ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

गुरुवार, 11 सितंबर 2025

आत्मकथा का उत्तर भाग -2 -सुनें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


मेरी कुण्डली का चौथा घर -आत्मकथा पढ़ें -भाग -118 - ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ -प्रिय पाठकगण --ज्योतिष वास्तव में एक दर्पण है | जैसे ऑंखें भी होतीं हैं ,नजदीक वस्तु भी होती है --पर कभी -कभी दिखती आँखों को वस्तु नहीं है | --इसका अर्थ जल्दबाजी होती है --थोड़ी सी शान्ति व्यक्ति रखे तो वह वस्तु जो दिखती नहीं थी --थी सामने -शान्ति हुए तो मिल जाती है --वैसे ही जीवन में गुरु का मार्गदर्शन होता है | -मेरी कुण्डली की नीव बहुत ही मजबूत है --तो धन एवं कुटुंब अच्छे रहे भले ही हमने महत्व नहीं दिया | जब धन और कुटुंब का महत्व नहीं दिया --तो फिर प्रभाव कमजोर होना लाजमी था --क्योंकि जो व्यक्ति धन और परिजनों का आदर नहीं करेगा तो -उसे ये दोनों परित्याग कर देते हैं --इसका परिणाम यह होता है -व्यक्ति के पास अपने संसाधन तो होते हैं -पर वह अकेला होता है --यह स्थिति मेरे साथ रही | ---अस्तु ---अब चौथे घर की बात करें तो -यह घर  सुख पूर्ण रूपेण मिले --क्यों --क्योंकि चौथे घर और भाग्य का स्वामी सूर्य के साथ बहुत ही मजबूत है | सम्पूर्ण जीवन हमने इस घर पर बहुत ही अन्वेषण किया --हमने देखा ज्यादातर बड़े लोगों की कुण्डली में ऐसा योग था | जब हम -11 वर्ष के थे तब से इस स्थिति को बहुत ही ढूंढा --जहाँ भी गया उन ज्योतिषी गुरु ने कहा एक दिन तुम राजा बनोगे | जब हम -10 वर्ष के हुए --तो राहु की दशा प्रारम्भ हुई --यह दशा -28 वर्ष के जब हुए तब तक रही --संयोग से -शिक्षा ,दीक्षा ,विवाह ,संतान ,पालयन इसी दशा में हुए | मेरी कुण्डली में राजयोग था फिर भी हम महादरिद्र थे | जब हम -28 वर्ष के हुए और गुरु की दशा प्रारम्भ हुई --अनायास राजयोग शुरू हुआ --फिर वाहन ,भवन ,दाम्पत्य सुख ,शिक्षा ,संतान सभी राजयोग में बदल गए | तब मैं अधूरा पंडित था --सभी ग्रन्थ तो जिह्वा पर थे पर मार्गदर्शन नहीं था | एकदिन अनायास शिव की शरण में रोने लगे -कैसे चलूँ ,क्या करू --मानों अनायास राजयोग का दौर शुरू होने वाला था तो ईस्वर प्रेरणा भी अनायास ही दी | मानों स्वयं भोलेनाथ -मंदिर से मेरे ह्रदय में समा गए --और प्रेरणा के श्रोत बन गए | 10 वर्ष से लेकर जब हम -28 वर्ष के हुए -अपने हों या पराये सभी ठोकर मारते गए | सारे परिजन होते हुए भी अकेले चल रहे थे ,हमारे धन पर सभी राज कर रहे थे फिर भी हम उनके लिए ही जी रहे थे | किसी तरह से पनाह मिले यही सोच थी --सबसे पहले माँ ने त्याग दिया ,फिर पिता ने त्याग दिया ,फिर भाई ,बहिन ,मामा सबने त्याग दिया | मेरी पतनी और बच्ची को जो तकलीफ हुई -उसकी क्या गाथा लिखू  | जब राजयोग शुरू हुआ तो अकेले चलने लगा --क्योंकि ठोकर से अकल आ चुकी थी | --ऐसा इसलिए हुआ --मेरी कुण्डली में सूर्य लग्न का राजा है --जो मुझे जन्मजात  वसूलों का पक्का बनाता है ,थोड़े में खुश रहने का सिद्धांत देता है --मंगल होने से कर्मठ और जुझारू बनाता है --किन्तु यहाँ केतु है --इसका अर्थ है --जो मेरी मातृ सुख है -जो दिखता है --वो सच नहीं है --माँ ऊपर से तो प्रेम करेगी --किन्तु ह्रदय में छल है साथ ही भाग्य के क्षेत्र का स्वामी भी केतु के साथ लग्न में है --इसका अर्थ है --सबकुछ होने के बाद भी भाग्य का सुख एक छलावा रहेगा | जबतक -परिजन हों ,शिष्य हों ,मित्र हों ,पड़ोसी हों --खिलाते रहेंगें --ये अपने रहेंगें --अन्यथा ये सभी शतु की तरह व्यवहार करेंगें | --यह अनुभव जब हम -55 वर्ष के हुए तब हुआ | अगर मुझे एक सही मार्गदर्शन दाता मेरे पास होते तो हम सुखी होते --जब मुझे आज ईस्वर की प्रेरणा से अब अनुभव हुआ --तो वास्तव में मैं अब सुखी हुआ | अतः सभी पाठक जीवन में किसी न किसी का मार्गदर्शन अवश्य लें सुखी होना है तो ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


गुरुवार, 4 सितंबर 2025

मेरी कुण्डली का तीसरा घर -आत्मकथा पढ़ें -भाग -117 - ज्योतिषी झा मेरठ


ज्योतिष के मेरे प्रिय पाठकगण --मेरी कुण्डली वैसे बहुत ही सशक्त ,मजबूत है --किन्तु यह तीसरा घर -जिससे  व्यक्ति का पराक्रम का अनुमान लगाया जाता है एवं -भाई -बहिन के साथ कितनी मजबूती रहेगी -इसका विचार किया जाता है | -ईस्वर ने हमें जोर का झटका दिया --क्यों ? --क्योंकि यहाँ गुरु -बृहस्पति शुक्र राशि में उपस्थित हैं --एक तो यह घर गुरु का अपना नहीं है -शत्रु क्षेत्र में गुरुदेव हैं साथ ही इस तीसरे घर पर शनिदेव जो भाग्य में विराजमान हैं --इस घर को पूर्ण दृष्टि से देख रहे हैं --इसका अभिप्राय है -मैं भले ही कितना ही ज्ञानी हूँ या धर्मानुरागी या फिर अनंत गुणों से युक्त हूँ --जीवन भर यहाँ मेरी नहीं चली | हमने कभी किसी को धोखा नहीं दिया ,हमने कभी किसी का कुछ नहीं लिया ,हम अपने धन में ही खुश सदा रहे हैं ,सबको शिक्षाविद एवं सुसभ्य बनाने का सदा प्रयास किये | कोई भी शिष्य हो या अपने सबको धर्म युक्त मार्ग ही बताया है --केवल एक अवगुण मेरे में था --गलती मत करो ,याचना मत करो ,परिश्रम से धन कमाओ ,स्वाभिमान से जिओ ,जितना है प्रसन्न रहो --अधिक पाने के लिए सार्थक प्रयास करो या फिर ईस्वर अधीन हो जाओं --इन अवगुणों के कारण कभी भी मैं जीत नहीं सका --पराक्रम को या प्रजाओं को --क्यों ? --क्योंकि -मेरे भाग्य के क्षेत्र में नीच का शनि है --अतः मेरे जितने भी सगे -सम्बन्धी रहे या शिष्य या यजमान वो -धनाढ्य तो थे किन्तु अल्पज्ञानी थे ---अतः जिस प्रकार चोर के सामने व्यक्ति लाचार होकर अपने को तो समर्पित कर देता है --किन्तु मन यह रहता है -अगर कोई मेरी सहायता करे तो इस चोर को बता दूंगा मैं भी कोई चीज हूँ | ऐसा ही मेरे साथ सदा रहा --सबसे पहले माता पिता को सशक्त बनाना चाहा --वो बनें भी किन्तु अनुज का साथ मिलने पर हमें सबसे पहले नकार दिए | अपने अनुज को शिक्षित करना चाहा ,आज भी उसके पास उतनी सरस्वती हैं -पर धन आने पर -वो सबसे पहले मुझे ही तिरस्कृत किया | -जब हम 29 वर्ष के हुए --सभी परिजन होते हुए भी मैं अकेला था -तो एक यजमान को ही सगा समझने लगा --पर अंत में बाल -बाल धन से बचा अन्यथा -कुछ नहीं बचता | एक और दौर आया --20 17 में एक और यजमान से दोस्ती हो गयी --हुआ यह उसकी एक पूजा की जिसके प्रभाव से उसके घर की एक विषम कथा उजागर हो गयी जिसे न तो हम जानते थे न वो | इस बात से वो मित्र विक्षिप्त रहने लगा -उसकी आयु के लिए फिर जाप किये -वो मृत्यु से बच गया ,उसके बाद एक और पूजा हुई -उसके बाद --उसकी दुकान माँ के  नाम थी -जो हमने प्रयास किया उसके नाम हो जाय हो गयी | उसके बाद मकान उसकी पतनी के नाम करबाने का प्रयास किया वो भी हो गया ,उसके बाद --उसका कारोबार समाप्त हो गया -हमारा उठना -बैठना एक साथ था -हमने कईबार कहा अगर तुम सही राह नहीं चलोगे तो बदनामी हमारी होगी --बहुत दिनों के बाद पत्ता चला -इसके पास धन बहुत है पर कर्जदारों को देना नहीं चाह रहा है --ऐसी स्थिति में --हमने कहा दुकान सबसे - कहो बेच दी और बैंक का कर्ज चुकाया --यह दुकान पंडितजी को दे दी जबकि सच यह था -दुकान उसकी ही थी ,जीएसटी उसके नाम ,पूंजीं उसकी थी, कमाई में आधा -आधा के दोनों हक़दार थे | उसकी पतनी को भी इस सच्चाई से दूर रखा ,--इसका परिणाम यह हुआ वो सबके कर्जदार होने के बाद भी मेरी वजह से बिना धन दिए  मुक्त हो गया | अब कारोबार भी ठीक हो गया ,बाल बच्चे भी सही हो गए | जब वो चारो तरफ से सुरक्षित हो गया तो हम चाहने लगे उसकी पतनी को सभी बातों से अवगत करा दूँ --एवं हम अलग हो जाय क्योंकि मेरा मकसद उसे सही करने का था --एक दिन उसने मेरा इतना अपमान किया कि हम अपना -50 हजार छोड़कर एवं माह का हिस्सा छोड़कर चल दिए-- पर --कभी उस व्यक्ति ने न हो हिसाब दिया न ही गलती की क्षमा मांगी | --अब आपलोगों के मन में एक प्रश्न उठा होगा --ऐसे-- कैसे अपमान कर दिया --तो सुनें --जब हम साथ -साथ थे और बाहर से मुझे गरीब दिखा --तो हमने अपने घर का कूलर और अपने बालक की साइकिल दी --एकदिन बोला -मेरी घरवाली बोली शनिदान दिया है अतः बेचकर पैसे खा गया , हमने पूछा --जो धन खाया उसमें शनि नहीं था --और सुनों वो साइकिल मेरे बालक की थी --तुमने बेचकर अच्छा नहीं किया --मैं तुमसे बहुत नाराज हूँ --इसके बाद हमने कहा मैं तुम्हारा गुरु नहीं हूँ --पैर मत छूआ करो --उसके मन कई शंका उठने लगी --फिर क्या था -उसके सब काम बन चुके थे --जब दुनिया का धन खा गया तो मेरा धन खा जाये --इसमें कौन सी बड़ी बात है | ---अस्तु --कहने का अभिप्राय है --कुण्डली का यह ज्ञान मुझे था --पर मेरे कोई मार्गदर्शक नहीं थे --जिनसे कोई सलाह लेता --अतः कईबार मैं भावनाओं में बहक जाता हूँ --इससे चाहे अपने हों या पराये मुझे चोट बहुत ही पहुंची है | --मेरी कुण्डली --यह तीसरा घर सबसे हानि दी है --जिसका अनुभव अब हो रहा है ----अगले भाग में कुण्डली  के चौथे 


घर की चर्चा करेंगें ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs

मंगलवार, 2 सितंबर 2025

मेरी कुण्डली का दूसरा घर -आत्मकथा पढ़ें -भाग -116 - ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों -किसी भी जन्मकुण्डली के दूसरे घर से --व्यक्ति का धन और कुटुम्ब सुख देखा जाता है | --अस्तु -मेरे पास धन स्थिर रहेगा या चलायमान एवं कुंटुंब के सुख कैसे रहेंगें --इस पर जब मेरी नजर गयी --तब तक मैं 55 वर्ष का हो चूका था --इसका अर्थ है -हम एक ज्योतिषी होकर भी अपने जीवन में इन दोनों चीजों का समुचित लाभ नहीं ले सके | ज्यादातर व्यक्ति की चाहत धन प्राप्ति की तो होती है पर उसका लाभ कैसे मिलें या उसकी हानि से कैसे बचें --इस मामले में सही मार्गदर्शन लोगों को नहीं मिलता है --परिणाम आय से ज्यादा खर्च होता है या वो सिद्धान्तों की वजह से धन के मामले में अधूरा रह जाता है --अगर भूल से धन मिल भी जाय तो किसी न किसी कारण से धन खो देता है | --मेरे साथ भी ऐसा ही हुआ -मेरा चन्द्रमा उच्च का है -जो मेरा मनोभाव को दर्शाता है --थोड़ा सा स्नेह मिले या तारीफ मेरी कोई कर दें --मेरे लिए धन मायने नहीं रखता है | इस बात का लाभ सबसे पहले माँ ने उठाया ,फिर पिता ने ,फिर परिजनों  ने ,फिर पतनी ने --जब -जब पतनी की नजर से बचे तो शिष्यों ने खूब धन लाभ उठाया | यह जानते हुए कि यह व्यक्ति मेरा धन लेना चाहता है --फिर भी भावुकता में आकर हमने अपना धन तो खोया ही --मान -सम्मान भी खो दिया | --दूसरे घर का स्वामी मेरा बुध है जो उच्च का है -इसके साथ कर्मेश और पराक्रम क्षेत्र का शुक्र है जो नीच का है --इसका अर्थ है -धन देने के बाद भी हम किसी का नहीं हो सके न ही कोई सहायक रहे --वो तबतक रहे जबतक उनका काम बनता रहा --चाहे शिक्षा लेनी हो ,ज्योतिष की जिज्ञासा हो या फिर अपना काम आसान बनाना हो --ये लाभ आजीवन मुझसे लोग लेते रहे |  इतना होने के बाद भी मुझे धन कमाने का तो लगाव रहा पर समेटने या अपने ऊपर खर्च करने का कोई शौक नहीं रहा | हम अपने जीवन अगर कोई चीज खोने में माहिर रहे तो वो या तो धन था या कुटुंब | इन दोनों को त्याग करने में तनिक भी कष्ट नहीं हुआ | इसका परिणाम यह हुआ -- जिसके हाथ हम आये तब तक उसके रहे जबतक उसके हाथ रहे -उसके बाद उस व्यक्ति ने चाहे अपने हों या परायें --इतनी जोर से पटका --कि हम उससे बहुत दूर होते चले गए | हमने किसी यजमान को यह कहा यह काम इतने में होगा --अगर उसने तनिक भी धन कम किया तो हम उसके चक्कर में सारा धन छोड़ दिए -साथ ही उस व्यक्ति को भी छोड़ दिए --इस बात का मुझे कभी भी मलाल नहीं रहा | अगर किसी मित्र से या अपनों से मेरी बातें नहीं मिलती हैं --तो हम उससे सदा दूर हो जाते हैं --चाहे वो पतनी या बच्चे ही क्यों न हों --इस बात का मुझे कभी मलाल नहीं होता है | --जीवन में हमने सदा एक प्रयास किया है --किसी को धोखा नहीं दो,किसी की आशा मत तोड़ों --अगर उसने ये काम किया तो हम सदा -सदा के लिए चल देते हैं --इस बात का मुझे कभी मलाल नहीं रहता है | --जीवन में कईबार किसी के साथ चलना चाहा --पर उस -उस ने अपने काम बनते ही मुझे शून्य बना दिया | लोग किसी को कर्ज देते हैं तो ब्याज लेते हैं --किन्तु हमने जितने को धन दिया व्याज तो दूर मूल धन ही नहीं दिया --साथ ही कभी न तो माँगा न ही उसके सामने गया --इसका लाभ बहुत लोगों ने उठाया | --अब आप पाठकों के मन में एक प्रश्न उठ सकता है --अगर किसी व्यक्ति की कुण्डली में ऐसा योग हो तो कैसे बचे --इसका जवाब है --होनी को कोई टाल नहीं सकता है --अगर किसी जातक को सही सत्संग या मार्गदर्शन मिले तो बच सकता है ---यह मार्गदर्शन मुझे नहीं मिला -जब हम केवल 11 वर्ष के हुए तभी मेरा पलायन मातृभूमि से हुआ --यह पलायन जब हम -30 वर्ष के हुए तब तक चलता रहा | इसके बाद -पतनी का आंचल ने संभाला -किन्तु भारत भूमि पर  पतनी की लोग कितनी सुनते हैं --अतः ये दोनों हानि -धन एवं कुटुंब की थोड़ बहुत आज भी होती है | --अगले भाग में कुण्डली  के तीसरे घर की चर्चा करेंगें ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs


रविवार, 31 अगस्त 2025

मेरी आत्मकथा का उत्तर भाग 1 ज्योतिषी झा मेरठ


शनिवार, 30 अगस्त 2025

मेरी कुण्डली का प्रथम भाव -आत्मकथा पढ़ें -भाग -115 - ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों -आत्मकथा के कुछ भाग शेष रह गए हैं | जब हम आत्मकथा लिखने लगे तो सोच केवल मेरी यह थी -मुझसे गलती कहाँ हुई -क्या अब कुछ ठीक कर सकते हैं | -2017 से चलते -चलते अब यह समझ में आया है --केवल गुरु का मागदर्शन ही किसी व्यक्ति को सही जगह आसीन कर सकता है | इसके सिवा भटकाव से बचने का कोई मार्ग नहीं हो सकता  होता है | ---अस्तु --दोस्तों  ज्योतिष की खोज केवल मानव के लिए हुई थी | इसका सही लाभ राजा -महराजा ही ले पाए | आज भले ही ज्योतिष सर्वमान्य है --किन्तु  मार्गदर्शन शून्य है | आज भले ही घर -घर ज्योतिष है किन्तु भरोसा शून्य है | क्योंकि ज्योतिष वैदिक कर्मकाण्ड विहीन हो रहा है साथ ही संस्कृत भाषा से भी बहुत दूर हो चूका है | इसकी वजह से गुप्त शून्य है -जब सबकुछ उजागर हो जाता है तो फिर --व्यक्ति को कल का फिक्र नहीं होता है --इसकी आर में अधर्म एवं गलत राह से भी चिंता मुक्त रहता है | अतः हो सके तो अपनी ज्योतिष खुद न पढ़ें -गुरु जनों  का सान्निध्य प्राप्त करें -इसमें ही किसी व्यक्ति का कल्याण हो सकता है | --मेरा जन्म निम्न परिवार में हुआ किन्तु गुरुजनों के सान्निध्य से वैदिक और ज्योतिषी भी बनें | कम उम्र में पलायन धन के लिए हुआ | दर -दर भटकता रहा | कुण्डली भी थी ,एक शास्त्री भी थे पर उपचार का  सामर्थ नहीं था, न ही गुरु जनों  का सान्निध्य | कुण्डली में राजयोग ,धन ,संपत्ति ,वाहन ,भवन को तो ढूंढते रहे पर सही गुरु जनों का मार्ग दर्शन नहीं होने के कारण --दुनिया की सभी वस्तुओं को प्राप्त करने के बाद भी दुःखी रहा | जब पहलीबार अपनी कुण्डली में ज्ञात हुआ --सिंह लग्न का हूँ --तो किताब के अनुसार अपने आप को राजा समझा | जब यह ज्ञात हुआ कि सूर्य के साथ मंगल भी लग्न में दो -दो त्रिकोण का स्वामी होकर बैठे हैं --तो अपने आपको प्रधानमंत्री से कम नहीं रहेंगें --किताबों के अनुसार और ऐसा हुआ भी | ---जीवन भर यह सुख मिला --राजा की तरह जीये ,कभी झुके नहीं ,तनिक सी गड़बड़ बात पसंद नहीं ,तनिक सी असभ्यता पसंद नहीं ,अपनी शान में कोई कमी न रहे ,जैसा मैं चाहू वही हो ,सभी मेरी बातों को अमल करें ,सबको बेहतर जीवन मिले ,सभी सुखी से रहें ,नित्य परोपकार करें ,एक सुन्दर समाज की रचना करें ,सत्य पथ पर सभी चलें ,सभी कर्मठ हों ,सबके घर में राम राज्य हो --इतने तमाम गुण मेरी कुण्डली के प्रथम भाव में थे ---ध्यान दें --समाज में धर्म है तो अधर्म भी हैं ,सत्य है तो असत्य भी है --अतः इतने गुण होने के बाद भी अपने घर को नहीं संभाल पाए ---क्यों ? क्योंकि जो व्यक्ति केवल किताब के आधार पर चलता है --वो ज्ञानी होते हुए भी अधूरा रहता है --अतः हर व्यक्ति को किताबों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए --पर मार्गदर्शन किताबों से संभव नहीं है --अध्यात्म की दुनिया के लिए तो किताब सही है पर जीवंत दुनिया के लिए -एक मार्ग दर्शन दाता की जरुरत होती है --जो दोनों ज्ञान से जीने की कला सिखाये --इस मामले में मैं अधूरा रहा ,गुरु का सान्निध्य बाल्यकाल में समाप्त हो गया --अतः केवल किताबी ज्ञान पर चला --जो अहंकार से भरा था --अतः अधूरा रहा | हो सके तो सभी श्रोताओं से अनुरोध करना चाहता हूँ --एक सफल व्यक्ति बनना है --तो खूब ज्योतिष को मानें पर मार्ग दर्शन के बिना न चलें हमारी तरह अधूरा रह जायेंगें | --अगले भाग में अपनी कुण्डली के द्वितीय भाव क पर प्रकाश डालेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs


शुक्रवार, 29 अगस्त 2025

तीसरी कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -114 - ज्योतिषी झा मेरठ


हमारे प्रिय आत्मकथा के पाठकगण -मेरी कुण्डली में शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में विराजमान है साथ ही गुरु तृतीय भाव में विराजमान हैं --यह जो मेरा तृतीय भाव कुण्डली का है -इसकी सबसे बड़ी विशेषता है --मेरा भाग्य -शनि और गुरु की वजह से सर्वोत्तम है --किन्तु --तृतीय भाव सबसे गड़बड़ है --इसकी वजह से मेरा प्रभाव क्षेत्र उत्तम होने के बाद भी धूमिल हो जाता है एवं सगे -सम्बन्धियों के हम सबसे शत्रु बन जाते हैं | --अस्तु -जिस मित्र यजमान से दोस्ती -2017 में हुई थी -वो देखने में तो धनाढ्य था किन्तु --जड़ खोखला था जो मुझे ज्ञात नहीं था | हमने एक यज्ञ किया  भलाई के लिए किन्तु यज्ञ के प्रभाव से वो सात्विक व्यक्ति बन गया ,जब धर्म के पथ पर चलता है व्यक्ति तो कष्ट भी सहने होते हैं -- आज के समय में धार्मिक दोस्त कम मिलेंगें ,अधर्म पथ पर बहुत सारे मित्र बन जाते हैं | सो उस व्यक्ति के सभी मित्र वास्तव में शत्रु थे और सभी दूर हो गए | हमने धर्म की स्थापना एवं सुखद और संतोष जनक जीवन जीने की सलाह दी साथ ही रास्ते की  हर बाधा को दूर कर चलना सिखाया | यह कार्य इतना सरल भी नहीं था -उसके परिजनों का सबसे बड़ा शत्रु बना फिर भी आगे बढ़ाता रहा | सारे अपयश अपने ऊपर लिया --और एक सही पति ,सही पिता ,सही व्यापारी ,सही व्यक्ति सही जीवन देने का प्रयास किया | किन्तु ज्ञान नहीं दिया क्योंकि ज्ञान के योग्य वो पात्र नहीं था न ही कभी ज्ञानी बनने की याचना की | अब आते हैं उसकी कुण्डली पर --उसकी कुण्डली में मंगल एवं राहु की युति लग्न में थी --इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह होता है --ऐसा व्यक्ति किसी का नहीं होता है ,ऐसा व्यक्ति किसी के कहने पर कुछ भी कर सकता है --क्योंकि उसका अपना कुछ होता ही नहीं है --वो भले ही ज्योतिषी न हो किन्तु सबसे उत्तम वो अपने आप को ज्योतिषी भी मानता है | उस व्यक्ति को भले ही विवेक न हो पर  सबसे बड़ा धार्मिक अपने आप को मानता है | --मेरी कुण्डली में सूर्य और मंगल मित्र होकर स्वराशि का सूर्य लग्न में विराजमान हैं --मेरे जीवन में एक बहुत बड़ी बात रही है -अगर मन में मैल थोड़ा भी आ गया तो कदपि उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकता | मुझे जीवन में भाग्य का बहुत ही लाभ मिला है --व्यक्ति और परिस्थिति कैसी भी हो हमने ठान लिया इसे ठीक करना है तो ठीक वो व्यक्ति अवश्य होगा | दूसरा स्वभाव मेरा स्वभाव ऐसा रहा है --दाग अपने जीवन में लगने नहीं देता हूँ साथ ही अगर पता चल जाये --यह राह गलत है तो तत्काल वो राह छोड़कर चल देता हूँ --चाहे इसमें कितना ही घाटा हो | और होता भी यही है --चाहे घर हो, शिक्षा हो ,संतान हो ,सगे -सम्बन्धी हों ,धन हो या फिर संसार की कोई वस्तु --इनसे हम बहुत ही स्नेह करते हैं किन्तु --परित्याग करने में सोचते नहीं हैं --बेफिक्र होकर वहां से चल देते हैं | जब इस व्यक्ति को सब प्रकार से ठीक कर दिया --और हम दोनों के बीच थोड़ा विचार में मैल आ गया तो अपना सबकुछ छोड़कर चल दिया --यहाँ तक की किताब ,सौन्दर्यता की चीजें साथ में नगद पचास हजार रूपये भी | पर उस व्यक्ति ने कभी नहीं पूछा --हिसाब तो कर लो --अगर जीवन की सारी संपत्ति होती तो भी छोड़कर चल देता --कभी घूमकर देखता भी नहीं ---किन्तु ईस्वर की मेरे ऊपर कितनी बड़ी कृपा ---सप्तक भाव पर गुरु की दृष्टि और सप्तक का स्वामी भाग्य क्षेत्र में है --अतः अगर यह योग मेरी कुण्डली में नहीं होता तो सबकुछ बर्बाद हो जाता --क्योंकि आज के समय में सबकुछ संभव है --त्याग करना संभव नहीं है | जो मैं त्याग करता हूँ --मानों भार्या का आंचल रक्षा हेतु तैयार रहता है | इसको कहते हैं धर्मो रक्षति रक्षकः --अगर आप धर्म के पथ पर चलेंगें --तो धर्म आपकी रक्षा अवश्य करेगा | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs


गुरुवार, 28 अगस्त 2025

दूसरी कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -113 - ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों --अगर नेट की दुनिया नहीं होती तो ज्यादा से ज्यादा जीवन में 5000 कुण्डली देख पाते ,किन्तु नेट के कारण और फ्री सेवा के कारण लाखों कुण्डलियों को देखने का अनुभव हुआ | सबसे बड़ी बात जिन तीन कुण्डलियों से व्यक्तिगत मेरा सम्बन्ध रहा उन पर प्रकाश डाल रहे हैं | --अस्तु --दूसरी कुण्डली का अनुभव जब हम -29 वर्ष के हुए तब हुआ --यह बात मेरठ की है -एक यजमान मित्र से सम्बन्ध हुआ --उनकी कुण्डली के चतुर्थ भाव में नीच का चन्द्रमा और पराक्रम क्षेत्र में नीच का सूर्य यह योग उत्तम नहीं था | जिस व्यक्ति की कुण्डली में दोनों सशक्त ग्रह नीच के हों तो बहुत ही गड़बड़ जीवन होता है --धर्म एवं अधर्म के लिए | मेरी कुण्डली में ये दोनों बहुत ही मजबूत हैं सूर्य एवं चन्द्रमा --इनके प्रभाव के कारण न तो कभी मैं झुका न ही कभी किसी से याचना की | सबसे बड़ी बात स्वतंत्र और प्रभावशाली जीवन जीने की कोशिश की है | छोटी -छोटी गलती पर सदा धयान रखा है --जबसे सही व्यक्ति बनें | किन्तु ईस्वर की बिडम्बना देखें --समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं -जिनको भले ही अकल कम हो किन्तु वो अपनी चाल चलने में माहिर होते हैं --इसी चाल के बल पर जीवन शान से काटते हैं | हमारी दोस्ती दूसरी कुण्डली वाले से हुई और बहुत दिनों तक चली -हम इस बात को जानते थे -हमारे विचार अलग -अलग हैं अतः दूर हो जाना चाहिए -किन्तु मौका की तलाश में रहे पर जुड़ना और टूटना सरल नहीं होता है --जैसे जुड़ने में समय लगता है वैसे ही टूटने में भी बहुत समय लगता है | जो सच का व्यक्ति होता है वो तबतक जुड़ें रहना चाहता है -जबतक अधर्म की पूर्ण सत्ता न हो जाये | जो अधर्म का व्यक्ति होता है --वो तबतक प्रहार करता है --जबतक किसी लायक न रहे ---सनातन विचार में धर्म से जो व्यक्ति ओत -प्रोत होता है --वो छोटी -छोटी बातों पर भी धर्म का विचार करता है किन्तु भारतीय समाज में लोगों का जीवन दो तरह का होता है --एक धर्मयुक्त  ऐसे लोग छोटी बात पर भी गिर जाते हैं और कभी नहीं उठ पाते हैं | दूसरे लोग जो कूटनीति के जीवन पर आधारित होते हैं --ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है --किसी भी तरह मुद्रा मिलनी चाहिए --अपना काम बनना चाहिए --ऐसे लोग कितनी बार भी गिरे --फिर उठ जाते हैं --जैसे कपड़े में धूल -मिटटी लग जाये और दोनों हाथों से झार कर चल देते हैं | मेरे साथ ऐसा ही हुआ --दोस्ती की अंतिम अवस्था तक बचाने का प्रयास किया किन्तु --दोस्त अन्तिम क्षण तक धन की चाहत में रहे | आज दोस्ती को टूटे हुए कई वर्ष हो गए --तमाम बातें याद हैं किन्तु उनको हमने देखा कोई फर्क नहीं पड़ा | ---अंत यह कहना चाहता हूँ --कुण्डली देखने की चीज नहीं है --वास्तव में कुण्डली के पथ को अमल करने से ही लाभ संभव है --अन्यथा ज्योतिष का कोई लाभ नहीं है | अगले भाग में तीसरी 


कुण्डली पर विचार साझा करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

पहली कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -112 - ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों -हमने अपने मामा के सानिधय रहकर जो प्रथम किसी जातक एवं जातिका की कुण्डली से अनुभव किया -वो मेरा युवाकाल था एवं ज्योतिष की जिज्ञासा थी तो उस समय यह ज्ञात हुआ --कुण्डली वास्तव में दर्पण होती है जिसे गणना से जाना जा सकता है | यह दशा प्रत्येक जातक जिज्ञासु  की होती है | --------अस्तु -- दोस्तों  भारतीय जो नियमा बली  है उसमें व्यवहारिकता का अस्तित्व बहुत ही बड़ा है ---तत्काल  आपको भारतीय -नियम ,संयम ,जप ,तप ,हवन ,व्रत  स्वाध्याय  में बहुत ही परिबर्तन देखने को मिलेगा | इसका परिणाम -उनीसवीं सदी में भ्रष्टता  कम देखने को मिलती थी | लोग मान -मर्जादा में विशेष रहते थे -आधुनिकता में ज्यादा विस्वास नहीं करते थे | आज के समय में  हर व्यक्ति के पास आधुनिकता की चीजें उपलब्ध हैं --इसका परिणाम यह हो रहा है -व्रत -व्रत जैसे नहीं होते हैं ,जप --जप की तरह नहीं  लोग करते हैं , तप --तप की तरह नहीं करते हैं लोग ,नियम --नियम की तरह पालन नहीं करते हैं लोग ,स्वाध्याय --स्वाध्याय की तरह नहीं होते हैं ,हवन -हवन की तरह नहीं होते हैं | ---इसका परिणाम यह हो रहा है -बालक युवा होने के बाद भी ,बालिका युवा होने के बाद भी -नियम और संयम माता पिता ,परिजन ,पडोसी या समाज से वो नहीं सीखते हैं जो भारतीय हैं --इसका परिणाम भी भटकाव है --आज के समय में किसी कुण्डली में यह कह देना कि प्रेम है आसान बात है किन्तु उस समय जब भारत में लोकाचार का विशेष महत्व होता था --बहुत ही कठिन बात थी | आज जब मैं 55 वर्ष का हो चूका हूँ --तो जब मैं 19 वर्ष का था तब प्रेम करना कठिन बात थी उसका कारण भाई -भाई के पास सोता था ,बेटी- माँ के पास सोती थी -या सबके बिस्तर भले ही छोटा घर होता था --अलग -अलग होते थे --इसलिए भ्रष्टता कम थी --साथ ही कुण्डली से पहचान करना कठिन था --इसलिए यह बात मेरे लिए जिज्ञासा की थी ,किन्तु आज के समय में भले ही घर बड़ा हो पर शयन एक ही जगह देखने को मिलता है --आज के समय में मानों ममता ने कठोरता पर अंकुश लगा रखी है --माँ को बेटे का ,बेटे को माँ का ,भाई को बहिन का ,बहिन को भाई का या फिर और भी बहुत रिश्ते नाते हैं --जिन पर सत्संग का प्रभाव पड़ रहा है | --आज के समय में किसी भी ज्योतिषी के लिए सरल है --उससे --उसका प्रेम है --उस समय प्रेम होते हुए भी प्रतीत नहीं होता था  | -सनातन संस्कृति में अपनी बेटी दूसरे घर के घर -मान ,मर्जादा ,नियम ,संयम ,व्रत ,जप ,तप ,हवन ,स्वाध्याय  के अनुसार दी जाती है --साथ ही दूसरे की बेटी को इसी सभी नियम के तहत लक्ष्मी स्वरूपा अपने घर लायी जाती है --इससे एक सुसम्भ्य और  सुन्दर समाज का निर्माण होता है --आज इसका हनन हो रहा है | अगले भाग में दूसरी कुण्डली पर विचार साझा करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs


सोमवार, 25 अगस्त 2025

24 /08 /2025 से 07 /09 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


 ॐ --श्रीसंवत -2082  शाके -1947 --भाद्र शुक्ल पक्ष --तदनुसार दिनांक -24/08 /2025 से 07 /09 /2025 तक की भविष्यवाणी की बात करें --इस माह पांच रविवार का योग उत्तम नहीं है --प्रमाण देखें --यत्र मासे रवेर्वारा जायन्ते  पंच संततम ,दुर्भिक्षं छत्र भंगः स्यात दास्ते च महदभयम ---प्रस्तुत प्रमाण के अनुसार देश के किसी भाग  प्रदेश विशेष में दैनिक उपयोगी खाद्य सामग्री की कमी पड़ सकती है | हो हल्ला मचेगा ,मारपीट ,झीना झपटी के चलते जनता अपने को असहाय महसूस करेगी | राजनीती के पटेबाज नेता एक -दूसरे की उठा -पटक नीचा दिखाने की फिराक में राज्य की झीना झपटी में लगे रहेंगें | कहीं आश्चर्यजनक बदलाव हो सकता है | राजस्थान ,महाराष्ट्र ,पंजाब ,उत्तराखंड ,बिहार ,पश्चिम बंगाल ,उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल के योग हैं | कोई नया नेता प्रसिद्धि पायेगा | ---तेजी मंदी की बात करें तो --चल रहे सम्यक भावों में घट -बढ़ चलेगी | पक्षारम्भ के भाव अंत में प्रतिकूल हो सकते हैं | --दाल ,चावल ,चीनी ,चायपत्ती ,नमकीन भुजिया ,पापड़ ,मूंगदाल ,मिर्च -मसाले ,अचार -मुरब्बा ,घी ,दूध ,दही के भावों में इजाफा हो सकता है | सूत्री वस्त्र ,पूजा सामग्री ,दालें ,अनाज ,मटर ,राजमा  में तेजी अन्य चीजों में मंदी का झटका लग सकता है | -----आकाश लक्षण की बात करें तो --यत्र -तत्र बादल चाल ,मेघगर्जना ,वायुवेग ,जहाँ -तहाँ न्यूनाधिक वर्षा होगी | कहीं भूकंप ,दिग्दाह ,झंझावात के चलते क्षति होगी | पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक वर्षा होगी | कहीं ज्वालामुखी विस्फोट ,पहाड़ खिसकने से क्षति तो कहीं यान -खान कुघटना ,वाहन टकराव से नुकसान हो सकता है | --- ----भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  




सोमवार, 18 अगस्त 2025

आत्मकथा में अपने अनुभव पर कुछ कहना चाहता हूँ -पढ़ें भाग -111 - ज्योतिषी झा मेरठ




 आज आत्मकथा में अपने अनुभव पर कुछ कहना चाहता हूँ | हमने 55 वर्ष के होने पर अपने जीवन में तीन जन्म -कुण्डली को देखने  पर आश्चर्य चकित रहा | --अस्तु --प्रथम कुण्डली जब हम केवल 20 वर्ष के थे स्थान -प्रह्लाद नगर मेरठ अपने चचेरे मामा के पास रहते थे --वो ज्योतिषी थे हम वैदिक तो थे ही ज्योतिष गणित मजबूत था पर फलित का अनुभव कम था --हम दोनों का सम्बन्ध मामा -भांजा का तो था ही किन्तु मित्र का भी था अतः यह निर्णय हुआ वेद हम पढायेंगें और फलित वो हमें सिखाएंगें | यह सत्संग का समय केवल एक वर्ष का रहा -उसके बाद हम मुम्बई पढ़ने चले गए --मेरे मामा के पास दो कुण्डलिया आयी -दोनों का सम्बन्ध भाई -बहिन का था -किन्तु में प्रेम था -एक पण्डित के लिए यह कहना बहुत ही कठिंन था किन्तु  जब मामाने यह प्रेम की बात कही उन दोनों ने स्वीकार कर लिया --यह ज्योतिष के विस्वास को सबसे पहले मुझे बढ़ाया और मुझे लगा ज्योतिष के द्वारा बहुत कुछ जाना जा सकता है | ---दूसरी घटना मेरठ किशनपुरी की है --जब हम 30 वर्ष के हुए | एक यजमान मित्र मिले --जिनकी कुण्डली में सूर्य और चन्द्रमा दोनों नीच के एक मातृ क्षेत्र चंद्र  तो दूसरा सूर्य पिता और कर्मक्षेत्र में --इसका अर्थ जानने के बाद भी उनसे मेरा सम्बन्ध बहुत दिनों तक रहा और मैं तलाश करता रहा --जब ऐसा योग कुण्डली में है तो दिखता क्यों नहीं है | उनसे बहुत ही घनिष्ठता थी उठना -बैठना सबकुछ एकसाथ था | जब यह अनुभव हुआ  नीचता का प्रभाव का -तबतक बहुत कुछ खोने के बाद भी बहुत बड़ी हानि से बच गया फिर हमने दूरी बनाली | --तीसरा -उदहारण  मेरठ शारदारोड का रहा -तब मैं 47 वर्ष का था -एक व्यक्ति की कुण्डली में -राहु और केतु का प्रभाव उलटा था और मेरी कुण्डली में सुलटा था --जब ऐसा योग हो तो मुझे दूरी बना लेनी चाहिए | किन्तु -दोस्ती उस व्यक्ति से पहले हुई और कुण्डली  देखी  बाद में परिणाम यह हुआ | इसका परिणाम देखने की इच्छा हुई -कईबार सोचता रहा देखने में भले मानुष है ,इसकी रक्षा तहे दिल से करनी चाहिए | दुनिया की सारी बदनामी अपने नाम किया ,मकान बचाया ,दुकान बचायी ,बाल -बच्चों को बचाया ,रोजगार खड़ा किया ,सभी रिश्तेदारों से शत्रुता की ,पूंजी बचायी ,देनदारों से बचाया ,दाम्पत्य सुख कैसे मिले ,समाज में सशक्त कैसे हो प्रयास किया | कोई भी व्यक्ति सुखी होना चाहे तो सबसे पहले खर्च को सीमित करे इस फार्मूला के तहत आगे बढ़ाया --जब सबकुछ हो गया तो सोचा --इस कुण्डली का जो योग है -उसका प्रभाव देखने के लिए इसकी परीक्षा लें --तो पता चला --हम सबसे बड़े इसके गुनाहगार हैं | इस बारे किसी और आलेख में जिक्र करेंगें | हमने अनुभव किया --वृथा न होहि देव् ऋषि वाणी --अर्थात ज्योतिष सच है --गलती हम जैसे अल्पज्ञानी ज्योतिषी करते हैं | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs


रविवार, 10 अगस्त 2025

10 /08 /2025 से 23 /08 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


ॐ मास में पांच रविवार रोग ,जनता में उपद्रवों को प्रोत्साहन देने वाले हैं --एक प्रमाण देखें --पंचार्क वासरे रोग पीड़ा लोकेषु जायते | आगे शनिवारों का फल भी देखें --शनिवारा यदा पंच जायन्ते रवि पञ्चकं ,महार्घं जायते धान्यं रोग शोका कुलामही ---भावार्थ ---चालू बाजार का रुख गरम रहेगा | शोक संतापों से जनता त्रस्त रहेगी | सीमावर्ती राज्यों में आतंकी नई गतिविधियां चला सकते हैं | कश्मीर के मामले में पड़ौसी देश बयानबाजी कर सकता है | सरकार दूसरे देशों से अस्त्र -शस्त्र आयात बढ़ा सकती है | एक और प्रमाण देखें --यदैक मासे ग्रहण जायन्तेचंद्र सूर्ययोः ,शस्त्र कोपे क्षयं यान्ति तदा भूपा परस्परम | इस मास पूर्णिमा में ग्रहण का फल राजनेताओं में तनाव बढेगा | पार्टीबेस  पर उठा -पटक मारपीट हो सकती है | किसी प्रदेश की सत्ता बदल सकती है | ---तेजी मंदी की बात करें तो --इस वर्ष कर्क और मकर दोनों संक्रांतियां बुधवार में बैठी है --भाव --इस वर्ष युद्धादि संकट के चलते किसी देश -प्रदेश का नायक संकट में पड़ सकता है | वस्तुओं के  अभाव में महंगाई बढ़ेगी | इस वर्ष आलू ,टमाटर ,गोभी ,मूंगफली ,प्याज ,लहसुन ,मेथी ,मटर ,बथुआ ,मक्का ,बाजरा की फसल अच्छी होगी | आकाश लक्षण की बात करें तो --शनिवारी अमावस झंझाबात ,दुर्दिन होने के संकेत है | कहीं कम तो कहीं अधिक वर्षा हो सकती है | हिमाचल ,पंजाब ,उत्तराखण्ड ,बिहार ,उड़ीसा में जलाधिक्य से परेशानी होगी | मध्यभारत में सूखा पद सकता है| -- ----भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


शुक्रवार, 1 अगस्त 2025

मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -110 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ




 दोस्तों --आज मैं अपनी आत्मकथा में जो कुछ कहना चाहता हूँ वो सत्य होते हुए भी असत्य सा प्रतीत होता है | ऐसा हर व्यक्ति के साथ होता है --ऐसी स्थिति में  मेरा अनुभव है -केवल गुरु ही हर व्यक्ति का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं --जिसपर भारत भूमि पर सबसे विशेष मतान्तर देखने को मिलता है | हर व्यक्ति का प्रथम गुरु माता पिता होते हैं किन्तु इनका लाभ आज के समय में बहुत कम लोगों को मिल पाता है --इसका कारण है सही शिक्षा और सही अनुभव --इन कसौटी पर बहुत से माता पिता खड़े नहीं उतरते हैं --जिसका परिणाम यह होता है केवल तार्किक बुद्धि जो संतान और माता पिता के बीच सही सेतु का काम नहीं करती  हैं | --दूसरा उदहारण जो माता पिता से भी बड़े होते हैं -मार्गदर्शन देने वाले सदगुरु -जिनका  केवक सार्थक प्रयास यह होता है -सही शिष्य का निर्माण करना -जिसमें लोभ ,अर्थ काम ,मद और मोह से पड़े बनाना | यह मार्ग बड़ा ही कठिन होता है -सबसे पहले गुरु त्याग करना सिखाते हैं -केवक एकबार कह देने से शिष्य गुरु के लिए सबकुछ समर्पित कर देता है | इस संसार में धन हो, मन हो या फिर सांसारिक वस्तु इन्हें छोड़ना सहज नहीं होता है -अगर कोई छोड़ता है तो सिर्फ डर के कारण डर न हो तो काहे का दान ,काहे का त्याग सबकुछ मेरा है --ऐसी स्थिति में सिर्फ विवेक ही काम आता है -जिसपर केवल गुरु की कृपा से ही विवेक संभव है जो आज सबसे असंभव है | अस्तु --हम वैसे एक निम्न परिवार से आते हैं किन्तु मेरे पिता दक्षिणा अवश्य चढ़ाते थे किसी भी मन्दिर में यह सत्संग पिता का मेरे जीवन में केवल 13 वर्ष तक ही रहा | मेरा 13 वर्ष से 29 वर्ष तक का जीवन अति दरिद्र योग में बीता किन्तु -गुरुजनों के सत्संग से हमने यह अनुभव किया धन दान करने से धन अवश्य मिलता है | अतः अमीर बनने का सबसे बड़ा सपना था पर गरीबी चरम सीमा पर थी फिर भी जो भी धन दान में मिलता था उसे हमने किताब खरीदने पर या दान -यज्ञ करने पर लगाया --यह मेरा परम विस्वास था -जबकि गुरुजनों का सत्संग तो जब हम -18 वर्ष के हुए तभी छूट चूका था | पर आत्म विस्वास से लबालव था --मुझे धन दान देने में आनन्द आता था ,कभी गम नहीं होता था | आगे चलकर कई यजमान मेरे रहे जिन्होनें हमारा धन खा गए पर हम कभी मांगने नहीं गए  | जब भी हम धन से या मन से दुःखी हुए तो किसी व्यक्ति के पास नहीं गए --उस परमात्मा भोलेनाथ के पास गए जो सबके दाता हैं --उन्होनें कईबार उठाया | मुझे कईबार लगा अब आगे नहीं बढ़ पायेंगें पर भोलेनाथ ने खुद उठाया -इस संसार में सबसे ज्यादा अपनों ने ही गिराया --चाहे सगे -सम्बन्धी हों या शिष्य सबने अपना -अपना भरपूर लाभ उठाया --जब तक लाभ नहीं मिला गुरूजी थे ,अपने थे ,सर माथे पर थे पर लाभ मिलते ही काहे के गुरु --पर फिर भी हमने याचना न तो अपनों से की न ही शिष्यों से --अगर याचना की तो सिर्फ भोले नाथ से और मानों मेरे साक्षात् गुरु के रूप में मार्ग भी दिखते हैं और लाज भी बचाते हैं | --अगले भाग में कुछ और बातों का जिक्र करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  



सोमवार, 28 जुलाई 2025

जन्म राशि के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पढ़ें -भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ


  --जन्म राशि के सम्बन्ध का अगला भाग --

--11 --लग्न -5 -9 तथा 10 वें घरों के स्वामियों के अपने -अपने घर परस्पर बदल लेने से महान समृद्धि ,शक्ति तथा यश की प्राप्ति होती है | 9 -10 वें घरों के स्वामियों के एक दूसरे के घर में होने से अथवा 5 -9 वे घरों के स्वामियों के परस्पर घर बदल लेने से ,अथवा लग्न व 9 वें घर के स्वामियों के परस्पर घर परिवर्तन से महान सौभाग्य का उदय होता है | ऐसी अवस्थाओं में बुरे ग्रह  भी उस व्यक्ति को धनि व यशस्वी बना देते हैं | 

--12 --भाग्य -स्थान " नवां घर अथवा सौभाग्य का घर " का स्वामी लग्न में होना पर्याप्त अच्छा है | इसी प्रकार लग्न के स्वामी का भाग्यस्थान में होना भी अच्छा है | 

--13 --यदि  5 -9 वें घरों के स्वामी दोनों ही लग्न हैं ,तो वो व्यक्ति यश और धन को प्राप्त करेगा | 

--14 --नवें घर में एक या अधिक ग्रहों का एकत्र होना सौभाग्य और समृद्धि का दाता है | इस घर में ग्रहों की  जितनी अधिक संख्या होगी ,उतनी ही स्थिति सुखद होगी | 

--15 --पांचवें घर में भी एक या अधिक ग्रहों का एकत्र होना समृद्धि का द्योतक है | 

--16 --लग्न में या दूसरे ,तीसरे अथवा ग्यारहवें घरों में तीन या चार ग्रहों की उपस्थिति भी महान समृद्धि देती है ,क्योंकि दो -दो घरों के स्वामी होने के कारण उनमें से कुछ का पांचवें ,नवें व दसवें घरों का मालिक होना निश्चित ही है | 

--17 --उचित यही है कि 6 -8 -12 वे भाव में कोई ग्रह  न हो जिनके इन घरों में अनेक ग्रह होते हैं ,उनको प्रायः जीवन में अनेक विफलताओं ,पराजयों का मुख देखना पड़ता है | 

--18 --सभी जन्म -कुण्डलियों  में लग्न का स्वामी व्यक्ति के शरीर का ,सूर्य उसकी आत्मा का ,चंद्र उसके मस्तिष्क का और पांचवें घर का स्वामी उस व्यक्ति का स्वामी  उस व्यक्ति की बुद्धि का प्रतिनिधित्व करता है | 

--19 --जिन लोगों को जीवन में महान कार्य करने होते हैं ,उनकी जन्म -कुण्डली में अधिकांश ग्रह परस्पर सम्बंधित होते हैं ,चाहे वो उसी घर में हो अथवा अपनी दृष्टि रखते हों | 

--20 --अन्य ग्रहों से बिलकुल अलग शनिग्रह विलक्षण सामर्थ्य है | 3 -7 -10 वें घरों पर दृष्टि डालने के साथ -साथ जिस घर में हों ,उसके आगे पीछे के एकेक घर को भी यह दूषित करता है ,प्रभावित करता है | 

---अगले आलेख में शनि की साधें साती पर परिचर्चा करेंगें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


शुक्रवार, 18 जुलाई 2025

जन्म राशि के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पढ़ें -भाग -74 ज्योतिषी झा मेरठ


 --जन्म राशि के सम्बन्ध का अगला भाग --

---7 --किसी की परीक्षा में सफलता अथवा उसके शैक्षिक -भविष्य के सम्बन्ध में सभी प्रश्नों के उत्तर पांचवे घर के स्वामी को देखकर तथा यह अध्ययन करने पश्चात देने चाहिए कि क्या यह उच्चराशि है अथवा नीच -राशिस्थ है ? क्या यह पांचवे घर पर दृष्टि डाल रहा है ? क्या यह शुभ तथा उन्नत ग्रहों के साथ सहयोगी है अथवा क्रूर व अमंगलकारी ग्रहों के साथ है ? क्या यह लग्न स्वामी के शुभ -स्थिति में है ? और क्या यह पहले अथवा नवें जैसे महत्वपूर्ण घरों में स्थित है | 

----8 --सूर्य ,गुरु ,शुक्र और चंद्र नम्र ,उन्नत ,शुभ ,कृपालु तथा मंगलकारी ग्रह समझते हैं ,अतः ये सब सुखदायक कहलाते हैं | शनि ,राहु ,केतु और मंगल कठोर ,शत्रुत्वपुर्ण ,राक्षसी ,अभद्र ,अशिष्ट ,क्रुद्ध तथा अवनत मानते जाते हैं | अतः ये सब दुःखदायक कहलाते है | 

---9 --विवाह के सम्बन्ध में प्रश्नों का भविष्य सातवें घर के स्वामी के सन्दर्भ में घोषित किया जा सकता है कि क्या सातवे घर पर दृष्टि डाल रहा है ,अथवा सातवें घर में उपस्थित है कि ग्रह के वामी के साथ ही घर में उपस्थित है | 

क्या कोई दुःखदायक बुरे ग्रह सातवें घर को देख रहे हैं अथवा इसमें उपस्थित हैं ,कि क्या कोई बुरे ग्रह घर के स्वामी के साथ ही घर में उपस्थित हैं अथवा  उस पर दृष्टि रखते हैं | 

सातवें घर से अथवा इस घर के स्वामी से यदि किसी भी प्रकार बुरे ग्रहों का सम्बन्ध है ,तो विवाह में देरी होगी ,पति -पतनी में सांसारिक सादृश्यता न होगी | इसके विपरीत यदि सातवां घर तथा इनका स्वामी केवल मात्र सुखदायक -अच्छे ,शुभ } ग्रहों से सम्बंधित हैं या उनकी दृष्टि इन पर पड़ती है ,तो विवाह शीघ्र होगा तथा वैवाहिक -सम्बन्ध पूरी तरह से सुखद होंगें | 

---10 --भौतिक समृद्धि और व्यापारिक अथवा व्यावसायिक स्तर सम्बन्ध के बारे में नवें और दसवें घर की परीक्षा करनी चाहिए ,यदि नवें घर का स्वामी नवें घर में है अथवा लग्न में या 2 -5 घर में है ,या उच्च राशिस्थ है या नवें घर को देख रहा है ,तो वो व्यक्ति भाग्यशाली होगा तथा अपने जन्मकालीन सामाजिक व वित्तीय स्तर से पर्याप्त उन्नत स्तर को प्राप्त होगा | ---अगली राशियों का जिक्र अगले भाग में करेंगें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


गुरुवार, 17 जुलाई 2025

जन्म राशि के सम्बन्ध में भविष्यवाणी पढ़ें -भाग -73 ज्योतिषी झा मेरठ


ॐ --ध्यान दें ---1 ---स्वास्थ के सम्बन्ध में भविष्यवाणियां लग्न के स्वामी के संक्रमण को ज्ञात करके की जाती है | यदि लग्न सिंह है और शनि सिंह में संक्रमण ,पारगमन कर रहा है ,तो वो व्यक्ति शिथिलता ,,सर्दी ,भारीपन तथा इसी प्रकार की उन अवस्थाओं से पीड़ित होगा | जो ठन्डे ,निर्जीव शनि ग्रह द्वारा प्रगट होते हैं | 

---2 --जब शनि उस घर में पारगमन कर रहा हो ,जिसमें सूर्य स्थित है ,तो रोग अधिक शोचनीय होगा ,क्योंकि ये दोनों शत्रु हैं | यदि मंगल लग्न का स्वामी हो और शनि इसमें से पारगमन करे ,तो भी रोग उसी प्रकार गुरुतर होगा ,क्योंकि मंगल एक आग्नेय ग्रह है ,जबकि शनि को ठंढा ग्रह माना जाता है | 

---3 --यदि मूल जन्मपत्री में सिंह लग्न पर सूर्य की दृष्टि नहीं है {और व्यक्ति का स्वास्थ प्रारम्भ से ही दुर्बल है } अथवा मेष लग्न या वृश्चिक लग्न पर मंगल की दृष्टि नहीं है ,तो उन पर शनि का पारगमन कर रहा हो और अन्य ग्रह 4 -10 अथवा 9 -8 का योग बनाते हों तो दुर्घटना अथवा शारीरिक अधात इतना घोर होगा कि किसी अवयव अथवा जीवन का अंत हो जाये | 

---4 --उपर्युक्त जन्म -कुण्डली एक दुर्बल संरचना को प्रदर्शित करती है ,क्योंकि इसमें लग्न पर इसके स्वामी सूर्य की दृष्टि नहीं है | सूर्य गुरु जैसी जल प्रधान राशि में होने के कारण एक निर्जीव ,जल प्रधान अर्थात कम पिंड के द्योतक है | जब कभी शनि और राहु गुरु में पारगमन करेंगें ,तो दोनों ही उस व्यक्ति की घोर शारीरिक यंत्रणा देंगें | ये संक्रमण ,पारगमन पंचांगों में अर्थात ग्रहों की गतिशीलता प्रदर्शित करने वाली तालिकाओं में हुए मिल जाते हैं | 

----5 --शनि व् गुरु का वृश्चिक में से पारगमन शोचनीय स्वास्थ समस्या उत्पन्न कर देता है ,क्योंकि शनि अपने शत्रु सूर्य के साथ -साथ न केवल पारगमन कर रहा होगा ,जो लग्न का स्वामी है | अपितु सिंह लग्न पर 10 वीं दृष्टि से कोप -दृष्टि भी डाल  रहा होगा | अतः जब कभी लग्न व् इसका स्वामी ,दोनों ही ,किसी एक अथवा अनेक क्रूर ग्रहों द्वारा  प्रभावित होते हैं ,तब परिणामस्वरूप गंभीर रोग होना अवश्यम्भावी है | 

---6 --वृश्चिक जल प्रधान राशि है ,अतः उसमें सूर्य का आगमन पिंड में रक्त अथवा जल सम्बन्धी रोग ,यथा मूत्र ,को जन्म देगा यह रोग दुर्गन्धमय होगा ,क्योंकि शनि उस राशि में होगा ,जिसका स्वामी मंगल है और जो सूर्य द्वारा सेवित है | जब ऐसा स्वास्थ प्रभाव संक्रमण वृष या तुला में चल रहा हो ,जिनका स्वामी शुक्र है ,तो रोग का सम्बन्ध रति रोगों से होना संभव है | ---अगली राशियों का जिक्र अगले भाग में करेंगें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  



सोमवार, 14 जुलाई 2025

जन्म -कुण्डली निर्माण कला - जानें -पढ़ें -भाग -72-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


 जन्म -कुण्डली उस समय का आकाश का नकशा है ,जिस समय कोई मनुष्य उत्पन्न हो , तथा -प्रश्न -कुण्डली उस समय का आकाश का नक्शा है ,जिस समय प्रश्न किया जाय ? यदि 23 /09  /1958 को दिल्ली में सायंकाल 5 /30 मिनट पर कोई बालक जन्मा तो उसकी जो जन्म कुण्डली  हो ,उसमें और 23 /09 /1958 को सायं 5 /30 पर दिल्ली में कोई प्रश्न करे ,तो उस समय की प्रश्न -कुण्डली में कोई अंतर नहीं होगा | पाठक ध्यान दें ,हमें तो 23 सितम्बर 1958 को दिल्ली से आकाश का जो नकशा दिखाई दे ,या दिखाई दे सकता है ,उसका नकशा कागज पर बनाना है | 

---जिस समय की जन्म -कुण्डली या प्रश्न कुण्डली बनाई जाती है ,उसे इष्टकाल या इष्टम कहते है | भारतीय ज्योतिष में काल -गणना प्रायः सूर्योदय से की जाती है | इस कारण इस इष्टकाल को सूर्योदय से कितने घटी कितने पल हुए ,पहले यह निकालना चाहिए | शुद्ध लग्न -कुण्डली बनाने के लिए सबसे पहले उस स्थान के शुद्ध सूर्योदय का ज्ञान होना चाहिए ,जहाँ बालक का जन्म हुआ | यदि दिल्ली में जन्म हुआ है तो दिल्ली का सूर्योदय -काल जानना बहुत आवश्यक है | प्रायः बहुत से ज्योतिषी इसका विचार नहीं करते कि जन्म किस स्थान से हुआ ,वहां सूर्योदय कितने बजकर कितने मिनट पर हुआ था | मान लीजिये ,बच्चा पैदा हुआ दिल्ली में ,ज्योतिषी जी बैठे हैं बंगाल में और उनके पास पंचांग है काशी का ,अब उस पंचांग के द्वारा जो फल निकला जायेगा ,उसमें इष्टकाल निसंदेह अशुद्ध ही तैयार होगा | यह ध्यान रखने वाली बात है कि जिस स्थान में जन्म हुआ है ,उस स्थान का शुद्ध पंचांग ही पास में होना चाहिए | विस्वविजय पंचांग दिल्ली के अक्षांश -देशांतर पर बना है।,इस कारण बंगाल में बैठे ज्योतिषी के पास भी वो ही पंचांग होना चाहिए | 

--यदि बालक का जन्म -स्थल दिल्ली है ,तो विश्वविजय पंचांग में देखें कि सूर्योदय का समय क्या था ? सम्वत -2015 सन 1958 के पंचांग का पृष्ठ 51 वां खोलकर देखेंगें ,तो पायेंगें कि 23 सितम्वर को सूर्योदय 6 बजकर 15 मिनट पर हुआ था | जहाँ कोई शुद्ध पंचांग उपलब्ध न हो,वहां किसी अन्य स्थल के पंचांग से शुद्ध सूर्योदय निकालने का प्रयास करना चाहिए | अभीष्ट स्थान का सूर्योदय निकालने की विधि पंचांग में दी हुई होती है | 

----पाठकगण -इस बात को एकबार फिर जान लें कि जन्म -कुण्डली के प्रत्येक घर में एकेक मास रहकर सूर्य 12 मास में एक चक्र पूरा करता है | चूंकि सूर्य एक पूर्ण वृत्त -360 अंश --365 दिन अर्थात एक वर्ष में चलता है ,अतः प्रतिदिन लगभग एक अंश चलता है | इसलिए जन्म -कुण्डली का प्रत्येक घर 30 अंशो की अवधि का द्योतक है | यही कारण है कि सूर्य एक मास में एक घर घूम लेता है | ---अगले भाग में कुछ और ज्योतिष का विवेचन करेंगें | भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  



शुक्रवार, 11 जुलाई 2025

जन्म -कुण्डली निर्माण कला - जानें -पढ़ें -भाग -71 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


एक जन्म-कुण्डली को जन्मपत्रिका अथवा जन्मांग भी कहते हैं | जिस प्रकार एक चिकित्सालय में प्रत्येक रोगी की शैय्या के सिरहाने उस रोगी का पूर्ववृत ,उसका रोग ,उपचार तथा प्रगति सूचक एक विवरण पत्रिका टंगी रहती है ,उसी प्रकार एक जन्म -कुण्डली भी व्यक्ति "जातक " के जन्म समय ग्रहों की स्थिति स्पष्ट दर्शाती है | बड़ी जन्मपत्रिका में अनेक अन्य तालिकाएं तथा गणनायें भी दी जाती हैं ,जिसकी सहायता से एक विद्वान ज्योतिषी उसका अध्ययन कर व्यक्ति का भूतकाल एवं भविष्यकथन करने में सफल होता है | शुद्ध भारतीय शैली पर बनी जन्मपत्रिका से सहज ही पत्ता चल जाता है कि व्यक्ति के जन्म के समय नवग्रह राशिचक्र के 12 घरों में किस -किस घर में स्थित थे | 

----जैसा कि पहले भी बताया जा चूका है कि यह पृथ्वी एक अंतरिक्ष -यान के समान है ,जो हमें सूर्य के चारों ओर की निरंतर -यात्रा पर वर्षानुवर्ष ले जाती है | यद्यपि सूर्य सानुपातिक रूप में स्थिर है और यह अनुभव किया जाता है  कि यह पूर्व में उदय होता है और पश्चिम में अस्त हो जाता है | पूर्व से पश्चिम की ओर सूर्य की यह प्रत्यक्ष गतिशीलता तथ्य रूप में इस बात का संकेत है कि हमारा यह पृथ्वी यान अंतरिक्ष में पश्चिमी से पूर्व की ओर चल रहा है | दूसरे शब्दों में हम सूर्य को दक्षिणावर्त गतिमय देखते हैं --क्योंकि हम वामावर्त गतिमय हैं | तात्पर्य यह है कि जैसे -जैसे हम आकाश की विभिन्न राशियों के निकट से गुजरेंगें ,हमारा यह क्रम वामवर्तीय व्यवस्था में होगा | 

--किन्तु हमें यह निश्चय तो करना ही होगा कि किस घर और किस अंक से संख्या डालना प्रारम्भ करें | निम्न कुण्डली में लग्न जहाँ लिखा हुआ विद्यमान है ,वो जन्म -कुण्डली का सीधा -पूर्व है | चूंकि सूर्य पूर्व दिशा में उदय होता है ,इसलिए सूर्योदय के समय जन्म लेने वाले व्यक्ति की जन्मकुण्डली में सूर्य उसी घर में होगा ,जिसे लग्न भी कहते हैं | क्योंकि पृथ्वी अपनी धूरि पर एक चक्र 24 घंटे में पूर्ण कर लेती है | अतः सूर्य प्रत्येक 2 घंटे में एक घर से दूसरे घर में जाता दिखाई देगा | 

---ज्योतिष सीखने वाले पाठक को अब सूर्य के सब घरों  का लगभग समय लिख लेना चाहिए | तब जन्म -कुण्डली वा व्यक्ति का जन्म सूर्य के किन दो घंटे में हुआ था | यह कुण्डली से अबलोकन करना चाहिए | 

--सूर्य दक्षिणावर्त चलता है और सूर्योदय के समय जन्म -कुण्डली के पूर्वीय घर में अर्थात लग्न में होता है | पाठक किसी भी जन्म -कुण्डली को लें और देखें कि सूर्य उसमें कौन से घर में स्थित है | सूर्य की स्थिति से उस व्यक्ति के जन्म का समय बताया जा सकेगा | सूर्योदय और सूर्यास्त के घर एक -दूसरे के विपरीत हैं | इन्हीं के बीच अन्य घर हैं ,जिनमें सूर्य दो -दो घंटे रुकता चलता है | --अगले भाग में जन्म -कुण्डली निर्माण पर कुछ और जिक्र करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


गुरुवार, 3 जुलाई 2025

मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -109 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ




 ॐ -आज आत्मकथा में अबलोकन यह कराना चाहता हूँ कि व्यक्ति थोड़े में भी खुश हो सकता है और बहुत होने पर भी असंतुष्ट रह सकता है | अस्तु --मैं जब 15 वर्ष का था तो अनायास मेरी कुण्डली में विवाह योग पर नजर गयी --तब मैं अल्पज्ञानी ज्योतिषी था -उस बात पर यकीं नहीं हुआ ,समय की अपनी गति होती है सो मेरी कुण्डली में राहु की महादशा चल रही थी -राहु सप्तम भाव में विराजमान है -विवाह होना समय से पूर्व निर्धारित था | मेरा विवाह ऐसे परिवार में हुआ जहाँ हरा भरा परिवार था किन्तु विवाह होते -दोनों साले और ससुर अनायास दिवंगत हो गए साल भर के अन्दर --यह बात मैं पहले से जनता था किन्तु विवाह के समय यकीं नहीं आया | यह राहु की महादशा विवाह से दस वर्ष बाद तक रही तब मैं दाम्पत्य सुख से विमुख रहता था --भार्या पलकें बिछाए इंतजार करती थी ,ईस्वर की आराधना करती थी ,सभी देवताओं से नित्य दुका माँगा करती थी --इसका परिणाम यह हुआ -मेरी शिक्षा उत्तम दर्जे की शुरू हुई  किन्तु अधूरी रह गयी | मेरा परिवार रसातल चला गया --खुद दर -दर भटकने लगा | फिर गुरु की दशा चली तो शिक्षा फिर से शुरू हो गयी --अब भाग्योदय और दाम्पत्य सुख  के साथ -संतान ,भवन ,वाहन तमाम सुख प्राप्त होने लगे | इसके बाद शनि की दशा चालू हुई तो -रोग ,शत्रुता और दाम्पत्य क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुए  | यद्यपि  -धन ,प्रभावक्षेत्र  बहुत ही मजबूत थे --पर सबकुछ होते हुए भी बहुत दुःखी रहने लगे -हमारा हरा -भरा परिवार था ,सभी परिजन सुखी थे ,माता पिता की छत्रछाया थी --किन्तु जिस भार्या के बल से महान हुए थे -उसकी छत्रछाया से हम दूर होते चले गए | दुनिया की नजर में हम दोनों सुखी थे किन्तु अंदर से एक दूसरे के शत्रु थे | वैसे ही जैसे -भाई -भाई तो थे पर दोनों सदा एक दूसरे के शत्रु रहे | माता पिता तो थे पर उनके हम सबसे बड़े शत्रु थे | भाई -बहिन तो थे किन्तु आपस में शत्रु थे --सभी परिजन तो थे किन्तु हम सबके शत्रु थे | आज तक अपने जीवन में हमने किसी से याचना नहीं की है अपने श्रम से चाहे -शिक्षा हो या धन या फिर अनन्त जिज्ञासा इसके लिए सदा कर्म और भाग्य पर निर्भर रहे --इसके लिए ईस्वर की शरण को ही बेहतर समझा फिर भी -सबके शत्रु हो गए | आज जब एक सफल खगोलशास्त्री हैं --तो यह समझ में आ रहा है -आज से बेहतर कल हो ही नहीं सकता है | अतः हर व्यक्ति को जो कुछ भी जब मिले उसी में प्रसन्नता रखनी चाहिए --अन्यथा -जीवन में सुख की अपेक्षा दुःख का सामना ही विशेष होता है | ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


मंगलवार, 1 जुलाई 2025

मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -108 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


 ॐ --दोस्तों --आत्मकथा लिखते समय मुझे लगा -केवल इस संसार का मैं पहला व्यक्ति हूँ जो जीवन की सच बातों को लिखने का प्रयास कर रहा हूँ --तब =2017  में आक्रोश था ,उद्वेग था ,झुंझुलाहट थी -सभी सम्बन्धियों से शिकायतें थी --सबके बारे में सभी बातों को लिखी -कोई कष्ट नहीं हुआ | --2018 में पिता दिवंगत हुए --तो मन को लगा जिनसे शिकायतें थीं वो ही नहीं रहे तो फिर हमारी सुनेगा कौन --फिर मैं विक्षिप्त हो गया कुछ दिनों के लिए | 2019 में दूसरी पुत्री का विवाह हुआ --तो फिर से जीवनी लिखनी शुरू की --बहुत कुछ लिखा जो केवल सच पर आधारित बातें थीं ---लिखते -लिखते --आज -2025 में यह अहसास हो रहा है --जीवनी लिखनी इतनी सरल नहीं है --या तो झूठ बातों को लिखें या फिर अपनी शान के लिए लिखें --क्योंकि जीवनी की बहुत बातें भले ही सच हों किन्तु कुछ बातों का साहस मैं भी नहीं कर सकता | क्योंकि आज जब मैं -55 वर्ष का होने वाला हूँ --अपने से आगे तीन पीढ़ी सामने हो तो विवेक हीन नहीं बन सकते --क्योंकि अपने से एक पीढ़ी ऊपर तक तो व्यक्ति आलोचना कर सकता है --यह उसका  अधिकार होता है --पर जब किसी व्यक्ति से नीचे तीन पीढ़ी हो तो उस व्यक्ति का अधिकार आलोचना नहीं समाधान का अधिकार होता है --जिस पर हर व्यक्ति को विचार अवष्य करना पड़ता है --जो व्यक्ति ऐसा नहीं करता है वो बहुत कुछ पाने की जगह खो देता है | अब मुझे यह अहसास हो रहा है --अगर सच लिखने का प्रयास किया तो सबकुछ खो देंगें --क्योंकि जैसे धन के बिना जीवन नहीं हो सकता है --हर व्यक्ति येन -केन प्रकारेण जीने के लिए धन के चक्कर में धर्म की जगह अधर्म का भागी बन जाता है --क्योंकि जीना है --इसी प्रकार सच भले ही सच हो पर ईस्वर ने मानव जीवन में गिने -चुने लोगों में ही यह सामर्थ दी है --जो भूखा रहकर ,फटे हुए वस्त्र धारण करके सच का सामना तो कर सकता है --किन्तु परिवार के साथ रहकर सच का सामना नहीं कर सकता है --खासकर अब मेरी हिम्मत साथ नहीं दे रही है -अतः मुझे नहीं लगता है -किसी की जीवनी या इतिहास सच हो -हाँ -बहुत कुछ सच तो हो सकता है किन्तु सभी सच हो यह संभव नहीं है ---क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति में --लोभ ,अर्थ ,काम ,मद मोह में से कोई न कोई एक सत्ता विशेष अवश्य होती --जिसकी वजह से व्यक्ति मानव जीवन में -खासकर आज के समय में बच ही नहीं सकता है | आगे अपनी जीवनी में बहुत कुछ न लिखकर कुछ और बातों को लिखने का अंतिम प्रयास करूँगा |  


----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  

गुरुवार, 26 जून 2025

26 /06 /2025 से 10 /07 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


 ॐ श्रीसंवत -2082 शाके -1946 आषाढ़ शुक्लपक्ष --तदनुसार दिनांक -26 /6 /2025 से 10 /07 /2025 तक भविष्यवाणी की बात करें --एक प्रमाण देखें --यत्र मासे पंचवाराः जायन्ते च बृहस्पतेः ,विग्रहः पश्चिमे देशे खडग युधंच जायते ---प्रस्तुत श्लोक का भावार्थ है --पश्चिम के किन्हीं देशों में युद्धादि उपद्रवों के चलते तनाव बढ़ेगा | सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंकवादी हरकतों को बढ़ावा मिलेगा | द्वितीय शुक्रवार से हिजरी सन -1447 मुहर्रम की शुरुआत इस वर्ष अच्छी हो रही है | धनु लग्न सूर्य -गुरु से तथा शनि दृष्ट बलशाली है | इस्लामिक देशों का वर्चस्व बढ़ना विश्व के लिए घातक साबित होगा | इस्लाम के समर्थक अनुयायियों को बढ़ावा मिलेगा | तेजी मंदी विचार -मंदिकारक है | अन्य ग्रह योग तेजी कर सकते हैं | ध्यान दें --बाजार भाव ऊँचे -नीचे होते रहेंगें | गेंहूं ,जो ,चना ,मटर। बाजरा। अरहर,सरसों ,राजमा ,सोयाबीन ,मुंग अलसी ,सूरजमुखी ,सोयाबीन ,बादाम ,छुहारा ,किसमिस ,मखाने ,मुनक्का ,अनारदाना में तेजी होगी | बर्फ ,पेयपदार्थ ,ठंढाई ,चीनी ,छिले बीज ,नाना प्रकार के शरबत ,जलजीरा तेज बिकेगा | --आकाश लक्षण की बात करें तो --जून के अंतिम सप्ताह में भी भारत के दक्षिणी संभागों में मानसून अपनी उपस्थिति दर्ज करायेगी | --एक उक्ति पर गौर करें --आषाढ़ पूनो दिना बादर भीनो चंद ,तो भड्डरी जोशी कहै ,सगळा निरा आनंद "--भाव --पूनो में चन्द्रमा बादलों में लुका -छिपी करता भीगे तब तो जान लो कि इस वर्ष वर्षा बहुत होगी | गुजरती भाषा में भड्डरी कहते हैं कि यहाँ रहना मुश्किल हो जायेगा |     ----भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


गुरुवार, 12 जून 2025

12 /06 /2025 से 25 /06 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


 ॐ श्रीसंवत -2082  शाके -1947 आषाढ़ कृष्णपक्ष तदनुसार -दिनांक -12 /6 /2025 से 25 /06 /2025 तक देश-विदेश की भविष्यवाणी की बात करें --एक प्रमाण देखें --यत्र मासे पंच वाराः जायन्ते च बृहस्पतेः ,विग्रहः पश्चिमे देशे खड्गयुधंच जायते "--अर्थात  प्रस्तुत प्रमाण के अनुसार अमेरिकादि देशों में कहीं सीमा संघर्ष होगा | विस्तारवादी देश किसी को तंग करेगा | कश्मीर समस्या भारत के लिए सिरदर्द बन सकती है | सीमा से लगते प्रदेशों में चौकसी बरतनी चाहिए | त्रिग्रही  योग के चलते आतंकी नया गुल खिला सकते हैं | पाकिस्तान में अन्नादि किन्हीं वस्तुओं का अभाव तेजी का कारण बनेगा | बदलाव का चक्र चल सकता है | कोई राजनेता पार्टी बेस पर पद से हटाया जा सकता है | सिंह में मंगल पापग्रह केतु संयोग में लोहा ,ताम्बा ,पीतल ,मशीनरी ,कलपुर्जे ,वाहन ,हथियार ,गोला बारूद ,पेट्रोल ,डीजल ,सी एन ,जी ,रसोई गैस  में तेजी करेगा | भारतीय कर्णधार आदान -प्रदान सन्धि पर हस्ताक्षर कर सकते हैं | --तेजी मंदी की बात करें तो --चालू बाजार भाव नीचे -ऊँचे होते रहेंगें | व्यापार सोच -विचारकर करें | गुरु अस्त तथा मिथुन में सूर्य प्रवेश रविवार का उथल -पुथल कारक है | मिथुन भास्करे याते कार्पसः कन्दमूलकं ,तिलाश्च सर्व धान्यादि महर्घति स्युरेवहि "--भाव --तेजी तो होती है छीना झपटी  भी चलती है | ---आकाश लक्षण की बात करें तो -यत्र -तत्र बादल चाल ,वायुवेग से कहीं कम  तो कहीं अधिक वर्षा होगी | भूमि कम्प ,दिग्दाह ,बांध विखंडन ,पहाड़ सिसकना ,यातायात में व्यवधान होना ,कहीं जल प्रलय आम बात रहेगी | किसी देश -प्रदेश में वज्रपात हो सकता है | आकाश में विस्मय कारी घटना घट सकती है | --भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  



रविवार, 25 मई 2025

28 /05 /2025 से 11 /06 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


 श्रीसंवत -2082 -शाके-1947 ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष -दिनांक -28 /5 /2025 से 11 /06 /2025 -तक भविष्यवाणी की बात करें -एक प्रमाण देखें --बुधस्य पंच वाराः स्यु यत्र मासे निरन्तरम ,प्रजाश्च सुख सम्पन्ना सुभिक्षं च प्रजायते | -अर्थात -प्रजाजनों में शान्ति का संचार होगा | खाने -पीने की वस्तुएं समयोचित मिलेगी | अन्नादि का उत्पादन अधिक होने से भावों में गिरावट खुशहाली बढ़ायेगी | अन्तर्राष्ट्रीय विश्व में शान्ति परिचर्चा चलेगी | --इस पक्ष --कुछ वस्तुओं के दामों में घट-बढ़ चलेगी तो कुछ के स्थिर रहेंगें | अनाज ,गुड़ ,शक्कर ,रसकश ,धान्य ,सोना ,चांदी ,श्रृंगार उनी वस्त्र ,तिलहन ,पशुचारा ,खल -बिनौला ,छिलका ,चरी घास फूंस में गिरावट दर्ज हो सकती है | राहु क्रूर ग्रह संयोग कहीं भारी क्षति करा सकता है | ---इस राहु योग --के चलते कहीं अकाल जैसे हालात बन जाते हैं | ---आकाश लक्षण की बात करें तो --ज्येष्ठ तृतीया में द्वादशी तक वर्षा बूंदा बांदी नेष्ट होती है | मौसम शुष्क रहे ,प्रचण्ड गर्मी पड़े ,लू चले | तपन त्रस्त करे तो वर्षा रितु में जल की कमी नहीं रहती | ईख ,रसकश ,गुड़ ,शक्कर,चीनी ,खाण्ड ,चावल पटसन ,आलू ,गाजर ,मूली ,सिंघाड़े ,मेवाओं की फसल बहुत होती है | भावों में गिरावट रहती है | अनाज ,धातुएं तेज हो सकती है | ---भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  


खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...