कन्या की राशि से वर की राशि तक गिनने पर -6/8-संख्या हो तो दोनों {पति -पतनी }को चोट पहुँचती है ।
         {2}-अगर ये संख्या -9/5-हो तो संतानों को माता -पिता से या संतान से माता -पिता को हानी सहनी पड़ती है ।-----{3}-यदि गिनती से शेष संख्या -2/12-हो तो वैवाहिक जीवन में गरीबी अर्थात धन की दुखद स्थिति रहती है ।
 {4}-अशुभ केंद्र योग -4/10-को माना गया है । ये चार प्रकार के सम्बन्ध --षडाष्टक {6/8}-नव -पंचम -{9/5}-द्वि द्वादश -{2/12}--और केंद्र योग ये ज्योतिष के कई ग्रंथों में अशुभ माने गये है ।
   नोट ---ज्योतिष का भाव डराने का  नहीं अपितु आपका वैवाहिक जीवन सुखद हो इसलिए ज्योतिष की सलाह अवश्य लेनी चाहिये ।अगर प्रेम या पसंद हो तो विवाह के समय उन नामों से न करें जो दोष कारक हों ?---

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"ग्रहमैत्री"अर्थात वैवाहिक अनुभूति --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 ग्रहमैत्री"अर्थात वैवाहिक अनुभूति "?-




कुंडली मिलान का वास्तविक विचार वैवाहिक जीवन सुखद हो ,सरस और प्रेम से ओत प्रोत हो ----किन्तु ये सही मैत्री मिलान से ही संभव होता है ।मिलन सभी जीवों के होते हैं परन्तु जीने का ढंग सबके अलग -अलग होता है ।मानव जीवन सर्वोत्तम मानते हैं सभी इसलिए देवता भी लालायित रहते हैं ।हम कैसे जियें ये न सोचकर हमसे लोग ,समाज ,परिवार ,संताने क्या सीखें ये सोच रखने वाले कुंडली का मिलान कराते हैं ---।
      ----------मैत्री कूट सात प्रकार के होते हैं ।-----और इनके गुण 5 मानते हैं ।-------------प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ-------- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

पति- पत्नी में परस्पर स्नेह कैसे हो --ज्योतिष विशेष -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

पति -





पत्नी में परस्पर स्नेह कैसे हो -ज्योतिष विशेष -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

-----"स्वगणे चोत्त्मा प्रीतिः स्यान्नर देवयोहः । असुरा मर्योर्वैरम मृतुर्मानुष राक्षसोह । ।
     ----दाम्पत्य जीवन परस्पर प्रेम और सरस युक्त होने पर ही उत्तम होता है --अन्यथा जीवन जीना दुर्लभ हो जाता है । ज्योतिष और ज्योतिषी निरंतर जनहित में सलाह देते रहते हैं --शायद इसलिए आज सभी  ज्योतिष के प्रति अटूट विस्वास करते हैं ।   अगर आप दाम्पत्य जीवन में बंधने वाले हैं तो कुंडली का निरिक्षण अवश्य करें ।
अस्तु ----वर -कन्या की परस्पर राशियाँ मेल खाती हों अर्थात -गुण ,धर्म और स्वभाव में समानता हो ,कुंडली मिलान में गुण -18 से अधिक मिलते हों साथ ही दोनों के जन्म नक्षत्र एक ही गण समूह के हों ---जैसे -देवगण का वर एवं देवगण की कन्या हो तो पति -पत्नी में विशेष स्नेह होता है ।
---दोनों मनुष्य गण के हों या दोनों राक्षस गण के हों तो भी दाम्पत्य जीवन सुखी रहता है ।मनुष्य +देवगण वालों के सम्बन्ध को बहुत अच्छा माना जाता है । राक्षस +राक्षस गण वाले दोनों परस्पर लड़ते -झगड़ते तो हैं ,किन्तु परस्पर आपस में समझौता से जीवन जीते रहते हैं ।
-------उक्त श्लोक का भाव यह है ---वर +कन्या का सही कुंडलियाँ उपलब्ध हों तो लग्नेश +दोनों के सप्तमेश +दोनों की राशियों के स्वामी तथा नवमांश पतियों की स्थिति को जानकर ही विवाह करना चाहिए । जिनकी कुंडली उपलब्ध न हो तो नाम राशि उचित रखकर कन्यादान का संकल्प से भी सुखी रह सकते हैं ।
   नोट ---कुंडली का केवल आकलन न करें कर्मकांड का पालन से ही सुखी हो सकते हैं ।
प्रेषकः ---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

"दाम्पत्य जीवन में "कुंडली मिलान" का महत्व --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

  "दाम्पत्य जीवन में "कुंडली मिलान" का महत्व--पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



वैवाहिक जीवन सुखमय हो -इसके लिए कुंडली मिलान अर्थात अष्टकूटों का मिलान कराते हैं अभिभावक ।-वर्ण ,वश्य ,तारा ,योनिविचार ,ग्रहमैत्री,गुणकूट,भकूट और नाड़ी को अष्टकूट कहते हैं । इन अष्टकूटों के प्रत्येक के स्वभाव और प्रभाव जानने की कोशिश करते हैं ।
{1}-वर्ण मिलान होने से -जातीय कर्म,गुणधर्म ,स्वभाव -उत्तमप्रीति,होती है--मिलान नहीं होने पर मध्यम स्नेह एवं प्रेम का अभाव रहता है दाम्पत्य सुख में ।
{2}-वश्य मिलान होने से ---स्वभाव से एक दूसरे के वशीभूत होते हैं ।
{3}-तारा का सही मिलान होने से -भाग्य सबल होता है -अन्यथा निर्बलता रहती है ।
{4}-योनिविचार सही होने से --शारीरिक सम्बन्ध अर्थात तृप्ति रहती है मन में -अन्यथा जीवन में अतृप्ति ही रहेगी ।
{5}-ग्रहमैत्री का सही मिलान होने से --आपसी सम्बन्ध सही रहता है अन्यथा उदासीनता रहेगी ।
{6}-गुणकूट का सही मिलान होने से --सामाजिकता किसमें कितनी रहेगी अन्यथा -असामाजिक रहते है दोनों ।
{7}-भकूट का सही मिलान होने से --जीवन शैली परस्पर स्नेह सच्चा रहता है--अन्यथा बनाबटी रहती है ।
{8}-नाड़ी का सही मिलान होने से --स्वास्थ दिनचर्या ,सम्बन्ध बनने पर एक दूसरे को हानि लाभ कितना रहेगा -इसका अनुमान लगाया जाता है ।
------नोट क्या हमें अपनी संगनी चयन करने में ज्योतिष मदद नहीं करती है ---क्या हमें दाम्पत्य सुख के लिए अष्टकूटों {कुंडली मिलान }के मिलान नहीं करने चाहिए---

---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


शनिवार, 9 सितंबर 2023

"पति -पतनी में सामंजस्ता अर्थात "गण मिलान--पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 "पति -पतनी में सामंजस्ता अर्थात "गण मिलान"?--


------वैवाहिक जीवन में लोग सूझ -बूझ की परम आवश्यकता होती है --किसी की पतनी अच्छी होती है तो किसी के पति अच्छे होते हैं -किन्तु दोनें अच्छे हों तो सामंजस्ता निरंतर बनी रहती है ।कुछ लोग वैवाहिक जीवन अपने लिए नहीं औरों के लिए जीते हैं --ये स्थिति उत्पन्न न हो इसलिए गण का विचार करते हैं कुंडली मिलान में -----।
    ---------रक्षो गणः पुमान स्याचेत्कान्या भवन्ति मानवी ।
                 केपिछान्ति तदोद्वाहम व्यस्तम कोपोह नेछति ।।
--अर्थात -मुहूर्त कल्पद्रुम ग्रन्थ में कहा है -कि कृतिका ,रोहिणी ,स्वाति ,मघा ,उत्तराफाल्गुनी ,पूर्वाषाढ़ा ,उत्तरा षाढा ,इन नक्षत्रों में जन्म होने पर गण दोष मान्य नहीं होता है ।--  -------कृतिका रोहिणी स्वामी मघा चोत्त्राफल्गुनी ।
                            पूर्वा षाढेत्तराषाढे न क्वचिद गुण दोषः ।।
भाव -----वर- कन्या के राशि स्वामियों में मैत्री हो अथवा नवांश के स्वामियों में मैत्री हो तो गण आदि दुष्ट रहने पर भी विवाह पुत्र -पौत्र को बढ़ाने वाला सुखद प्रिय होता है ।
     ------नोट -अश्विनी आदि सभी नक्षत्रों के गुण ,कर्म ,स्वभाव ,परिक्षण परित्वेना --1-देवगण -2-नर गण -3-राक्षस गण -तीन विभागों में बांटा गया है ।
    {1}-वर -कन्या दोनों एक गण के हों तो उत्तम सामंजस्ता  रहती है ।
    {2}-देव -नर हों तो मध्यम सामंजस्ता रहती है ।
    {3}-देव -राक्षस हो तो -लडाई -झगडे के कारण सामंजस्ता नहीं रहती है ।----नोट -शारंगीय में कहा गया है -कि वर -राक्षस गण का और कन्या मनुष्य गण की हो तो विवाह उचित और सामंजस्ता रहती है ।इसके विपरीत वर मनुष्य गण का एवं कन्या राक्षस गण की हो तो विवाह उचित नहीं रहता अर्थात सामंजस्ता नहीं रहती है ।।
------निवेदक पंडित कन्हैयालाल "झा शास्त्री "---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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कुंडली मिलान का प्रथम "वर्ण "विचार ---पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 



कुंडली मिलान का प्रथम "वर्ण "विचार ?-

---जातकों की कुंडली मिलान में सर्व प्रथम "वर्ण का मिलान देखा जाता है --अर्थात जातीय कर्म ,गुण धर्म ,स्वभाव एवं उत्तम प्रीति रहती है ---सही वर्णों के मिलान होने पर ----अन्यथा मध्यम स्नेह और प्रेम का जीवन में आभाव सा रहता है ।
-------कर्कमीनालयोविप्राः सिंहो मेषो धनुर्न्रेपाः ।
           कन्या वृष मृगा वैश्यः शूद्रा युग्म तुला घटाः ।।
  ------भाव =कर्क ,मीन,वृश्चिक ये तीन राशियाँ -ब्राह्मण वर्ण की हैं ।--मेष ,सिंह ,धनु क्षत्रिय वर्ण की ,कन्या ,वृष ,मकर वैश्य वर्ण की और मिथुन ,तुला ,कुम्भ ये तीनो राशियाँ शूद्र वर्ण की शात्रों में कही गई हैं ।
    ----अर्थात ----यदि वर -कन्या समान वर्ण वाली राशियों में जन्मे हों तो उत्तम रहते हैं ---या कन्या से वर का वर्ण उत्तम हो तो अति उत्तम मानते हैं --परन्तु कन्या से वर का हीन वर्ण हो तो --दाम्पत्य जीवन में नीरसता रहती है ।---- "हीन वर्णों यदा राशि राशीशो वर्ण उत्तमः ।
                  तदा राशीश्वरो ग्राह्यस्तद राशि चैव चिन्तयेत ।।
अतः वर -कन्या में वर्ण दोष होते हुए भी मान्य नहीं है ,क्योंकि रशिशों के स्वामियों की प्रतिकूलता है तो ----।।    नोट --दाम्पत्य जीवन सुन्दर हो इसलिए कुंडली का सही मिलान बहुत ही जरुरी है ---जबकि जोड़ा तो विधाता ने पहले ही बना दिया ?------प्रेषकः ---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ - - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 8 सितंबर 2023

"केतुरत्न"लहसुनिया कब ,क्यों और कैसे पहनें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

 "केतुरत्न"लहसुनिया कब ,क्यों और कैसे पहनें "झा शास्त्री "?"


----केतु ग्रह से पीड़ित व्यक्ति ही लहसुनिया रत्न धारण करते हैं । दिन शनिवार शुभ लग्न एवं शुक्ल पक्ष में कुण्डली का सही आकलन करके पहनना चाहिए ।--------लहसुनिया का महत्व -----लहसुनिया रत्न को आंग्ल{अंग्रेजी } भाषा में-कैट्स आई कहते हैं । बिल्ली की आंख -जैसी चमकवाला सफेद ,नारंगी ,हरा रंग का होता है यह रत्न । जब भी कार्यों में बाधा आती है ,चोट लगती है ,साथ ही दुर्घटना का भय सा प्रतीत होने लगता है ,तथा उन्नति में बाधाऐं आने पर लहसुनिया रत्न सही परामर्ष से धारण करना चाहिए यद् रहे अगर परेशानी का कारन केतु हो तभी यह रत्न धारण करना चाहिए ।
----लहसुनिया रत्न की  पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं -----{1 }-यदि लहसुनिया रत्न को अंधेरे में रखा जाये तो वह बिल्ली की आंखों की तरह चमकता हुया दिखाई देगा । ----{2 }-यदि लहसुनिया रत्न को 24 घंटे तक किसी हड्डी पर रखा जाए तो यह हड्डी के आर पार छेद कर देता है ।
   -------नोट --आज के वैज्ञानिक युग में भी हैम आस्थाओं को महत्व देते हैं इसलिए विस्वास रखना बहुत जरुरी है । पर इसका मतलब यह भी नहीं है कि रत्नों को अपने भाग्यावरोध हटाने का यंत्र समझकर कर्म न करें रत्न अलंकार होते हैं कर्म तो सर्वोपरि होता  है ।---

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"गोमेद रत्न क्यों ,कब और कैसे पहनें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 


"गोमेद रत्न क्यों ,कब और कैसे पहनें -झा शास्त्री {मेरठ }

---राहु ग्रह को खुश करने के लिए या फिर राहु ग्रह की बुरी दृष्टि से बचने के लिए गोमेद अंग्रेजी में जिरकॉर्न कहते हैं को पहनने ते हैं ।
------गोमेद रत्न ---- लाल धुएं के रंग का होता है । लाल, काला या पीला रंग युक्त गोमेद उत्तम माना जाता है । यह राहु के दोषों को दूर करने के लिए पहनना चाहिए । रोजगार में विशेष व्यवधान होने पर ,धन स्थिर नहीं रहता हो ,मन अशांत रहता हो ,घर में मन नहीं लगता हो तब सही कुण्डली का आकलन करके धारण करना चाहिए -गोमेद रत्न ।
-------गोमेद रत्न को आप खुद परख सकते हैं -------{1 }--असली गोमेद रत्न को गोमूत्र में 24 घंटे रखने पर गोमूत्र का रंग बदल जाता है । ={2 }----दूध में असली गोमेद रत्न डालने पर दूध का रंग गोमूत्र की तरह दिखने लगता है ।
--------धारण --बुधवार रात्रि 12 बजे के उपरान्त शुक्ल पक्ष एवं सही लग्न में धारण करना चाहिए ।--

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"नीलम रत्न क्यों ,कब और कैसे धारण करें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

नीलम रत्न को अंग्रेजी में ब्लू सेफाइर कहते हैं । मोर की गर्दन -जैसा हलके रंग का यह नीलम  रत्न होता है । यह शनि ग्रह का रत्न है । नीलम रत्न को नीलमणी भी कहते हैं । नीलम रत्न धारण करने के कुछ ही घंटों बाद यह अपना प्रभाव दिखाने लगता है। यदि नीलम रत्न को पहनने के बाद रात में भयावह सपने आयें तो तुरंत इस रत्न को उतार देना चाहिए । अथवा कोई अनिष्ट हो तो भी उतार देना चाहिए । शास्त्रों का मत है इस रत्न के साथ सर्वाधिक दैवीय शक्तियां जुडी मानी जाती हैं । प्रमाण है -यह नीलम रत्न राजा से रंक या रंक से राजा बनाने की  भी --क्षमता रखता है । यदि किसी के लिए शुभ हो कुंडली के अनुसार तो रातों -रात भाग्य बदल देता है अन्यथा तबाही भी ला देता है ।
--------नीलम की पहचान आप खुद करें ----{1 }-पानी से भरे कांच के गिलास में नीलम डालने पर पानी में नीली किरणें निकलती हुई दिखाई देती है । {2 }-दूध के गिलास में नीलम डालने पर दूध से नीली झाई दिखती है --अगर आपकी कसोटी पर यह बात खड़ी न उतरे तो नीलम नहीं नीली होगी ।
-------नीलम -मकर एवं कुम्भ राशि के उपर अपना  प्रभाव रखता है किन्तु --कुण्डली का सही निरिक्षण कर धारण करें ---धारण का समय शुक्ल पक्ष दिन शनिवार शुभ मुहूर्त में ।--

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"हीरा रत्न क्यों कब और कैसे पहनें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

 "हीरा रत्न क्यों कब और कैसे पहनें ?" 


----हीरा रत्न को अंग्रेजी भाषा में डायमंड स्टोन कहते हैं । वृष एवं तुला राशि के साथ -साथ कुंडली में शुक्र की स्थिति को देखकर धारण करना चाहिए हीरा का स्वामी शुक्र है ।-------हीरा का रंग स्वेत ,कठोर जिसे हम नहीं खुरच सकते हैं न ही घिस सकते हैं एवं जिससे लाल -नीली किरणें निकलती हैं ,साथ ही हीरा में काले रंग के बिंदु न हों तो वह हीरा उत्तम दर्जे का होता है ।

   -----हीरा रत्न को सभी रत्नों का सरताज माना जाता है । शुक्र समृद्धि और वैभव का प्रतीक कुंडली में माना जाता है । इसलिए हीरा रत्न धारण करने से जातक पर बल ,कामेच्छा और व्यापारियों के कारोबार की वृद्धि होती है । घर में पति -पत्नी की कलह दूर करने के लिए हीरा रत्न धारण करना उचित रहता है ।
-------  हीरा रत्न की पहचान आप इस प्रकार से कर सकते हैं --------- {1 }गरम दूध में हीरा डालने पर दूध जल्दी ठंढा हो जाता है । --{2 }-पिघले हुए घी में हीरा डालने पर घी शीघ्र जमने लगता है ---{3 }-धूप में रखे हीरे से सतरंगी किरणें निकलती दिखाई देती है ।
   नोट आपकी कसौटी पर हीरा सटीक उतरे तो हीरा होगा अन्यथा जरकिन उपरत्न हो जायेगा ----इसे शुक्रवार को उचित लग्न एवं शुक्ल पक्ष में धारण करना चाहिए ।-----

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"पुखराज रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ---पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


  "पुखराज रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?" 

 हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं"रत्न " इसलिए हमलोग करते भी हैं यत्न | परन्तु रत्न से ही समाधान होगा ऐसा नहीं है ,उत्तम समाधान तो कर्म ही होता है किन्तु जब हम भौतिक जीवन की कामना करते हैं तो हमें भौतिक वस्तु की लालसा ही हमें "रत्न " की प्रेरणा देती है और हम चाहकर भी रत्न से दूर नहीं हो पाते हैं ||

   अस्तु -यदि परमात्मा की कृपा है ,धन की प्रचूरता है ,तो फिर अपनी शोभा और ग्रहों के निदान के लिए "रत्न अवश्य ही पहनें ,परन्तु जो पहनें वो सही हो -आइये जानते हैं --
     पुखराज {टोपाज } ब्रेहस्पति "रत्न"  को --यह पीले रंग का होता है |महिलाओं का यह प्रिय "रत्न "है |उन्हें इसके धारण करने से पति सुख प्राप्त होता है |व्यक्ति को धन संपत्ति ,पुत्र सुख ,स्त्री सुख मिलता है | इसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है | ब्रेहस्पति की महादशा किसी अन्य ग्रह की दशा में ब्रेहस्पति की अन्तर्दशा में यह  अधिक फल देता है | अगर गुरु {ब्रेहस्पति } बारहवें स्थान पर हैं तो इसे धारण नहीं करना चाहिए ||
     पुखराज की जांच---


[1]-सफेद कपडे पर पुखराज रखकर धुप में देखने पर कपडे पर पीली झाई -सी दिखती है ||
[2]-पुखराज को चौबीस घंटे दूध में रखने पर असली पुखराज की चमक कम नहीं होती है ||-----

-प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"पन्ना रत्न "क्य़ों ,कब और कैसे पहनें ----पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 "पन्ना रत्न "क्य़ों ,कब और कैसे पहनें ?"

यूँ तो रत्न ज्योतिष के अलंकार हैं ,ये सभी जानते हैं किन्तु ये रत्न दिव्य आभूषण की तरह सब के काम आते हैं ,ये अपनी शक्ति कभी भी नहीं खोते हैं ,इसलिए कभी राजा महराजा उपहार में अपने सेवक को देते थे ,और सेवक इन उपहारों को कई पीढ़ियों तक आदान प्रदान करते थे | समय बदला सब कुछ बदल गया किन्तु आज भी रत्नों की गरिमा छोटे से बड़े लोगों तक यथावत है ||
        अस्तु -यदि आपकी मिथुन राशि या कन्या राशि है तो आप भी पन्ना अंग्रेजी में {एमरेल्ड }को धारण कर सकते हैं किन्तु रत्न को लेने से पूर्व आप अपनी कसोटी पर परख भी सकते हैं |----  "पन्ना =हरे रंग का होता है |हर प्रकार के व्यापारियों ,लेखकों ,अध्यापकों ,कवियों ,कलाकारों के लिए ये लाभदायक माना गया है |वाक्शक्ति बढ़ाने में भी ये उपयोगी होता है |पन्ना वैसे कोई भी व्यक्ति पहन सकता है ,लेकिन जिसकी कुंडली में बुध ग्रह कमजोर या दोषयुक्त हो उसके लिए यह बहुत शुभ व् फल दायक होता है | बुध की महा दशा में भी जातक पहनते हैं ||
             "पन्ने की जाँच स प्रकार से करें =

 

[१]-पन्ने को पानी के गिलास में डालने पर पानी में से हरी किरणें निकलने लगती हैं ||
       [२]-टॉर्च के प्रकाश में पन्ने को देखने पर असली पन्ना गुलाबी दीखता है ,परन्तु नकली पन्ना हरा ही दीखता है ||  {3 }-धारण -बुधवार शुक्लपक्ष एवं शुभ मुहूर्त में धारण करना चाहिए ।---

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गुरुवार, 7 सितंबर 2023

"मूंगा रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ---पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 


 "मूंगा रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"



   मंगल रत्न मूंगा {अंग्रेजी में -कोरल कहते हैं }ये सिंदूरी लाल रंग का होता है | मंगल ग्रह को ज्योतिष में सेनापति मन जाता है |यह शक्ति का प्रतीक है |जो लोग कमजोर हों ,सुस्त हों उन्हें यह धारक करना चाहिए |शत्रु पर विजय ,कारोबार में उन्नति ,पदोन्नति आदि के लिए भी लोग मूंगा धारण करते हैं |यदि मंगल कुंडली में नीच का हो तो धारण नहीं करना चाहिए वरना लड़ाई- झगडे तक करवा देता है "मूंगा "|| 
         मूंगा की पहचान आप स्वयं भी शास्त्र सम्मत कर पहन सकते हैं ?-
[१]-मूंगा को दूध में डालने पर दूध में से लाल रंग की झी दिखती है |---

[२]-तेज धुप में मुंगे को कागज या रूई पर रखें तो वह कागज या रूई जलने लगता है ||
    {3}-धारण -मंगलवार ,शुक्लपक्ष शुभ मुहूर्त एवं अनामिका अंगुली में धारण करना चाहिए ।      भाव -संसार में सभी अलंकार ये युक्त होते हैं ,ये अलंकार को हटा दिया जाय तो जीवन की कल्पना या सुन्दरता में कुछ कमी रह जाएगी | ग्रंथों में भी अलंकार रस का प्रयोग होता है इसके बिना ये काव्य भी नीरस सा प्रतीत होते हैं |किन्तु ज्योतिष के अलंकार रूपी रत्न -शोभा के साथ -साथ विपरीत  परिस्थिति में सहायक भी होते हैं  ये शोभा तो बढ़ाते ही हैं दयनीय अवस्था के सहायक भी होते हैं -किन्तु यदि सही परखकर न लिया जाय तो रत्न की जगह उपरत्न हो जाते हैं -जो हमारी किसी भी प्रकार की रक्षा नहीं करते हैं ||--

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सोमवार, 4 सितंबर 2023

"मोती रत्न"क्यों कब और कैसे पहनें ---पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


  "मोती रत्न"क्यों कब और कैसे पहनें ?"


 चंद्रमा का रत्न "मोती " है आंग्ल भाषा [अंग्रेजी में -पर्ल -कहते  हैं |

          ऐसा ज्योतिष  में विदित है कि-प्रत्येक जीव मन के वशीभूत होते हैं ,जब मन स्थीर हो जाता है -तो शांति मिल जाती है एवं शांति के बिना -जीवन नीरस सा प्रतीत होता है ||
       अस्तु  "मोती " यह एक शुभ रत्न है |क्रोध कम करने ,बल्ड प्रेशर ,ह्रदय रोग ,चिंता ,तनाव ,पारिवारिक झगडे कम करने या शांति के लिए इसे धारण किया जाता है ||
             "मोती "धारण करने से पूर्व "मोती "रत्न को आप स्वयं परख सकते हैं अपनी कसोटी पर ?
  [१]-किसी मिटटी के वर्तन में गोमूत्र लेकर उसमें मोती को रत भर पड़ा रहने दें |सुबह तक नकली मोती टूट जायेगा ||
[२]-जमे घी में "मोती "डालने पर यदि वह पिघलने लगे तो वह मोती असली होगा || 
   [३]-पानी से भरे कांच के गिलास में मोती डालने पर उसमें से किरणें निकलती दिखे तो वह असली "मोती "होगा ||    ------धारण सोमवार शाम के समय शुक्ल पक्ष में उचित रहता है ।
        भाव -हम दिखावा के लिए रत्न न पहनें, सही परखें और सही  समय से "मोती "कर्क " राशी या वृष राशी में यदि चंदामा हो तो धारण करना चाहिए || --भवदीय निवेदक ---
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शुक्रवार, 1 सितंबर 2023

माणिक रत्न क्यों कब और कैसे धारण करें --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

 रत्नों को ज्योतिष शास्त्रों में अलंकार [शोभा ] कहा गया है |जीने की सबकी तमन्ना होती है ,उसमें भी धन रूपी शोभा के बिना  जिस प्रकार से जीवन निरस हो जाता है -ठीक "ज्योतिष में भी रत्नों के बिना-ज्योतिष विद्या -निष्फल सी  लगने लगती  है ||--अस्तु -रत्न  हमारे  शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं किन्तु बिपरीत  परिस्थिति में हमारी रक्षा भी करते हैं -चाहे वो धन की हो ,मर्यादा की हो ,या ग्रहों के दोष की हो ,ये सभी प्रकार से हमारी रक्षा करते हैं | किन्तु रत्न -यदि रत्न न हो -तो रक्षा भी न के बराबर ही हमारी करते हैं |नवग्रहों के हिसाब से -नवरत्न हैं और नव उपरत्न भी हैं | आज अनंत रत्न हैं ,अनंत मत हैं ,इसलिए हम सत्य की पहचान करने  में  असत्य की ओर भागने लगते हैं | "ज्योतिष "के अनुसार रत्न ही पहनें और केवल वो रत्न पहनें जो -हमारी सभी प्रकार से रक्षा करे एवं जब विशेष दिक्कत हो धन की- तो ये धन रूप में बिक भी जाय -इस प्रकार के रत्न पहनने चाहिए ,और इसकी जब तक सही परख न हो तो हम रत्न धारण न करें ?---  ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार -सूर्य -आत्मा पर ,चंद्रमा -मन पर ,मंगल धैर्य पर ,बुध -वाणी पर ,गुरु [बृहस्पति ]-ज्ञान पर ,शुक्र -वीर्य पर और शनि संवेदना पर प्रभाव डालते हैं |जन्म कुंडली में जो ग्रह नीच राशि में या कमजोर होते हैं उनका दुष्प्रभाव पड़ता है और जो ग्रह उच्च राशि में या बलवान होते हैं उनका शुभ फल भी मिलता है |ऐसी दशा में ग्रहों की दुर्बलता दूर करने के लिए उनसे सम्बंधित रत्न भी पहने जाते हैं । --- [1 ]-सूर्यरत्न=माणिक्य या रूबी -गुलाबी लाल रंग का होता है |इसे धारण करने से भाग्योदय होता है ,शत्रुओं का नाश होता है ,पदोन्नति होती है ,समाज में प्रतिष्ठा बढती है | जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में -सूर्य -शुभ भाव में स्थित हो उसे ही -माणिक्य धारण करना चाहिए।  नोट -माणिक्य की पहचान इस प्रकार से करें -

          [1 ]-गाय के दूध में माणिक्य डालने पर -दूध  गुलाबी- सा दिखने लगता है ||

          

[2 ]-कांच के गिलास  में माणिक्य रखने पर कांच में हलकी लाल किरणें निकलती दिखाई देती है |
           [3 ]-कमल की कलि पर माणिक्य रखने से वह खिल जाता है ||
  भाव -यदि आपकी कसोटी पर "माणिक्य "सटीक बैठे तो जरुर लें -ये शास्त्रों की प्रमाणिकता है ||
      हम क्रम से सभी रत्नों की विवेचना करेंगें |--------प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

ज्योतिष सेवा सदन अब -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ का प्रादुर्भाव एक नजर -पढ़ें ?


"ज्योतिष सेवा सदन का प्रादुर्भाव ?एक नजर }" 
पढ़ें

अब-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---प्रिय ज्योतिष पाठक गण हमने नेट की शुरुआत 2010 में की थी | ज्योतिष के आलेख लिखना  ऑरकुट से शुरू किया था --पर सही लेखक 2013 में बना था --यह समय राजनीति की नई दिशा देने वाला था | एक नया भारत का निर्माण होने वाला था ---तो हमने भी अपने आप को कुछ बनने की तमन्ना की थी --यह ज्योतिष -2013 के लेख मेरे गवाह हैं --ॐ |ध्यान दें --फ्री ज्योतिष सेवा -18 /02 /2019 में बन्द हो गयी है | -----

 "ज्योतिष सेवा सदन

अब-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ-

का प्रादुर्भाव ?एक नजर }" --ज्योतिष सेवा सदन

अब-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ-

--एक व्यक्तिगत सेवा सदन है । जिसका निर्माण -२०१० में हुआ । इस सदन का ध्येय  केवल देश -विदेशों रह रहे मित्रों के लिए है । कोई भी मित्र बनकर निःशुल्क ज्योतिष सेवा सदन के सदस्य बन बन सकते हैं । ज्योतिष सेवा सदन -धन की लालसा से नहीं  अपितु प्रेम की जिज्ञासा से यह सेवा प्रदान करता है । शुल्क इसलिए रखा गया है -ताकि जरुरत लोग ही मित्र बनकर सेवा प्राप्त करें । जहाँ माँ सरस्वती होंगीं वहां माँ लक्ष्मी को आना ही पड़ता है । अर्थात --जब ज्योतिष सेवा सदन आप मित्रों के हित में कार्य करेगा ,तथा उस हित से आपको लाभ होगा तो आप भी ज्योतिष सेवा सदन के लिए सोचेंगें । प्राचीन युगों से ही ब्राह्मण को-दक्षिणा यग्य के उपरांत ही दी जाती है जैसे -किसी भी पूजा में -सर्वप्रथम सामग्री आती है ,पूजा के उपरांत हवन होता है--किन्तु भूदेव को दक्षिणा यग्य सम्बंधित समस्त कार्य होने के उपरांत ही मिलती है ।अतः हम भी उसी परम्परा के अनुसार कार्य करना चाहते हैं ।--विद्या ददाति विनयम विनया द्याति पात्रताम । पात्रत्वा धन माप्नोति,धनात धर्मः ततः सुखम ।।-----भाव -विद्या से विनय आनी चाहिए,और जब विनम्रता आती है --तो लोग सराहना करते हैं,जब सराहना होती है -तो सम्मान भी मिलता है अर्थात समयानुसार मदद भी मिलती है ,और जब मदद या सम्मान मिलता है -तो लोग धर्म अर्थात हित के कार्य भी करते हैं ।।

------आशा ही नहीं उम्मीद है --ज्योतिष सेवा सदन और अब खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई है  के निर्माता -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {किशनपुरी धर्मशाला देहल गेट मेरठ । के इन बातों पर भरोसा करेंगें ।। हमारे विचार से ---कुछ माँ के गर्भ से रिश्ते- नाते बनाकर आते हैं,कुछ इस भूमंडल पर बनाते हैं ,अतः जो भी मित्र - ज्योतिष सेवा सदन से जुड़ते हैं -वो सभी मित्र पराये होकर भी अपने होते हैं ,जुड़े हुए सभी मित्रों को हम वही सम्मान देते हैं --जैसे अपनों को देते हैं ।----भ्रमित न हों ---ज्योतिष सेवा सदन यानि खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ -आपके भाग्य को नहीं बदल देगा ,बल्कि आपकी कुंडली में प्राप्त भोग्य को ही दर्शायेगा । आपने जो किया है--आप जो पूर्व संचित कर रखा है -उस बात की ही जानकारी देगा ज्योतिष सेवा सदन ---कर्मण्ये बधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन ----किन्तु -ये भी सत्य है -ज्योतिष दूरगामी चीज है जो प्रलोभन देती है ,राह बताती है ,एक सकून देती है--और सकून किसको नहीं चाहिए --हम चाहकर भी ज्योतिष को विस्मृत नहीं कर सकते हैं । अतः ज्योतिष का लाभ लेना भी चाहिए -और बताये हुए मार्ग पर चलना भी चाहिए । ------ज्योतिष सेवा सदन यानि खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --से जुड़ें ,अपने भविष्य में घटित घटना से कैसे बचें ,एवं हमारी आपकी दुबारा बातचीत हो या न हो -किन्तु वार्षिक राशिफल ,व्यापार का आकलन ,ज्योतिष एवं कर्मकांड के लेखों के माध्यम से नित्य हम आपतक पहुचते रहते है आगे भी पहुंचते रहेंगें । हमें आप अपना परिवार का सदस्य समझें ।------ध्यान दें ----ज्योतिष सेवा निःशुल्क आजीवन देने की तमन्ना थी पर नेट का जन -जन तक पहुँचने से हमारी सेवा को दिक्कत होने लगी अतः फ्री सेवा -18 /02 /2019 में बन्द कर दी गयी |

      {१}-जब भी आपको लगे कि हमें ज्योतिष सम्बंधित सलाह लेनी चाहिए --आप उक्त नंबरों पर प्राप्त करें --9897701636 ,09358885616 --।।

      {२}-आप अपनी स्वच्छा से आजीवन सदस्य बनें ,इसके लिए आपको परेशान नहीं करेगा -ज्योतिष सेवा सदन अब खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ।। {३}-अगर आपको लगता है --ज्योतिष सेवा सदन-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ  आपके हित में कार्य कर रहा है ,तो आप इसकी सराहना करें ,इससे जुड़ें - ज्योतिष और कर्मकाण्ड के अनन्त आलेखों को निःशुल्क पढ़ते रहें |

-----हमें जितना चाहिए वो परमात्मा की आप मित्रों की कृपा से प्राप्त है । २३ धंटे-हम स्वार्थ के लिए जीते हैं -कितु एक धंटा आप मित्रों के लिए जीना चाहते हैं यही सोच है हमारी ।।

   भवदीय ज्योतिष सेवा सदन "झा शास्त्री "  -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ -  

-प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 28 नवंबर 2022

"संवत 2070 में "तम "नामक मेघ की स्थिति कैसी रहेगी --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

सोमवार, 20 मई 2013--

-प्रिय ज्योतिष पाठक गण हमने नेट की शुरुआत 2010 में की थी | ज्योतिष के आलेख लिखना  ऑरकुट से शुरू किया था --पर सही लेखक 2013 में बना था --यह समय राजनीति की नई दिशा देने वाला था | एक नया भारत का निर्माण होने वाला था ---तो हमने भी अपने आप को कुछ बनने की तमन्ना की थी --यह ज्योतिष -2013 के लेख मेरे गवाह हैं --ॐ |

"संवत 2070 में "तम "नामक मेघ की स्थिति कैसी रहेगी ?।"

इस वर्ष का मेघ का नाम "तम "है । सही अनुपात में वर्षा नहीं होने से अनेक प्रकार के कष्टों से जनता दुखी रहेगी । संवर्तक नामक मेघ होने से दक्षिण भारत में वर्षा विशेष होगी । अनेक जगहों पर बाढ़ से तबाही भी मचेगी । अस्तु ---आर्द्रा प्रवेश कुंडली के अनुसार वृष लग्न में सूर्य -आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगें -तदनुसार चन्द्र पर मंगल की दृष्टि जल के लिए शोषक है --जिसका प्रभाव अनेक राज्यों में विशेषकर उत्तर भारत में वर्षा का आभाव हो सकता है । एवं शनि +राहु और मंगल का षडाष्टक योग ,सूर्य से पंचम राहु +शनि ,छठे नीच चन्द्र इत्यादि के कारण इस वर्ष कहीं अकाल कली स्थिति हो सकती है । किन्तु दक्षिण भारत में -महाराष्ट्र ,उड़ीसा ,केरल ,तमिलनाडु आदि राज्यों में भयंकर बाढ़ ,समुद्रजन्य विनाश हो सकता है । कहीं सूखे से फसलों को हानि होगी तो कहीं बाढ़ व् अन्य प्राकृतिक प्रकोप के कारण त्राहि -त्राहि मचेगी । किसान एवं जनता हो कष्ट होगी ।यथा ----वह्नि -वेदांत -नंदेंदा एतत संख्यासु भास्करः ।
                    तिथिश्वसा यदा याति कष्टदः शेषके शुभः । ।
प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -भारत }--

---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


"संवत 2070अर्थात 2013+2014 में जलवायु की कैसी रहेगी स्थिति --पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

मंगलवार, 21 मई 2013

-प्रिय ज्योतिष पाठक गण हमने नेट की शुरुआत 2010 में की थी | ज्योतिष के आलेख लिखना  ऑरकुट से शुरू किया था --पर सही लेखक 2013 में बना था --यह समय राजनीति की नई दिशा देने वाला था | एक नया भारत का निर्माण होने वाला था ---तो हमने भी अपने आप को कुछ बनने की तमन्ना की थी --यह ज्योतिष -2013 के लेख मेरे गवाह हैं --ॐ |

"संवत 2070अर्थात 2013+2014 में जलवायु की कैसी रहेगी स्थिति ?" 


इस साल सप्तवायु में से "विवह " नामक वायु प्रभावी होगी । इस विवह वायु के प्रभाव से विस्व के दक्षिणी और पश्चिमी भूभाग पर तथा समुद्र तद्वर्ती कुछ भूभागों पर समुद्री तूफान ,भूचाल ,के साथ -साथ भूमध्यगत पृथ्वी पर वायु तरंगों से भारी हानि होगी । कहीं -कहीं बाढ़ से भी भारी तबाही मचेगी ।
         अस्तु -----इस वर्ष रोहिणी का निवास "समुद्र "में होने के कारण कुछ राज्यों में अतिवृष्टि अर्थात भरी वर्षा होगी --{इसका मतलब की कहीं सुनामी एवं कहीं बाढ़ की स्थिति रहेगी }---कहीं ज्वालामुखी प्रस्फुटित होगी तो कहीं भूचाल से हानि होगी ।    ---संवत --2070 में जल का स्तर -केवल 25.7 है --जिस कारण से पंजाब ,हरियाणा ,आदि राज्यों में जल आवश्यकतानुसार नहीं प्रकृत देगा किन्तु पृथ्वी के दक्षिणी भूभाग पर विशेष वर्षा से हानी होगी ।
-------- इस साल "वायु का स्तर 96 प्रतिशत रहेगा ---इसके प्रभाव से इस साल पृथ्वी के अंतराल में "सीस्मो ग्राफिक वेवज "सक्रीय होगी और --भूकंप ,सुनामी टाटा ज्वालामुखी -विस्फोट से जन तथा धन की विशेह क्षति होगी । यह स्थिति देशी + विदेशी समुद्री भूभाग पर विशेष रूप से घटित होगी ।
      ---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"इस संवत का नाम "पराभव "है क्या हो सकता है इस वर्ष -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 

शुक्रवार, 24 मई 2013--

-प्रिय ज्योतिष पाठक गण हमने नेट की शुरुआत 2010 में की थी | ज्योतिष के आलेख लिखना  ऑरकुट से शुरू किया था --पर सही लेखक 2013 में बना था --यह समय राजनीति की नई दिशा देने वाला था | एक नया भारत का निर्माण होने वाला था ---तो हमने भी अपने आप को कुछ बनने की तमन्ना की थी --यह ज्योतिष -2013 के लेख मेरे गवाह हैं --ॐ |ध्यान दें --फ्री ज्योतिष सेवा -18 /02 /2019 में बन्द हो गयी है | -----

"इस संवत का नाम "पराभव "है क्या हो सकता है इस वर्ष ?"

 

---सन 2013 +2014  अर्थात संवत -2070 -का नाम "पराभव "है -ज्योतिष शास्त्रों में "पराभव "नामक संवत्सर का विश्लेषण ---जैसा कि नाम से ही विदित होता है -अपनी -अपनी शक्ति, सामर्थ और बल का प्रयोग करने में कोई भी कम नहीं होंगें ,चाहे राजनीति हो ,सत्ता के लिए युद्ध हो ,चाहे अपनी -अपनी सीमाएं ही क्यों न हो ---जिस की लाठी उसकी भैंस ----सवाल सत्य का या असत्य का नहीं संग्राम हमें जीतना है यही लक्ष सभी का होगा । -------अस्तु ---राजनैतिक दलों में परस्पर शक्तिपरीक्षण की भावना बलवती हो जाएगी । क्षुद्र ,धान्य ,बाजरा ,जौ ,एवं दलवाना आदि की फसल विशेष होगी । वर्षा समयानुसार कम होगी ।     यथा --"पराभवाब्दे राज्ञां स्यात समरः सह शत्रुभिः । आमयः क्षुद्र सस्यानि प्रभुतान्यल्प वृष्टयः । ।
----किंवा ---इस पराभव संवत्सर में कुछ प्रान्तों में अकाल की स्थिति भी बनेगी । अनाज एवं औषधियों के दाम पहुंच से अधिक होगी - तथा ग्रीष्म ऋतू में वर्षा होगी -----"पीड़िताश्च प्रजाः सर्वाः क्षुधार्ता स्युः पराभवे ।धान्यों ष धानि नश्यन्ति ग्रीष्मे वर्षति माधवः । । ---इस संवत्सर 2070-का राजा देवगुरु वृहस्पति हैं । शासन तंत्र में सुधार ,आर्थिक स्थिति पर विशेष मंथन से नए आयाम उपस्थित होंगें । जनहित की नई -नई योजनाएं बनेंगी । ---वर्तमान पराभव संवत्सर में ---सस्येस एवं नीरसेश दो पद मंगल ग्रह को मिला है,मेघेस ,फलेस तथा दुगेश -ये तीनों पद वर्षेश गुरु शत्रुग्रह शुक्र की मिला है । इस प्रकार 6 प्रमुख पद क्रूर ग्रहों को प्राप्त है --इससे स्पष्ट होता है कि यह संवत --{2070 }अनेक राज्यों में भारी प्राकृतिक आपदाओं से हानी होगी । गोचर ग्रहस्थिति के अनुसार प्रतिष्ठित शासनतंत्र -सत्ता -सुखभोग रहे राजनीतिक दल एवं प्रतिष्ठित नेताओं के लिए संकटपूर्ण समस्याओं को लेकर उपस्थित हो रहा है । इस पराभव - संवत के उत्तरार्ध के लगभग परिणाम राजनीतिक जगत के लिए आश्चर्य जनक सिद्ध होंगें ।---------प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...