"पुखराज रत्न "क्यों ,कब और कैसे पहनें ?"
हमारे
जीवन को प्रभावित करते हैं"रत्न " इसलिए हमलोग करते भी हैं यत्न | परन्तु
रत्न से ही समाधान होगा ऐसा नहीं है ,उत्तम समाधान तो कर्म ही होता है
किन्तु जब हम भौतिक जीवन की कामना करते हैं तो हमें भौतिक वस्तु की लालसा
ही हमें "रत्न " की प्रेरणा देती है और हम चाहकर भी रत्न से दूर नहीं हो
पाते हैं ||
अस्तु -यदि परमात्मा की कृपा है ,धन की प्रचूरता
है ,तो फिर अपनी शोभा और ग्रहों के निदान के लिए "रत्न अवश्य ही पहनें
,परन्तु जो पहनें वो सही हो -आइये जानते हैं --
पुखराज {टोपाज } ब्रेहस्पति "रत्न" को --यह पीले रंग का होता है |महिलाओं
का यह प्रिय "रत्न "है |उन्हें इसके धारण करने से पति सुख प्राप्त होता है
|व्यक्ति को धन संपत्ति ,पुत्र सुख ,स्त्री सुख मिलता है | इसे कोई भी
व्यक्ति पहन सकता है | ब्रेहस्पति की महादशा किसी अन्य ग्रह की दशा में
ब्रेहस्पति की अन्तर्दशा में यह अधिक फल देता है | अगर गुरु {ब्रेहस्पति }
बारहवें स्थान पर हैं तो इसे धारण नहीं करना चाहिए ||
पुखराज की जांच---
[1]-सफेद कपडे पर पुखराज रखकर धुप में देखने पर कपडे पर पीली झाई -सी दिखती है ||
[2]-पुखराज को चौबीस घंटे दूध में रखने पर असली पुखराज की चमक कम नहीं होती है ||-----

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