ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 23 अक्टूबर 2023

माता पिता,गुरुजन ,परिजन चाहें तो हर व्यक्ति बढियां बन सकता है -पढ़ें- भाग -54-ज्योतिषी झा मेरठ


 "मेरा" कल आज और कल


-पढ़ें ?--- भाग -54-ज्योतिषी झा मेरठ

आज अपनी जीवनी में -अबलोकन कराना चाहता हूं -मेरे जैसा व्यक्ति शिक्षाविद हो सकता है --तो माता पिता,गुरुजन ,परिजन चाहें तो हर व्यक्ति बढियां बन सकता है | मेरे जीवन में पिता का बहुत बड़ा योगदान रहा -जब मैं 7 वर्ष का था तो एक ज्योतिषी ने कहा आपका बालक एक दिन राजा की तरह जियेगा --यह सुनी हुई बात है -पिता से ,जब मैं -38 वर्ष का हुआ और फिर से उत्तम समय शुरू हुआ था --1999 से -तो पुत्र भी मिला साथ ही पिता की वजह से एक भूखण्ड बाजार में ले रहा था | इस भुखण्ड को मैं जीजा के साथ या अनुज के साथ लेना चाहता था --पर पिता बोले तुम ही लोगे -अकेले लोगे --उतना धन नहीं था मेरे पास --इस भूखण्ड से पिता को केवल इतना लाभ मिला कि लोग उनकी तारीफ करने लगे --यही तो हर पिता को चाहिए | मेरी कुण्डली में सूर्य +मंगल +केतु लग्न में हैं --ऐसा जातक चाहकर भी नहीं पढ़ेगा --पर पिताने भरसक तबतक कोशिश की जबतक हम शिक्षाविद नहीं हुए | मेरे जैसा छात्र गुरुकुल गया तो -तो महान गुरुजन थे --जिनकी छत्र छाया में मेरे जैसा उदण्ड ,चोर ,घमण्डी ,उचक्का भी एक शास्त्री बन सका | प्राचीनकाल का इतिहास है --जो बालक नहीं पढता था उसको गुरुकुल अभिभावक दे आते थे --वही बालक एक निष्णात आचार्य बनकर आता था | लोग लांछना लगाते हैं --पर जीवन का इतिहास यही कहता है --माता पिता की चाह और त्याग हो तो बालक अच्छे बन सकते हैं | भारत भूमि पर भले ही बाल्य काल अच्छा न रहा हो पर -गुरुकुल से अच्छे आचार्य इसलिए बनते हैं --क्योंकि सभी आचार्य या गुरु उत्तम दर्जे का होते हैं | भारत वर्ष में अनन्त ऋषि -महर्षि हुए -बाबा तुलसी दास , भगवान बाल्मीक ऋषि --इनके बाल्य काल अच्छे नहीं थे पर --इनकी गाथा अजर -अमर है | मेरे जीवन में पिता का सान्निध्य केवल -13 वर्ष तक रहा --इनके अनन्त प्रयास थे जिनके लाभ मुझे जब 40 वर्ष के हुए तो समझ आये | घर से बहार जाने का अनुभव --11 वर्ष में ही मिला तब राजयोग था पर अबधि मंगल की समाप्त होने वाली थी --अतः घर से लोग बाहर ज्यादा निकलना नहीं चाहते हैं --किन्तु मुझे यह योग कुण्डली में था --अनायास मला --श्रीमहार्षि महेष योगी की शाखा पातेपुर जिला वैशाली में | जब -13 वर्ष के हुए राहु की दशा थी --पिताजी तो पढ़ने के लिए छोड़ आये थे --पर वो गुरु ही थे -भले ही उन्हौनें नहीं निखारा किन्तु --माहौल आश्रम का भगवानमय था --तो सत्संग का असर आया --तब हम उन यज्ञों में जाते थे भले ही भाव से नहीं जाते थे --किन्तु जब एक आचार्य बनें --तो वो सत्संग ही मुझे प्रखर बनाया | --------1988 में मेरठ पढ़ने आये -पर धन की बहुलता के आगे कुछ दिनों तक बिगड़ते रहे किन्तु --वो गुरुजनों की पूर्व की कृपा थी --अतः विवाह ,पुत्री होने के बाद भी पढ़ने मुम्बई चले गए --यह योग भी कुण्डली में था --क्योंकि गुरु की दृष्टि पंचम भाव पर थी | विदेश जाना था -1994 में किन्तु जब्दी कुर्की हुई घर की -नौकरी थी नहीं पर हम मन्दिर में नहीं रहना चाहते थे ,दान नहीं लेना चाहते थे ,मरे हुए का नहीं खाना चाहते थे -मेरी कुण्डली में चन्द्रमा का उच्च का होना मनोभाव को दर्शाता है --अतः मेरी नींव आश्रम में धर्म की मजबूत रखी गयी थी ,गुरुजनों की कृपा थी --पिता का त्याग था --अतः धर्मपथ पर आरूढ़ रहे | घर सुदृढ़ पतनी से होता है --व्यक्ति कितनी भी कोशिश करले अगर पतनी धार्मिक है तो एक न एक दिन धर्मध्वज फहरा कर रहती है --उसमें समय लगता है | भले ही मूरखता में शादी की पर नानी का आशीर्वाद था --कहीं न कहीं धर्म रक्षा करता रहा | कहने का अभिप्राय यह है --कुण्डली आपके कर्म पर निर्धारित होती है --पर कोई भी व्यक्ति बड़ा बनता है या छोटा --यह माता पिता और गुरुजनों की सक्षमता पर विशेष निर्भर करता है | मेरे जीवन में राहु की दशा थी या विवाह का सबल योग नहीं था -पर माता पिता ,गुरुजनों ,पतनी ,नानी की ऐसी छत्रछाया थी जो मुझे गरीब परिवार में जन्म होने के बाद भी सक्षम बनाया --इसलिए -ये सारी बातें कहीं होगीं ज्योतिषी ने पिता से -और बखूबी मेरे पिता ने निभाया --कभी किसी से मेरे पिता ने यह नहीं कहा मुझे धन चाहिए --केवल मेरे पुत्र को शिक्षाविद बनादो | हम चार भाई एक बहिन हुए --औरों को नहीं पढ़ाया केवल मुझे ही पढ़ाने का प्रयास क्यों किया गया --क्योंकि ऐसा योग था कुण्डली में ऐसे कर्म थे पूर्व के सो मिले --कोई भी माता पिता ,गुरु ठान लें यह करना है --अपने बच्चों को अवश्य पढ़ाना है --तो कुण्डली के पथ पर चलें लाभ संभव है | -----आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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