रत्नों को ज्योतिष शास्त्रों में अलंकार [शोभा ] कहा गया है |जीने की सबकी तमन्ना होती है ,उसमें भी धन रूपी शोभा के बिना जिस प्रकार से जीवन निरस हो जाता है -ठीक "ज्योतिष में भी रत्नों के बिना-ज्योतिष विद्या -निष्फल सी लगने लगती है ||--अस्तु -रत्न हमारे शरीर की शोभा तो बढ़ाते ही हैं किन्तु बिपरीत परिस्थिति में हमारी रक्षा भी करते हैं -चाहे वो धन की हो ,मर्यादा की हो ,या ग्रहों के दोष की हो ,ये सभी प्रकार से हमारी रक्षा करते हैं | किन्तु रत्न -यदि रत्न न हो -तो रक्षा भी न के बराबर ही हमारी करते हैं |नवग्रहों के हिसाब से -नवरत्न हैं और नव उपरत्न भी हैं | आज अनंत रत्न हैं ,अनंत मत हैं ,इसलिए हम सत्य की पहचान करने में असत्य की ओर भागने लगते हैं | "ज्योतिष "के अनुसार रत्न ही पहनें और केवल वो रत्न पहनें जो -हमारी सभी प्रकार से रक्षा करे एवं जब विशेष दिक्कत हो धन की- तो ये धन रूप में बिक भी जाय -इस प्रकार के रत्न पहनने चाहिए ,और इसकी जब तक सही परख न हो तो हम रत्न धारण न करें ?--- ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार -सूर्य -आत्मा पर ,चंद्रमा -मन पर ,मंगल धैर्य पर ,बुध -वाणी पर ,गुरु [बृहस्पति ]-ज्ञान पर ,शुक्र -वीर्य पर और शनि संवेदना पर प्रभाव डालते हैं |जन्म कुंडली में जो ग्रह नीच राशि में या कमजोर होते हैं उनका दुष्प्रभाव पड़ता है और जो ग्रह उच्च राशि में या बलवान होते हैं उनका शुभ फल भी मिलता है |ऐसी दशा में ग्रहों की दुर्बलता दूर करने के लिए उनसे सम्बंधित रत्न भी पहने जाते हैं । --- [1 ]-सूर्यरत्न=माणिक्य या रूबी -गुलाबी लाल रंग का होता है |इसे धारण करने से भाग्योदय होता है ,शत्रुओं का नाश होता है ,पदोन्नति होती है ,समाज में प्रतिष्ठा बढती है | जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में -सूर्य -शुभ भाव में स्थित हो उसे ही -माणिक्य धारण करना चाहिए। नोट -माणिक्य की पहचान इस प्रकार से करें -
[1 ]-गाय के दूध में माणिक्य डालने पर -दूध गुलाबी- सा दिखने लगता है ||

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें