विद्याअध्ययन संस्कार-क्यों -पढ़ें - ज्योतिषी झा "मेरठ"
या विद्या सा विमुक्तये --वास्तवित बात तो यह विद्या ऐसी होनी चाहिए जो लोभ ,अर्थ ,काम, मोह का परित्याग कराकर मोक्ष की ओर ले चले | धयान दें ---जब आप उत्तम शिक्षा की प्राप्ति करते हैं तो उत्तम पद और उत्तम धन की जिज्ञासा अवश्य रखेंगें | जब आप उत्तम भवन की नींव रखते हैं तो भवन को भव्य अवश्य बनायेंगें | ठीक इसी प्रकार से जब उत्तम संतान की कामना करते हैं तो शिक्षा भी उत्तम होनी चाहिए | पर जिस विद्याध्ययन संस्कार का प्रतिपादन मह्रषियों ने किया उस विद्याध्ययन के लिए माता पिता परिजनों के साथ साथ उत्तम रहन -सहन का भी त्याग करना होता है तभी अलौकिक विद्या प्रभाव दे पाती है | यहाँ से दो मार्ग शुरू होते हैं सभी जातकों के -{1 }पहला -संसार में जीने हेतु या जीवन को समझने हेतु लौकिक विद्या का ज्ञान अनिवार्य है --इसके लिए किसी भी चीज का त्याग करना अनिवार्य नहीं होता बल्कि केवल समझना अनिवार्य होता है | {2 }यह संसार मोह माया से लिप्त है और जो इस धरा पर आया है उसे जाना भी होगा तो ज्ञानी पुरुष संसार चक्र से निकलने हेतु अलौकिक विद्या के साथ -साथ अलौकिक जीवन जीते हैं साथ ही दूसरे को भी इस मार्ग का अवलोकन भी कराते हैं | --यहाँ भी कोई भेद -भाव नहीं है बल्कि -जो अलौकिक ज्ञान की प्राप्ति करेगा -उसे यज्ञोपवीत धारण करना होगा --क्योंकि ब्रह्म सूत्र को धारण करने वाला ही ब्रह्म को जान सकता है ---इसके साथ -साथ -संध्या -गायत्री के जाप ,सही दिनचर्या का पालन करेगा ,आचार -विचार के प्रति सजग रहेगा ,संसारिक उन्हीं वस्तुओं को अपनायेगा जो सत मार्ग पर ले जाने लायक होगी तभी -वेद वेदान्त ,पुराण ,शास्त्रों को पढ़ेगा ---ऐसा बनकर ही सभी लोगों का प्रिय हो पायेगा | -----जो सांसारिक अन्य कार्यों से जुड़ेगा उसे केवल अपने -अपने मार्गों का चयन करना होगा साथ ही सांसारिक सभी वस्तुओं से लिप्त होगा ,उसे किसी वस्तु का त्याग नहीं करना होगा बल्कि उसे केवल एक सतगुरु की बातों को अमल करनी होगी ---उन गुरु की कृपा से मोह माया में रहकर भी परमात्मा की प्राप्ति करेगा | -----यहाँ ध्यान दें ---वैरागी व्यक्ति ही अलौकिक विद्या की प्राप्ति कर सकता है और सक्षम व्यक्ति {तन -मन -धन }ही उस विद्या से लाभ प्राप्त कर सकता है ----यहाँ दोनों चीजें दोनों के पास नहीं हो सकती है अगर है तो निष्फल हो जाएगी साथ ही फिर एक दूसरे से कोई जुड़ा भी नहीं रह सकता है --इसलिए इस विद्या अध्ययन संस्कार की जरुरत होती है|आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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