ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 22 सितंबर 2023

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग 6-ज्योतिषी झा मेरठ


 


"-ध्यान दें !-हम अपनी जीवनी की बात से ज्योतिष की सत्यता को समझाना चाहते हैं न कि अपने दुःख और सुखों को दर्शाना चाहते हैं | -श्री जगदीश नारायण ब्रह्मचर्याश्रम लगमा जिला दरभंगा {बिहार }-अस्तु --इस आश्रम में अनाजों की कमी नहीं थी पांच साल तक सभी व्यक्तियों का भरण पोषण ठीक से हो सकता था पर -सरकार कहते थे --भोजन का नियम यह है आप चार रोटी खाते हो तो दो रोटी खाओ क्यों !क्योंकि एक भाग जल और एक भाग हवा के लिए पेट को खाली रखना चाहिए | आश्रम के नियम थे आरती के बाद भोग लगता था तब भोजन मिलता था | मेरी उम्र -13 वर्ष की थी| माता पिता के सान्निध्य में रहने के कारण गांव में 9 बजे सोने की आदत थी और आश्रम का भोजन रात्रि 9 के बाद मिलता था | भोजन पाने के लिए 30 मिनट खड़ा होना पड़ता था साथ ही ठंढ के मौसम होने के कारण आलस्य आता था तो सोचते थे आरती के अंतिम समय में उपस्थित हो जायेंगें किन्तु नींद में पत्ता नहीं चलता था जब आँख भूख के कारण खुलती थी तब तक भोजनालाय बंद हो जाता था तो भूखे पेट सोना होता था फिर अगले दिन 1 बजे भोजन मिलता था | सभी छात्रों के माता पिता नास्ता के लिए धन और नास्ता की चीजें देते थे और सभी अपनी -अपनी पेटी में ताला मारकर रखते थे साथ ही समयानुसार खाते थे | पर मेरा भाग्य न तो पेटी थी न ही परिनजों का कोई सहयोग | जब सभी छात्रों को मैं कुछ खाता हुआ देखता था तो मुझसे रहा नहीं जाता था सोचता था मैं मर क्यों नहीं जाता हूँ फिर वहां पर गेहूं और मक्का के कई कट्टे भरे होते थे उन्हीं को खोद कर कुछ ग्रहण करता था | जब पेट में दाना नहीं होता था तो पढ़ाई में मन कैसे लगता | भोजन में मोटी कच्ची -पक्की दो रोटी और सादी दाल मिलती थी | रात को रोटी सादी दाल ,कभी -कभी दिन में चावल और दाल मिलती थी | -घी ,सलाद ,दही ,दूध फल की कभी सूरत नहीं देखी | --कुछ समय बीतने के बाद एक बैदिक गुरूजी थे उनका मुझ पर स्नेह था और हमने उनको खुश करने की कोशिश की | उनके सान्निध्य में रोजगार का साधन था उनके पास यज्ञ कराने हेतु बहुत दूर -दूर के यजमान आते थे और वो कम से कम 50 छात्रों को अपने साथ यज्ञ में ले जाते थे | हमने उनका दिल जीता मन्त्रों सुना -सुनाकर तो मुझे भी अपने साथ ले जाने लगे | उस यज्ञ में हमें भी वस्त्र ,भोजन और दक्षिणा मिलने लगी | अब हम खुश थे फिर उस धन को अपनी माँ को दे आता था क्योंकि उस धन की जरुरत मेरी माँ को अत्यधिक थी | धन कमाने के बाद हम सीधे घर चले जाते थे और माँ मुझको तरह -तरह के व्यंजनों का स्वाद चखाती थी पर जब आश्रम आते थे तो सरकार को टेक्स देना होता था ,मांगते नहीं थे पर नहीं देने पर अनादर होता था इसलिए आधा धन सरकार को देना होता था इस बात का मुझको बहुत कष्ट रहता था | --आगे कथा कल लिखेंगें | ॐ-दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

कोई टिप्पणी नहीं:

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...