ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 25 सितंबर 2023

"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -11ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -11ज्योतिषी झा मेरठ
हमारा प्रवेश महाविद्यालय की कक्षा -उपशास्त्री {इंटर }में हो चूका था | हम व्याकरण और वेद में निपुण थे तो सोचा क्यों न ज्योतिष विषय रखा जाय साथ ही जो मेरे साथ तमाम घटनाएं हुई उनको ज्योतिष के माध्यम से जाना जाय | अब हम ज्योतिष के तमाम ग्रन्थों को पीने लगे -शिशुबोध ,मुहूर्त चिंतामणि ,ताजिकनीलकण्ठी जैसे ग्रन्थों का आत्मसात किया | इसी बीच प्रेम पत्र के कारण आश्रम से निकाला गया | गांव में दस दिन हुए हम कालेज नहीं आये ,पिता नौकरी कलकत्ता में कर रहे थे | मां ने पंचायत की मेरे लिए अब सारा समाज एकत्रित हुए और ताऊ ने पूछा -कालेज नहीं जाने का कारण बताओ अन्यथा पिटाई होगी | हमने सारी बातें बताई -अब सारा समाज मुझे अपमान की दृष्टि से देखने लगा | मेरे एक ताऊ आश्रम मेरे साथ आये ,सरकार से क्षमा मांगीं ,सरकार ने क्षमा की ,पुनः हम आवास में रहने लगे, किन्तु आश्रम में नहीं रहकर स्वतंत्र रहना मंजूर था तो मां ने 100 रूपये महीने पढ़ने के लिए दिए और मुझको छत्रवृत्ति भी मिलने लगी, हम पढ़ने लगे | पर यहाँ भी चारो ओर मेरा अपमान होने लगा प्रेमपत्र के कारण -चाहे गुरूजी हों या छात्र ,या फिर इर्द -गिर्द के लोग सभी हास्य करने लगे ,हर जगह मेरी चर्चा होने लगी | एकान्त ही मेरा जीवन था ,नीरस था | अब हम बहुत दूर जाना चाहते थे न गांव में न आश्रम में रहना चाहते थे | इसी बीच बाढ़ आ गई जन - जीवन सबके अस्त व्यस्त हो गए | हम गांव आ गए ,यहाँ घर मिटटी का था, सभी सो रहे थे दीवाल गिर गई सभी भाग गए पर मैं फँस गया क्योंकि मैं जीना नहीं चाहता था | रात का समय अंधेरा था ,लालटेन नहीं था ,टिमटिमाता मिटटी तेल का दीपक वो भी बुझ गया | मां ,दीदी ,छोटे भाई सभी रोने लगे फिर समाज के लोग आये मुझको निकाला -मैं सही सलामत था | अब हम फिर विद्यालय जाने की सोच ही रहे थे कि एक और हादसा हो गया | पिताजी- खोखा में व्यापार करते थे ,मेरे गांव से दूर जगह -गांधराईन अंधरा ठाड़ी जिला -मधुबनी {बिहार }उनके साथ मेरा अनुज रहता था वो वहीं पढता था | एक दिन पिताजी उसको वहीं छोड़कर घर आये थे उसी रात उसको सांप ने काट लिया और मेरे घर का एक दीपक बूझ गया ,बूझना तो मुझे चाहिए था पर वो मुझसे होशियार था हम सबको छोड़कर चला गया | उसके बाद हमारा परिवार धन से तो तंग था ही ,अब मकान भी नहीं था कर्ज लेकर जो व्यापार छोटा मोटा था वो भी समाप्त हो गया | उपशास्त्री के पेपर किसी तरह से दिए | अब हम पढ़ना नहीं चाहते थे न ही गांव में रहना चाहते थे ,मेरे मामा रेलवे में थे "दिल्ली "उनको मेरे पिताजी ने पढ़ाया और उनकी सरकारी नौकरी थी पर कभी भी एक रूपये की मदद नहीं की न ही रास्ता दिखाया | मेरे जीजा धनाढ्य थे पर कभी कोई सहायता नहीं की | यह समय काटना बहुत कठिन था | मुझे घर और आश्रम के सिवा कोई जगह की जानकारी नहीं थी | -----आगे की चर्चा कल करूँगा |-----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --.https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut..

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