जातक संस्कार किसे कहते हैं -जानने हेतु --सुनें -भाग -28--खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ----------------------------------
कर्मकाण्ड जगत में "जातक "संस्कार -यह प्रत्येक जातकों का चौथा संस्कार होता है | अभी तक के जितने भी संस्कारों को आपने जाना है -इन सभी संस्कारों में सभी के माता पिता अपनी -अपनी संतानों को एक जैसा प्रारूप दे सकते हैं | प्रत्येक माता पिता चाहें तो -राम जैसा मर्यादापुरुषोत्तम ,श्री कृष्ण जैसा निति निपुण ,माँ सरस्वती जैसी शिक्षा की अधिष्ठात्री ,श्री हनुमान जैसा बुद्धिवान -ज्ञानी ,शक्तिशाली संतानों को जन्म दे सकते हैं | माता पिता चाहें तो कुमार्ग गामी या धर्म विरोधी संतानों को जन्म दे सकते हैं | यहाँ न तो शास्त्रों ने भेद भाव किया न ही शास्त्रकारों ने न ही महर्षियों ने --ये केवल अफवाह या अनसुनी बातों के कारण हम आप में भ्रम है कि ऐसी संतानों को केवल धनाढ्य या बड़े लोग ही जन्म दे सकते हैं | इस बात को ऐसे समझें --प्रत्येक छात्रों को प्राथमिक शिक्षा एक जैसी ही मिलती है अंतर तो केवल छात्रों को निखारने का होता है --जो शिक्षकों और माता पिता या संगति के कमियों के कारण कोई उत्तम छात्र या अधम बन जाते हैं | एक और उदहारण देखें -प्रत्येक छात्रों को दशवीं कक्षा तक सभी विषयों को पढ़ना अनिवार्य होता है -उसके बाद अपनी -अपनी समझ के अनुसार विषयों का चयन करना होता है | जब पढ़ाई की ऐसी ही व्यवस्था है तो फिर जातिबाद या बड़े छोटे की बात कहाँ से आयी -इसे हमें ठीक से समझना चाहिए | ----अस्तु --प्रत्येक जातक जब छे दिन के होते हैं -तो षष्ठी पूजन होता है -इस दिन स्वयं विधाता जातकों को दर्शन देते हैं और जातकों -की आयु ,कर्म ,वित्त ,विद्या और निर्धनता का आशीर्वाद देकर चले जाते हैं तथा पुनः जीवन में कभी दर्शन नहीं देते हैं | दशवें दिन शुद्धिकरण होता है तब जातकों को सभी को देखने का और आशीर्वाद लेने का दिन होता है |---आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका -
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