ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 26 अगस्त 2025

पहली कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -112 - ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों -हमने अपने मामा के सानिधय रहकर जो प्रथम किसी जातक एवं जातिका की कुण्डली से अनुभव किया -वो मेरा युवाकाल था एवं ज्योतिष की जिज्ञासा थी तो उस समय यह ज्ञात हुआ --कुण्डली वास्तव में दर्पण होती है जिसे गणना से जाना जा सकता है | यह दशा प्रत्येक जातक जिज्ञासु  की होती है | --------अस्तु -- दोस्तों  भारतीय जो नियमा बली  है उसमें व्यवहारिकता का अस्तित्व बहुत ही बड़ा है ---तत्काल  आपको भारतीय -नियम ,संयम ,जप ,तप ,हवन ,व्रत  स्वाध्याय  में बहुत ही परिबर्तन देखने को मिलेगा | इसका परिणाम -उनीसवीं सदी में भ्रष्टता  कम देखने को मिलती थी | लोग मान -मर्जादा में विशेष रहते थे -आधुनिकता में ज्यादा विस्वास नहीं करते थे | आज के समय में  हर व्यक्ति के पास आधुनिकता की चीजें उपलब्ध हैं --इसका परिणाम यह हो रहा है -व्रत -व्रत जैसे नहीं होते हैं ,जप --जप की तरह नहीं  लोग करते हैं , तप --तप की तरह नहीं करते हैं लोग ,नियम --नियम की तरह पालन नहीं करते हैं लोग ,स्वाध्याय --स्वाध्याय की तरह नहीं होते हैं ,हवन -हवन की तरह नहीं होते हैं | ---इसका परिणाम यह हो रहा है -बालक युवा होने के बाद भी ,बालिका युवा होने के बाद भी -नियम और संयम माता पिता ,परिजन ,पडोसी या समाज से वो नहीं सीखते हैं जो भारतीय हैं --इसका परिणाम भी भटकाव है --आज के समय में किसी कुण्डली में यह कह देना कि प्रेम है आसान बात है किन्तु उस समय जब भारत में लोकाचार का विशेष महत्व होता था --बहुत ही कठिन बात थी | आज जब मैं 55 वर्ष का हो चूका हूँ --तो जब मैं 19 वर्ष का था तब प्रेम करना कठिन बात थी उसका कारण भाई -भाई के पास सोता था ,बेटी- माँ के पास सोती थी -या सबके बिस्तर भले ही छोटा घर होता था --अलग -अलग होते थे --इसलिए भ्रष्टता कम थी --साथ ही कुण्डली से पहचान करना कठिन था --इसलिए यह बात मेरे लिए जिज्ञासा की थी ,किन्तु आज के समय में भले ही घर बड़ा हो पर शयन एक ही जगह देखने को मिलता है --आज के समय में मानों ममता ने कठोरता पर अंकुश लगा रखी है --माँ को बेटे का ,बेटे को माँ का ,भाई को बहिन का ,बहिन को भाई का या फिर और भी बहुत रिश्ते नाते हैं --जिन पर सत्संग का प्रभाव पड़ रहा है | --आज के समय में किसी भी ज्योतिषी के लिए सरल है --उससे --उसका प्रेम है --उस समय प्रेम होते हुए भी प्रतीत नहीं होता था  | -सनातन संस्कृति में अपनी बेटी दूसरे घर के घर -मान ,मर्जादा ,नियम ,संयम ,व्रत ,जप ,तप ,हवन ,स्वाध्याय  के अनुसार दी जाती है --साथ ही दूसरे की बेटी को इसी सभी नियम के तहत लक्ष्मी स्वरूपा अपने घर लायी जाती है --इससे एक सुसम्भ्य और  सुन्दर समाज का निर्माण होता है --आज इसका हनन हो रहा है | अगले भाग में दूसरी कुण्डली पर विचार साझा करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs


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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

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