ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
सोमवार, 16 अक्टूबर 2023
ज्योतिष और यज्ञों से लाभ कैसे मिलेगा -सुनें -भाग -47 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
ज्योतिष और यज्ञों से लाभ कैसे मिलेगा -सुनें -भाग -47 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
प्रिय श्रोतागण --ज्योतिष को कुछ तूल विशेष दिया जा रहा है -जो समझ से पड़े है साथ ही अनन्त जो यज्ञ हैं कर्मकाण्ड के उनका लाभ ठीक से समझने के बाद ही मिलता है --कृपया सम्पूर्ण कथा सुनें --भवदीय निवेदक --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा -मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई से ---खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ यह पेज ,सबके योग्य है -चाहे आप बालक हैं ,युवा हैं ,प्रौढ़ हैं या फिर वृद्ध -- अनन्त बातों को सुनने या पढ़ने हेतु प्रस्तुत लिंक -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut पर पधारें साथ ही निःशुल्क आनन्द लेते रहें
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
नामकारण संस्कार का अभिप्राय क्या है -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
नामकारण संस्कार का अभिप्राय क्या है -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ -नाम कारण संस्कार -अर्थात -नाम से ही व्यक्ति की पहचान होती है | इस सृष्टि में प्रत्येक चीजों के अलग -अलग नाम होते हैं साथ ही नामों से ही सभी चीजों के प्रभाव समझ में आ जाते हैं | ज्ञानी पुरुष प्रायः नामो से ही अच्छा बुरा का भान कर लेते हैं | यहाँ यह ध्यान देने वाली बात --सृष्टि के तमाम चीजों के नाम ज्ञानी पुरुषों ने अथक परिश्रम से रखे -तभी प्रत्येक व्यक्ति को यह समझ में आती है कि कौन सी चीज हमारे अनुकूल रहेगी या कौन सी चीज हमें हानि पंहुचायेगी | इसी प्रकार से महर्षियों ने प्रत्येक व्यक्तियों के कैसे -कैसे नाम रखें या किस नाम से यह जीवन में विख्यात होगा --इसके लिए जन्म पत्रिका का निर्माण किया गया है | वास्तव में ज्योतिष की जरुरत प्रत्येक व्यक्तियों के जीवन में नाम कारण संस्कार से शुरू होती है | यहाँ भी उत्तम पुरोहित यानि एक सक्षम आचार्य की जरुरत होती हैं | जातक का एक ऐसा नाम रखा जाता है जो जीवन पथ को तत्काल दर्शाता है | कुछ लोगों के मत से देवों के ऊपर नाम रखने से जातकों में वैसा ही स्वभाव और प्रभाव देखने को मिलते हैं | जबकि सत्य यह है जिस नक्षत्र में जातकों के जन्म होते हैं उन्हीं नक्षत्रों के चरणों से नामकरण का विधान है साथ ही अगर हम देवों के नाम अपने -अपने बच्चों के रखते हैं तो सबसे पहला फायदा -बुलाने वाले लोगों को मिलता है -जिन -जिन नामों से किसी को पुकारते हैं तो उन -उन नामों में देवों के अंश दिखाई देते हैं --इस कारण परमात्मा का भी स्मरण हो जाता है | दूसरा ---सभी बालकों को इन नामों से यह प्रेरणा मिलती है कि हम कम से कम नामों के अनुकूल कार्य करें | अतः नाम कारण संस्कार उत्तम प्रकार से सभी के होने चाहिए | ---आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
तमाम पात्र अपनी भूमिका नहीं निभाते -तो जीवनी कैसे लिखी जाती -पढ़ें - भाग -47 झा मेरठ
मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -47 -खगोलशास्त्री झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
चतुर्थी संस्कार क्यों - कथा सुनें -भाग -46 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
चतुर्थी संस्कार क्यों - कथा सुनें -भाग -46 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
प्रिय श्रोतागण --आज मैं विवाह के उपरान्त चतुर्थी संस्कार क्यों होता है -इसकी कथा सुनाना चाहता हूँ साथ धर्म की सही परिभाषा क्या है --कृपया सम्पूर्ण कथा सुनें --भवदीय निवेदक --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा -मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई से ---ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को सुनने या पढ़ने हेतु प्रस्तुत लिंक -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut पर पधारें साथ ही निःशुल्क आनन्द लेते रहें |
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
जातक संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
जातक संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु -पढ़ें ! खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
--कर्मकाण्ड जगत में "जातक "संस्कार -यह प्रत्येक जातकों का चौथा संस्कार होता है | अभी तक के जितने भी संस्कारों को आपने जाना है -इन सभी संस्कारों में सभी के माता पिता अपनी -अपनी संतानों को एक जैसा प्रारूप दे सकते हैं | प्रत्येक माता पिता चाहें तो -राम जैसा मर्यादापुरुषोत्तम ,श्री कृष्ण जैसा निति निपुण ,माँ सरस्वती जैसी शिक्षा की अधिष्ठात्री ,श्री हनुमान जैसा बुद्धिवान -ज्ञानी ,शक्तिशाली संतानों को जन्म दे सकते हैं | माता पिता चाहें तो कुमार्ग गामी या धर्म विरोधी संतानों को जन्म दे सकते हैं | यहाँ न तो शास्त्रों ने भेद भाव किया न ही शास्त्रकारों ने न ही महर्षियों ने --ये केवल अफवाह या अनसुनी बातों के कारण हम आप में भ्रम है कि ऐसी संतानों को केवल धनाढ्य या बड़े लोग ही जन्म दे सकते हैं | इस बात को ऐसे समझें --प्रत्येक छात्रों को प्राथमिक शिक्षा एक जैसी ही मिलती है अंतर तो केवल छात्रों को निखारने का होता है --जो शिक्षकों और माता पिता या संगति के कमियों के कारण कोई उत्तम छात्र या अधम बन जाते हैं | एक और उदहारण देखें -प्रत्येक छात्रों को दशवीं कक्षा तक सभी विषयों को पढ़ना अनिवार्य होता है -उसके बाद अपनी -अपनी समझ के अनुसार विषयों का चयन करना होता है | जब पढ़ाई की ऐसी ही व्यवस्था है तो फिर जातिबाद या बड़े छोटे की बात कहाँ से आयी -इसे हमें ठीक से समझना चाहिए | ----अस्तु --प्रत्येक जातक जब छे दिन के होते हैं -तो षष्ठी पूजन होता है -इस दिन स्वयं विधाता जातकों को दर्शन देते हैं और जातकों -की आयु ,कर्म ,वित्त ,विद्या और निर्धनता का आशीर्वाद देकर चले जाते हैं तथा पुनः जीवन में कभी दर्शन नहीं देते हैं | दशवें दिन शुद्धिकरण होता है तब जातकों को सभी को देखने का और आशीर्वाद लेने का दिन होता है |---आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
जीवनी में अभी मैं सभी पात्रों की भूमिका को दर्शा रहा हूँ -पढ़ें - भाग -46 -ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -46 -ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
रविवार, 15 अक्टूबर 2023
शिक्षा और अशिक्षा की एक कथा सुनें -भाग -45 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
शिक्षा और अशिक्षा की एक कथा सुनें -भाग -45 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
दोस्तों -आज हमारे समाज में ज्ञान का पैमाना बदल चूका है --जिसका परिणाम यह होता है -सही क्या है ,गलत क्या है --इसकी जानकारी दूसरे के द्वारा मिलती है ,अगर कानों से सुना जाय और आँखों से देखा जाय साथ ही दोनों में समानता हो तो ठीक ज्ञान हो सकता है | आज एक कथा सुनाता हूँ सुनें -----भवदीय निवेदक --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा -मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई से ---ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को सुनने या पढ़ने हेतु प्रस्तुत लिंक -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut पर पधारें साथ ही निःशुल्क आनन्द लेते रहें |
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
सीमन्त संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
सीमन्त संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु -पढ़ें
---कर्मकाण्ड जगत में तीसरा संस्कार का नाम -सीमन्त संस्कार है | प्रत्येक देश की सुरक्षा हेतु सीमा की व्यवस्था होती है |सीमा को आर- पार करने हेतु दोनों देशों को कुछ नियमावली का पालन करना पड़ता है | तभी मित्रता बनी रहती है | इसी प्रकार से जब माँ का गर्भ सातवां माह पूर्ण करता है तब जच्चा -बच्चा दोनों को अंदर और बाहर से खतरा रहता है -इस अनहोनी की घटना से माँ को बहुत ही सतर्क और सावधान रहना होता है --इसी का नाम महर्षियों ने सीमन्त संस्कार रखा है | नियमावली --वैसे यह संस्कार आज भी सभी माताएं तो नहीं करती है किन्तु -कुछ सतर्कता जरूर रखती हैं | -----अस्तु ---जब गर्भ सात माह का हो जाय तो सास को चाहिए -पुरोहित जी को बुलाकर पंचांग पूजन करायें पुत्रवधु से एवं घर की सीमा के बाहर न जायें साथ ही अपने आप को परमात्मा में तल्लीन करें जिससे गर्भ के अंदर शिशु की रक्षा परमात्मा करें और बहरी सुरक्षा माँ करें इससे दोनों का कल्याण होता है | ----ध्यान दें --प्रत्येक जातकों के तीनों संस्कार अवश्य होने चाहिए | आज हमलोग आधुनिकता में विशेष खो रहे हैं प्राचीन को विस्मृत करते जा रहे हैं ----क्योंकि जब हम आज भी -सूर्य ,चंद्र,अग्नि ,पवन ,वरुणदेव के बिना जी नहीं सकते हैं तो इन संस्कारों को कैसे भूल सकते हैं | जब हम आज भी उन्हीं मन्त्रों को मानते हैं अपनी -अपनी तमाम मनोरथों को उन्हों मन्त्रों से पूर्ण करने का प्रयास भी करते हैं तो भला सोचें हम अपने संस्कारों के बिना इनका सामना कैसे करेंगें | ---अतः इस पर अवश्य विचार करें | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
मेरे मामा का साम्राज्य मेरे घर में कैसे हुआ --पढ़ें ?--- भाग -45 -खगोलशास्त्री झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -45 -खगोलशास्त्री झा मेरठ'आज मैं मेरे मामा का साम्राज्य मेरे घर में कैसे हुआ पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --इसके बाद दीदी की कथा सुनाऊंगा जो अधूरी रह गयी है "----अस्तु --मेरी माँ के दो बहिन एक भाय हुए | नाना बहुत छोटी 8 वर्ष की उम्र में चले गए | माँ का पालन नानी के पिता ने की जिनको हमने बहुत करीब से देखा है --उन्हौने ही मेरी माँ का विवाह मेरे पिता से कराया था साथ ही मेरे घर में बहुत सम्मान था --पर निर्लोभी थे कुछ दिया ही होगा लिया नहीं किन्तु जब मेरी गरीबी आयी उससे पहले ही दिवंगत हो गए थे| मेरे पिता के विवाह के बाद मामा मेरे घर पर रहे, नानी का खर्च भी पिता ने ही उठाया था | मौसी का लालन -पालन नानी ने ही किया --नानी पे जमीन तो थी पर आय का साधन नहीं था --अतः मेरी माँ ने भार उठाया | मेरे मामा बहुत जल्दी दसवीं पास कर सरकारी नौकरी रेलवे में प्राप्त की और दिल्ली चले गए | तब मेरी उम्र 7 वर्ष थी जो ठीक से ज्ञात नहीं है| तब जब मामा थे तो मेरा राजयोग चल रहा था पिता-ने जमीं ली, दुकान ली --पर सुना है --सारी पूंजी चोरी हो गयी थी| ---हम दोनों भाईयों के जनेऊ संस्कार 1980 में हुए --तब मामा दिल्ली से हमलोगों के लिए बहुत कुछ ला रहे थे जो ट्रेन में ही खो गए | उपनयन संस्कार बड़े ही धूमधाम से हुए थे --तत्काल ही कुछ पैसों की जरुरत हुई थी --पिताने मामा से उधार 2000 मांगें थे --बोले पैसे तो नहीं हैं मेरी पतनी के गहने ले लो और व्याज पर पैसे लेलो --मेरी माँ ने ऐसा ही किया| कुछ दिन बाद गहने वापस कर दिए --मेरे पिता ने | ---इसके बाद मेरे घर में दीदी की शादी हुई मामाने मदद नहीं की बल्की जमीन बेचकर शादी हुई थी | इसके बाद पूर्ण रूप से गरीबी मेरे परिवार में चल रही थी --कभी भी एक रूपये देते हुए मामा को नहीं देखा| --1984 में दीदी का गोना {द्विरागमन }हुआ जो जमीन फिर गिरबी रखकर हुआ --तब मैं 14 वर्ष का था ,सबकुछ जानता था | मेरा भाई सर्पदंश से दिवंगत हुआ --कर्य लेकर संस्कार हुए थे --तब भी कोई मदद नहीं की थी | मामा की शादी पिता ने करायी थी --तो मामा को पुत्र नहीं था --माँ ने कहा हमने पहली जन्मपत्री फ्री में बनायीं थी --और कहा बालक अवश्य होगा --तत्काल ही दो बालक हुए --उनको पहले से दो कन्या थीं | मुझे याद नहीं है कभी ममाने एक रुपया मुझको दिया हो --एकबार बोले दसवीं प्रथम स्थान से पास करोगे तो किताब दिलाऊंगा ---आजतक नहीं दिलाये |1981 जबसे मुझे ज्ञान हुआ -1988 जब मैं मेरठ आ गया --गुप्त रहे | मेरठ मेरा आना और मामा का अधिपत्य बनना हुआ| मामा जब भी घर आते रहे थैला ले जाते रहे ---हमने --14 वर्ष से ही अपने घर को संभालने की कोशिश की है | --मेरी माँ सदावहार रही क्योंकि मेरे घर से तब से धन जा रहा था --जब हम नहीं थे \मेरे घर में वही होता था जो माँ चाहती थी | पिता हमारे सदा नाराज रहते थे इस बात से --मुझसे बारबार कहते थे --दोनों -जीजा और मामा पे कभी भी भरोसा मत करना | --जब हम मेरठ आये --तो धन और बरसने लगा मेरे घर में मामा की तो चांदी दी ही चांदी हो गयी | ---यहाँ मैं आपलोगों से ही मत जानना चाहता हूँ --क्या मेरे मामा सही थे --अगर सही थे तो हमारी ह्रदय से कोई मदद क्यों नहीं की जबकि हमारे माता पिता ने तो बहुत किया था| --चलो जो दूसरा प्रश्न है --मेरे पिता ने पढ़ाया तो हम तीन भाई एक बहिन थे एक को ही पढ़ा देते | यदि मदद नहीं की तो मेरी माँ को सही दिशा देते | ---मेरे मामा की सारी बातें ,दीदी को ,अनुज को ,माँ को, पिता को ,जीजा को अच्छी लगती है मेरी बात या मेरी पतनी की बात अच्छी क्यों नहीं लगती है | --मैं तो कभी मांगने भी नहीं गया ==एकबार जब मुम्बई पढ़ने जा रहे थे तो --एक रास्ता बताया था मुर्दा उठाकर कमाने का जो हमने अमल नहीं किया | ---बात यह जिस व्यक्ति को खाने की लेने की आदत हो जाती है यह उसका स्वभाव बन जाता है ---मेरे मामा देना नहीं लेना सीखें हैं | जब मेरे घर में सुख के दिन आते हैं तो फिर मामा प्रकट हुए --मेरा मकान बना मामा की सलाह पर ,भाई का विवाह हुआ मामा की सलाह पर ,मुकदमें हुए मामा की सलाह पर --जब माता पिता ,अनुज -अनुज भार्या की जेल हुई तो बचाने जीजा ,मामा नहीं यह कार्य मेरी भार्या ने की |-----अब आगे ज्योतिष के माध्यम से साबित करने का प्रयास करूँगा --किसी जातक के जीवन में मातृपक्ष का सुख क्यों नहीं है | ---ॐ------आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
क्या हम सुपात्र हैं -ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के- सुनें -भाग -44 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
क्या हम सुपात्र हैं -ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड के सुनें --भाग -44 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
दोस्तों -उपदेश देना सरल होता है किन्तु पालन करना बहुत ही कठिन होता है | पर सीख मिलती है तो व्यक्ति सुधरने का प्रयास भी करता है | -----भवदीय निवेदक --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा -मेरठ ,झंझारपुर और मुम्बई से ---ज्योतिष एवं कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को सुनने या पढ़ने हेतु प्रस्तुत लिंक -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut पर पधारें साथ ही निःशुल्क आनन्द लेते रहें |
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
पुंसवन संस्कार क्यों होता है -पढ़ें--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
पुंसवन संस्कार क्यों होता है -पढ़ें-खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ---
-उत्तर ----वत्स -इस प्रकृति में जो भी वस्तु या चीजें हैं -सभी का विस्तार होता रहता है | जो छोटा है वो बड़ा होगा जो बड़ा होगा वो एक दिन समाप्त होगा | एक जैसा कोई भी इस प्रकृति में नहीं रहता है | एक जैसा केवल श्री हरी ही इस प्रकृति में रहते हैं | पर मानवों में वो कला है जो चाहे बन सकता है ,बना सकता है --वो चाहे तो असंभव हो संभव बना सकता है | ----मानवों के पूर्वज रिषि -महर्षियों ने -मानवों के हित के लिए षोडश संस्कार की रचना की | इन संस्कारों के बल पर ही असंभव को संभव किया जा सकता है | पर दुर्भाग्य यह है --इनमें से बहुत से संस्कार जातकों के होते ही नहीं हैं या माता पिता -उन संस्कारों से अनभिज्ञ हैं | वत्स हम भी इन संस्कारों को संतान होने के बाद जाना -अतः हमारे भी बहुत से संस्कार नहीं हुए किन्तु हम चाहते हैं --तुम सब इन संस्कारों को समझों और अपनाने की कोशिश करो | ------अस्तु ---जब माँ का गर्भ तीन माह का होता है -तो पूर्व के विधियों का परित्याग कर पुंसवन संस्कार --यानि जातक कैसे हृष्ट -पुष्ट हो-इस संस्कार से जातक हृष्ट -पुष्ट ही नहीं होता बल्कि ---नियमावली -यह है -जब गर्भ तीन माह का हो तो सास को पुरोहित जी को बुलाकर पहले पंचांग पूजन करना चाहिए फिर बट वृक्ष के पास जाकर उत्तम संतान यानि निरोगी संतान की कामना करनी चाहिए इतना ही नहीं -कृपया ध्यान दें आप सभी के मन में एक शंका आ सकती है कि इतने वृक्षों में बट वृक्ष ही क्यों -आम क्यों नहीं तो ध्यान दें --बट वृक्ष एक ऐसा वृक्ष इस जगत में है जो बिना खाद पानी के सभी वृक्षों से बलिष्ठ होता है --तो संतान कैसी होनी चाहिए बलिष्ठ या दुबला -पतला ----इसलिए इस वृक्ष से यह कामना करनी चाहिए -हे बटवृक्ष आपकी तरह हमारी संतान बलिष्ठ हो और प्रार्थना के बाद इस वृक्ष के दूध को मां के वायी नाक में दूध डालने से कन्या और दायीं नाक में दूध डालने से पुत्र की प्राप्ति होती है | ---आगे की चर्चा कल करेंगें ----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
जीवनी लिखते समय अपने को अनन्त कसौटी पर परखें -भाग -44 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -44 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
शनिवार, 14 अक्टूबर 2023
नन्दीमुख श्राद्ध शुभ कार्य में क्यों करना चाहिए -सुनें भाग -43 --ज्योतिषी झा 'मेरठ '
नन्दीमुख श्राद्ध शुभ कार्य में क्यों करना चाहिए -सुनें भाग -43 --ज्योतिषी झा 'मेरठ '
जब भी कोई शुभ कार्य करें तो पहले नन्दीमुख श्राद्ध अवश्य करना चाहिए | नन्दीमुख श्राद्ध का अर्थ है -मातृपक्ष और पितृपक्ष को श्रद्धांजलि देना | ----ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-- उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
उत्तम संतान की प्राप्ति कैसे होती है -सविध बतायें -पढ़ें-ज्योतिषी झा मेरठ
उत्तम संतान की प्राप्ति कैसे होती है -सविध बतायें -पढ़ें?
उत्तर --वत्स - जैसे -भवन की मजबूती नींव से होती है | किसी देश की मजबूती एकता से होती है | सृष्टी की मजबूती नियमावली से होती है --वैसे ही कर्मकाण्ड जगत में मानवों की मजबूती संस्कारों से ही संभव है | ये संस्कार सोलह प्रकार के होते हैं | प्रथम संस्कार का नाम है -"गर्भाधान संस्कार " प्राचीन समय में जब संतान की कामना होती थी तो दादी अपनी -अपनी पुत्र वधुओं से यह संस्कार की नियमावली बताती थी और सभी नियमावली का अनुशरण करतीं थीं | जो इस गर्भाधान संस्कार को सविध करती थी उसे उत्तम संतान मिलती थी | ----नियमावली ---जब भी संतान की कामना हो तो रजस्वला होने से छठे दिन पति -पतनी और सास के साथ पुरोहित जी से सविध पंचोपचार पूजन विधाता का कराना चाहिए | पति - पतनी परमपिता परमेस्वर से प्रार्थना जैसी संतान की कामना की करेंगें वैसी ही संतान संभव है | पति -पतनी का मिलन यदि सम संख्या में होगा तो उत्तम पुत्र होगा ,अगर दोनों का मिलन विषम संख्या में होगा तो उत्तम कन्या होगी | ---यहाँ यह प्रश्न उठ सकता है -इस विधि से तो सभी पुत्र ही चाहेंगें तो फिर सृष्टि कैसे चलेगी ---तो जो भी यह प्रथम प्रयोग करेगा तो एकबार ही यह संभव है साथ ही -जो एकदशी को दोनों का मिलन होगा तो अधम संतान होगी ,यदि पूर्णिमा या अमावश्या का दोनों का मिलन होगा तो हानिकारक संतान होगी | मेरे विचार से इतने नियमों को जो निभाएगा उसे ही उत्तम संतान की प्राप्ति होगी जो आधुनिक समय में सभी नहीं निभा पायेंगें | ---सबसे बड़ी बात इस संसार में भले ही अत्यधिक संतान नहीं चाहते हों किन्तु दो संतान तो कम से कम सभी को जरूर चाहिए | और सभी एक कन्या और एक पुत्र की कामना अवश्य करेंगें क्योंकि कन्या की कामना वही कर सकता है जो धर्म को मानेगा और यह विधि धर्म पर ही आधारित है | इस विधि से धार्मिक व्यक्ति धर्म का पालन कर सकता है | आगे की चर्चा कल करेंगें ------ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
मेरी जीवनी में नाटक की तरह अनन्त पात्र हैं-पढ़ें - भाग -43 ज्योतिषी झा मेरठ
"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -43 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
तीन प्रकार के कौन से ऋण होते हैं सुनें -भाग 42 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
तीन प्रकार के कौन से ऋण होते हैं सुनें -भाग 42 -ज्योतिषी झा "मेरठ "
प्रिय श्रोतागण ---प्रत्येक व्यक्ति तीन प्रकार का ऋणी होता है ---जिसे उसे चुकाना ही पड़ता है | यद्यपि इस संसार में मानव केवल ऋणी ही होता --लाख चाहे तब भी उऋण नहीं हो सकता है --फिर भी कुछ ऋण ऐसे हैं ---जिनको चुकाने का भरसक प्रयास अबश्य प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए | --ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-- उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
khagolshastri.blogspot.com
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ (Atom)
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
-
ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
-
ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
-
ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
-
ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
-
ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
-
ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
-
ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
-
ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
-
ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
-
ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...









