विवाह में विलम्ब क्यों होता है -पढ़ें --ज्योतिषी झा मेरठ
----बालक के विवाह का कारक ग्रह "शुक्र "और कारक सप्तम भाव होता है 1यदि
बालक की कुण्डली में "शुक्र "कमजोर ,नीच ,पापी ग्रहके प्रभाव में होगा तो
निश्चित विवाह में बिलम्ब के साथ -साथ बाधा भी उत्पन्न होगी !---------यदि
"शुक्र "बालक की कुण्डली में बलवान ,मित्र या उच्च राशिमें है
,किन्तु सप्तम अथवा सप्तमेश पर पापी ग्रहों का प्रभाव है ,अथवा सप्तमेश नीच
का है तो भी विवाह होने में देर होगी -अथवा विवाह में बाधा होगी !
-------इसी प्रकार बालिका की कुण्डली में "गुरु "पतिकारक ग्रह तथा सप्तमभाव
व सप्तमेश विवाह कारकहोता है !---बालिका की कुण्डली में "गुरु "शत्रुराशि
,नीच ,अस्त या पापी ग्रह के प्रभाव में होगा तो बालिका के विवाह में दिक्कत
का सामना करना पड़ेगा !-----बालिका की कुण्डली में "गुरु "के साथ सप्तमभाव
एवं सप्तमेश को मित्र राशि,उच्चराशि के साथ -साथ शुभ प्रभाव में होना जरुरी
है !----
-----यदि "शुक्र एवं "गुरु "शुभ या मित्र राशि में हो या अपनी उच्च राशि
में हो लेकिन सप्तम भाव अथवा सप्तमेश पापी प्रभाव में हो या नीच राशि के
साथ -साथ अस्त हो तो विवाह तो होगा ,किन्तु विरोधाभास {परस्पर विरोध }या
अस्वस्थता तो रहेगी ही वैवाहिक जीवन के सुख में अशांति रहेगी !-------नोट
---दाम्पत्य सुख में सप्तम भाव और सप्तमेश साथ ही सप्तमेश और
द्वादश भाव का स्वामी ग्रह कमजोर ,नीच ,पापी ग्रह के प्रभाव में हो तो
विवाह सुख में बाधा आती है !----ज्योतिष
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