ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
गुरुवार, 11 सितंबर 2025
मेरी कुण्डली का चौथा घर -आत्मकथा पढ़ें -भाग -118 - ज्योतिषी झा मेरठ
ॐ -प्रिय पाठकगण --ज्योतिष वास्तव में एक दर्पण है | जैसे ऑंखें भी होतीं हैं ,नजदीक वस्तु भी होती है --पर कभी -कभी दिखती आँखों को वस्तु नहीं है | --इसका अर्थ जल्दबाजी होती है --थोड़ी सी शान्ति व्यक्ति रखे तो वह वस्तु जो दिखती नहीं थी --थी सामने -शान्ति हुए तो मिल जाती है --वैसे ही जीवन में गुरु का मार्गदर्शन होता है | -मेरी कुण्डली की नीव बहुत ही मजबूत है --तो धन एवं कुटुंब अच्छे रहे भले ही हमने महत्व नहीं दिया | जब धन और कुटुंब का महत्व नहीं दिया --तो फिर प्रभाव कमजोर होना लाजमी था --क्योंकि जो व्यक्ति धन और परिजनों का आदर नहीं करेगा तो -उसे ये दोनों परित्याग कर देते हैं --इसका परिणाम यह होता है -व्यक्ति के पास अपने संसाधन तो होते हैं -पर वह अकेला होता है --यह स्थिति मेरे साथ रही | ---अस्तु ---अब चौथे घर की बात करें तो -यह घर सुख पूर्ण रूपेण मिले --क्यों --क्योंकि चौथे घर और भाग्य का स्वामी सूर्य के साथ बहुत ही मजबूत है | सम्पूर्ण जीवन हमने इस घर पर बहुत ही अन्वेषण किया --हमने देखा ज्यादातर बड़े लोगों की कुण्डली में ऐसा योग था | जब हम -11 वर्ष के थे तब से इस स्थिति को बहुत ही ढूंढा --जहाँ भी गया उन ज्योतिषी गुरु ने कहा एक दिन तुम राजा बनोगे | जब हम -10 वर्ष के हुए --तो राहु की दशा प्रारम्भ हुई --यह दशा -28 वर्ष के जब हुए तब तक रही --संयोग से -शिक्षा ,दीक्षा ,विवाह ,संतान ,पालयन इसी दशा में हुए | मेरी कुण्डली में राजयोग था फिर भी हम महादरिद्र थे | जब हम -28 वर्ष के हुए और गुरु की दशा प्रारम्भ हुई --अनायास राजयोग शुरू हुआ --फिर वाहन ,भवन ,दाम्पत्य सुख ,शिक्षा ,संतान सभी राजयोग में बदल गए | तब मैं अधूरा पंडित था --सभी ग्रन्थ तो जिह्वा पर थे पर मार्गदर्शन नहीं था | एकदिन अनायास शिव की शरण में रोने लगे -कैसे चलूँ ,क्या करू --मानों अनायास राजयोग का दौर शुरू होने वाला था तो ईस्वर प्रेरणा भी अनायास ही दी | मानों स्वयं भोलेनाथ -मंदिर से मेरे ह्रदय में समा गए --और प्रेरणा के श्रोत बन गए | 10 वर्ष से लेकर जब हम -28 वर्ष के हुए -अपने हों या पराये सभी ठोकर मारते गए | सारे परिजन होते हुए भी अकेले चल रहे थे ,हमारे धन पर सभी राज कर रहे थे फिर भी हम उनके लिए ही जी रहे थे | किसी तरह से पनाह मिले यही सोच थी --सबसे पहले माँ ने त्याग दिया ,फिर पिता ने त्याग दिया ,फिर भाई ,बहिन ,मामा सबने त्याग दिया | मेरी पतनी और बच्ची को जो तकलीफ हुई -उसकी क्या गाथा लिखू | जब राजयोग शुरू हुआ तो अकेले चलने लगा --क्योंकि ठोकर से अकल आ चुकी थी | --ऐसा इसलिए हुआ --मेरी कुण्डली में सूर्य लग्न का राजा है --जो मुझे जन्मजात वसूलों का पक्का बनाता है ,थोड़े में खुश रहने का सिद्धांत देता है --मंगल होने से कर्मठ और जुझारू बनाता है --किन्तु यहाँ केतु है --इसका अर्थ है --जो मेरी मातृ सुख है -जो दिखता है --वो सच नहीं है --माँ ऊपर से तो प्रेम करेगी --किन्तु ह्रदय में छल है साथ ही भाग्य के क्षेत्र का स्वामी भी केतु के साथ लग्न में है --इसका अर्थ है --सबकुछ होने के बाद भी भाग्य का सुख एक छलावा रहेगा | जबतक -परिजन हों ,शिष्य हों ,मित्र हों ,पड़ोसी हों --खिलाते रहेंगें --ये अपने रहेंगें --अन्यथा ये सभी शतु की तरह व्यवहार करेंगें | --यह अनुभव जब हम -55 वर्ष के हुए तब हुआ | अगर मुझे एक सही मार्गदर्शन दाता मेरे पास होते तो हम सुखी होते --जब मुझे आज ईस्वर की प्रेरणा से अब अनुभव हुआ --तो वास्तव में मैं अब सुखी हुआ | अतः सभी पाठक जीवन में किसी न किसी का मार्गदर्शन अवश्य लें सुखी होना है तो ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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