ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

बुधवार, 13 दिसंबर 2023

मेरी आत्मकथा -पढ़ें भाग -81 ज्योतिषी झा मेरठ


 -1999 -जब जीवन में धन से सम्बन्ध जुड़ने लगे तो  व्यक्ति को सजग हो जाना चाहिए अन्यथा मेरे जैसा हाल ही होगा --सुनें - आपकी उस कथा को आगे बताने की कोशिश करूँगा --पहले यह प्रेरणादायी बातों को सुनें --अपनी ममता और दया के कारण अनुज के साथ रह रहा था ,कमाई उत्तम थी ,सारा धन माता पिता को जाता था ,परन्तु हम सोचते थे -हमारा धर्म घर को ठीक करने का है अतः सारा धन माता पिता को समर्पित कर रहे थे | माता पिता अनपढ़ थे ,समाज अनपढ़ था तो भला सचिव कैसे बढ़िया मिलता सो मामा + जीजा ही सचिव थे | धन पर राज इन लोगों ने खूब किया साथ ही घर को तोड़ने का भी काम किया --मेरी पतनी +पुत्री माता पिता के साथ रहती थी ,सभी लोग तिरस्कार करते थे , माँ और दीदी -व्रत के दिन फलाहार दूसरे के आंगन में करती थी ताकि मेरी पतनी और बेटी को देना न पड़ें --ये बातें मुझे मालूम नहीं थी अगर मालूम होती तो भी कुछ नहीं करते क्योंकि --भारत में मातृदेवो भव ,पितृ देवो भव से सभी बालक ओत -प्रोत रहते हैं --भारतीय बालकों को इन सूत्रों से ऊपर अपनी सोच होती ही नहीं है --इसलिए कई घर बिखर जाते हैं | माता पिता अनुज का विवाह बढ़िया कैसे हो ,अनुज धनिक कैसे हो यही सोच से आगे बढ़ रहे थे | मेरी पतनी और बेटी बोझ सा दिख  रही थी | इन तमाम बातों से मैं अनभिज्ञ था --हमारी एक ही सोच थी --अनुज को पढ़ना ,धन कमाना ,घर को गरीबी से हटाना ---इसके बदले सभीने मुझे ही हटा दिया | घर से मेरठ पतनी +बेटी आ गयी --अनुज ने निवास से निकाल दिया ,किसी और व्यक्ति ने पनाह दी | अब मैं उस कथा में ले चलना चाहता हूँ --जो  व्यक्ति शिव मन्दिर,शिव चौक बागपत गेट मेरठ  में मिला था - वो यजमान तो था ही साथ ही दुनिया की नजर में उत्तम कार्य करने वाला भले ही नहीं था -पर मेरी मदद बहुत की साथ ही मुझसे उनका सम्बन्ध पिता पुत्र की तरह था --उस व्यक्ति ने इतना धन दिया, मान -सम्मान दिया जिसका मैं जितना वर्णन करू कम है | यद्पि एक शास्त्री को अधर्म करने वाले व्यक्ति का साथ नहीं देना चाहिए --पर जब यह बात मुझे ज्ञात हुई तब तक मेरी रोम -रोम में वो धन समा चूका था --जिसका प्रायश्चित एक ही था --उस व्यक्ति को सही पथ पर लाना --यही सोच से हम जुड़े रहे | -1999 -जब अनुज ने निकाल दिया निवास से तब हमारी सहायता -माता पिता ,परिजन या अपनों ने नहीं की बल्कि पराया व्यक्ति ने किया | एक किराये का मकान दिलाया -मलियाना फाटक चंद्रलोक मेरठ में -निवास तो मिल गया किन्तु रोजगार की तलाश में भटक रहा था --तो वही व्यक्ति मिला -जिनका विस्वास हमने जीता था --बोलै --महराज आपको मैं ठंढ रहा था ,हमने कहा -कार्य बताएं --बोले एक लड़की खो गयी है | हमने कहा मिल जाएगी --बोले खच बताएं --हमने कहा 11000 दक्षिणा काम होने के बाद --पर जो सिद्धि मैं करूँगा -उसमें सहायता धन से तन से और मन से करनी होगी | बोले ठीक है | यह बात कहने का अभिप्राय था --कभी बाल्यकाल - लगमा आश्रम दरभंगा में शिक्षा के समय  गुरूजी किसी को एक बात कही थी -कोई व्यक्ति खो जाय तो किस विधि का प्रयोग करना चाहिए --उस समय मेरी उम्र -14 वर्ष थी --ठीक से ध्यान नहीं दिया ,अब जब हम 29 वर्ष के हुए ,धन की जरुरत थी तो इसका प्रयोग करके देखना चाहते थे --क्या सच में इस प्रक्रिया से जाना जा सकता है |  अतः हमने यजमान से यह बात कही --दक्षिणा काम होने के बाद किन्तु पूजा में जितना खर्च होगा --वो आपको करना होगा | यजमान ने विधिवत यज्ञ संपादन किया --यज्ञ के प्रभाव से कन्या मिली बहुत दूर मुम्बई में | अब हम उनके बहुत ही प्रिय आचार्य हो गए | | -- -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


शादी की बात नहीं बनती है -पढ़ें -"ज्योतिषी झा "मेरठ “


 बालक के विवाह का कारक ग्रह "शुक्र "और कारक सप्तम भाव होता है 1यदि बालक की कुण्डली में "शुक्र "कमजोर ,नीच ,पापी ग्रहके प्रभाव में होगा तो निश्चित विवाह में बिलम्ब के साथ -साथ बाधा भी उत्पन्न होगी ! -------यदि "शुक्र "बालक की कुण्डली में बलवान ,मित्र या उच्च राशिमें है ,किन्तु सप्तम अथवा सप्तमेश पर पापी ग्रहों का प्रभाव है ,अथवा सप्तमेश नीच का है तो भी विवाह होने में देर होगी -अथवा विवाह में बाधा होगी !------इसी प्रकार बालिका की कुण्डली में "गुरु "पतिकारक ग्रह तथा सप्तमभाव व सप्तमेश विवाह कारकहोता है !---बालिका की कुण्डली में "गुरु "शत्रुराशि ,नीच ,अस्त या पापी ग्रह के प्रभाव में होगा तो बालिका के विवाह में दिक्कत का सामना करना पड़ेगा !-----बालिका की कुण्डली में "गुरु "के साथ सप्तमभाव एवं सप्तमेश को मित्र राशि,उच्चराशि के साथ -साथ शुभ प्रभाव में होना जरुरी है !-------यदि "शुक्र एवं "गुरु "शुभ या मित्र राशि में हो या अपनी उच्च राशि में हो लेकिन सप्तम भाव अथवा सप्तमेश पापी प्रभाव में हो या नीच राशि के साथ -साथ अस्त हो तो विवाह तो होगा ,किन्तु विरोधाभास {परस्पर विरोध }या अस्वस्थता तो रहेगी ही वैवाहिक जीवन के सुख में अशांति रहेगी !---नोट ---दाम्पत्य सुख में सप्तम भाव और सप्तमेश साथ ही सप्तमेश और द्वादश भाव का स्वामी ग्रह कमजोर ,नीच ,पापी ग्रह के प्रभाव में हो तो विवाह सुख में बाधा आती है ! -------आपका --------खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




"ज्योतिष का अभिप्राय क्या है --पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


 "ज्योतिष का अभिप्राय क्या है---पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "

----ग्रह नक्षत्र हमारे जीवन को पल -पल प्रभावित करते रहते हैं ,इस बात से तो विज्ञानं भी इनकार नहीं कर सकता । ग्रहों की चाल से ही दिन -रात ,मौसम बदलते हैं । ग्रहों की गति से ही हमारा भाग्य और स्वास्थ बनता सुधरता है । ग्रहों की दशा ही सम्पूर्ण ज्योतिष ज्ञान का मुख्य विषय है । हमारे लेखों के अध्ययन से न सिर्फ आपका ज्योतिष ज्ञान चमत्कारिक रूप से बढ़ेगा बल्कि इन आलेखों को पढ़ने से आप अपना भविष्य ,ग्रह ,ग्रहों का राशि पर प्रभाव ,अपनी जन्म कुण्डली का अध्ययन तथा अनिष्टकारी ग्रहों को शान्त करने के उपाय भी सीख सकते हैं । 

-----आपका --------खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut



मंगलवार, 12 दिसंबर 2023

आत्मकथा में सच और असत्य पर प्रकाश डालना चाहता हूँ --पढ़ें भाग -80 ज्योतिषी झा मेरठ


  आत्मकथा में आज सत्य और असत्य पर प्रकाश डालना चाहता हूँ  | 1997 - शिव चौक बागपत गेट शिव मन्दिर में  अनुज के साथ रहते थे | केवल 18 माह रहे थे -तब मेरा जीवन पराधीन था ,शिक्षाविद थे ,विदेश मुम्बई से जाना था ,पर राहु की दशा चल रही थी साथ ही परिपक्वत्व ज्योतिषी नहीं थे --तमाम शास्त्र ,डिगरियां तो थी | शादी हो चुकी थी एक पुत्री भी थी ,घर की माली हालत थी --पिता का एक निर्णय --कर्या तुम्हारा  --ऐसी स्थिति में पतनी का मंगलसूत्र बेचकर कर्य चुकाया था ,नौकरी की तलाश में में मेरठ आये थे | मेरा अनुज दक्ष था धन के मामले में और अविवाहित था ,माता पिता एवं परिजनों  के प्रिय था |  मैं शिक्षाविद होने के बाद काम की तलाश में दर -दर भटक रहा था --इसका कारण था किसी काम का अनुभव नहीं था न ही कोई मददगार या परिजन थे ,ससुराल में ससुर ,साले सभी अकाल मृत्यु को अनायास प्राप्त हो गए थे | पतनी -पुत्री का वजन सभी परिजनों पर भारी था | जो भी धन था सभी परिजन आनन्द उठा चुके थे  | अनुज अपने साथ बड़ा  या अपना न समझकर सेवक के रूप में मुझे रखा था | सत्य ,धर्म ,नियम ,संस्कार मुझे ये सभी  अन्दर ही अन्दर  अग्नि की ज्वाला प्रदान कर रहे थे  | इसके बावयुद भी मेरी ममता अनुज के साथ रहने को विवस कर रही थी ,एक अनुज पहले ही खो चूका था ,इस अनुज को भी शिक्षाविद बनाने की इच्छा थी पर --कालचक्र के आगे किसी की नहीं चलती है | ---मुझे रोजगार के अनन्त  कार्य मिल रहे थे  पर पराधीन रहने को लाचार था ---इसी स्थान पर एक व्यक्ति मिला --हमने उसके रूप और व्यवहार को जाना था --इन दोनों मामलों में पिता की तरह यह व्यक्ति था | मेरे भाग्य क्षेत्र में नीच का शनि है साथ ही गुरु की पूर्ण दृष्टि है --इसका भावार्थ जो आज मेरी समझ में आ रही है --वो -- यजमान जो आचरणवान होंगें वो हमारे यजमान या दाता नहीं होंगें ,जो संस्कार हीन या अनैतिक कार्य करने वाले होंगें वो पूर्णरूपेण मेरे दाता होंगें | यह बात मेरे जीवन में सौ प्रतिशत उत्तरी है --साथ ही -मैं स्वयं धर्मानुरागी ,आचरणवान ,धर्म सम्मत कार्य करूँगा क्योंकि गुरु की पूर्ण दृस्टि  भाग्य के क्षेत्र में है --अतः भले ही यजमान कैसे भी हों पर मुझे सभी धर्म के कारण  आदर सम्मान करेंगें | इस व्यक्ति का नाम नहीं लिखना चाहता हूँ --क्योंकि मुझसे किसी व्यक्ति को ठेंस पहुंचे ये कदापि मैं नहीं कर सकता | --यह व्यक्ति मेरठ से दूर राजस्थान धौलपुर के रहने वाले थे ,जिनका साम्राज्य ,मेरठ ,मुम्बई  में था | भगवन शिव की पूजा करने नित्य मन्दिर में आते थे --राम राम नित्य हुआ करती थी ,धीरे -धीरे हम दोनों का सम्बन्ध यजमान पुरोहित का आगे बढ़ने लगा | एक दिन हमने कहा लालाजी आज का दिन अच्छा नहीं रहेगा --संयोग से पुलिस ने 2000 ले लिए --फिर जब मेरी बात याद आयी तो उन्हें लगा --मैं योग्य पण्डित जी हूँ | धीरे -धीरे उनकी नजर में मैं बहुत बड़ा पण्डित होने लगा --मेरी दक्षिणा का मूल्य बढ़ता गया | अब यजमान मुझसे होने वाली घटनाओं नित्य जिक्र करते और हम समाधान का रास्ता बताते रहते थे | 1999  में मुझे ज्ञात हुआ यह यजमान मेरे अनुकूल नहीं है | तब तक मेरी रग -रग में यजमान का अन्न -पानी पहुंच चूका था | अब न तो उल्टी कर सकता था न ही दूर हो सकता था --मेरी गरीबी चरम सीमा पर थी | पुत्री -पतनी  को बहुत तिरस्कार माता पिता परिजन करते थे --सारा धन उनके हाथों में जा रहा था | स्वयं का अपना कोई अस्तित्व नहीं था | -आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut   

शनिवार, 9 दिसंबर 2023

धनवान का भावार्थ केवल धन से ही नहीं होता है -पढ़ें भाग -79 ज्योतिषी झा मेरठ


आज मैं अपनी आत्मकथा में उस प्रश्न का जबाव देना चाहता हूँ -जो हमने पूर्व आलेख में लिखा था  कि जब इतनी खामिया सामाजिक रीति - रिवाज में  है तो हम धनिक कैसे हुए | --अस्तु --दोस्तों कोई धन का राजा होता है तो कोई मन का ,कोई रूप का तो स्वभाव का ,कोई आचरण का तो कोई व्यवहार का --परन्तु समाज में धनवान वास्तव में धन को आंका गया है | आपके पास धन है तो प्रायः हर चीज संभव है | ज्योतिष जगत में केंद्र ,त्रिकोण को सर्वोत्तम माना गया --और इससे भी बड़ा योग को --जिसे  बिरले ज्योतिषी भली भांति समझ जाते हैं | मेरी कुण्डली में केन्द्र ,त्रिकोण और योग का विशेष योगदान है --सिंह लग्न का हूँ सूर्य +मंगल लग्न में हैं -त्रिकोणेश भी हैं ,चन्द्रमा उच्च का केंद्र क्षेत्र में है | बुध +शुक्र की युति धन क्षेत्र में है --इसका भावार्थ है --जन्मजात राजा होना --स्वभाव का ,धन ,मन मर्यादा का ---यह योग मेरी कुण्डली में  ऐसा है -थोड़ा हो पर सुखद जीवन रहे , संयमित जीवन कैसे रहे --इस बात पर मेरा सतत ध्यान रहता है | हम किसी की सम्पत्ति या किसी भी वस्तु को देखकर कभी लालायित नहीं होते हैं | हम कभी भी याचना किसी व्यक्ति से नहीं करते हैं ,थोड़े में ही संतुष्ट रहते हैं ,हमसे किसी को हानि न हो सतत सोच रहती है ,दूसरे को देना -पर लेने की सोच रखना यह बात मेरे मन में कभी नहीं रहती है | स्वभाव और प्रभाव कठोर रखना आदत है ,प्रत्येक गलती से सबक लेना सदा प्रयास रहता है | मर्यादा का ख्याल रखना ,ईस्वर पर भरोसा और अपने कर्म पथ पर आरूढ़ रहना  ही हमें वास्तव में धनवान बनाया है | --ज्योतिष जगत में एकबात और होती है --स्वास्थ ठीक है , पतनी का सान्निध्य , धन के प्रति विशेष आसक्ति नहीं है तो भी आप राजा की तरह जी सकते हैं | मेरी कुण्डली में गुरु ग्रह की दृष्टि ने ऐसा ही वैवाहिक योग दिया है --जबकि विचारधारा दोनों की नहीं मिलती है  पर दोनों एक दूसरे पर अटूट भरोसा करते हैं | दान देना ,यज्ञ करना ,धर्म का आचरण करना ,ईस्वर पर भरोसा रखना ,जितना है उसी में गुजारा करना ,धन को बचाकर रखना ,किसी से याचना न करना --ये तमाम गुण हम दोनों में हैं --इसलिए हम धनवान हैं | यधपि --हम दोनों में अक्सर तकरार ,नोक झोक --ये होती रहती है | --प्रिय पाठकगण -हम यही कहना चाहते हैं --वास्तव में हर व्यक्ति किसी न किसी चीज का राजा होता है --जो उसे अपने में झांककर देखने से पता चलता है  | गरीबी वास्तव में स्वभाव होता है -जिसे हर व्यक्ति को ठीक करना चाहिए | अमीरी वास्तव में स्वभाव होता है --जिस पर सदा हर व्यक्ति को चलना चाहिए | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


"राशियां"ज्योतिष में क्या होतीं हैं -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


 ------पृथ्वी के {सूर्य के चारो ओर परिक्रमा }रास्ते {मार्ग} को 12 भागों में विभाजित किया गया है । इस रास्ते के प्रत्येक जगह की पहचान केवल तारों के अनेक प्रकार के झुंडों से होती है । इस तारों के झुंड या ढेड को संस्कृत में राशि कहते हैं । आकाश स्थित भचक्र के 360 अंश या 108 भाग निश्चित आचार्यों द्वारा किये गए हैं -यानि एक राशि का अधिकार -9 अक्षरों तक होता है एवं समस्त भचक्र को 12 राशियों में बांटा गया है -यानि 30 अंश या ९ भाग की एकेक राशि होती है । -इन राशियों के क्रम {1 }-मेष -चिन्ह -मेढ़ा,अंग्रेजी में -एरीज {2 }-वृष =सांड़ ,अंग्रेजी में -तौरुस ,{3 }-मिथुन -युवा -दंपत्ति ,अंग्रेजी में जैमिनी ,{4 }कर्क =केकड़ा ,अंग्रेजी में =कैंसर ,{5 }सिंह -शेर अंग्रेजी =लिओ ,{6 }कन्या =कुमारी ,अंग्रेजी =विरगो ,{7 }तुला =तराजू अंग्रेजी = लिब्रा ,{8 वृश्चिक =बिच्छू ,अंग्रेजी =स्कार्पियो ,{9 }-धनु =धनुर्धारी ,अंग्रेजी =सैँगीटेरियस ,{10 }मकर =मगरमच्छ ,अंग्रेजी =कैप्रीकौर्न ,{11 }कुम्भ =घड़ा {कलश },अंग्रेजी =अकवेरियस ,{12 }-मीन =दो मछली ,अंग्रेजी पीसेस ----ध्यान दें -प्रत्येक राशि की क्रम -व्यवस्था एवं संख्या उतनी ही महत्व पूर्ण -जितना महत्वपूर्ण इसका चिन्ह है । -----दोस्तों आशा है जन्म्पत्रि में विद्यमान "राशियों का मतलब समझ गए होंगें --आगे ज्योतिष की अगली बातों पर जिक्र करेंगें । आपका -



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शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

ग्रहों के प्रभाव से ही सुख दुःख मिलते हैं -पढ़ें भाग -78 ज्योतिषी झा मेरठ

वास्तव में व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता ही रहता है -ज्ञान और अनुभव की कोई सीमा नहीं होती है | -हमने अनुभव किया है -जितनी उम्र बढ़ती गयी उतना ही सटीक अनुभव होता गया | जब जीवनी लिखने की कोशिश की थी तो हमें  भी अहसास नहीं था --क्या लिखना है --पर हर व्यक्ति के जीवन में गुरुजनों  की छत्रछाया हो तो वो कठिन से कठिन मार्ग को भी सरल बनाया  जा  सकता है | ---व्यक्ति जब जन्म लेता है तो कुण्डली बनायीं जाती है -अनन्त गुण और अवगुण विद्यमान रहते हैं --फिर भी व्यक्ति अवगुणों को न देखते हुए हर्षोल्लाष में खो जाता है | उन अवगुणों को ठीक करने के लिए  माता पिता ,गुरुजन पग -पग पर बालक को सही मार्गदर्शन देते -रहते है | परिणाम स्वरूप  वह  बालक  सभी कष्टों का सामना  मार्गदर्शन से करते हुए  आगे बढ़ता रहता है | मेरे जीवन में एक सबसे बड़ी कमी रही न तो अभिभावक शिक्षित थे न ही किसी एक गुरु या स्थान का  वरद हस्त था -मेरे ऊपर | ---इसका  परिणाम यह हुआ -किसी भी कार्य  का सम्पादन सही समय से नहीं हुआ | न ही किसी योग्य बन सका ,मस्तिष्क ने जो कहा ,जो हमने देखा ,पढ़ा -उसे ही अमल करता गया --काश ! मेरे जीवन की डोर किसी सही गुरुदेव ,या मित्र या सगे  सम्बन्धियों से जुडी होती तो हर कार्य  मेरे भी समयानुसार होते | जब मेरी जिह्वा पर वेद -वेदान्त थे ,जब दसों राग कंठाग्र थे ,जब ऊर्जा से मेरा शरीर भरा हुआ आज भी है , आज जिस ज्योतिष+कर्मकाण्ड के उपदेश  लोगों को देता हूँ --वो बातें मुझमें समय से क्यों नहीं उत्तरी --इसका एक ही कारण है --आज जब हम लोगों को उपदेश देते हैं तो हमारा धेय केवल जन हित होता है --इसलिए लोगों को लाभ मिलता है | अब अपनी कुण्डली से दिखाना चाहता हूँ --शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --जिसका परिणाम यह हुआ -जो दीखता है वो होता नहीं है ,जो होता है- वो दीखता नहीं है | आप मुझे विद्वान समझते हैं तो मुझसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है ,आप मुझे मूर्ख  समझते हैं -तो दूर होने पर आपको ज्ञानी सा ही अहसास होगा --ये सच है | आप मुझे धनिक समझते हैं -तो मुझसे बड़ा गरीब कोई नहीं होगा ,आप मुझे गरीब समझते हैं तो मुझसे बड़ा धनिक कोई नहीं होगा | आप मुझे भाग्यवान समझते हैं तो मुझसे बड़ा भाग्यहीन कोई नहीं होगा, किन्तु आप मुझे भाग्यहीन समझते हैं तो मुझसे बड़ा भाग्यवान कोई नहीं होगा | --क्या आप जानते हैं -जो हम लिखते हैं या बोलते हैं --उसे अगर आप दुबारा मुझसे पूछेंगें तो वही जवाब नहीं मिलेगा  | जब मुझे --ज्योतिष के माध्यम से यह अहसास हुआ --तो हमने अपनी डोर भगवान शिव को समर्पित कर दिया --परिणाम यह हुआ --मेरा अहंकार ,घमण्ड ,क्रूरता समाप्त होने लगा --मेरा जीवन सुखद हो गया ,तनिक में प्रसन्नता होने लगी  और मुझे  अपने मन्त्रों ,शास्त्रों में ही गुरु दिखने लगे |  आप जो भी मेरे पाठक या श्रोता हैं  उनसे यही कहना चाहता हूँ -- ग्रह  भले ही खराब हो ,भाग्य भले ही निर्बल हो --पर गुरु और कर्म ये दोनों व्यक्ति के हाथों में सटीक होने चाहिए ---जीत अवश्य होगी | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




"राजस्थान "में "वसुंधरा राजे सिंधियाजी " ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


"राजस्थान "में "वसुंधरा राजे सिंधियाजी " ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा  था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ 




------"राजस्थान "प्रान्त- की नाम राशि तुला है । साथ ही इस वर्ष तुला में शनि +राहु का वर्चस्व बना रहेगा । "राहु "अपने स्वभाव के अनुसार राजनीति में उठा -पटक के चलते भारी रद्दोबदल करायेगा । 

    -------अस्तु ----सत्तारूढ़ दल को विघटनकारी असामाजिकतत्वों से निरंतर सतर्क रहना होगा । येन -केन प्रकारेण सरकार तो चलती रहेगी । किन्तु "राजस्थान" में --श्रीमति विजयाराजे सिंधियाजी का पुनः एकबार वर्चस्व बढेगा । 

   ------इस वर्ष "राजस्थान में वर्षा समय पर होगी । खेती में पर्याप्त उन्नति से कृषकों में उत्साह बढेगा । 

              { आगे-- "श्री हरि"- की कृपा क्योंकि सर्वग्य तो प्रभु ही हैं } ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मुख्यमंत्री "शीला दीक्षित जी" ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ




माननीया मुख्यमंत्री -शीला दीक्षित जी का जन्म 31 -मार्च -1938 समय -1. 20 दोपहर स्थान कपूरथला भारत में हुआ तदनुसार उत्तरा भाद्रपद के तृतीय चरण  कर्क लग्न एवं मीन राशि है आपकी । 1 /03 /2013 से राहु कि महादशा में राहु का अंतर 12 /11 /2015 तक चलेगा ---जो कुंडली में कालसर्पयोग बना हुआ है । संसार का नियम है सदा कुछ नहीं रहता है जिसका उदय होता है उसका ही अस्त भी होता है वो चाहे हम हो या आप । यदयपि भारत की भी कुंडली में कालसर्प योग है शायद इसलिए तमाम संसाधनों से यक्त होकर भी अपना देश अशांत रहता है बहुत से राजनेता हुए हैं जिनकी कुंडली में कालसर्पयोग था और है किन्तु सत्ता से जुड़े और इस योग के आगमन पर पद से हट गए ---किन्तु आपकी कुंडली शायद पहली महिला की  है ---जो कालसर्प योग युक्त होने के बाद भी अपने पद की गरिमा से नाम और यश कमाया है आपकी कुंडली में 1 /03 /1996 से 1 /03 2006 तक चंद्रमा की दशा रही जो लग्नेश सूर्य के साथ भाग्य में था और दशा का पूर्ण लाभ मिला । पुनः -1 /03 2006 से 1 /03 2013 तक मंगल की  दशा आई इतना ही नहीं मंगल कर्म बुद्धि +संतान +कर्म का स्वामी के साथ दसवें भाव में अपनी शक्ति प्रदान की जिसका आपने पूर्ण लाभ लिया ------पूरे -15 साल सितारे आपके साथ रहे अब कालसर्पयोग आपको कुछ कुछ पीड़ा पंहुचा सकता है ----आपने सत्य से जिया है और अब असत्य की राह आपके सामने हो सकती है ----राहु का आगमन 1 /03 /2013 से भले ही हुआ है किन्तु समस्या 6 महीना पूर्व ही शुरू हो चुकी थी । आपकी कुंडली से हमने ये सीखा कि सत्य के बल पर जो रहते हैं जीत उनकी ही होती है आपका भले ही परिवर्तन हो किन्तु आप अपनी क्षमता से आगे बढ़ेगी । ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


बुधवार, 6 दिसंबर 2023

"मास ,महीना या माह किसको कहते हैं - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


  "मास ,महीना या माह किसको कहते हैं ?"-झा शास्त्री {मेरठ }

मित्र बंधू ,राम राम ,नमस्कार  || 


        ज्योतिषाचार्यों के विचार से -"मास" शब्द फारसी भाषा का "माह" शब्द से बना है | फारसी भाषा में साकार हकार बदल जाता है | जैसे -मास का माह रह गया ,जिसका अर्थ चंद्रमा होता है | हिंदी भाषा का महीना शब्द भी इसी फारसी माह शब्द से माहीना ,तथा महीना बना है | संभव है ,आंग्लभाषा का मूल शब्द जिसका अर्थ चंद्रमा होता है ,वो भी मून शब्द से बिगड़ कर मून्थ अथवा मंथ शब्द बना हो ,जिसका अर्थ भी महीना है ||

             ज्योतिष जानकारी या परामर्ष के लिए -भवदीय निवेदक -



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ  ://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


रविवार, 3 दिसंबर 2023

किस रोग से पीड़ित हो सकते हैं हम -जानने हेतु -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "


 किस रोग से पीड़ित हो सकते हैं हम -जानने हेतु -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "

भचक्र में स्थित 12 राशियों के समस्त राशि -मंडल को एक विराट काल पुरुष मानते हुए -मेष राशि को सिर ,वृष को मुख ,मिथुन को बाहुएवं गला ,कर्क को -ह्रदय,सिंह को -पेट ,कन्या को -कटि भाग ,तुला को -वस्ति ,वृश्चिक को गुदा ,धनु को -कूल्हे एवं जांघ ,मकर को घुटने ,कुम्भ को पिंडलियां मीन राशि को -पैर माना है ज्योतिषी आचार्यों ने । अस्तु ---शरीर के भीतरी अवयवों पर भी क्रमशः राशियों का अधिकार इस प्रकार है ----1 -मेष -मस्तिष्क =दिमाग ,2 -वृष -कंठ की नली {टांसिल },3 -मिथुन -फेफड़ें {श्वास लेना }4 -कर्क -पाचन शक्ति ,,5 सिंह -ह्रदय {दिल }6 -कन्या -अंतड़ियां {पेट के भाग का निचला भाग }7 -तुला {गुर्दें }8 -वृश्चिक -मूत्रेन्द्रिय {जननेन्द्रिय }9 धनु -स्नायु मंडल एवं नसें जिनसे रक्त प्रवाहित होता रहता है ,10 मकर -हड्डियां तथा अंगों के जोड़ ,11 -कुम्भ -रक्त एवं रक्त प्रवाह ,12 -मीन -शरीर में सर्वत्र कफोत्पादन । ------यहाँ ध्यान देने की यह बात है कि हमारी जन्मकुण्डली यानि जन्म के समय जिस राशि में शुभ ग्रह होते हैं ,शरीर का वो भाग मजबूत होता है जातक का एवं जिस जन्मकुंडली जिस राशि में पाप ग्रह होते हैं तो शरीर का उससे सम्बंधित भाग कृश ,रोगयुक्त एवं पीड़ित होता है एवं जातक किस रोग से कब पीड़ित होगा या हुआ है यह महादशा एवं अन्तर्दशा के ऊपर ही आधारित होता है । -----कृपया ध्यान दें ---अपनी जन्मकुण्डली की कोई बात जाननी है या कुण्डली की तीन बात जानने की जिज्ञासा है तो हम फ्री में एकबार बतायेंगें ---जानने के लिए इस लिंक --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


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रविवार, 26 नवंबर 2023

चन्द्रमा ग्रह मस्तिष्क का द्योतक है -कैसे -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


चन्द्रमा ग्रह मस्तिष्क का द्योतक है -कैसे -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "
--यदि हम जानना चाहें कि व्यक्ति का मस्तिष्क किस प्रकार का है -तो हमें उसकी जन्मपत्री में चन्द्र की स्थिति का अवलोकन करना होता है । कर्क राशि के व्यक्ति या उत्तम चन्द्रमा के प्रभाव में रहने वाले व्यक्ति -शांत ,संग्रहीत ,न्याय एवं क्षमाशील अवश्य होते हैं । इन्हें शीघ्र अपनी ओर कोई भी कर सकता है -क्योंकि ये लोग ह्रदय से दयालु होते हैं -क्षमा करना और भूल जाना ही इनका सिद्धांत होता है -ऐसे व्यक्ति की मानस रचना में दया विशेष गुण होता है । ईंट का जबाब पत्थर से देना या पुरानी दुश्मनी को याद रखना इनका स्वभाव नहीं होता है । ---अस्तु ---ऐसे व्यक्ति कभी भी कठोर या क्रूर नहीं होते परन्तु न्याय और ओचित्य के क्षेत्र में घोर संकल्पित प्रदर्शित करते हैं , और प्रायः शांत,निर्बाध व सुविधाजनक जीवन व्यतीत करते हैं । ऐसे व्यक्तियों का जीवन तूफानों और आघातों से अछूता रहता है । वो धीरे -धीरे प्रगति करते हैं ,समृद्ध होते हैं ,साथ ही धर्मार्थ कामों में योगदान करना पसंद करते हैं । स्वभाव से मिलनसार और अश्लील या अशिष्टता से दूर भी रहते हैं । ---ज्योतिष विज्ञानं के दक्ष आचार्यों के विचार से समस्त कलाओं से युक्त ,पश्चिम दिशा का स्वामी ,स्त्री जाति ,श्वेत वर्ण एवं जल युक्त ग्रह है । यह रक्त का स्वामी ,माता -पिता ,चित्तवृत्ति ,शारीरिक पुष्टि ,राजनुग्रह ,संपत्ति और चतुर्थ स्थान का कारक है । चतुर्थ स्थान में चन्द्रमा बली और मकर से 6 राशि में चेष्टाबली होता है । शारीरिक रंग ,पांडुरोग ,जलन ,व्यर्थ भ्रमण ,उदर,कफज रोग ,पीनस ,मूत्रकच्छ ,स्त्रीजन्य रोग ,मानसिक रोग एवं मस्तिष्क का विचार किया जाता है या ऐसे व्यक्ति इन पीड़ाओं से पीड़ित अवश्य ही होते हैं । ---चन्द्र --मन की भावनाओं तरह अत्यंत गतिशील ग्रह है । यह व्यक्ति के गले से ह्रदय तक एवं अंडकोष तथा गर्भ आदि पर पूर्ण प्रभाव डालता है - साथ ही पिंगल और नाड़ी का प्रतीक भी माना जाता है । आचार्यों ने चन्द्रमा को स्वप्न की सुंदरी एवं शिशुओं की माता कहा है । यही नाविकों एवं पर्यटनशील व्यक्तियों का प्राणधार एवं घुमक्कड़ पुरुषों का सुषमागार है । मन की गति ,हाव -भाव एवं मानसिक घात -प्रतिघात एवं विभोरता का परिचायक भी है । --वास्तव में चन्द्रमा से प्रभावित व्यक्तियों का प्रतिनिधि करता है -जो भावुक हैं ,तरंगी हैं ,मनचले हैं,भावावेश में आकर बिना मूल्य बिक जाते हैं -इसके अलावा यह भी कह सकते हैं कि चन्द्र ग्रह व्यक्तियों को छवि नाथों का लोकप्रिय देवता भी बना देता है । ज्योतिषी सम्बंधित सभी बातों का उल्लेख इस पेज में मिलेगा इस पेज पर पधारकर पखकर देखें - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut आपका

ज्योतिषी झा "मेरठ "

शनिवार, 25 नवंबर 2023

मुझे सगे - सम्बन्धियों से लाभ क्यों नहीं मिला -पढ़ें भाग -77 ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों --अभी तक जो बातें लिखी है या कहीं है हमने वो एक जीवनी का प्रारूप था | अब जो हमने जीवन में सुख -दुःखों का जो अनुभव किया है उसे व्यक्त करना चाहता हूँ साथ ही मेरा मकसद -जीवनी रूपी किताब से मेरे पाठक गण  अनुभव करें और अपने -अपने जीवन के हर कदम पर ज्योतिष रूपी जो ज्ञान है --उससे हर निराशा को आशा में बदलें  | मेरी कुण्डली में शनि नीच का मेष राशि में भाग्य के क्षेत्र में विराजमान है | बृहस्पति तुला राशि के तृतीय भाव में बैठे हैं --अब इन दोनों का तालमेल दिखाना चाहता हूँ ---गुरु की दशा -1998 से हुई तब मैं 28 वर्ष का था | अनायास निवास मिला रोजगार के संसाधनों से युक्त हुआ | दाम्पत्य सुख मिला ,संतान सुख मिला --तब ये तमाम ग्रन्थ ऐसे ही जिह्वा पर थे जैसे आज हैं पर आज अनुभव विशेष है तब अनुभव हीन था ---हर व्यक्ति के जीवन का अलग -अलग अनुभव होता है | हमारी जो ज्योतिष की दुनिया है उसमें पहले किताब पढ़ाई जाती है फिर दूसरों की कुण्डली से अनुभव मिलता रहता है फिर व्यक्ति जब अध्यात्म की दुनिया की ओर बढ़ता है तो उसे -किताबी ज्ञान या कुंडलियों से ज्ञान में कुछ कमी दिखती है तब व्यक्ति जीवनी से अनुभव करता है ,अपनी कमियों को देखता है --और ऐसा व्यक्ति आने   वाली अगली पीढ़ी को उस  पर  चलने के कुछ निर्देश देता है  --अगली पीढ़ी वो गलती न करें जो हमने की है --इसे ही गुरु -शिष्य का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध कहते है |  पर जो अल्प  ज्ञानी होते हैं वो केवल किताबी ज्ञान या फिर वो ज्ञान जो  सुनी सुनाई होती है ---इससे न गुरु न शिष्य केवल समय की मांग की पूर्ति होती है | इसमें केवल तर्क और कुतर्क ,हार  या जीत , मैं बड़ा तू छोटा जैसे ही भाव रहता है | ज्ञानी पुरुष  समय पर निर्बल हो सकता है पर धैर्य और विस्वास  ही उसकी पूर्ण ताकत होती है --जिसके बल पर अनन्त कष्टों को झेलता रहता है | अज्ञानी पुरुष समय पर विजय प्राप्त कर लेता है पर -मन के अन्दर भय और शंका सदा बनी रहती | ---अस्तु --मेरी कुण्डली राजयोग था पर अलग प्रकार का -जैसे सभी परिजन होते हुए भी अकेला था | धन होते हुए भी सुखी  कभी नहीं रहा | दाम्पत्य सुख होते हुए भी सरस नहीं रहा | विद्वान होते हुए भी सबसे बड़ा मूर्ख हूँ ,भाग्यवान होते हुए भी भाग्यहीन रहा ,इन अनन्त बातों पर प्रकाश क्रम से डालने की कोशिश करूँगा | मैं अपने जीवन में अधूरा इसलिए रहा क्योंकि मेरे बताने वाले मार्गदर्शक नहीं रहे ,ज्योतिष के द्वारा गड्डे में गिरने से बचा जा सकता है --अगर ज्योतिषी का धेय आपका हित से भरा हो तो | पुत्र बढ़िया हो सकता है -माता पिता अच्छे हों तो ---मुझे  जीवन में जो कुछ मिला --देखने के अनुभव से --इसलिए हमने पूर्ण लाभ किसी चीज से उठा नहीं सके | आप सभी पाठकों  से एक ही  निवेदन है  इस जीवनी को पढ़ते हैं तो --तो आपके अन्दर और बाहर एक जैसा दिखना चाहिए | मैंने चोरी की तो लिखने का भी साहस रखता हूँ ,मेरा बाल्यकाल  गलत था तो हमने लिखा है --सामने वाला आपकी प्रसंशा करें ये बड़ी बात नहीं है आपका ह्रदय कहे ये ठीक है ये बड़ी बात है | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


बुधवार, 15 नवंबर 2023

मेरी चाची इतनी शक्तिशाली हो गयी -पढ़ें - भाग -76 ज्योतिषी झा मेरठ


 


मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -76 ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी चाची इतनी शक्तिशाली हो गयी -हमने सुना था श्री लालू प्रसाद यादव जी से भी मुलाकात की थी पटना जाकर तब मैं 14 वर्ष का था -जब कभी भी गांव आते थे आश्रम से और तमाम बातों को देखता था या सुनता था तो मेरा एक ही सपना होता था दरोगा बनने का --क्योंकि अपने समाज को मैं केवल दारोगा बनकर ही ठीक कर सकता था | पर मेरा वेश धोती कुर्ता और थैले का होता था जिसमें संस्कृत के कुछ ग्रन्थ होते थे --जो शायद दारोगा का पद पाना एक सपना जैसा ही था --फिर भी जितनी मेरी समझ होती थी तो सोचता था --अगर मैं दारोगा होता तो शायद अपने समाज को सही दिशा -निर्देश देता |-----अस्तु --1999 तक चाची पूर्ण रूपेण एक कद्दावर और प्रख्यात बन चुकी थी | सभी चाचा ,ताऊ एवं समाज को पस्त कर चुकी थी | मेरा घर दरिद्र योग से बाहर आ चूका था | मेरे पिता वृक्ष लगाने के बड़े ही शौकीन थे | तालाब के पास ,सड़क पर तो खेत में बहुत सारे पेड़ लगाए थे | सभी वृक्ष आम के सुन्दर फलदार थे --राही --बटोही को तो फायदा मिलता ही था --मेरे घर में भी खूब आम आते थे | चाची ने इन वृक्षों पर सबसे पहले अपना हक़ जताना शुरू किया --बोलती थी सरकारी जमीन पर ये तमाम वृक्ष हैं अतः हमारे भी हैं --क्योंकि वकील ,पुलिस और उस चाकर का पूर्ण रूपेण सहयोग था --पहला मुकदमा -वृक्ष काटने का हुआ --ये सभी सरकारी गवाह थे -क्योंकि सरकारी जमीन पर वृक्ष थे --उस समय जलावन से ही रोटी बनती थी | वृक्ष नहीं बल्कि डाल कटे थे पिता ने | दूसरा मुकदमा --चाची को अपशब्द कहे थे पिताने --जबकि ये बात सच नहीं थी --मेरे पिता क्रोधी अवश्य थे पर गाली नहीं देते हैं --बलवान व्यक्ति प्रहार तो कर सकता है गाली नहीं दे सकता है | तीसरा मुकदमा --आग लगाने की कोशिश की है --जबकि ये भी सच नहीं था --बिहार में एक प्रथा थी और अब भी है --जेठ से अनुज बधू का देह से स्पर्श हो जाय --तो गंगा स्नान करके वो व्यक्ति शुद्ध होता था --अतः मेरे पिता धार्मिक थे ऐसा उन्होनें नहीं किया था | सिर्फ चाची का वकील का पुलिस वाले का एक ही प्रयास होता था --परेशान करना --ऐसी स्थिति में पैसे भी लेते थे पुलिस वाले और परेशान भी करते थे | सिर्फ एक ही बात होती थी जेल चलो या 2000 दे दो -रूपये लेने के बाद ही जेल से बचते थे पिताजी | इसके बाद सभी वृक्षों में से अपना हिस्सा लेने लगी | अपने हिस्से के वृक्षों को बेचकर खाने लगी --पिताजी समाज के सामने मूक दर्शक बने रहते थे | 2001 में भवन का निर्माण मुझसे बिना पूछे शुरू हुआ --मामा -जीजा की सलाह पर ---पुलिस वाले पैसे लेते रहे तब निर्माण होता रहा ,कभी दीवाल नहीं बनने दी तो कभी छत नहीं होने दी --एक मुश्त दस हजार जाते रहे तब जाकर यह मकान बना | इसलिए मकान का एक भाग अच्छा बना एक भाग युद्ध की वजह से अधूरा रहा ---जो अच्छा भाग था वो अनुज को मिला ,जो अधूरा था वो भाग मुझको मिला | --यह कहानी आगे बताने की कोशिश करूँगा | 2006 मेरे एक यजमान थे धौलपुर शहर राजस्थान के जयपुर में बहुत ऊँचे पुलिस पद पर थे | इनकी पतनी बहुत ही धार्मिक थी मुझको श्रद्धा भाव से सम्मान करती थी --चैत्र नवरात्रि में इनके यहाँ सपरिवार 11 दिन रहे --मेरी सदियों से एक मोटरसाइकिल की तमन्ना थी --इन्हौनें पुछा दक्षिणा में क्या चाहिए महराज --हमने कहा मोटरसाइकिल --डिस्कवर मोटर साइकिल मिली --यह आज भी मेरे पास बिहार में है | --जब भी मोटरसाइकिल पर चढ़ता हूँ मानो --लगता है --यही कार है --यही वाहन मेरे लिए सबकुछ है | आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

मेरी चाची इतनी ताकतवर कैसे हुई - प्रकाश डालना चाहता हूँ --पढ़ें भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ



---मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ-----

मेरी चाची इतनी ताकतवर कैसे हुई --इस पर प्रकाश डालना चाहता हूँ |
मेरा समाज चाहे शिक्षा हो ,संस्कार हो ,रोजगार हो या फिर उन्नतिशील --ऐसा कुछ भी नहीं था ऐसा आज भी नहीं है | सिर्फ है तो नाम बड़े और दर्शन छोटे --झंझारपुर शहर था आज भी है | --अस्तु --मेरे समाज में गिने चुने चार लोग धनाढ्य थे | इसमें एक मेरे दादा भी थे ,उनके सात पुत्र हुए ,मेरे पिता पांचवें और चाची छठे नंबर | मेरे दादा बैद्य थे प्रख्यात थे और समाज में उनका अस्तित्व था --जब मैं 8 वर्ष का था तभी दादाजी चल बसे | सातो पुत्र अनपढ़ और रोजगार विहीन हो गए | कुछ जमीन चाचा ने छीन ली --सभी सातों पुत्रों को जमीन जायदाद दादा ने अपने सामने बाँट दी | मेरे पिता को एक बंजर भूभाग मिला था --वहां रहने को कहा था- जिस पर आज भी हमलोग हैं | मेरे पिता मल्ल युद्ध में दक्ष और प्रवीण थे --दादाजी के अंगरक्षक सदा रहे थे | उस बंजर भूमि को शारीरिक श्रम से सुन्दर बनाया मेरे पिता ने | हमारे चाचा अनपढ़ तो थे ही लाडले भी थे इसलिए दादा के साथ रहते थे |--दादा के देहावसान के बाद जो जमीन थी उसे बेचकर गुजारा किये | गरीबी और अनपढ़ता की वजह से भिक्षाटन से गुजारा करने लगे | चाची का सत्संग एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो राज्य सभा सांसद का चाकर था | एक रात रंगे हाथ समाज के लोगों ने देख लिया -उसी समय घर में आग लगा दी | घर तो जल गया चाची बच गयी | इसके बाद जो काम छुपके होता था --वो सबके सामने होने लगा | उस व्यक्ति ने चाची का संपर्क एक वकील से कराया -अब पुलिस का भी रोल शुरू हो गया | अब समज में एक ही काम था जो बोले उसे जेल में डाल दो | मैं बहुत छोटा था एवं गांव से 1981 में ही चला गया था | चाचा रोज भिक्षाटन से अच्छा कमा लेते थे | सारा धन चाची उड़ाने लगी और -कभी थाना तो कभी वकील साहब के साथ तो कभी लोगों के साथ रमन करती रही --सारा समाज मूक दर्शक बनकर देखता रहा | एक सरकारी साहब थे सबसे पहले इनसे युद्ध शुरू हुआ --बहुत ही धनाढ्य ,संगठित परिवार था पर नाको चने चबा दिए --चाची ने -हार मान ली अमीन साहब ने बदले में जमीन भी देनी पड़ी | इसके बाद नंबर चार ताऊ के नाको चने चबा दिए --कारण दोनों का घर आमने सामने था --चाची से जो मिलने वाले आते थे --वो ताऊ देख लेते थे --अतः ताऊ भी बर्बाद हो गए अंत में घर छोड़कर बहुत दूर चले गए | इसके बाद उस परिवार में मेरे पिता धनिक थे --पहले तो कभी राशन तो कभी कपडे तो कभी व्याज पर पैसे लिए चाची ने देना तो दूर --वकील जो मुस्लिम था ,सहायक जो कियोट {धानक }था ,--पुलिस का पता नहीं सभीने उकसाया -और पिता से लड़ाई शुरू हुई | मेरी माँ ठीक होती तो शायद 24 मुकदमें नहीं होते पर अन्दर ही अन्दर देनी -लेनी चलती रही | हम भी कमाते थे ,माता पिता की आय बढियाँ थी ,अनुज की कमाई भी अच्छी थी ,दीदी के पैसे भी बहुत चाची ने खा लिए | जब मुझे यह ज्ञात हुआ तो हमने समझौता करना उचित समझा --50000 देकर | पर मुझे तो अपनों ने ही मारा --इसलिए चाहकर भी अपनी हिफाजत नहीं कर सका और अलग रहने में ही भलाई समझा | किन्तु --दुनिया को समझना इतना सरल नहीं होता है | मेरे परिजन मेरे ही पीछे पड़ गए | -जिनका उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"


  भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"



----यम द्वितीया ---------------------------
-------कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करना चाहिए। जानिए यमराज के पूजन का महत्वपूर्ण मंत्र -----------
------यम पूजा के लिए : ------------------
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।

पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
----------यमराज को अर्घ्य के लिए -----------
एह्योहि मार्तंडज पाशहस्त यमांतकालोकधरामेश।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
-----------भाई दूज --------------------------------------:
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज पर्व मनाया जाता है ।
भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर उसकी आरती उतारकर एवं तिलक लगाकर उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए।
-----भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को द्रव्य, वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
-----इस दिन भाई का अपने घर भोजन न करके बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।
-------भाई दूज पर्व की पौराणिक कथा --------
सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।
----तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए।
----ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
---चित्रगुप्त पूजा ----------------
भैयादूज के दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। यमराज के आलेखक चित्रगुप्त की पूजा करते समय यह कहा जाता है- लेखनी पट्टिकाहस्तं चित्रगुप्त नमाम्यहम् ।
वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त का पूजन लेखनी के रूप में किया जाता है।
---चित्रगुप्त की प्रार्थना के लिए --
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।----------- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...