एक जन्म-कुण्डली को जन्मपत्रिका अथवा जन्मांग भी कहते हैं | जिस प्रकार एक चिकित्सालय में प्रत्येक रोगी की शैय्या के सिरहाने उस रोगी का पूर्ववृत ,उसका रोग ,उपचार तथा प्रगति सूचक एक विवरण पत्रिका टंगी रहती है ,उसी प्रकार एक जन्म -कुण्डली भी व्यक्ति "जातक " के जन्म समय ग्रहों की स्थिति स्पष्ट दर्शाती है | बड़ी जन्मपत्रिका में अनेक अन्य तालिकाएं तथा गणनायें भी दी जाती हैं ,जिसकी सहायता से एक विद्वान ज्योतिषी उसका अध्ययन कर व्यक्ति का भूतकाल एवं भविष्यकथन करने में सफल होता है | शुद्ध भारतीय शैली पर बनी जन्मपत्रिका से सहज ही पत्ता चल जाता है कि व्यक्ति के जन्म के समय नवग्रह राशिचक्र के 12 घरों में किस -किस घर में स्थित थे |
----जैसा कि पहले भी बताया जा चूका है कि यह पृथ्वी एक अंतरिक्ष -यान के समान है ,जो हमें सूर्य के चारों ओर की निरंतर -यात्रा पर वर्षानुवर्ष ले जाती है | यद्यपि सूर्य सानुपातिक रूप में स्थिर है और यह अनुभव किया जाता है कि यह पूर्व में उदय होता है और पश्चिम में अस्त हो जाता है | पूर्व से पश्चिम की ओर सूर्य की यह प्रत्यक्ष गतिशीलता तथ्य रूप में इस बात का संकेत है कि हमारा यह पृथ्वी यान अंतरिक्ष में पश्चिमी से पूर्व की ओर चल रहा है | दूसरे शब्दों में हम सूर्य को दक्षिणावर्त गतिमय देखते हैं --क्योंकि हम वामावर्त गतिमय हैं | तात्पर्य यह है कि जैसे -जैसे हम आकाश की विभिन्न राशियों के निकट से गुजरेंगें ,हमारा यह क्रम वामवर्तीय व्यवस्था में होगा |
--किन्तु हमें यह निश्चय तो करना ही होगा कि किस घर और किस अंक से संख्या डालना प्रारम्भ करें | निम्न कुण्डली में लग्न जहाँ लिखा हुआ विद्यमान है ,वो जन्म -कुण्डली का सीधा -पूर्व है | चूंकि सूर्य पूर्व दिशा में उदय होता है ,इसलिए सूर्योदय के समय जन्म लेने वाले व्यक्ति की जन्मकुण्डली में सूर्य उसी घर में होगा ,जिसे लग्न भी कहते हैं | क्योंकि पृथ्वी अपनी धूरि पर एक चक्र 24 घंटे में पूर्ण कर लेती है | अतः सूर्य प्रत्येक 2 घंटे में एक घर से दूसरे घर में जाता दिखाई देगा |
---ज्योतिष सीखने वाले पाठक को अब सूर्य के सब घरों का लगभग समय लिख लेना चाहिए | तब जन्म -कुण्डली वा व्यक्ति का जन्म सूर्य के किन दो घंटे में हुआ था | यह कुण्डली से अबलोकन करना चाहिए |
--सूर्य दक्षिणावर्त चलता है और सूर्योदय के समय जन्म -कुण्डली के पूर्वीय घर में अर्थात लग्न में होता है | पाठक किसी भी जन्म -कुण्डली को लें और देखें कि सूर्य उसमें कौन से घर में स्थित है | सूर्य की स्थिति से उस व्यक्ति के जन्म का समय बताया जा सकेगा | सूर्योदय और सूर्यास्त के घर एक -दूसरे के विपरीत हैं | इन्हीं के बीच अन्य घर हैं ,जिनमें सूर्य दो -दो घंटे रुकता चलता है | --अगले भाग में जन्म -कुण्डली निर्माण पर कुछ और जिक्र करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com

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