ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की राजधानी दिल्ली में सिंह लग्न उदित है | लग्नेश सूर्य अष्टम भाव में स्थित है | अष्टम भाव में सूर्य ,शुक्र ,चंद्र ,राहु और बुध का पंचग्रही योग बन रहा है | अष्टम भाव केतु द्वारा दृष्ट भी है | सप्तमेश शनि सप्तम भाव में स्थित है | अष्टम भाव का स्वामी गुरु केन्द्र के दशम भाव में बैठा है | 5 -06 अप्रैल 2025 से अनेक अशुभ योगायोग उपस्थित है | जो आर्थिक एवं वित्तीय संकट के संकेत भी दे रहा है | इस समय प्राकृतिक आपदाओं का संकट भी भारतीय उप -महाद्वीप पर बन रहा है | अप्रैल और मई -2025 में जनता आर्थिक महंगाई के कारण त्रस्त होगी | सरकार के लिए न्याय व्यवस्था बनाये रखना एक कठिन प्रयास होगा | प्राकृतिक आपदा ,दंगें ,विरोध प्रदर्शन ,सीमा पर सैन्य तनाव के साथ राजनैतिक असमंजस के योग भी अप्रैल से अगस्त -2025 के मध्य तक बनें रहेंगें | यह समय अशुभ है | सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए अति विशेष प्रयास करने पड़ेंगें | आतंकवादियों सशस्त्र उपद्रवियों का समुचित दमन अपरिहार्य आवश्य्कता रहेगा | तनिक भी प्रमाद घोर संकट का जनक सिद्ध हो सकता है |
-----अगस्त और सितम्वर 2025 में यदि शीर्ष नेतृत्व साहसी कदम उठाये तो अक्टूबर तक शुभ फलों की प्राप्ति संभव है | सितम्बर -अक्टूबर में महंगाई और अन्य कारणों से पीड़ित जनता को कुछ आंशिक राहत संभव है | 20 अक्टूबर से 20 दिसंबर 2025 तक के समय में सरकार पक्ष के लिए पुनः चिंता उत्पन्न होती प्रतीत हो रही है | इस समय विपक्ष भी अशुभ परिस्थिति में है ,अतः यह समय किसी संवैधानिक संकट अथवा राष्ट्रीय आपदा को भी इंगित कर सकता है |इस समय राष्ट्रीय शोक की भी संभावना प्रकट हो सकती है | बाजार में मंदी और व्यापारियों में पीड़ा के योग पुनः बन रहे हैं |
---20 दिसंबर 2025 से 16 जनवरी 2026 तक का समय भारत के लिए अति अशुभ फल दिखा रहा है | शासक वर्ग उत्साह में गिरावट अनुभव करेंगें | इस समय में न्यायपालिका द्वारा ऐतिहासिक निर्णय भी लिए जा सकते हैं | संकटग्रस्त शासन अति विशिष्ट कार्यवाही पर विचार आरम्भ कर सकता है |
---जनवरी -2026 के अंत से मार्च 2026 तक का समय भारत के लिए शुभ है | जनता को महंगाई से कुछ राहत मिल पायेगी | आर्थिक परिस्थिति में भी शुभ परिवर्तन दिखाई देंगें | नववर्ष प्रवेश कुण्डली में अष्टम भाव में ग्रहों का जमावड़ा है | गुरु भी अष्टम भाव से सम्बन्ध बना रहा है | केतु द्वारा अष्टम भाव दृष्ट है | यह योग भयानक प्राकृतिक आपदा और भयानक युद्ध के प्रबल संकेत दे रहा है | अष्टम भाव में सूर्य का होना और मंगल का द्वितीय भाव पर दृष्टि डालना स्पष्ट संकेत देता है कि शासन के शीर्ष नेतृत्व के लिए त्वरित ,निर्णायक ,समयोचित ,कठोर कार्यवाही करना देश हित में होगा | इस सन्दर्भ में किंचित विलम्ब और ढिलाई तथा व्यवक्तिगत संवेदनाओं का कोई स्थान न होगा | --कृत युधश्च निश्चयम -भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com





















