दोस्तों -आत्मकथा में आज मैं उन बातों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --जो हमने अनुभव किये हैं | मेरी सही शिक्षा गुरुकुल में हुई थी जो अधूरी रह गयी थी गरीबी के कारण या ग्रहों के प्रभाव के कारण -यह समय था -1983 से 1988 तक | गुरुकुल में मेरे आराध्य सरकार कहाँ से आये वो कौन थे यह कथा अज्ञात थी | मेरे सरकार परम कर्मनिष्ठ थे ,हमने जो ग्रन्थ पढ़ें हैं या उनके सत्संग से जो हमने अनुभव किये हैं उनके अनुसार मेरे लिए ईस्वर सदृश्य थे | आज जब मैं 54 वर्ष का हो चूका हूँ तो मुझे जो अनुभव जीविनि लिखते समय हो रहा है --वो व्यक्त करना चाहता हूँ | --अस्तु --गुरुकुल में वो बालक पढ़ें जिनके माता पिता नहीं थे या जिनके अंग कुछ नहीं थे या वो अष्टावक्र थे या वो चोर थे या वो संस्कार हीन थे या फिर जिनके माता पिता पालने में असमर्थ थे ---ऐसी स्थिति में मैं -दारिद्र तो था ही मूर्ख परिवार से था | हमने किसी ऐसे परिवार के बच्चों को आते नहीं देखा जो उत्तम हों --पर आश्रम में जो संरक्षक थे वो भी ऐसे ही थे | जिनके द्वारा आश्रम की व्यवस्था चलती थी --वो भी वज्र मूर्ख थे --पर सरकार के प्रभाव से वो संस्कारी थे किन्तु उनकी जीवनी उत्तम नहीं थी -पतनी + बेटियों को छोड़कर सरकार के पास रहते थे निःस्वार्थ --उनका नाम कला था --वास्तव में तत्काल के सभी मूर्ख छात्रों को नया जीवन देने में शाम ,दाम ,भेद की ऐसी कला थी कालानन्द जी में जिनकी बदौलत कई छात्र उच्च पद पर आसीन हुए तो कई छात्र भागवतकार हुए | मेरे हिसाब से सभी उदण्ड छात्रों के द्वारा कई छात्र महान हुए | उस आश्रम में ऐसा लग रहा था मानों चारों ओर धर्मध्वज फहरा रहा था | आश्रम के चारों ओर सरकार की कीर्ति व्याप्त थी --बहुत दूर देश से लोग अपने -अपने असहाय स्थिति के कारण या बच्चों से दुःखी होने के कारण अभिभावक सरकार के पास बच्चों को लेकर आते थे बदले में एक निपुण व्यक्ति बनकर वही छात्र सरकार का धर्मध्वज देश -विदेशों में फहराते थे | आदर्श भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बढ़ाते थे | उसमें एक मैं भी ऐसा ही छात्र था -पर आज जहाँ भी हूँ वो केवल उस आश्रम की देन है ,आज जो मुझमें कुछ खूबियां हैं वो सरकार की ही वास्तव में देन हैं | हमारे सरकार उस आश्रम में निर्भय और निर्विकार होकर तप में लगे रहते थे | भारतीय जो सनातन संस्कृति है --उसकी व्यापकता समझना बड़ा ही कठिन है | भारतीय सनातन संस्कृति में --भले ही वो चोर रहा हो ,उदण्ड रहा हो ,संस्कार हीन रहा हो किन्तु --धर्मध्वज पताका का मान बढ़ाने में बहुत बड़ा ह्रदय से योगदान दिया है | मुझे लगता है --विश्व का कोई भी कोना हो --सनातन संस्कृति ह्रदय से सभी को अपना मानती है और बढ़ाती हैं | सनातन संस्कृति पर आंख बंद करके भी भरोसा किया जा सकता है | अतः अपने ज्योतिष और कर्मकाण्ड के पाठक गणों ने निवेदन करता हूँ --किसी सनातनी व्यक्ति से भले ही भूल हो जाय -पर एक न एक दिन अपने आपको वो अवश्य सुधारता है | -आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
सोमवार, 9 दिसंबर 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -103 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -आत्मकथा में आज मैं उन बातों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --जो हमने अनुभव किये हैं | मेरी सही शिक्षा गुरुकुल में हुई थी जो अधूरी रह गयी थी गरीबी के कारण या ग्रहों के प्रभाव के कारण -यह समय था -1983 से 1988 तक | गुरुकुल में मेरे आराध्य सरकार कहाँ से आये वो कौन थे यह कथा अज्ञात थी | मेरे सरकार परम कर्मनिष्ठ थे ,हमने जो ग्रन्थ पढ़ें हैं या उनके सत्संग से जो हमने अनुभव किये हैं उनके अनुसार मेरे लिए ईस्वर सदृश्य थे | आज जब मैं 54 वर्ष का हो चूका हूँ तो मुझे जो अनुभव जीविनि लिखते समय हो रहा है --वो व्यक्त करना चाहता हूँ | --अस्तु --गुरुकुल में वो बालक पढ़ें जिनके माता पिता नहीं थे या जिनके अंग कुछ नहीं थे या वो अष्टावक्र थे या वो चोर थे या वो संस्कार हीन थे या फिर जिनके माता पिता पालने में असमर्थ थे ---ऐसी स्थिति में मैं -दारिद्र तो था ही मूर्ख परिवार से था | हमने किसी ऐसे परिवार के बच्चों को आते नहीं देखा जो उत्तम हों --पर आश्रम में जो संरक्षक थे वो भी ऐसे ही थे | जिनके द्वारा आश्रम की व्यवस्था चलती थी --वो भी वज्र मूर्ख थे --पर सरकार के प्रभाव से वो संस्कारी थे किन्तु उनकी जीवनी उत्तम नहीं थी -पतनी + बेटियों को छोड़कर सरकार के पास रहते थे निःस्वार्थ --उनका नाम कला था --वास्तव में तत्काल के सभी मूर्ख छात्रों को नया जीवन देने में शाम ,दाम ,भेद की ऐसी कला थी कालानन्द जी में जिनकी बदौलत कई छात्र उच्च पद पर आसीन हुए तो कई छात्र भागवतकार हुए | मेरे हिसाब से सभी उदण्ड छात्रों के द्वारा कई छात्र महान हुए | उस आश्रम में ऐसा लग रहा था मानों चारों ओर धर्मध्वज फहरा रहा था | आश्रम के चारों ओर सरकार की कीर्ति व्याप्त थी --बहुत दूर देश से लोग अपने -अपने असहाय स्थिति के कारण या बच्चों से दुःखी होने के कारण अभिभावक सरकार के पास बच्चों को लेकर आते थे बदले में एक निपुण व्यक्ति बनकर वही छात्र सरकार का धर्मध्वज देश -विदेशों में फहराते थे | आदर्श भारतीय संस्कृति और संस्कारों को बढ़ाते थे | उसमें एक मैं भी ऐसा ही छात्र था -पर आज जहाँ भी हूँ वो केवल उस आश्रम की देन है ,आज जो मुझमें कुछ खूबियां हैं वो सरकार की ही वास्तव में देन हैं | हमारे सरकार उस आश्रम में निर्भय और निर्विकार होकर तप में लगे रहते थे | भारतीय जो सनातन संस्कृति है --उसकी व्यापकता समझना बड़ा ही कठिन है | भारतीय सनातन संस्कृति में --भले ही वो चोर रहा हो ,उदण्ड रहा हो ,संस्कार हीन रहा हो किन्तु --धर्मध्वज पताका का मान बढ़ाने में बहुत बड़ा ह्रदय से योगदान दिया है | मुझे लगता है --विश्व का कोई भी कोना हो --सनातन संस्कृति ह्रदय से सभी को अपना मानती है और बढ़ाती हैं | सनातन संस्कृति पर आंख बंद करके भी भरोसा किया जा सकता है | अतः अपने ज्योतिष और कर्मकाण्ड के पाठक गणों ने निवेदन करता हूँ --किसी सनातनी व्यक्ति से भले ही भूल हो जाय -पर एक न एक दिन अपने आपको वो अवश्य सुधारता है | -आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 30 नवंबर 2024
ग्रहों का पद और फल जानें -पढ़ें -भाग -61 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
भचक्र में स्थित ग्रहों को नामों के साथ -साथ पदों से भी विभूषित किया गया है और प्रत्येक ग्रह को उसके पद के आधार पर जाना जाता है और फल निकालते समय उस पद पर भी विचार किया जाता है |
----ग्रहों के पद निम्न हैं -----
---1 ----सूर्य और चंद्र को राजा |
----2 --बुध को युवराज |
---3 ---मंगल को सेनापति |
---4 --शुक्र और बुध को मंत्री |
--शनि को सेवक |
---नोट ---जिस व्यक्ति पर जिस ग्रह का जितना अधिक प्रभाव होता है ,उसे वो अपने ही समान बनाने का प्रयास करता है | -----अगले भाग में ग्रहों के बल पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 28 नवंबर 2024
बलाबल ग्रहों का --जानें -पढ़ें -भाग -60 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
बलाबल ग्रहों के -में आपने बुध ग्रह तक की जानकारी कर ली -पूर्व भाग में --आगे --
--गुरु --यह धनु एवं मीन राशि का स्वामी है ,अतः यदि गुरु धनु अथवा मीन राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु धनु राशि के 1 से 13 अंश तक गुरु का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 14 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र है | कर्क राशि के 5 अंश तक गुरु उच्च का तथा मकर राशि के 5 अंश तक नीच का होता है |
---शुक्र --यह वृष तथा तुला राशि का स्वामी है ,अतः यदि शुक्र वृष अथवा तुला राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा ,किन्तु तुला राशि के 1 से 10 अंश तक उसका स्वक्षेत्र है | मीन राशि के 27 अंश तक गुरु उच्च का तथा कन्या राशि के 27 अंश तक नीच का होता है |
--शनि ---यह मकर तथा कुम्भ राशि का स्वामी है ,अतः यदि शनि मकर अथवा कुम्भ राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही या स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु कुम्भ राशि के 1 से 20 अंश तक शनि का मूल त्रिकोण होता है और उसके बाद 21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र है | तुला राशि के 20 अंश तक शनि उच्च का होता है |
--राहु ---राहु को कन्या राशि का स्वामी माना गया है ,अतः यदि राहु कन्या राशि में स्थित हो तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है | कुछ ज्योतिषशास्त्री मिथुन राशि के 00 अंश तक राहु उच्च का तथा धनु राशि के 00 अंश तक नीच का मानते हैं | इसके विपरीत कुछ अन्य विद्वानों के मत से वृष राशि में राहु उच्च तथा वृश्चिक राशि में नीच का होता है | कर्क राशि को राहु का मूल त्रिकोण माना जाता है |
---केतु --यह मिथुन राशि का स्वामी माना जाता है ,अतः यदि केतु मिथुन राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जाता है | धनु राशि के 15 अंश तक नीच का होता है | इसके विपरीत कुछ् विद्वान वृश्चिक राशि में केतु उच्च तथा वृष राशि में नीच का मानते हैं | सिंह राशि को केतु का मूल त्रिकोण माना जाता है |
---अगले भाग में ग्रहों का पद और फल का जिक्र करेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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रविवार, 24 नवंबर 2024
बलाबल ग्रहों का --जानें -पढ़ें -भाग -59 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
प्रत्येक ग्रह उच्च का होने पर अधिक बलवान होता है | तत्पश्चात यदि वो मूल त्रिकोण में हो ,तो अपनी राशि में रहने की अपेक्षा अधिक बली होता है | उसके बाद स्वक्षेत्री ग्रह बलवान होता है |
---1 ---उच्च होने पर ,सर्वोच्चबली |
--2 ---मूल त्रिकोण में रहने पर -उच्चबली |
---3 ---अपने घर {नक्षत्र } में रहने पर बली |
--4 ---नीच का होने पर निर्बल |
--नौ ग्रहों {नवग्रहों } के उच्च क्षेत्रीय ,मूल त्रिकोणस्थ तथा स्वग्रही होने के सम्बन्ध में इस प्रकार से विचार करना चाहिए --
--------सूर्य ----यह सिंह राशि का स्वामी है ,अतः यदि वो सिंह राशि स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्रीय कहा जाता जायेगा | किन्तु यदि सिंह सूर्य राशि में स्थित हो ,तो सिंह राशि के 1 से 20 अंश तक उसका मूल त्रिकोण माना जाता है तथा -21 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र कहा जाता है | मेष के --10 अंश तक सूर्य उच्च का तथा तुला के -10 अंश तक नीच का होता है |
----चंद्र ---यह कर्क राशि का स्वामी है ,अतः यदि वो कर्क राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु यदि चन्द्रमा वृष राशि में स्थित हो ,तो वो वृष राशि के -3 अंश तक उच्च का तथा वृष राशि के -4 अंश से -30 अंश तक मूल त्रिकोण स्थित माना जाता है | वृश्चिक राशि के -3 अंश तक चंद्र नीच का होता है |
---मंगल --यह मेष तथा वृश्चिक राशि का स्वामी है ,अतः यदि वो मेष अथवा वृश्चिक राशि में स्थित हो ,तो उसे स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु मेष राशि के -1 से 18 अंश तक स्वक्षेत्र कहा जाता है | मकर के -28 अंश तक मंगल उच्च का तथा कर्क के -28 अंश तक नीच का होता है |
---बुध ---यह कन्या तथा मिथुन राशि का स्वामी है ,अतः यदि बुध कन्या अथवा मिथुन राशि राशि में स्थित हो ,तो स्वग्रही अथवा स्वक्षेत्री कहा जायेगा | किन्तु कन्या राशि - के -1 से 18 अंश तक बुध का मूल त्रिकोण तथा उससे आगे 19 से 30 अंश तक स्वक्षेत्र माना जाता है | कन्या राशि के 15 अंश तक बुध उच्च का तथा मीन राशि के 15 अंश तक नीच का होता है |
---इस प्रकार यदि बुध कन्या राशि में स्थित हो ,तो वो कन्या राशि के 1 से 15 अंश तक उच्च का और इसके साथ ही -1 से 19 अंश तक मूल त्रिकोण स्थित तथा 19 से 30 तक स्वक्षेत्री होता है |
----ध्यान दें --अगले ग्रहों के बारे अगले भाग में लिखेंगें --- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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शुक्रवार, 22 नवंबर 2024
ग्रहों की उच्च तथा नीच स्थिति -जानें -पढ़ें -भाग -58 -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
जन्म -कुण्डली में जिस राशि के जितने अंश गत हो चुके हों ,उसके अनुसार विभिन्न ग्रह उच्च तथा नीच स्थिति को प्राप्त करते हैं | निम्न तालिका के द्वारा ग्रहों की स्थिति को ज्ञात किया जा सकता है |
-------ग्रह ------------------ राशि ----------------------- अंश
------सूर्य --------------------मेष -------------------------- 10
------ चंद्र -------------------- वृष ------------------------- 3
-------मंगल ------------------मकर -----------------------28
-------बुध --------------------कन्या ----------------------15
-------गुरु -------------------कर्क ----------------------5
-------शुक्र ------------------मीन ------------------------ 27
------ शनि ------------------तुला -------------------------20
राहु तथा केतु छाया ग्रह हैं ,अतः ज्योतिष शास्त्री के अनेक ग्रंथों में इनकी उच्च तथा नीच स्थिति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है ,किन्तु कुछ विद्वानों के मत से मिथुन राशि के 15 अंश पर राहु उच्च का माना जाता है | कुछ विद्वान वृष राशि में राहु को उच्च का मानते हैं इसी प्रकार अनेक ज्योतिष धनु राशि के 15 अंश पर केतु को उच्च का मानते हैं |
---प्रत्येक ग्रह को जिस राशि के जितने अंशों पर उच्च का बताया गया है ,उससे सातवीं राशि के उतने अंशों पर वो नीच का होता है | ---इसे नीचे दी गई तालिका के द्वारा अच्छी तरह से समझा जा सकता है |
-----ग्रह --------------------राशि --------------------अंश
---सूर्य -----------------------तुला ---------------------10
----चंद्र ------------------------वृश्चिक -----------------3
---मंगल --------------------- कर्क ------------------28
----बुध -----------------------मीन -------------------15
-----गुरु ----------------------मकर -----------------5
----शुक्र -----------------------कन्या ----------------27
----शनि -----------------------मेष -----------------20
---राहु -केतु के बारे में विद्वानों का मत यह है कि धनु के 15 अंश पर राहु नीच का होता है और कुछ ज्योतिषी के मतानुसार वृश्चिक राशि में राहु नीच का होता है | कुछ मिथुन राशि के 15 अंश पर केतु को नीच का और कुछ वृष राशि में केतु को नीच का मानते हैं | ग्रहों की उच्च तथा नीच स्थिति को अपने समझ लिया -अगले भाग में बलाबल ग्रहों का पर विचार रखेंगें -- --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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बुधवार, 20 नवंबर 2024
त्रिकोण ,केंद्र ,पणकर ,अपोकिलिम तथा मारक किन -किन भावों को कहा जाता है -पढ़ें -भाग -57
--1 ---त्रिकोण --पंचम तथा नवम भावों को त्रिकोण कहते हैं |
--2 --केन्द्र --प्रथम ,चतुर्थ ,सप्तम ,दशम --इन भावों को केन्द्र कहते हैं |
---3 --पणकर ----द्वितीय ,पंचम ,अष्टम ,तथा एकादश --इन चारों भावों को पणकर कहते हैं |
--4 --आपोक्लिम --तृतीय ,षष्ठ ,नवम तथा द्वादश --इन भावों को अपोक्लिम कहते हैं |
---5 --मारक --द्वितीय तथा सप्तम भाव को मारक कहा जाता है |
नोट --कुछ विद्वानों के मतानुसार द्वितीय तथा दशम भाव को पणकर एवं तृतीय तथा एकादश भाव को अपोक्लिम माना जाता है |
---6 ---मूल त्रिकोण --जन्म -कुण्डली के द्वादश भावों में विभिन्न राशियां अलग -अलग भावों में रहती हैं | निम्न रूप से जिस राशि के जितने अंश पर जो ग्रह हो उसे "मूल त्रिकोण " में स्थित समझना चाहिए |
---सूर्य ---सिंह राशि में --1 से 20 अंश तक |
--चन्द्र --वृष राशि में --4 से 30 अंश तक |
--मंगल --मेष राशि में -1 से 18 अंश तक |
--बुध ---कन्या राशि में --1 से 15 अंश तक |
--गुरु --धनु राशि में --1 से 13 अंश तक
| --शुक्र -तुला राशि में --1 से 20 अंश तक |
--शनि --तुला राशि में --1 से 10 अंश तक | -----मूल त्रिकोण के ग्रहों की स्थिति को और अधिक स्पष्ट करने के लिए कुण्डली का सहारा लेना होगा साथ ही गुरु का सान्निध्य भी चाहिए |
नोट ---राहु को कर्क राशि में मूल त्रिकोणगत माना जाता है | इसी के आधार पर ज्योतिष के विद्वान केतु को मकर राशि में मूल त्रिकोणगत मानते हैं | --अगले भाग में ग्रहों की उच्च तथा नीच स्थिति की जानकारी देंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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जन्म-कुण्डली के द्वादश भावों की जानकारी पढ़ें --ज्योतिष कक्षा पाठ -56- पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
पाठकगण --किसी भी जन्म -कुण्डली के द्वादश भावों के फलादेश करने हेतु - इन तमाम बातों को ठीक से समझें |
--1 --प्रथम भाव -सूर्य ,शरीर ,जाति ,विवेक ,शील ,आकृति ,मस्तिष्क ,सुख -दुःख ,आयु |
--2 --द्वितीय भाव --धन ,कुटुंब ,रत्न ,बंधन |
--3 --तृतीय भाव --पराक्रम ,सहोदर ,धैर्य |
--4 --चतुर्थ भाव --चन्द्र ,बुध ,माता ,सुख ,भूमि ,गृह ,सम्पत्ति ,छल ,उदारता ,दया ,चतुष्पद |
--5 --पंचम भाव --गुरु ,विद्या ,बुद्धि ,संतान ,मामा |
--6 --षष्टम भाव --शनि ,मंगल ,शत्रु ,रोग ,चिंता ,संदेह ,पीड़ा |
-7 --सप्तम भाव --शत्रुता ,रोग ,नाना का सुख ,आत्मबल ,मनोवृत्ति |
--8 --अष्टम भाव --शनि ,मृत्यु ,आयु ,व्याधि ,संकट ,ऋण ,चिंता ,पुरातत्व |
--9 --नवम भाव --सूर्य ,गुरु ,भाग्य ,धर्म ,विद्या ,प्रबास ,तीर्थ- यात्रा ,दान |
--10 --दशम भाव --सूर्य ,बुध ,गुरु ,शनि ,राज्य ,पिता ,नौकरी ,व्यवसाय ,मान -प्रतिष्ठा |
--11 --एकादश भाव --गुरु ,लाभ ,आय ,संपत्ति ,ऐस्वर्य ,वाहन |
--12 ---द्वादश भाव --शनि ,व्यय ,हानि ,दंड ,रोग ,व्यसन |
ये सब कुण्डली के भावों में स्थित समझें ------अगले भाग में त्रिकोण ,केंद्र ,पणकर ,अपोकिलिम तथा मारक किन -किन भावों को कहा जाता है --इसे बताने का प्रयास करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मंगलवार, 19 नवंबर 2024
जन्म- कुण्डली के द्वादश भाव -ज्योतिष कक्षा पाठ -57- पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
आपने कन्या राशि तक जानकारी कर ली ---आगे
--7 -स्त्री --"जाया "--इसे केन्द्र तथा सप्तम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्त्री ,मृत्यु ,कामेच्छा ,कामचिंता ,सहवास ,विवाह ,स्वास्थ जननेन्द्रिय ,अंग-विभाग ,व्यवसाय ,झगड़ा -झंझट तथा बवासीर आदि रोग के संबंध में विचार किया जाता है |
--8 -आयु -इसे पणकर तथा अष्टम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा आयु ,जीवन ,मृत्यु के कारण ,व्याधि ,मानसिक चिंताएं ,झूठ ,पुरात्तव ,समुद्र -यात्रा ,संकट ,लिंग ,योनि तथा अंडकोष के रोग आदि का विचार किया जाता है |
--9 -धर्म ---इसे त्रिकोण तथा नवम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा तप ,शील ,धर्म ,विद्या ,प्रवास ,तीर्थ यात्रा ,दान ,मानसिक वृत्ति ,भग्योदय तथा पिता का सुख आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--10 --कर्म --इसे केन्द्र तथा दशम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक बुध है | इसके द्वारा अधिकार ,ऐश्वर्य -भोग ,यश -प्राप्ति ,नेतृत्व ,प्रभुता ,मान -प्रतिष्ठा ,राज्य ,नौकरी ,व्यवसाय तथा पिता के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
----11 ---लाभ --इसे उपचय ,पणकर तथा एकादश भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा संपत्ति ,ऐस्वर्य ,मांगलिक कार्य , वाहन ,रत्न आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--12 --व्यय --इसे द्वादश भाव कहा जाता है | इस भाव का कारक शनि है | इसके द्वारा दंड ,व्यय ,हानि ,व्यसन ,रोग ,दान तथा बाहरी सम्बन्ध आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
--प्रिय पाठकगण --किसी भी जन्म -कुण्डली के भावों को इन बातों के द्वारा समस्त व्यक्ति की जानकारी करी जा सकती है | इन तमाम बातों को ठीक से समझने का प्रयास करेंगें --तो फलादेश करने में विशेष सहायता मिलेगी |
--अगले भाग में किस भाव से क्या -क्या फलादेश करना चाहिए इस पर प्रकाश डालने की कोशिश करेंगें | ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 18 नवंबर 2024
जन्म- कुण्डली के द्वादश भाव -ज्योतिष कक्षा पाठ -56- पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
जन्म -कुण्डली में 12 भावों के नाम इस प्रकार हैं -1 -तनु ,-2 -धन ,--3 -सहज ,--4 -सुहृद ,--5 -पुत्र ,--6 -रिपु ,--7 -स्त्री ,--8 --आयु ,--9 --धर्म ,--10 -कर्म ,--11 -लाभ ,--12 -व्यय | इन भावों के द्वारा किन -किन बातों का विचार किया जाता है --इसे इस प्रकार से समझना चाहिए --
---1 --तनु ---इसे प्रथम भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा स्वरूप ,जाति ,आयु ,विवेक ,शील ,मस्तिष्क ,चिन्ह ,दुःख -सुख तथा आकृति आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है | इस भाव कारक सूर्य है | इसमें मिथुन ,कन्या ,तुला तथा कुम्भ आदि कोई राशि हो ,तो उसे बलवान माना जाता है | लग्नेश की स्थिति और बलाबल के अनुसार इस भाव से उन्नति -अवनति तथा कार्य -कुशलता का ज्ञान प्राप्त किया जाता है |
--2 -धन ----इसे पणकर तथा द्वितीय भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा स्वर ,सौन्दर्य ,आंख ,नाक ,कान ,गायन ,प्रेम ,कुल ,मित्र ,सत्यवादिता ,सुखोपभोग ,बंधन ,क्रय -विक्रय ,स्वर्ण ,चांदी ,मणि ,रत्न आदि संचित पूंजी के संबंध में विचार किया जाता है |
---3 --सहज --इसे आपोक्लिम तथा तृतीय भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक मंगल है | इसके द्वारा पराक्रम ,कर्म ,साहस ,धैर्य ,शौर्य ,आयुष्य ,सहोदर ,नौकर -चाकर , गायन ,क्षय ,श्वास ,कास ,दमा तथा योगाभ्यास आदि का विचार किया जाता है |
---4 --सुहृद -इसे केन्द्र तथा चतुर्थ भाव भी कहा जाता है | इसके द्वारा सुख ,गृह ,ग्राम ,मकान ,सम्पत्ति ,बाग -बगीचा ,चतुष्पद ,माता -पिता का सुख अन्तः करण की स्थिति ,दया ,उदारता ,छल ,कपट ,निधि ,यकृत तथा पेटादि रोगों के संबन्ध में विचार किया जाता है | इस भाव का कारक चंद्र है | इस स्थान को विशेषकर माता का स्थान माना जाता है | ---5 --पुत्र --इसे पणकर ,त्रिकोण तथा पंचम भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक गुरु है | इसके द्वारा बुद्धि ,विद्या ,विनय ,नीति ,देवभक्ति ,संतान ,प्रबंध -व्यवस्था ,मामा का सुख ,धन मिलने के उपाय ,अनायास बहुत से धन प्राप्ति ,नौकरी से विच्छेदन ,हाथ का यश ,मूत्र -पिंड ,वस्ति एवं गर्भाशय आदि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है |
---6 --रिपु ---इसे आपोक्लिम तथा षष्ठ भाव भी कहा जाता है | इस भाव का कारक मंगल है | इस भाव के द्वारा शत्रु ,चिंता ,संदेह ,जागीर ,मामा की स्थिति ,यश ,गुदा -स्थान ,पीड़ा ,रोग तथा व्रणादि के सम्बन्ध में विचार किया जाता है | ------आगे की जानकरी 62 वे भाग में पढ़ें ----भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 30 अक्टूबर 2024
भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"
----यम द्वितीया ---------------------------
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गोवर्धन पूजा कब करें -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 02/11/24
को है। -----जानिए गोवर्धन पूजा की सरल विधि-
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दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मंगलवार, 29 अक्टूबर 2024
जानिए गोवर्धन पूजा का महत्व--पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "
हमारे कृषि प्रधान देश में गोवर्धन पूजा जैसे प्रेरणाप्रद पर्व की अत्यंत आवश्यकता है। इसके पीछे एक महान संदेश पृथ्वी और गाय दोनों की उन्नति तथा विकास की ओर ध्यान देना और उनके संवर्धन के लिए सदा प्रयत्नशील होना छिपा है। अन्नकूट का महोत्सव भी गोवर्धन पूजा के दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को ही मनाया जाता है। यह ब्रजवासियों का मुख्य त्योहार है।
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 24 अक्टूबर 2024
दीपावली की रात्र तंत्रशास्त्र की महारात्रि होती है-- ज्योतिषी झा मेरठ
भूत पिशाच निकट नहीं आवे, महावीर जब नाम सुनावे.-दीपावली की रात्र को तंत्रशास्त्र की महारात्रि होती है।... इस दिन तंत्र-मंत्र/टोन टोटके का प्रयोग अनेक व्यक्ति ईर्ष्या के कारण रिश्तेदार/मित्र/शत्रु के अनिष्ट के लिए करते है। दीपावली को लड़कियों को बाल खोल कर नहीं रखने चाहिए क्योकि इससे तंत्र मन्त्र प्रभाव उन पर जरूर होता है। दीपावली को व्यक्ति को अपने पास मोर पंख भी रखना चाहिए इससे तंत्र मन्त्र का प्रभाव कम होता है.हनुमानजी अजर-अमर व कलियुग में भी भक्तों के आस-पास रहते हैं दीपावली की रात को शुद्ध पारद हनुमान जी संजीविनी ब्यूटी लिए हुए मूर्ति के सामने पर लौंग डालकर दीपक प्रज्वलित करके परिवार के साथ हनुमान चालीसा, हनुमत अष्टक व बजरंग बाण का पाठ करने से घर मे किसी भी तंत्र मन्त्र के प्रभाव, पुरानी बीमारी व कर्जे से बाहर निकलने का मार्ग मिलता है.क्योकि पारद एक जीवंत धातु है और जिस प्रकार संजीवनी बूटी से लक्मण जी को तुरंत होश आकर पहले से भी अधिक शक्ति आ गयी थी उसी प्रकार कार्य स्थान/घर पर ये मूर्ति रखने से परेशानी से निकलने का मार्ग मिलता है।आप हनुमान जी की संजीवनी बूटी उठाई हुई शुद्ध पारद मूर्ति का ठीक से निरक्षण कर खरीदें . आजकल बाजार मे रांगे/गिलट को पारद बता कर बेच देते है, शुद्ध पारद वस्तु की जांच करने के लिए उस पर थोड़ा सा तरल पारद रखे, असली पारद वस्तु पर वह चिपक जायगा व पारद सामान मे चमक आ जायगी, नकली पारद (रांगा/गिलेट) पर नहीं चिपकेगा----ॐ ---- ॐ आपका
- ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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बुधवार, 23 अक्टूबर 2024
धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है-पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ
धनतेरस के दिन{अहर्निशं } लक्ष्मी – गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है। पर इस दिन सबसे महत्वपूर्ण पूजा होती है स्वास्थ्य और औषधियों के देवता धनवन्तरी की। इन सभी पूजाओं को घर में करने से स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन लोग अपने स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कामना करते हैं। इसके लिए इस दिन धनवन्तरी की पूजा की जाती है। इसके लिए अपने घर के पूजा गृह में जाकर ॐ धं धन्वन्तरये नमः मंत्र का 108 बार उच्चारण करें। ऐसा करने बाद स्वास्थ्य के भगवान धनवंतरी से अच्छी सेहत की कामना करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन धनवन्तरी की पूजा करने से स्वास्थ्य सही रहता हैा धनवन्तरी की पूजा के बाद यह जरूरी है कि लक्ष्मी और गणेश का पूजन किया जाए। इसके लिए सबसे पहले गणेश जी को दिया अर्पित करें और धूपबत्ती चढ़ायें। इसके बाद गणेश जी के चरणों में फूल अर्पण करें और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद इसी तरह लक्ष्मी पूजन करें। इसके अलावा इस दिन धनतेरस पूजन भी किया जाता है और कुबीर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पूजन के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पट्टा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बना ---इसके बाद इस पर एक तेल का दिया जला कर रख दें----दिये को किसी चीज से ढक दें--दिये के आस पास तीन बार गंगा जल छिड़कें---इसके बाद दीपक पर रोली का तिलक लगाएं और साथ चावल का भी तिलक लगाएं---इसके बाद दीपक में थोड़ी सी मिठाई डालकर मीठे का भोग लगाएं--फिर दीपक में 1 रुपया रखें। रुपए चढ़ाकर देवी लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें--इसके बाद दीपक को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें और परिवार के लोगों से भी आशीर्वाद लेने को कहें।---इसके बाद यह दिया अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें,----- ध्यान रखे कि दिया दक्षिण दिशा की ओर रखा हो। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन तीनों पूजन के समापन से घर में लक्ष्मी सदैव विद्यमान रहती हैं और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।------ ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मंगलवार, 22 अक्टूबर 2024
धनतेरस यानि "भगवान धन्वंतरि" के दिन क्या करें -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ
धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए *धनतेरस* का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या?
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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सोमवार, 21 अक्टूबर 2024
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -102 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -मानव जीवन में यद्यपि अनन्त दुःख हैं तो अनन्त सुख भी हैं | इस प्रकृति में "बड़े भाग्य मानस तन पावा "--इस उक्ति का वास्तविक भाव यह है --हमें करना क्या चाहिए ? --हमने अपने जीवन में अनन्त बातों का अनुभव किया है --पर मानव जीवन का सार ठीक से नहीं समझ पाए --इसका परिणाम यह हुआ --जीवन भर राग -द्वेष में उलझे रहे | व्यक्ति की शत्रुता व्यक्ति से होती है --पर दिवंगत होने के बाद -वही व्यक्ति गलानि का अनुभव करता है | मेरा जन्म राजयोग था --यह अवधि केवल 10 वर्ष तक थी | इसके बाद --राहु की दशा ने मेरे जीवन रूपी अग्नि में घी डालने का सदा काम किया | इसके बाद गुरु की दशा ने शिखर पर विराजमान कर दिया --फिर मैं तन ,धन और मन का ऐसा राजा बना --जिसनें मुझे -सशक्त तो दुनिया की नजर में बना दिया --पर मैं ये भूल गया -शास्त्री बाद में हुआ पहले अनपढ़ माता पिता के सान्निध्य में रहा --इसलिए माता पिता को शास्त्रों से नहीं अनपढ़ता से जीत सकता था | जीवन में कईबार हम शास्त्र सम्मत बातों पर जीने का प्रयास करते हैं --इसका परिणाम यह होता है --हम सबकुछ खो देते हैं --हमारे पास केवल धन रूपी अहंकार होता है ,शास्त रूपी अहंकार होता है --जिनमें प्रमाण देने में तो अच्छे लगते हैं किन्तु यह थोड़ी देर के लिए होते हैं --इसके बाद स्वयं में ग्लानि होती है --जिसकी वजह से अकेला जीवन होता है | अपने जीवन में मुझे अनन्त कष्टों का सामना करना पड़ा --जिसमें एक ऐसा दखद पल था ---पिता दिवंगत हो चुके थे | भाई -भाई की दुश्मनी चरम सीमा पर थी | एक तरफ अनुज था -तो एक तरफ मेरी भार्या थी --दोनों परस्पर अपशब्दों के बौछार कर रहे थे | समाज के सभी लोग ठहाके लगा रहे थे | माँ बीच में तमाशा देख रही थी | सभी परिजन आनन्द ले रहे थे | एक शास्त्री होकर मुझे मरने के सिवा कुछ सूझ नहीं रहा था | -यह दृश्य कई दिनों तक मरने को लाचार कर रहा था | हमने ज्योतिष में यह पाया है --ज्योतिष सच है पर ज्योतिष दिखाने की नहीं अमल करने की चीज है --इस संसार में सबसे बड़ी भूल व्यक्ति से यही होती है -ज्योतिष को जीवन पर्यन्त दिखाता रहता है --उसे करना क्या चाहिए इस पर अमल नहीं करता है ---जिसका परिणाम हर व्यक्ति को ज्योतिषी में पोपगण्डा दीखता रहता है | इसका उदहारण मैं स्वयं हूँ | --जिस दिन मिझे यह विदित हुआ --उस दिन से जीवन में कोई पराया नहीं दिखा ,उस दिन से सभी अपने लगने लगे ,उस दिन से वास्तव में मैं सुखी हुआ | कईबार व्यक्ति के मन में एक प्रश्न उठता -रहता है --क्या भगवान दीखते हैं या सच में भगवान से व्यक्ति की बात होती है ---तो कईबार हमने अनुभव किया है -स्वप्न में कईबार अनुभव किये हैं -अगले दिन वही बात सच होती है --या किसी न किसी प्रकार से हर जिज्ञासु व्यक्ति का मार्ग ईस्वर किसी न किसी रूप में सरल अवश्य करते हैं | मेरे जीवन के अंतिम समय में भी राजयोग चल रहा है --और जीवन का अंतिम भाग चल रहा है | अतः जीवन जीने की एक कला है --फिर कब किससे मिलें न मिलें --इसके लिए शत्रुता क्यों -प्रेम क्यों नहीं --इसी पथ पर चलते रहना चाहता हूँ | आगे की चर्चा अगले भाग में पढ़ें --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ --जीवनी की तमाम बातों को पढ़ने हेतु इस ब्लॉकपोस्ट पर पधारें ---khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ
जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...
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ॐ --इस वर्ष यानि -2024 +25 ----13 /04 /2024 शनिवार चैत्र शुल्कपक्ष पंचमी तिथि -09 /05 रात्रि पर वृश्चिक लग्न से सौर वर्ष की शुरुआत हो रही ह...
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ॐ श्रीसंवत -2082 --शाके -1947 आश्विन शुक्लपक्ष -तदनुसार दिनांक -22 /09 /2025 से 07 /10 / 2025 तक देश -विदेश भविष्यवाणी की बात करें --नवरात्...
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ॐ इस वर्ष 2024 +25 में ग्रहपरिषदों के चुनाव में राजा का पद मंगल ,मन्त्री का पद शनि को मिला है | राजा मंगल युद्धप्रिय होने से किन्हीं देशो...
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ॐ आषाढ़ शुक्ल गुरुवार ,26 जून 2025 को 1447 को हिजरी सन प्रारम्भ होगा | भारतीय उपमहाद्वीप में मुस्लिम वर्ग की प्रवित्तियों के अध्ययन के लिए दै...
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ॐ -श्रीसंवत 2081 -का शुभारम्भ -08 /04 /2024 सोमवार को रात्रि 11 -50 पर धनु लग्न से हो रहा है | लग्न का स्वामी गुरु पंचम भाव में शुभ ग्रह बु...
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ॐ -हिजरी सन 1946 का आरम्भ मुहर्रम मास के प्रथम दिवस दिनांक -08 /07 /2024 की शाम को धनु लगन से होगा | उक्त कुण्डली के अनुसार लग्नेश रोग ,ऋण ...
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ॐ नववर्ष -2025 ,संवत -2082 का आगमन चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक -29 /03 /2025 को मीन के चन्द्रमा के समय होगा | नववर्ष प्रवेश के समय देश की रा...
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ॐ दोस्तों -ज्योतिष जगत में लेखन का कार्य 2010 से शुरू किया था --कुछ महान विभूतियों के बारे में लिखने का सौभाग्य मिला -जैसे श्री प्रणवदा ,डॉक...
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ॐ --पाकिस्तान --की कुण्डली में मेष लग्न उदित है | अप्रैल से सितम्बर -2025 में पाकिस्तान अन्तरराष्ट्रीय कूटनीति असमंजस्य और आतंरिक ,राजनैतिक ...
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ॐ --संवत -2082 ब्रिटेन के समाज और ब्रिटिश राजनीति के लिए अशुभ संकेत है | जुलाई -2025 -के उपरान्त अंग्रेजी राजनीति एवं कूटनीति में बदलाव प्रक...










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