ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

रविवार, 15 अक्टूबर 2023

मेरे मामा का साम्राज्य मेरे घर में कैसे हुआ --पढ़ें ?--- भाग -45 -खगोलशास्त्री झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -45 -खगोलशास्त्री झा मेरठ

'आज मैं मेरे मामा का साम्राज्य मेरे घर में कैसे हुआ पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --इसके बाद दीदी की कथा सुनाऊंगा जो अधूरी रह गयी है "----अस्तु --मेरी माँ के दो बहिन एक भाय हुए | नाना बहुत छोटी 8 वर्ष की उम्र में चले गए | माँ का पालन नानी के पिता ने की जिनको हमने बहुत करीब से देखा है --उन्हौने ही मेरी माँ का विवाह मेरे पिता से कराया था साथ ही मेरे घर में बहुत सम्मान था --पर निर्लोभी थे कुछ दिया ही होगा लिया नहीं किन्तु जब मेरी गरीबी आयी उससे पहले ही दिवंगत हो गए थे| मेरे पिता के विवाह के बाद मामा मेरे घर पर रहे, नानी का खर्च भी पिता ने ही उठाया था | मौसी का लालन -पालन नानी ने ही किया --नानी पे जमीन तो थी पर आय का साधन नहीं था --अतः मेरी माँ ने भार उठाया | मेरे मामा बहुत जल्दी दसवीं पास कर सरकारी नौकरी रेलवे में प्राप्त की और दिल्ली चले गए | तब मेरी उम्र 7 वर्ष थी जो ठीक से ज्ञात नहीं है| तब जब मामा थे तो मेरा राजयोग चल रहा था पिता-ने जमीं ली, दुकान ली --पर सुना है --सारी पूंजी चोरी हो गयी थी| ---हम दोनों भाईयों के जनेऊ संस्कार 1980 में हुए --तब मामा दिल्ली से हमलोगों के लिए बहुत कुछ ला रहे थे जो ट्रेन में ही खो गए | उपनयन संस्कार बड़े ही धूमधाम से हुए थे --तत्काल ही कुछ पैसों की जरुरत हुई थी --पिताने मामा से उधार 2000 मांगें थे --बोले पैसे तो नहीं हैं मेरी पतनी के गहने ले लो और व्याज पर पैसे लेलो --मेरी माँ ने ऐसा ही किया| कुछ दिन बाद गहने वापस कर दिए --मेरे पिता ने | ---इसके बाद मेरे घर में दीदी की शादी हुई मामाने मदद नहीं की बल्की जमीन बेचकर शादी हुई थी | इसके बाद पूर्ण रूप से गरीबी मेरे परिवार में चल रही थी --कभी भी एक रूपये देते हुए मामा को नहीं देखा| --1984 में दीदी का गोना {द्विरागमन }हुआ जो जमीन फिर गिरबी रखकर हुआ --तब मैं 14 वर्ष का था ,सबकुछ जानता था | मेरा भाई सर्पदंश से दिवंगत हुआ --कर्य लेकर संस्कार हुए थे --तब भी कोई मदद नहीं की थी | मामा की शादी पिता ने करायी थी --तो मामा को पुत्र नहीं था --माँ ने कहा हमने पहली जन्मपत्री फ्री में बनायीं थी --और कहा बालक अवश्य होगा --तत्काल ही दो बालक हुए --उनको पहले से दो कन्या थीं | मुझे याद नहीं है कभी ममाने एक रुपया मुझको दिया हो --एकबार बोले दसवीं प्रथम स्थान से पास करोगे तो किताब दिलाऊंगा ---आजतक नहीं दिलाये |1981 जबसे मुझे ज्ञान हुआ -1988 जब मैं मेरठ आ गया --गुप्त रहे | मेरठ मेरा आना और मामा का अधिपत्य बनना हुआ| मामा जब भी घर आते रहे थैला ले जाते रहे ---हमने --14 वर्ष से ही अपने घर को संभालने की कोशिश की है | --मेरी माँ सदावहार रही क्योंकि मेरे घर से तब से धन जा रहा था --जब हम नहीं थे \मेरे घर में वही होता था जो माँ चाहती थी | पिता हमारे सदा नाराज रहते थे इस बात से --मुझसे बारबार कहते थे --दोनों -जीजा और मामा पे कभी भी भरोसा मत करना | --जब हम मेरठ आये --तो धन और बरसने लगा मेरे घर में मामा की तो चांदी दी ही चांदी हो गयी | ---यहाँ मैं आपलोगों से ही मत जानना चाहता हूँ --क्या मेरे मामा सही थे --अगर सही थे तो हमारी ह्रदय से कोई मदद क्यों नहीं की जबकि हमारे माता पिता ने तो बहुत किया था| --चलो जो दूसरा प्रश्न है --मेरे पिता ने पढ़ाया तो हम तीन भाई एक बहिन थे एक को ही पढ़ा देते | यदि मदद नहीं की तो मेरी माँ को सही दिशा देते | ---मेरे मामा की सारी बातें ,दीदी को ,अनुज को ,माँ को, पिता को ,जीजा को अच्छी लगती है मेरी बात या मेरी पतनी की बात अच्छी क्यों नहीं लगती है | --मैं तो कभी मांगने भी नहीं गया ==एकबार जब मुम्बई पढ़ने जा रहे थे तो --एक रास्ता बताया था मुर्दा उठाकर कमाने का जो हमने अमल नहीं किया | ---बात यह जिस व्यक्ति को खाने की लेने की आदत हो जाती है यह उसका स्वभाव बन जाता है ---मेरे मामा देना नहीं लेना सीखें हैं | जब मेरे घर में सुख के दिन आते हैं तो फिर मामा प्रकट हुए --मेरा मकान बना मामा की सलाह पर ,भाई का विवाह हुआ मामा की सलाह पर ,मुकदमें हुए मामा की सलाह पर --जब माता पिता ,अनुज -अनुज भार्या की जेल हुई तो बचाने जीजा ,मामा नहीं यह कार्य मेरी भार्या ने की |-----अब आगे ज्योतिष के माध्यम से साबित करने का प्रयास करूँगा --किसी जातक के जीवन में मातृपक्ष का सुख क्यों नहीं है | ---ॐ------आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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