कालसर्पयोग भ्रम या सच -पढ़ें ?--ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों --विख्यात या बहुचर्चित "कालसर्प योग "का प्रादुर्भाव कब और कहाँ से हुआ ?ज्योतिष के फलित +गणित शात्रों में शुरुआत कब और कहाँ से हुई ?इस कालसर्पयोग को सबसे पहले बताने वाले आचार्य कौन थे ?कालसर्पयोग का प्रभाव होता भी है या भ्रमित करने के लिए ज्योतिषी बताते हैं ?जन्मकुण्डली का आकलन करते समय इस कालसर्पयोग पर विचार करना चाहिए या नहीं ?इन तमाम प्रश्नों की सही जानकारी आज के समय में परम आवश्यक है । ------हम अपने ज्योतिष प्रेमी मित्रों को क्रम से यथार्थ सभी बातों को लेखों के माध्यम से बताने की कोशिश करेंगें । ताकि आप भर्मित न हों ,अपनी -अपनी कसौटी पर परखकर खुद देखें -----!-----प्रायः जो कालसर्पयोग बनता है जन्मकुण्डली में -जब राहु +केतु के बीच सभी सातों ग्रह कैद हो जाते हैं -तो उसे ही कालसर्प योग ज्योतिष शास्त्रों के प्रवक्ता मानते हैं । राहु को सर्प का मुख एवं केतु को सर्प की पूँछ ज्योतिष के अनुयायी मानते हैं । कालसर्प योग का अर्थ होता है --काल अर्थात मृत्यु ,-इस कालसर्प योग को मृत्यु योग भी मानते हैं । यदि जन्मकुण्डली में राहु +केतु को छोड़कर अन्य ग्रह मजबूत न हों तो शिशु की मृत्यु भी संभव है । यदि जीवित रहता है तो मृत्यु तुल्य कष्ट भोगता है । फलित ज्योतिष शास्त्र कालसर्प योग को अशुभफल दायक मानता है । कालसर्पयोग प्रायः 322 प्रकार के हैं । जातक की जन्मकुण्डली बताती है कि कालसर्प योग इस कुण्डली में किस प्रकार का है और निदान क्या होना चाहिए । जिस प्रकार सर्पों की कई प्रजातियां होतीं हैं -कुछ विष युक्त सर्प होते हैं तो कुछ विष रहित -तो निश्चित ही समझना चाहिए कुछ कालसर्पयोग अशुभ तो कुछ सामान्य और कुछ पीड़ा देना वाला भी होगा । ----नोट कल हम कालसर्पयोग का सर्प से सम्बन्ध पर चर्चा करेंगें ---आप हमारे तमाम आलेखों को पढ़ने के बाद अपनी -अपनी राय दें ।-- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - खगोलशास्त्री झा " मेरठ ,झंझारपुरऔर मुम्बई "

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