ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
सोमवार, 23 अक्टूबर 2023
चंद्र ग्रह का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा "मेरठ"
चंद्र ग्रह का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा "मेरठ"ज्योतिष जगत में चंद्र ग्रह को मन्त्री माना गया है | ज्योतिष ग्रह सूर्यदेव का स्वभाव कैसा होता है | प्रभाव कहाँ -कहाँ पड़ता है और उपचार क्या -क्या करना चाहिए ---सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से | ----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रुद्राक्ष क्यों धारण करें -पढ़ें -- ज्योतिषी झा "मेरठ
रुद्राक्ष क्यों धारण करें -पढ़ें -- ज्योतिषी झा "मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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माता पिता,गुरुजन ,परिजन चाहें तो हर व्यक्ति बढियां बन सकता है -पढ़ें- भाग -54-ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल
-पढ़ें ?--- भाग -54-ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रविवार, 22 अक्टूबर 2023
ज्योतिष ग्रह सूर्यदेव का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें - ज्योतिषी झा मेरठ
ज्योतिष ग्रह सूर्यदेव का स्वभाव ,प्रभाव और निदान सुनें - ज्योतिषी झा मेरठज्योतिष जगत में सूर्य को सम्राट माना गया है | ज्योतिष ग्रह सूर्यदेव का स्वभाव कैसा होता है | प्रभाव कहाँ -कहाँ पड़ता है और उपचार क्या -क्या करना चाहिए ---सुनें --ज्योतिषी झा मेरठ,झंझारपुर और मुम्बई से | --- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शरद पूर्णिमा-यानी-कोजागरी पूर्णिमा-की विशेषता-पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
शरद पूर्णिमा-यानी-कोजागरी पूर्णिमा-की विशेषता-पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
वर्ष के बारह महीनों में ये पूर्णिमा ऐसी है, जो तन, मन और धन तीनों के लिए सर्वश्रेष्ठ होती है। इस पूर्णिमा को चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है, तो धन की देवी महालक्ष्मी रात को ये देखने के लिए निकलती हैं कि कौन जाग रहा है और वह अपने कर्मनिष्ठ भक्तों को धन-धान्य से भरपूर करती हैं। शरद पूर्णिमा का एक नाम "---कोजागरी पूर्णिमा" भी है यानी लक्ष्मी जी पूछती हैं- कौन जाग रहा है?----अश्विनी महीने की पूर्णिमा को चंद्रमा अश्विनी नक्षत्र में होता है इसलिए इस महीने का नाम अश्विनी पड़ा है। एक महीने में चंद्रमा जिन 27 नक्षत्रों में भ्रमण करता है, उनमें ये सबसे पहला है और आश्विन नक्षत्र की पूर्णिमा आरोग्य देती है। केवल शरद पूर्णिमा को ही चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से संपूर्ण होता है और पृथ्वी के सबसे ज्यादा निकट भी। चंद्रमा की किरणों से इस पूर्णिमा को अमृत बरसता है।----आयुर्वेदाचार्य वर्षभर इस पूर्णिमा की प्रतीक्षा करते हैं। जीवनदायिनी रोगनाशक जड़ी-बूटियों को वह शरद पूर्णिमा की चांदनी में रखते हैं। अमृत से नहाई इन जड़ी-बूटियों से जब दवा बनायी जाती है तो वह रोगी के ऊपर तुंरत असर करती है।चंद्रमा को वेदं-पुराणों में मन के समान माना गया है- चंद्रमा मनसो जात:। वायु पुराण में चंद्रमा को जल का कारक बताया गया है। प्राचीन ग्रंथों में चंद्रमा को औषधीश यानी औषधियों का स्वामी कहा गया है। ब्रह्मपुराण के अनुसार- सोम या चंद्रमा से जो सुधामय तेज पृथ्वी पर गिरता है उसी से औषधियों की उत्पत्ति हुई और जब औषधीश 16 कला संपूर्ण हो तो अनुमान लगाइए उस दिन औषधियों को कितना बल मिलेगा।----शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में रखी खीर खाने से शरीर के सभी रोग दूर होते हैं। ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन और भाद्रपद मास में शरीर में पित्त का जो संचय हो जाता है, शरद पूर्णिमा की शीतल धवल चांदनी में रखी खीर खाने से पित्त बाहर निकलता है। लेकिन इस खीर को एक विशेष विधि से बनाया जाता है। पूरी रात चांद की चांदनी में रखने के बाद सुबह खाली पेट यह खीर खाने से सभी रोग दूर होते हैं, शरीर निरोगी होता है।-----शरद पूर्णिमा को रास पूर्णिमा भी कहते हैं। स्वयं सोलह कला संपूर्ण भगवान श्रीकृष्ण से भी जुड़ी है यह पूर्णिमा। इस रात को अपनी राधा रानी और अन्य सखियों के साथ श्रीकृष्ण महारास रचाते हैं। कहते हैं जब वृन्दावन में भगवान कृष्ण महारास रचा रहे थे तो चंद्रमा आसमान से सब देख रहा था और वह इतना भाव-विभोर हुआ कि उसने अपनी शीतलता के साथ पृथ्वी पर अमृत की वर्षा आरंभ कर दी। गुजरात में शरद पूर्णिमा को लोग रास रचाते हैं और गरबा खेलते हैं। मणिपुर में भी श्रीकृष्ण भक्त रास रचाते हैं।---पश्चिम बंगाल और ओडिशा में शरद पूर्णिमा की रात को महालक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस पूर्णिमा को जो महालक्ष्मी का पूजन करते हैं और रात भर जागते हैं, उनकी सभी कामनाओं की पूर्ति होती है। ओडिशा में शरद पूर्णिमा को कुमार पूर्णिमा के नाम से मनाया जाता है। आदिदेव महादेव और देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय का जन्म इसी पूर्णिमा को हुआ था। गौर वर्ण, आकर्षक, सुंदर कार्तिकेय की पूजा कुंवारी लड़कियां उनके जैसा पति पाने के लिए करती हैं। शरद पूर्णिमा ऐसे महीने में आती है, जब वर्षा ऋतु अंतिम समय पर होती है। शरद ऋतु अपने बाल्यकाल में होती है और हेमंत ऋतु आरंभ हो चुकी होती है और इसी पूर्णिमा से कार्तिक स्नान प्रारंभ हो जाता है।--------ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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जन्मकुण्डली व्यक्ति के गुण और अबगुण दोनों को दर्शाती है -पढ़ें - भाग -53-खगोलशास्त्री झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -53-खगोलशास्त्री झा मेरठ,
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 21 अक्टूबर 2023
नेट की दुनियां में कैसे आया -सुनें -भाग -52 -ज्योतिषी झा मेरठ
नेट की दुनियां में कैसे आया --सुनें -भाग -52 -ज्योतिषी झा मेरठ
मेरे प्रिय सहपाठीगण --नेट की दुनियां में आना मुझ जैसा अनपढ़ व्यक्ति लिए सपने की बात थी जब मैं 40 वर्ष का हुआ तब नेट की दुनिया में आया | मुझे अंग्रेजी आज भी नहीं ठीक से आती है फिर भी --वहाँ पंहूच गया -जहाँ पहुंचना था --कथा मेरे मुख से ही सुनें |----एकबार सुनकर देखें साथ ही ज्योतिष और कर्मकाण्ड के अनन्त प्रश्नों के जबाब प्रस्तुत पेज पर मिल सकता है --प्रवेश हेतु पधारें --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ht
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आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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दशहरा अर्थात रावण दहन विशेष-पढ़ें -पढ़ें --खगोलशास्त्री झा मेरठ
रावण बनना भी कहां आसान...
रावण में अहंकार था
तो पश्चाताप भी था
रावण में वासना थीतो संयम भी था
रावण में सीता के अपहरण की ताकत थी
तो बिना सहमति परस्त्री को स्पर्श भी न
करने का संकल्प भी था
सीता जीवित मिली ये राम की ही ताकत
थी
पर पवित्र मिली ये रावण की भी मर्यादा
थी
राम,तुम्हारे युग का रावण अच्छा था..
दस के दस चेहरे, सब "बाहर" रखता था...!!
महसूस किया है कभी
उस जलते हुए रावण का दुःख
जो सामने खड़ी भीड़ से
बारबार पूछ रहा था.....
"तुम में से कोई राम है क्या?-ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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हमारी जीवनी में अनन्त गुरुजनों की कृपा रही है-पढ़ें - भाग -52-खगोलशास्त्री झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -- भाग -52-खगोलशास्त्री झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शुक्रवार, 20 अक्टूबर 2023
ज्योतिष की दुनिया और मेरी समझ -मुझसे ही सुनें -भाग -51 ज्योतिषी झा "मेरठ "
ज्योतिष की दुनिया और मेरी समझ -मुझसे ही सुनें -भाग -51 ज्योतिषी झा "मेरठ "प्रिय श्रोतागण --ज्योतिष की दुनिया की विशालता और मैंने जो अनुभव किया सम्पूर्ण बातों को मुझसे ही सुनें | कभी - कभी जो सुनते हैं --वही सच नहीं होता --सच तो केवल मन के अन्दर होता है | --एकबार सुनकर देखें साथ ही ज्योतिष और कर्मकाण्ड के अनन्त प्रश्नों के जबाब प्रस्तुत पेज पर मिल सकता है --प्रवेश हेतु पधारें --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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विवाह के लिए संस्कार क्यों -पढ़ें-ज्योतिषी झा 'मेरठ"
विवाह के लिए संस्कार क्यों -पढ़ें-ज्योतिषी झा 'मेरठ"
कर्मकाण्ड जगत में प्रत्येक व्यक्ति को षोडश संस्कारों गुजरना होता है | सभी संस्कारों के अलग -अलग महत्त्व हैं | विवाह संस्कार प्रत्येक व्यक्ति का दशवां संस्कार होता है | इस विवाह संस्कार के बाद प्रत्येक व्यक्ति अपने -अपने सुखों से वंचित होते जाते हैं | विवाह संस्कार प्रत्येक व्यक्ति का एक सुखद संस्कार है | ज्ञानी पुरुष अपनी जिम्मेदारी की पूर्ति कर वैराग की ओर चलने लगते हैं | अज्ञानी पुरुष विवाह संस्कार के बाद मोह माया में विशेष रम जाते हैं | ---वास्तव में संसार के प्रत्येक व्यक्तियों का विवाह संस्कार एक सुखद संस्कार होता है जिसे हर्षोल्लास से मनाते हैं और मनाने भी चाहिए किन्तु --ब्राह्मणों {द्वीज }का विशेष खुशी का संस्कार यज्ञोपवीत संस्कार होता क्योंकि इस संस्कार के बाद जो अलौकिक ज्ञान गुरुजनों के सान्निध्य में मिलता है --उस ज्ञान की वजह से द्विज केवल माता पिता की मर्यादा का पालन करने हेतु विवाह संस्कार में बंधते हैं --इसलिए ब्राह्मणों का विवाह संस्कार अति सरल और भव्यता विहीन होता है किन्तु मन्त्रों की विधियों की अत्यधिकता होती है | पर आज इस बात का भान ही नहीं होता -जिस कारण से विवाह संस्कार में कहीं कोई न तो अंतर दिखता है न ही किसकी शादी हो रही है इसका पत्ता रंग रूप से दिखता है | अगर दिखती है तो विवाह की भव्यता | -----अब सबसे पहले यह समझें कि प्रत्येक व्यक्ति अपनी बेटी दूसरे को देता है और दूसरे की बेटी को खुद स्वीकार करता है | क्यों --?--क्योंकि एक तो इस प्रक्रिया से समाज का विस्तार होता है, प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे से जुड़ते हैं ,प्रत्येक व्यक्ति एक दूसरे के सुख -दुःख में सहभागी बनते हैं -साथ ही अत्यधिक धन खर्च और परिश्रम भी करते हैं | दूसरा ---यदि यह प्रक्रिया नहीं हो तो प्रत्येक व्यक्ति जानवरों की भांति अपने -अपने घरों में सिमट कर रह जायेंगें | न माँ का न बहिन का न ही किसी संबंधों जान पायेंगें न ही इंसान बन पायेंगें | यही विवाह एक ऐसा संस्कार है --जो प्रत्येक व्यक्ति को जीने का ढंग सीखता है ,उसको एक सामाजिक प्राणी बनाता है साथ ही आने वाली पीढ़ी को एक नियमावली बताता है | अतः प्रत्येक व्यक्ति को इस बात पर विचार करना चाहिए ---न कि मदोन्मत होकर वही बोलना या करना चाहिए जो न तो आपको सुख दे पाए न ही समाज की प्रेरणा बन सके | ---आगे की चर्चा आगे करेंगें |-----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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जब मैं आत्महत्या की सोच रहा था --2017 -18 में -पढ़ें - भाग -51-खगोलशास्त्री झा मेरठ
मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -51-खगोलशास्त्री झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 19 अक्टूबर 2023
ज्योतिष की भविष्यवाणी सत्य क्यों होती है -सुनें भाग -50 ज्योतिषी झा 'मेरठ "
ज्योतिष की भविष्यवाणी सत्य क्यों होती है -सुनें भाग -50 -ज्योतिषी झा 'मेरठ "ज्योतिष के जिज्ञासु पाठकगण --ज्योतिष की तमाम बातों को जाना जा सकता है --अगर गणित और फलित के साथ ईष्ट की कृपा तो --तमाम बातों को एकबार सुनें साथ ही अपनी कसौटी पर परखकर देखें | --आपके समस्त ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत पेज में हैं ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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विद्याअध्ययन संस्कार-क्यों -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ"
विद्याअध्ययन संस्कार-क्यों -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ"
या विद्या सा विमुक्तये --वास्तवित बात तो यह विद्या ऐसी होनी चाहिए जो लोभ ,अर्थ ,काम, मोह का परित्याग कराकर मोक्ष की ओर ले चले | धयान दें ---जब आप उत्तम शिक्षा की प्राप्ति करते हैं तो उत्तम पद और उत्तम धन की जिज्ञासा अवश्य रखेंगें | जब आप उत्तम भवन की नींव रखते हैं तो भवन को भव्य अवश्य बनायेंगें | ठीक इसी प्रकार से जब उत्तम संतान की कामना करते हैं तो शिक्षा भी उत्तम होनी चाहिए | पर जिस विद्याध्ययन संस्कार का प्रतिपादन मह्रषियों ने किया उस विद्याध्ययन के लिए माता पिता परिजनों के साथ साथ उत्तम रहन -सहन का भी त्याग करना होता है तभी अलौकिक विद्या प्रभाव दे पाती है | यहाँ से दो मार्ग शुरू होते हैं सभी जातकों के -{1 }पहला -संसार में जीने हेतु या जीवन को समझने हेतु लौकिक विद्या का ज्ञान अनिवार्य है --इसके लिए किसी भी चीज का त्याग करना अनिवार्य नहीं होता बल्कि केवल समझना अनिवार्य होता है | {2 }यह संसार मोह माया से लिप्त है और जो इस धरा पर आया है उसे जाना भी होगा तो ज्ञानी पुरुष संसार चक्र से निकलने हेतु अलौकिक विद्या के साथ -साथ अलौकिक जीवन जीते हैं साथ ही दूसरे को भी इस मार्ग का अवलोकन भी कराते हैं | --यहाँ भी कोई भेद -भाव नहीं है बल्कि -जो अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति करेगा -उसे यज्ञोपवीत धारण करना होगा --क्योंकि ब्रह्म सूत्र को धारण करने वाला ही ब्रह्म को जान सकता है ---इसके साथ -साथ -संध्या -गायत्री के जाप ,सही दिनचर्या का पालन करेगा ,आचार -विचार के प्रति सजग रहेगा ,संसारिक उन्हीं वस्तुओं को अपनायेगा जो सत मार्ग पर ले जाने लायक होगी तभी -वेद वेदान्त ,पुराण ,शास्त्रों को पढ़ेगा ---ऐसा बनकर ही सभी लोगों का प्रिय हो पायेगा | -----जो सांसारिक अन्य कार्यों से जुड़ेगा उसे केवल अपने -अपने मार्गों का चयन करना होगा साथ ही सांसारिक सभी वस्तुओं से लिप्त होगा ,उसे किसी वस्तु का त्याग नहीं करना होगा बल्कि उसे केवल एक सतगुरु की बातों को अमल करनी होगी ---उन गुरु की कृपा से मोह माया में रहकर भी परमात्मा की प्राप्ति करेगा | -----यहाँ ध्यान दें ---वैरागी व्यक्ति ही अलौकिक विद्या की प्राप्ति कर सकता है और सक्षम व्यक्ति {तन -मन -धन }ही उस विद्या से लाभ प्राप्त कर सकता है ----यहाँ दोनों चीजें दोनों के पास नहीं हो सकती है अगर है तो निष्फल हो जाएगी साथ ही फिर एक दूसरे से कोई जुड़ा भी नहीं रह सकता है --इसलिए इस विद्या अध्ययन संस्कार की जरुरत होती है|आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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जीवन में लाभ + हानि ज्योतिष के महादशा पर विशेष निर्भर है -पढ़ें- भाग -50-खगोलशास्त्री झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -50-खगोलशास्त्री झा मेरठ
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पिता बिना जीवन कैसा होता है - सुनें भाग -49 -ज्योतिषी झा मेरठ
पिता बिना जीवन कैसा होता है - सुनें भाग -49 -ज्योतिषी झा मेरठप्रिय श्रोतागण --अब मैं अपने जीवन का उत्तरार्ध भाग सुनाना चाहता हूँ | पिता के बिना जीवन निरर्थक हो जाता है | पिता कैसे भी हों छत्र छाया व्यक्ति के ऊपर बनी रहती है --जो जीतेजी समझ में नहीं आती है --सम्पूर्ण बातों को सुनने का अवश्य प्रयास करें | -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --यह पेज सभी लोगों के लिए उपयोगी है --परखकर देखें ,आपका लाभ ही सेवा का आधार है | - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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जनेऊ संस्कार में विरोधाभाष क्यूं है -पढ़ें - ज्योतिषी झा 'मेरठ"
जनेऊ संस्कार में विरोधाभाष क्यूं है -पढ़ें - ज्योतिषी झा 'मेरठ"
कर्मकाण्ड जगत में -जनेऊ संस्कार अर्थात --चयनित मार्ग पर चलना हो तो प्रत्येक जातकों को द्वीज बनना होता है | जैसे प्रत्येक छात्रों को दशवीं कक्षा के बाद अपने -अपने विषयों का चयन करना होता है जो खुद ही करना होता है --अगर आप कर्मकाण्ड करना चाहते हैं तो वेद पढ़ें | अंग्रेजी विषय में -आर्ट पढ़ें | आप ज्योतिषी बनना चाहते हैं तो ज्योतिष विषय पढ़ें | अंग्रेजी के छात्र हैं -आर्ट या और भी विषयों का चयन कर सकते हैं | आपको पढ़ाना है या नौकरी करनी है तो संस्कृत के विषय -साहित्य या व्याकरण का चयन कर सकते हैं | अंग्रेजी में साइंस विषय का चयन करते हैं | अर्थात प्रत्येक बालकों को अपने -अपने मार्ग का चयन खुद ही करना होता है | ठीक इसी प्रकार से --जनेऊ ,या उपनयन संस्कार का शाब्दिक अर्थ है उपवस्त्र या विशेष प्रकार की क्षमता प्राप्त करने हेतु यह संस्कार होना चाहिए --इस संस्कार के बिना न तो कर्मकाण्ड जानने के न ही कराने के अधिकारी हो सकते हैं | सवाल यह उठ सकता है --कोई क्यों नहीं पढ़ सकता है तो --जो संध्यावंदन करेगा ,शिखा धारण करेगा ,धौत वस्त्र पहनेगा ,सात्विक भोजन करेगा ,निष्पक्ष और निःस्वार्थ ज्ञान प्रदान करेगा साथ ही अपना व्यवहार सरल और परमात्मा के साथ रखेगा वही कर्मकाण्ड करेगा या वेद -वेदान्त का अध्ययन करेगा अध्यापन करायेगा | इसलिए प्रत्येक यज्ञ में यजमान को भी द्विज बनना होता है तभी यज्ञ सफल होते हैं | यहाँ एक बात सोचें -अगर सभी द्विज बन जायेंगें या सभी राजा ही बन जायेंगें या सभी वैश्य ही बन जायेंगें तो सामाजिक सभी कार्य कैसे चलेंगें | एक व्यक्ति ने महर्षि से पूछा अगर कोई द्विज भगवान के पास निरंतर रहेगा तो भगवान तो केवल उनके ही होंगें ,तो महर्षि ने कहा कोई द्विज भगवान के पास 24 घण्टे रहेगा उसे पूजा करने से जितना पुण्य मिलेगा अगर समाज का कोई भी कार्य करने वाला समाज के हित लिए कार्य करें और केवल भगवान का स्मरण या दर्शन दूर से भी एकबार कर लेगा तो उसको भी उतना ही पुण्य मिलेगा जितना द्विज को मिलेगा | तो फिर सभी को द्विज बनना उचित नहीं रहेगा | अतः समाज हित, देश हित ,विश्व हित के लिए सभी एक दूसरे के पूरक हैं न कि यहाँ कोई विरोधाभाष है | विरोधाभाष संस्कारों में नहीं हमारे व्यवहारों में है अतः उसे ठीक करना या ठीक से समझना हितकर रहेगा | आगे की परिचर्चा आगे करेंगें |-----ॐ आपका -
ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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प्रत्येक व्यक्ति का जीवन वास्तव में एक नाटक ही होता है-पढ़ें भाग-49-ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -- भाग -49 -खगोलशास्त्री झा मेरठ
प्रत्येक व्यक्ति का जीवन वास्तव में एक नाटक ही होता है, किन्तु इस बात को नाटककार ही समझ सकता है | इसलिए उसे काल्पनिक कहानी कहता है | पर जब कोई भी व्यक्ति पीछे मुरकर देखता है --तो उसे खुद ही असम्भव --संभव कैसे हुआ समझ में आता है --तो उसे प्रेरणादायी कथा कहता है ---यही मुझे अनुभव हो रहा है | अस्तु ----आज मैं खुद का चित्रण करना चाहता हूँ ---जब मेरा राजयोग था -उम्र थी 5 वर्ष मुझे ज्ञात नहीं --पिताने कभी यह बात कही थी --तो एक ज्योतिषी के पास पिता गए थे --मेरा राजयोग था ,झेल सकते थे ,धन था ,मन था ,जिज्ञासा पुत्र ठीक हो की थी --मेरे बालों में अकारण आग लग जाया करती थी | --ज्योतिषी जी ने कहा एक दिन राजा बनेगा | बालक की अभी मंगल की दशा चल रही है --अमुक उपचार करें ठीक हो जायेगा | मैं ठीक भी हो गया| जिस दिन मैं ज्योतिषी बना तो सर्वप्रथम अपनी ही कुण्डली देखने की विशेष जिज्ञासा उत्पन्न हुई --तो उसमें सुख कम दुःख विशेष दिखाई देने लगा तो सोचने लगा --इससे अच्छा तो मैं ज्योतिषी ही नहीं होता तो ठीक था | यही स्थिति प्रायः सभी लोगों की होती है | आज जहाँ -52 वर्ष में हूँ एवं अब 2014 से शनि की दशा चल रही है | शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --नीचता ही सही भाग्य तो उत्तम रहेगा | --इसकी चर्चा मैं आगे करूँगा | जिस जातक के लग्न में सूर्य +मंगल +केतु हो सप्तम भाव में राहु विद्यमान हो साथ ही सिंह लग्न का भी हो --ऐसा जातक अहंकार ,क्रोध ,जिद्दी स्वभाव एवं क्रूर शासन करने वाला होता है | मेरे पिता भी मकर लग्न के थे उच्च का मंगल लग्न में था --तो वो भी बड़े जिद्दी स्वभाव के थे --शायद इसलिए --मेरे जैसा बालक के लिए सोच लिए पढ़ाना जरूर है ,अन्यथा मेरे जैसा बालक कहीं का नहीं होता --ऐसा एक और योग था मेरी कुण्डली में -चन्द्रमा उच्च का कर्मक्षेत्र में था --तो कैसा भी सही पिता का स्नेह मिलना लाजमी था --अन्यथा मैं यहाँ नहीं होता | मेरी माँ की कुण्डली उपलब्ध नहीं है --पर मेरे चौथे घर और भागयक्षेत्र का स्वामी मंगल लग्न में है ----वह योग बहुत ही उत्तम है --घर ,वाहन ,भाग्य एवं सम्पन्नता का योग है --किन्तु --चुगली ,झूठ बोलना ,झगड़ा लगाना ,विवाद बढ़ाना ,बहुत बोलना ,लज्जा विहीन ये तमाम गुण --मेरी माँ से मेरे मिलते हैं | मेरे पिता कईबार माँ पर दोष लगाया करते थे --इसका वजूद नहीं है ,इसे अपनी कमी दिखती नहीं है --जबकि ये सारे अवगुण मेरे पिता में नहीं थे | मेरे पिता जिद्दी थे अधर्मी नहीं थे ,दूसरे का अहित हो यह कदापि नहीं चाहते थे --ऐसे गुण मेरी माँ में भी थे ----पर ये सारे अवगुण मुझमें थे | मेरी कुण्डली में राहु का सप्तम भाव में होना साथ ही लग्न में सूर्य ,मंगल ,केतु का होना --विवाह सुख नहीं था --पर पतनी के आने के बाद ही सही धार्मिक बनें ,सही आचरणवान बनें ,सभी सुखों से परिपूर्ण हुए | --एक और विशेष बात --जब राहु की दशा रही --तो मैं भागा -भागा फिरता था और पतनी छत्र छाया की तरह हर पल ,हर घड़ी मेरी रक्षा में लगी रहती थी --यह थी गुरु बृहस्पति की दृष्टि | ---आज मैं इतना ही कहना चाहता हूँ --बहुत बड़ा योग लाभ या हानि उतना नहीं देता है --जितना --समभाव योग ,परस्पर सहिष्णुता की दृष्टि ,--मोठे तौर पर नवग्रहों को जानना अच्छी बात है --अगर तप का मार्ग है ,निदान का मार्ग है ,तो बड़ी -बड़ी हानियों से बचा जा सकता है |----आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 18 अक्टूबर 2023
ज्योतिष विद्या की कसौटी क्या है सुनें भाग -48 -ज्योतिषी झा मेरठ
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आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
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ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
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ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
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ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
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ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
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ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
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ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
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ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
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ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
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ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
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ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...











