ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 6 अक्टूबर 2023

मेरा" कल आज और कल -पढ़ें -भाग -30-ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?-"भाग -{30}-ज्योतिषी झा मेरठ

2012 -में यद्पि तमाम प्रसन्नता मिल रही थी किन्तु भाग्य उत्तम नहीं हो तो ऐसा भी होता है | मेरी चाची से जमीन का विवाद 1994 में शुरू हुआ था | विवाद का कारण था -दादा जी के आजीवन सेवक रहे पिताजी साथ ही अनपढ़ भी थे अतः देहावसान से पहले जमीन का बटबारा कर दिए थे | मेरे पिताजी को जो हिस्सा मिला था 1974 में वो भूमि बंजर थी जिसे पिताजी ने शारीरिक परिश्रम से सुन्दर बनाया साथ ही कुछ हिस्सा कुछ भाईयों से लिया बदले में धन दिया | यह कागजात सभी भाईयों के हस्ताक्षर और गवाही के साथ आज भी मौजूद है | हमारी गरीबी हटती गयी साथ ही जमीन की किम्मत बढ़ती गयी पर कुछ चाचा की गरीबी यथाबत थी ,अतः सभी चाचाओं ने मिलकर चाची का साथ दिया ,इसमें पुलिस ,वकील सभी चाची के साथ थे कुछलोग काम पिपासा के कारण तो कुछ लोग लोभ के कारण ---समाज की नजर में हम धनाठ्य थे क्योंकि यह भूखण्ड 1000 गज का था | 24 मुकदमे थे किन्तु यह मुकदमें जमीन विवाद के नहीं थे ,मारने -पीटने ,आग लगाने ,दबाने के थे क्योंकि कागजात हमारे पास थे पर पिता ने हार नहीं मानी अतः 20 वर्ष तक विवाद चला पर पिता डगमगाये नहीं वो सत्य के साथ थे इस विवाद में बहुत धन खर्च हुआ मेरा ,इसी बीच पिता ने मकान बनाया उत्तम दर्जे का बड़ा सा मेरे दोनों भाईयों के लिए | मेरी मातृ भूमि पर 1980 में एक सुन्दर उत्सव यज्ञोपवीत हुआ था ,तब मेरा राजयोग चल रहा था | इसके बाद 2012 यानि 32 वर्ष बाद मेरी पहली पुत्री का विवाह होना था मैं अपने पिता और समाज को एक ऐसा आनन्द देना चाहता था "न भूतो न भविष्यति "पर होनी को किसने रोकी है सो -जितना बड़ा कलेश समाज और चाची का नहीं था उससे बड़ा कलेश मेरे घर में शुरू हो गया भाई -भाई में ऐसा विवाद 1998 में शुरू हुआ जो आजतक समाप्त नहीं हुआ | मैं अलग रहना चाहता था पिता यह नहीं चाहते थे --अतः उस भूखण्ड में जो भाग सबसे गड़बड़ था वह मुझे मिला सबसे जो उत्तम था वो अनुज के हिस्से में | अब बेटी का विवाह उत्तम करना था , जितना धन था मेरे पास उसको पांच भागों में बांटा जो बेटी का हिस्सा बनता वो हमने खर्च किया | पर पिताजी बोले अलग तुम तब हो सकते हो जब विवाद समाप्त होगा | उस समय पिता- माता ,भाई ,अनुजवधू पर मुकदमें चची ने कर रखे थे --इस विवाद को मैं 2010 में ही समाप्त करना चाहता था धन देकर पर पिता नहीं माने थे | ध्यान दें --चाची ने मुकदमें में हम दोनों प्राणी पर कोई मुकदमें नहीं किये कभी | अतः मेरी पतनी ने चाची के पैर पकड़े हाथ जोड़े साथ में 35000 धन भी दिए ,विवादित जमीन भी दे दी तब मुकदमें समाप्त हुए | --यहाँ एकबात और बताना चाहता हूँ --जब मैं अपनी जमीन के कागजात लेकर वकील के पास गया तो वकील बोले अगर अपने एक भी व्यक्ति को पैसे दिए और लिखबाया तो सभी भाईयों का स्वतः ही हिस्सा हो जायेगा क्योंकि यह लिखित में आपकी जमीन है | अतः हमने पैसे तो समाज को दिखाकर दिए पर कुछ लिखबाया नहीं | फिर बड़े ही धूम धाम से पुत्री का विवाह हुआ --आगे की चर्चा आगे करेंगें ----ॐ |---आपका -खगोलशास्त्री झा मेरठ --ज्योतिष से सम्बंधित सभी लेख इस पेज https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut में उपलब्ध हैं |

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