ॐ --ध्यान दें ---1 ---स्वास्थ के सम्बन्ध में भविष्यवाणियां लग्न के स्वामी के संक्रमण को ज्ञात करके की जाती है | यदि लग्न सिंह है और शनि सिंह में संक्रमण ,पारगमन कर रहा है ,तो वो व्यक्ति शिथिलता ,,सर्दी ,भारीपन तथा इसी प्रकार की उन अवस्थाओं से पीड़ित होगा | जो ठन्डे ,निर्जीव शनि ग्रह द्वारा प्रगट होते हैं |
---2 --जब शनि उस घर में पारगमन कर रहा हो ,जिसमें सूर्य स्थित है ,तो रोग अधिक शोचनीय होगा ,क्योंकि ये दोनों शत्रु हैं | यदि मंगल लग्न का स्वामी हो और शनि इसमें से पारगमन करे ,तो भी रोग उसी प्रकार गुरुतर होगा ,क्योंकि मंगल एक आग्नेय ग्रह है ,जबकि शनि को ठंढा ग्रह माना जाता है |
---3 --यदि मूल जन्मपत्री में सिंह लग्न पर सूर्य की दृष्टि नहीं है {और व्यक्ति का स्वास्थ प्रारम्भ से ही दुर्बल है } अथवा मेष लग्न या वृश्चिक लग्न पर मंगल की दृष्टि नहीं है ,तो उन पर शनि का पारगमन कर रहा हो और अन्य ग्रह 4 -10 अथवा 9 -8 का योग बनाते हों तो दुर्घटना अथवा शारीरिक अधात इतना घोर होगा कि किसी अवयव अथवा जीवन का अंत हो जाये |
---4 --उपर्युक्त जन्म -कुण्डली एक दुर्बल संरचना को प्रदर्शित करती है ,क्योंकि इसमें लग्न पर इसके स्वामी सूर्य की दृष्टि नहीं है | सूर्य गुरु जैसी जल प्रधान राशि में होने के कारण एक निर्जीव ,जल प्रधान अर्थात कम पिंड के द्योतक है | जब कभी शनि और राहु गुरु में पारगमन करेंगें ,तो दोनों ही उस व्यक्ति की घोर शारीरिक यंत्रणा देंगें | ये संक्रमण ,पारगमन पंचांगों में अर्थात ग्रहों की गतिशीलता प्रदर्शित करने वाली तालिकाओं में हुए मिल जाते हैं |
----5 --शनि व् गुरु का वृश्चिक में से पारगमन शोचनीय स्वास्थ समस्या उत्पन्न कर देता है ,क्योंकि शनि अपने शत्रु सूर्य के साथ -साथ न केवल पारगमन कर रहा होगा ,जो लग्न का स्वामी है | अपितु सिंह लग्न पर 10 वीं दृष्टि से कोप -दृष्टि भी डाल रहा होगा | अतः जब कभी लग्न व् इसका स्वामी ,दोनों ही ,किसी एक अथवा अनेक क्रूर ग्रहों द्वारा प्रभावित होते हैं ,तब परिणामस्वरूप गंभीर रोग होना अवश्यम्भावी है |
---6 --वृश्चिक जल प्रधान राशि है ,अतः उसमें सूर्य का आगमन पिंड में रक्त अथवा जल सम्बन्धी रोग ,यथा मूत्र ,को जन्म देगा यह रोग दुर्गन्धमय होगा ,क्योंकि शनि उस राशि में होगा ,जिसका स्वामी मंगल है और जो सूर्य द्वारा सेवित है | जब ऐसा स्वास्थ प्रभाव संक्रमण वृष या तुला में चल रहा हो ,जिनका स्वामी शुक्र है ,तो रोग का सम्बन्ध रति रोगों से होना संभव है | ---अगली राशियों का जिक्र अगले भाग में करेंगें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
























