ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 16 अक्टूबर 2023

जीवनी में अभी मैं सभी पात्रों की भूमिका को दर्शा रहा हूँ -पढ़ें - भाग -46 -ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -46 -ज्योतिषी झा मेरठ

' कृपया ध्यान दें --जीवनी में अभी मैं सभी पात्रों की भूमिका को दर्शा रहा हूँ | यह कहानी कारीब -करीब सभी लोगों के जीवन में होती है --पर मेरा उद्देश्य इसे लाभ कहें या हानि ,इसे भाग्य कहें या कर्म ,--तो यह समझें दुःख से सभी जीव बचना चाहते हैं --ज्ञानी पुरुष खोज करते हैं ,साधारण पुरुष विधि का विधान समझकर रूक जाते हैं --मेरा मानना है --मानव का उद्देश्य सार्थकता होनी चाहिए --"---आज मैं जीजा के ऊपर प्रकाश डालना चाहता हूँ | मेरे जीजा धनाढ्य परिवार से हैं| जीजा के माता पिता वैष्णव थे| --मेरे जीजा मुझसे ज्यादा पढ़े -लिखे थे ,मुझसे बहुत बड़े थे | जीजा के कुछ कर्तव्य थे --पर कर्तव्य विमुख क्यों हुए ---अपने जीवन में कभी भी एक रुपया नहीं दिया मुझको ,कभी भी कोई सलाह नहीं दी | बदले की भावना न सही पर मेरे घर को पुत्र की तरह संभालना चाहिए था --उसकी जगह अपना घर छोड़कर मेरे घर में साम्राज्य स्थापित किया --मुझे दीदी एवं जीजा की कुण्डली नहीं मिली --जिससे यह पता करते --राहु की वजह से हम दरिद्र हुए या इनकी कुण्डली कुछ और कहती थी | मेरे माता पिता अनपढ़ थे --तो उनको सही राह दिखाते --इसकी जगह उन्होनें कैसे राज्य स्थापित किया सुनें ---कुछ धन व्याज पर चलने लगा मेरे गांव में ,यह लत इतनी बढ़ गयी --किआज तक चल रही है | माँ ऐसे लिप्त हुई --मानों उसे दीदी जीजा से उत्तम कोई दिखाई ही दिया| --बहुत कम उम्र से अपने घर को संभालने का काम हमने किया --पर जब मेरठ मैं आ गया तो पूर्ण रूप से स्थापित मेरे घर में हो गए बच्चों के साथ | तब मैं अकेला था --इस बात पर ध्यान नहीं देता था ,जब 1990 में मेरा विवाह हुआ --जिम्मेदारी बढ़ गयी तब तक मेरा घर रसातल पहुंच चूका था | जीजा का घाटा मेरी कमाई से पूरा होता था | मेरी कमाई से चौपाल लगता था जिसमें सभी लोग चाय ,सरबत का आनन्द लेते थे ,कुछ ननिहाल तो कुछ सभी रिश्तेदारों तक कमाई जाती रही ,ऊपर से खाई इतनी थी --जब मैं मुम्बई पढ़ने गया तो एक जमीन जिससे दीदी का गोना हुआ था -1000 से यह ऋण --1992 में चुकाया | दीदी -जीजा ,मामा,अनुज का तालमेल एक था मैं नगण्य था |पिता के मुकदमें में कभी जीजा नहीं बोले युद्ध मत करो --समझौता कर लो ,जब मेरी पतनी आयी --माँ बनने वाली थी --सभी मौज करते थे --खाना घरवाली बनाती थी | किसी दिन व्रत होता था --तो माँ और दीदी दूसरे के आंगन में फलाहार करती थी ताकि देख न ले --पर बात कब तक छुप सकती थी | यह कहानी जानने के बाद भी --मुझे धर्म दिखता था | --अन्त में भाग कर मेरठ मेरे पास पतनी आ गयी -----अन्त में भाग कर मेरठ मेरे पास पतनी आ गयी ---इसे राहु का चक्र कहें या कायरता --जबाब आगे दूंगा | ----ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को समझ हेतु --इस लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-

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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

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