ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023

ग्रहों के प्रभाव से ही सुख दुःख मिलते हैं -पढ़ें भाग -78 ज्योतिषी झा मेरठ

वास्तव में व्यक्ति कुछ न कुछ सीखता ही रहता है -ज्ञान और अनुभव की कोई सीमा नहीं होती है | -हमने अनुभव किया है -जितनी उम्र बढ़ती गयी उतना ही सटीक अनुभव होता गया | जब जीवनी लिखने की कोशिश की थी तो हमें  भी अहसास नहीं था --क्या लिखना है --पर हर व्यक्ति के जीवन में गुरुजनों  की छत्रछाया हो तो वो कठिन से कठिन मार्ग को भी सरल बनाया  जा  सकता है | ---व्यक्ति जब जन्म लेता है तो कुण्डली बनायीं जाती है -अनन्त गुण और अवगुण विद्यमान रहते हैं --फिर भी व्यक्ति अवगुणों को न देखते हुए हर्षोल्लाष में खो जाता है | उन अवगुणों को ठीक करने के लिए  माता पिता ,गुरुजन पग -पग पर बालक को सही मार्गदर्शन देते -रहते है | परिणाम स्वरूप  वह  बालक  सभी कष्टों का सामना  मार्गदर्शन से करते हुए  आगे बढ़ता रहता है | मेरे जीवन में एक सबसे बड़ी कमी रही न तो अभिभावक शिक्षित थे न ही किसी एक गुरु या स्थान का  वरद हस्त था -मेरे ऊपर | ---इसका  परिणाम यह हुआ -किसी भी कार्य  का सम्पादन सही समय से नहीं हुआ | न ही किसी योग्य बन सका ,मस्तिष्क ने जो कहा ,जो हमने देखा ,पढ़ा -उसे ही अमल करता गया --काश ! मेरे जीवन की डोर किसी सही गुरुदेव ,या मित्र या सगे  सम्बन्धियों से जुडी होती तो हर कार्य  मेरे भी समयानुसार होते | जब मेरी जिह्वा पर वेद -वेदान्त थे ,जब दसों राग कंठाग्र थे ,जब ऊर्जा से मेरा शरीर भरा हुआ आज भी है , आज जिस ज्योतिष+कर्मकाण्ड के उपदेश  लोगों को देता हूँ --वो बातें मुझमें समय से क्यों नहीं उत्तरी --इसका एक ही कारण है --आज जब हम लोगों को उपदेश देते हैं तो हमारा धेय केवल जन हित होता है --इसलिए लोगों को लाभ मिलता है | अब अपनी कुण्डली से दिखाना चाहता हूँ --शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --जिसका परिणाम यह हुआ -जो दीखता है वो होता नहीं है ,जो होता है- वो दीखता नहीं है | आप मुझे विद्वान समझते हैं तो मुझसे बड़ा मूर्ख कोई नहीं है ,आप मुझे मूर्ख  समझते हैं -तो दूर होने पर आपको ज्ञानी सा ही अहसास होगा --ये सच है | आप मुझे धनिक समझते हैं -तो मुझसे बड़ा गरीब कोई नहीं होगा ,आप मुझे गरीब समझते हैं तो मुझसे बड़ा धनिक कोई नहीं होगा | आप मुझे भाग्यवान समझते हैं तो मुझसे बड़ा भाग्यहीन कोई नहीं होगा, किन्तु आप मुझे भाग्यहीन समझते हैं तो मुझसे बड़ा भाग्यवान कोई नहीं होगा | --क्या आप जानते हैं -जो हम लिखते हैं या बोलते हैं --उसे अगर आप दुबारा मुझसे पूछेंगें तो वही जवाब नहीं मिलेगा  | जब मुझे --ज्योतिष के माध्यम से यह अहसास हुआ --तो हमने अपनी डोर भगवान शिव को समर्पित कर दिया --परिणाम यह हुआ --मेरा अहंकार ,घमण्ड ,क्रूरता समाप्त होने लगा --मेरा जीवन सुखद हो गया ,तनिक में प्रसन्नता होने लगी  और मुझे  अपने मन्त्रों ,शास्त्रों में ही गुरु दिखने लगे |  आप जो भी मेरे पाठक या श्रोता हैं  उनसे यही कहना चाहता हूँ -- ग्रह  भले ही खराब हो ,भाग्य भले ही निर्बल हो --पर गुरु और कर्म ये दोनों व्यक्ति के हाथों में सटीक होने चाहिए ---जीत अवश्य होगी | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut




"राजस्थान "में "वसुंधरा राजे सिंधियाजी " ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


"राजस्थान "में "वसुंधरा राजे सिंधियाजी " ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा  था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ 




------"राजस्थान "प्रान्त- की नाम राशि तुला है । साथ ही इस वर्ष तुला में शनि +राहु का वर्चस्व बना रहेगा । "राहु "अपने स्वभाव के अनुसार राजनीति में उठा -पटक के चलते भारी रद्दोबदल करायेगा । 

    -------अस्तु ----सत्तारूढ़ दल को विघटनकारी असामाजिकतत्वों से निरंतर सतर्क रहना होगा । येन -केन प्रकारेण सरकार तो चलती रहेगी । किन्तु "राजस्थान" में --श्रीमति विजयाराजे सिंधियाजी का पुनः एकबार वर्चस्व बढेगा । 

   ------इस वर्ष "राजस्थान में वर्षा समय पर होगी । खेती में पर्याप्त उन्नति से कृषकों में उत्साह बढेगा । 

              { आगे-- "श्री हरि"- की कृपा क्योंकि सर्वग्य तो प्रभु ही हैं } ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मुख्यमंत्री "शीला दीक्षित जी" ज्योतिष विशेष--2013 में यह लिखा था पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ




माननीया मुख्यमंत्री -शीला दीक्षित जी का जन्म 31 -मार्च -1938 समय -1. 20 दोपहर स्थान कपूरथला भारत में हुआ तदनुसार उत्तरा भाद्रपद के तृतीय चरण  कर्क लग्न एवं मीन राशि है आपकी । 1 /03 /2013 से राहु कि महादशा में राहु का अंतर 12 /11 /2015 तक चलेगा ---जो कुंडली में कालसर्पयोग बना हुआ है । संसार का नियम है सदा कुछ नहीं रहता है जिसका उदय होता है उसका ही अस्त भी होता है वो चाहे हम हो या आप । यदयपि भारत की भी कुंडली में कालसर्प योग है शायद इसलिए तमाम संसाधनों से यक्त होकर भी अपना देश अशांत रहता है बहुत से राजनेता हुए हैं जिनकी कुंडली में कालसर्पयोग था और है किन्तु सत्ता से जुड़े और इस योग के आगमन पर पद से हट गए ---किन्तु आपकी कुंडली शायद पहली महिला की  है ---जो कालसर्प योग युक्त होने के बाद भी अपने पद की गरिमा से नाम और यश कमाया है आपकी कुंडली में 1 /03 /1996 से 1 /03 2006 तक चंद्रमा की दशा रही जो लग्नेश सूर्य के साथ भाग्य में था और दशा का पूर्ण लाभ मिला । पुनः -1 /03 2006 से 1 /03 2013 तक मंगल की  दशा आई इतना ही नहीं मंगल कर्म बुद्धि +संतान +कर्म का स्वामी के साथ दसवें भाव में अपनी शक्ति प्रदान की जिसका आपने पूर्ण लाभ लिया ------पूरे -15 साल सितारे आपके साथ रहे अब कालसर्पयोग आपको कुछ कुछ पीड़ा पंहुचा सकता है ----आपने सत्य से जिया है और अब असत्य की राह आपके सामने हो सकती है ----राहु का आगमन 1 /03 /2013 से भले ही हुआ है किन्तु समस्या 6 महीना पूर्व ही शुरू हो चुकी थी । आपकी कुंडली से हमने ये सीखा कि सत्य के बल पर जो रहते हैं जीत उनकी ही होती है आपका भले ही परिवर्तन हो किन्तु आप अपनी क्षमता से आगे बढ़ेगी । ----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


बुधवार, 6 दिसंबर 2023

"मास ,महीना या माह किसको कहते हैं - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ


  "मास ,महीना या माह किसको कहते हैं ?"-झा शास्त्री {मेरठ }

मित्र बंधू ,राम राम ,नमस्कार  || 


        ज्योतिषाचार्यों के विचार से -"मास" शब्द फारसी भाषा का "माह" शब्द से बना है | फारसी भाषा में साकार हकार बदल जाता है | जैसे -मास का माह रह गया ,जिसका अर्थ चंद्रमा होता है | हिंदी भाषा का महीना शब्द भी इसी फारसी माह शब्द से माहीना ,तथा महीना बना है | संभव है ,आंग्लभाषा का मूल शब्द जिसका अर्थ चंद्रमा होता है ,वो भी मून शब्द से बिगड़ कर मून्थ अथवा मंथ शब्द बना हो ,जिसका अर्थ भी महीना है ||

             ज्योतिष जानकारी या परामर्ष के लिए -भवदीय निवेदक -



खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ  ://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


रविवार, 3 दिसंबर 2023

किस रोग से पीड़ित हो सकते हैं हम -जानने हेतु -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "


 किस रोग से पीड़ित हो सकते हैं हम -जानने हेतु -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "

भचक्र में स्थित 12 राशियों के समस्त राशि -मंडल को एक विराट काल पुरुष मानते हुए -मेष राशि को सिर ,वृष को मुख ,मिथुन को बाहुएवं गला ,कर्क को -ह्रदय,सिंह को -पेट ,कन्या को -कटि भाग ,तुला को -वस्ति ,वृश्चिक को गुदा ,धनु को -कूल्हे एवं जांघ ,मकर को घुटने ,कुम्भ को पिंडलियां मीन राशि को -पैर माना है ज्योतिषी आचार्यों ने । अस्तु ---शरीर के भीतरी अवयवों पर भी क्रमशः राशियों का अधिकार इस प्रकार है ----1 -मेष -मस्तिष्क =दिमाग ,2 -वृष -कंठ की नली {टांसिल },3 -मिथुन -फेफड़ें {श्वास लेना }4 -कर्क -पाचन शक्ति ,,5 सिंह -ह्रदय {दिल }6 -कन्या -अंतड़ियां {पेट के भाग का निचला भाग }7 -तुला {गुर्दें }8 -वृश्चिक -मूत्रेन्द्रिय {जननेन्द्रिय }9 धनु -स्नायु मंडल एवं नसें जिनसे रक्त प्रवाहित होता रहता है ,10 मकर -हड्डियां तथा अंगों के जोड़ ,11 -कुम्भ -रक्त एवं रक्त प्रवाह ,12 -मीन -शरीर में सर्वत्र कफोत्पादन । ------यहाँ ध्यान देने की यह बात है कि हमारी जन्मकुण्डली यानि जन्म के समय जिस राशि में शुभ ग्रह होते हैं ,शरीर का वो भाग मजबूत होता है जातक का एवं जिस जन्मकुंडली जिस राशि में पाप ग्रह होते हैं तो शरीर का उससे सम्बंधित भाग कृश ,रोगयुक्त एवं पीड़ित होता है एवं जातक किस रोग से कब पीड़ित होगा या हुआ है यह महादशा एवं अन्तर्दशा के ऊपर ही आधारित होता है । -----कृपया ध्यान दें ---अपनी जन्मकुण्डली की कोई बात जाननी है या कुण्डली की तीन बात जानने की जिज्ञासा है तो हम फ्री में एकबार बतायेंगें ---जानने के लिए इस लिंक --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


- पर पधारें , पेज को पसंद करें ,उसके बाद राम राम केवल इनबॉक्स में लिखें ,मेरा जबाब मिलेगा और अपने -अपने फ़ोन से हमसे फ्री सेवा एकबार प्राप्त करें,यह सेवा प्रत्येक रात्रि उपलब्ध रहती है । ---आपका -एस्ट्रो हिन्दी सर्विस ज्योतिषी झा "मेरठ "

रविवार, 26 नवंबर 2023

चन्द्रमा ग्रह मस्तिष्क का द्योतक है -कैसे -पढ़ें -ज्योतिषी झा "मेरठ "


चन्द्रमा ग्रह मस्तिष्क का द्योतक है -कैसे -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "
--यदि हम जानना चाहें कि व्यक्ति का मस्तिष्क किस प्रकार का है -तो हमें उसकी जन्मपत्री में चन्द्र की स्थिति का अवलोकन करना होता है । कर्क राशि के व्यक्ति या उत्तम चन्द्रमा के प्रभाव में रहने वाले व्यक्ति -शांत ,संग्रहीत ,न्याय एवं क्षमाशील अवश्य होते हैं । इन्हें शीघ्र अपनी ओर कोई भी कर सकता है -क्योंकि ये लोग ह्रदय से दयालु होते हैं -क्षमा करना और भूल जाना ही इनका सिद्धांत होता है -ऐसे व्यक्ति की मानस रचना में दया विशेष गुण होता है । ईंट का जबाब पत्थर से देना या पुरानी दुश्मनी को याद रखना इनका स्वभाव नहीं होता है । ---अस्तु ---ऐसे व्यक्ति कभी भी कठोर या क्रूर नहीं होते परन्तु न्याय और ओचित्य के क्षेत्र में घोर संकल्पित प्रदर्शित करते हैं , और प्रायः शांत,निर्बाध व सुविधाजनक जीवन व्यतीत करते हैं । ऐसे व्यक्तियों का जीवन तूफानों और आघातों से अछूता रहता है । वो धीरे -धीरे प्रगति करते हैं ,समृद्ध होते हैं ,साथ ही धर्मार्थ कामों में योगदान करना पसंद करते हैं । स्वभाव से मिलनसार और अश्लील या अशिष्टता से दूर भी रहते हैं । ---ज्योतिष विज्ञानं के दक्ष आचार्यों के विचार से समस्त कलाओं से युक्त ,पश्चिम दिशा का स्वामी ,स्त्री जाति ,श्वेत वर्ण एवं जल युक्त ग्रह है । यह रक्त का स्वामी ,माता -पिता ,चित्तवृत्ति ,शारीरिक पुष्टि ,राजनुग्रह ,संपत्ति और चतुर्थ स्थान का कारक है । चतुर्थ स्थान में चन्द्रमा बली और मकर से 6 राशि में चेष्टाबली होता है । शारीरिक रंग ,पांडुरोग ,जलन ,व्यर्थ भ्रमण ,उदर,कफज रोग ,पीनस ,मूत्रकच्छ ,स्त्रीजन्य रोग ,मानसिक रोग एवं मस्तिष्क का विचार किया जाता है या ऐसे व्यक्ति इन पीड़ाओं से पीड़ित अवश्य ही होते हैं । ---चन्द्र --मन की भावनाओं तरह अत्यंत गतिशील ग्रह है । यह व्यक्ति के गले से ह्रदय तक एवं अंडकोष तथा गर्भ आदि पर पूर्ण प्रभाव डालता है - साथ ही पिंगल और नाड़ी का प्रतीक भी माना जाता है । आचार्यों ने चन्द्रमा को स्वप्न की सुंदरी एवं शिशुओं की माता कहा है । यही नाविकों एवं पर्यटनशील व्यक्तियों का प्राणधार एवं घुमक्कड़ पुरुषों का सुषमागार है । मन की गति ,हाव -भाव एवं मानसिक घात -प्रतिघात एवं विभोरता का परिचायक भी है । --वास्तव में चन्द्रमा से प्रभावित व्यक्तियों का प्रतिनिधि करता है -जो भावुक हैं ,तरंगी हैं ,मनचले हैं,भावावेश में आकर बिना मूल्य बिक जाते हैं -इसके अलावा यह भी कह सकते हैं कि चन्द्र ग्रह व्यक्तियों को छवि नाथों का लोकप्रिय देवता भी बना देता है । ज्योतिषी सम्बंधित सभी बातों का उल्लेख इस पेज में मिलेगा इस पेज पर पधारकर पखकर देखें - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut आपका

ज्योतिषी झा "मेरठ "

शनिवार, 25 नवंबर 2023

मुझे सगे - सम्बन्धियों से लाभ क्यों नहीं मिला -पढ़ें भाग -77 ज्योतिषी झा मेरठ


दोस्तों --अभी तक जो बातें लिखी है या कहीं है हमने वो एक जीवनी का प्रारूप था | अब जो हमने जीवन में सुख -दुःखों का जो अनुभव किया है उसे व्यक्त करना चाहता हूँ साथ ही मेरा मकसद -जीवनी रूपी किताब से मेरे पाठक गण  अनुभव करें और अपने -अपने जीवन के हर कदम पर ज्योतिष रूपी जो ज्ञान है --उससे हर निराशा को आशा में बदलें  | मेरी कुण्डली में शनि नीच का मेष राशि में भाग्य के क्षेत्र में विराजमान है | बृहस्पति तुला राशि के तृतीय भाव में बैठे हैं --अब इन दोनों का तालमेल दिखाना चाहता हूँ ---गुरु की दशा -1998 से हुई तब मैं 28 वर्ष का था | अनायास निवास मिला रोजगार के संसाधनों से युक्त हुआ | दाम्पत्य सुख मिला ,संतान सुख मिला --तब ये तमाम ग्रन्थ ऐसे ही जिह्वा पर थे जैसे आज हैं पर आज अनुभव विशेष है तब अनुभव हीन था ---हर व्यक्ति के जीवन का अलग -अलग अनुभव होता है | हमारी जो ज्योतिष की दुनिया है उसमें पहले किताब पढ़ाई जाती है फिर दूसरों की कुण्डली से अनुभव मिलता रहता है फिर व्यक्ति जब अध्यात्म की दुनिया की ओर बढ़ता है तो उसे -किताबी ज्ञान या कुंडलियों से ज्ञान में कुछ कमी दिखती है तब व्यक्ति जीवनी से अनुभव करता है ,अपनी कमियों को देखता है --और ऐसा व्यक्ति आने   वाली अगली पीढ़ी को उस  पर  चलने के कुछ निर्देश देता है  --अगली पीढ़ी वो गलती न करें जो हमने की है --इसे ही गुरु -शिष्य का अन्योन्याश्रय सम्बन्ध कहते है |  पर जो अल्प  ज्ञानी होते हैं वो केवल किताबी ज्ञान या फिर वो ज्ञान जो  सुनी सुनाई होती है ---इससे न गुरु न शिष्य केवल समय की मांग की पूर्ति होती है | इसमें केवल तर्क और कुतर्क ,हार  या जीत , मैं बड़ा तू छोटा जैसे ही भाव रहता है | ज्ञानी पुरुष  समय पर निर्बल हो सकता है पर धैर्य और विस्वास  ही उसकी पूर्ण ताकत होती है --जिसके बल पर अनन्त कष्टों को झेलता रहता है | अज्ञानी पुरुष समय पर विजय प्राप्त कर लेता है पर -मन के अन्दर भय और शंका सदा बनी रहती | ---अस्तु --मेरी कुण्डली राजयोग था पर अलग प्रकार का -जैसे सभी परिजन होते हुए भी अकेला था | धन होते हुए भी सुखी  कभी नहीं रहा | दाम्पत्य सुख होते हुए भी सरस नहीं रहा | विद्वान होते हुए भी सबसे बड़ा मूर्ख हूँ ,भाग्यवान होते हुए भी भाग्यहीन रहा ,इन अनन्त बातों पर प्रकाश क्रम से डालने की कोशिश करूँगा | मैं अपने जीवन में अधूरा इसलिए रहा क्योंकि मेरे बताने वाले मार्गदर्शक नहीं रहे ,ज्योतिष के द्वारा गड्डे में गिरने से बचा जा सकता है --अगर ज्योतिषी का धेय आपका हित से भरा हो तो | पुत्र बढ़िया हो सकता है -माता पिता अच्छे हों तो ---मुझे  जीवन में जो कुछ मिला --देखने के अनुभव से --इसलिए हमने पूर्ण लाभ किसी चीज से उठा नहीं सके | आप सभी पाठकों  से एक ही  निवेदन है  इस जीवनी को पढ़ते हैं तो --तो आपके अन्दर और बाहर एक जैसा दिखना चाहिए | मैंने चोरी की तो लिखने का भी साहस रखता हूँ ,मेरा बाल्यकाल  गलत था तो हमने लिखा है --सामने वाला आपकी प्रसंशा करें ये बड़ी बात नहीं है आपका ह्रदय कहे ये ठीक है ये बड़ी बात है | ---आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut


बुधवार, 15 नवंबर 2023

मेरी चाची इतनी शक्तिशाली हो गयी -पढ़ें - भाग -76 ज्योतिषी झा मेरठ


 


मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -76 ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी चाची इतनी शक्तिशाली हो गयी -हमने सुना था श्री लालू प्रसाद यादव जी से भी मुलाकात की थी पटना जाकर तब मैं 14 वर्ष का था -जब कभी भी गांव आते थे आश्रम से और तमाम बातों को देखता था या सुनता था तो मेरा एक ही सपना होता था दरोगा बनने का --क्योंकि अपने समाज को मैं केवल दारोगा बनकर ही ठीक कर सकता था | पर मेरा वेश धोती कुर्ता और थैले का होता था जिसमें संस्कृत के कुछ ग्रन्थ होते थे --जो शायद दारोगा का पद पाना एक सपना जैसा ही था --फिर भी जितनी मेरी समझ होती थी तो सोचता था --अगर मैं दारोगा होता तो शायद अपने समाज को सही दिशा -निर्देश देता |-----अस्तु --1999 तक चाची पूर्ण रूपेण एक कद्दावर और प्रख्यात बन चुकी थी | सभी चाचा ,ताऊ एवं समाज को पस्त कर चुकी थी | मेरा घर दरिद्र योग से बाहर आ चूका था | मेरे पिता वृक्ष लगाने के बड़े ही शौकीन थे | तालाब के पास ,सड़क पर तो खेत में बहुत सारे पेड़ लगाए थे | सभी वृक्ष आम के सुन्दर फलदार थे --राही --बटोही को तो फायदा मिलता ही था --मेरे घर में भी खूब आम आते थे | चाची ने इन वृक्षों पर सबसे पहले अपना हक़ जताना शुरू किया --बोलती थी सरकारी जमीन पर ये तमाम वृक्ष हैं अतः हमारे भी हैं --क्योंकि वकील ,पुलिस और उस चाकर का पूर्ण रूपेण सहयोग था --पहला मुकदमा -वृक्ष काटने का हुआ --ये सभी सरकारी गवाह थे -क्योंकि सरकारी जमीन पर वृक्ष थे --उस समय जलावन से ही रोटी बनती थी | वृक्ष नहीं बल्कि डाल कटे थे पिता ने | दूसरा मुकदमा --चाची को अपशब्द कहे थे पिताने --जबकि ये बात सच नहीं थी --मेरे पिता क्रोधी अवश्य थे पर गाली नहीं देते हैं --बलवान व्यक्ति प्रहार तो कर सकता है गाली नहीं दे सकता है | तीसरा मुकदमा --आग लगाने की कोशिश की है --जबकि ये भी सच नहीं था --बिहार में एक प्रथा थी और अब भी है --जेठ से अनुज बधू का देह से स्पर्श हो जाय --तो गंगा स्नान करके वो व्यक्ति शुद्ध होता था --अतः मेरे पिता धार्मिक थे ऐसा उन्होनें नहीं किया था | सिर्फ चाची का वकील का पुलिस वाले का एक ही प्रयास होता था --परेशान करना --ऐसी स्थिति में पैसे भी लेते थे पुलिस वाले और परेशान भी करते थे | सिर्फ एक ही बात होती थी जेल चलो या 2000 दे दो -रूपये लेने के बाद ही जेल से बचते थे पिताजी | इसके बाद सभी वृक्षों में से अपना हिस्सा लेने लगी | अपने हिस्से के वृक्षों को बेचकर खाने लगी --पिताजी समाज के सामने मूक दर्शक बने रहते थे | 2001 में भवन का निर्माण मुझसे बिना पूछे शुरू हुआ --मामा -जीजा की सलाह पर ---पुलिस वाले पैसे लेते रहे तब निर्माण होता रहा ,कभी दीवाल नहीं बनने दी तो कभी छत नहीं होने दी --एक मुश्त दस हजार जाते रहे तब जाकर यह मकान बना | इसलिए मकान का एक भाग अच्छा बना एक भाग युद्ध की वजह से अधूरा रहा ---जो अच्छा भाग था वो अनुज को मिला ,जो अधूरा था वो भाग मुझको मिला | --यह कहानी आगे बताने की कोशिश करूँगा | 2006 मेरे एक यजमान थे धौलपुर शहर राजस्थान के जयपुर में बहुत ऊँचे पुलिस पद पर थे | इनकी पतनी बहुत ही धार्मिक थी मुझको श्रद्धा भाव से सम्मान करती थी --चैत्र नवरात्रि में इनके यहाँ सपरिवार 11 दिन रहे --मेरी सदियों से एक मोटरसाइकिल की तमन्ना थी --इन्हौनें पुछा दक्षिणा में क्या चाहिए महराज --हमने कहा मोटरसाइकिल --डिस्कवर मोटर साइकिल मिली --यह आज भी मेरे पास बिहार में है | --जब भी मोटरसाइकिल पर चढ़ता हूँ मानो --लगता है --यही कार है --यही वाहन मेरे लिए सबकुछ है | आगे का --उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

मेरी चाची इतनी ताकतवर कैसे हुई - प्रकाश डालना चाहता हूँ --पढ़ें भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ



---मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -75 ज्योतिषी झा मेरठ-----

मेरी चाची इतनी ताकतवर कैसे हुई --इस पर प्रकाश डालना चाहता हूँ |
मेरा समाज चाहे शिक्षा हो ,संस्कार हो ,रोजगार हो या फिर उन्नतिशील --ऐसा कुछ भी नहीं था ऐसा आज भी नहीं है | सिर्फ है तो नाम बड़े और दर्शन छोटे --झंझारपुर शहर था आज भी है | --अस्तु --मेरे समाज में गिने चुने चार लोग धनाढ्य थे | इसमें एक मेरे दादा भी थे ,उनके सात पुत्र हुए ,मेरे पिता पांचवें और चाची छठे नंबर | मेरे दादा बैद्य थे प्रख्यात थे और समाज में उनका अस्तित्व था --जब मैं 8 वर्ष का था तभी दादाजी चल बसे | सातो पुत्र अनपढ़ और रोजगार विहीन हो गए | कुछ जमीन चाचा ने छीन ली --सभी सातों पुत्रों को जमीन जायदाद दादा ने अपने सामने बाँट दी | मेरे पिता को एक बंजर भूभाग मिला था --वहां रहने को कहा था- जिस पर आज भी हमलोग हैं | मेरे पिता मल्ल युद्ध में दक्ष और प्रवीण थे --दादाजी के अंगरक्षक सदा रहे थे | उस बंजर भूमि को शारीरिक श्रम से सुन्दर बनाया मेरे पिता ने | हमारे चाचा अनपढ़ तो थे ही लाडले भी थे इसलिए दादा के साथ रहते थे |--दादा के देहावसान के बाद जो जमीन थी उसे बेचकर गुजारा किये | गरीबी और अनपढ़ता की वजह से भिक्षाटन से गुजारा करने लगे | चाची का सत्संग एक ऐसे व्यक्ति से हुआ जो राज्य सभा सांसद का चाकर था | एक रात रंगे हाथ समाज के लोगों ने देख लिया -उसी समय घर में आग लगा दी | घर तो जल गया चाची बच गयी | इसके बाद जो काम छुपके होता था --वो सबके सामने होने लगा | उस व्यक्ति ने चाची का संपर्क एक वकील से कराया -अब पुलिस का भी रोल शुरू हो गया | अब समज में एक ही काम था जो बोले उसे जेल में डाल दो | मैं बहुत छोटा था एवं गांव से 1981 में ही चला गया था | चाचा रोज भिक्षाटन से अच्छा कमा लेते थे | सारा धन चाची उड़ाने लगी और -कभी थाना तो कभी वकील साहब के साथ तो कभी लोगों के साथ रमन करती रही --सारा समाज मूक दर्शक बनकर देखता रहा | एक सरकारी साहब थे सबसे पहले इनसे युद्ध शुरू हुआ --बहुत ही धनाढ्य ,संगठित परिवार था पर नाको चने चबा दिए --चाची ने -हार मान ली अमीन साहब ने बदले में जमीन भी देनी पड़ी | इसके बाद नंबर चार ताऊ के नाको चने चबा दिए --कारण दोनों का घर आमने सामने था --चाची से जो मिलने वाले आते थे --वो ताऊ देख लेते थे --अतः ताऊ भी बर्बाद हो गए अंत में घर छोड़कर बहुत दूर चले गए | इसके बाद उस परिवार में मेरे पिता धनिक थे --पहले तो कभी राशन तो कभी कपडे तो कभी व्याज पर पैसे लिए चाची ने देना तो दूर --वकील जो मुस्लिम था ,सहायक जो कियोट {धानक }था ,--पुलिस का पता नहीं सभीने उकसाया -और पिता से लड़ाई शुरू हुई | मेरी माँ ठीक होती तो शायद 24 मुकदमें नहीं होते पर अन्दर ही अन्दर देनी -लेनी चलती रही | हम भी कमाते थे ,माता पिता की आय बढियाँ थी ,अनुज की कमाई भी अच्छी थी ,दीदी के पैसे भी बहुत चाची ने खा लिए | जब मुझे यह ज्ञात हुआ तो हमने समझौता करना उचित समझा --50000 देकर | पर मुझे तो अपनों ने ही मारा --इसलिए चाहकर भी अपनी हिफाजत नहीं कर सका और अलग रहने में ही भलाई समझा | किन्तु --दुनिया को समझना इतना सरल नहीं होता है | मेरे परिजन मेरे ही पीछे पड़ गए | -जिनका उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"


  भाई दूज "यम द्वितीया"पर्व की पौराणिक कथा --पढ़ें --ज्योतिषी झा "मेरठ"



----यम द्वितीया ---------------------------
-------कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाई दूज या यम द्वितीया का पर्व मनाया जाता है। इस दिन यमराज की पूजा करना चाहिए। जानिए यमराज के पूजन का महत्वपूर्ण मंत्र -----------
------यम पूजा के लिए : ------------------
धर्मराज नमस्तुभ्यं नमस्ते यमुनाग्रज।

पाहि मां किंकरैः सार्धं सूर्यपुत्र नमोऽस्तु ते।।
----------यमराज को अर्घ्य के लिए -----------
एह्योहि मार्तंडज पाशहस्त यमांतकालोकधरामेश।
भ्रातृद्वितीयाकृतदेवपूजां गृहाण चार्घ्यं भगवन्नमोऽस्तु ते॥
-----------भाई दूज --------------------------------------:
कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया को भाईदूज पर्व मनाया जाता है ।
भाईदूज के दिन बहनों को अपने भाइयों को आसन पर बैठाकर उसकी आरती उतारकर एवं तिलक लगाकर उसे विभिन्न प्रकार के व्यंजन अपने हाथ से बनाकर खिलाना चाहिए।
-----भाई को अपनी शक्ति अनुसार बहन को द्रव्य, वस्त्र, स्वर्ण आदि देकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
-----इस दिन भाई का अपने घर भोजन न करके बहन के घर भोजन करने से उसे धन, यश, आयुष्य, धर्म, अर्थ एवं सुख की प्राप्ति होती है।
-------भाई दूज पर्व की पौराणिक कथा --------
सूर्यदेव की पत्नी छाया की कोख से यमराज तथा यमुना का जन्म हुआ। यमुना अपने भाई यमराज से स्नेहवश निवेदन करती थी कि वे उसके घर आकर भोजन करें। लेकिन यमराज व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।
कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना अपने द्वार पर अचानक यमराज को खड़ा देखकर हर्ष-विभोर हो गई। प्रसन्नचित्त हो भाई का स्वागत-सत्कार किया तथा भोजन करवाया। इससे प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से वर मांगने को कहा।
----तब बहन ने भाई से कहा कि आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आया करेंगे तथा इस दिन जो बहन अपने भाई को टीका करके भोजन खिलाए उसे आपका भय न रहे। यमराज 'तथास्तु' कहकर यमपुरी चले गए।
----ऐसी मान्यता है कि जो भाई आज के दिन यमुना में स्नान करके पूरी श्रद्धा से बहनों के आतिथ्य को स्वीकार करते हैं, उन्हें तथा उनकी बहन को यम का भय नहीं रहता।
---चित्रगुप्त पूजा ----------------
भैयादूज के दिन चित्रगुप्त की पूजा के साथ-साथ लेखनी, दवात तथा पुस्तकों की भी पूजा की जाती है। यमराज के आलेखक चित्रगुप्त की पूजा करते समय यह कहा जाता है- लेखनी पट्टिकाहस्तं चित्रगुप्त नमाम्यहम् ।
वणिक वर्ग के लिए यह नवीन वर्ष का प्रारंभिक दिन कहलाता है। इस दिन नवीन बहियों पर 'श्री' लिखकर कार्य प्रारंभ किया जाता है। कार्तिक शुक्ल द्वितीया को चित्रगुप्त का पूजन लेखनी के रूप में किया जाता है।
---चित्रगुप्त की प्रार्थना के लिए --
मसिभाजनसंयुक्तं ध्यायेत्तं च महाबलम्।
लेखिनीपट्टिकाहस्तं चित्रगुप्तं नमाम्यहम्।।----------- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

सोमवार, 13 नवंबर 2023

जानिए गोवर्धन पूजा की सरल विधि--पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


 कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा यानी दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। इस बार गोवर्धन पूजा का पर्व 13+14/11/2023 को है। -----जानिए गोवर्धन पूजा की सरल विधि-

---------पूजन विधि----------
गोवर्धन पूजा का पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाया जाता है। इस दिन सुबह शरीर पर तेल की मालिश करके स्नान करना चाहिए। फिर घर के द्वार पर गोबर से प्रतीकात्मक गोवर्धन पर्वत बनाएं। इस पर्वत के बीच में पास में भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति रख दें। अब गोवर्धन पर्वत व भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के पकवानों व मिष्ठानों का भोग लगाएं। साथ ही देवराज इंद्र, वरुण, अग्नि और राजा बलि की भी पूजा करें। पूजा के बाद कथा सुनें। प्रसाद के रूप में दही व चीनी का मिश्रण सब में बांट दें। इसके बाद किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन करवाकर उसे दान-दक्षिणा देकर प्रसन्न करें।
------शुभ मुहूर्त----------
14/11/23-----सुबह 06:20 से 07:20 बजे तक
-14/11/23----सुबह 09:20 से 10:30 बजे तक
-14/11/23------दोपहर 01:30 से 2:00 बजे तक
--13/11/23----दोपहर 02:50 से 04:10 बजे तक
--13/11--/23



----शाम 04:10 से 05:30 बजे तक
-----------------------गोवर्धन पर्वत की पूजा------------
एक बार भगवान श्रीकृष्ण अपने सखाओं, गोप-ग्वालों के साथ गाएं चराते हुए गोवर्धन पर्वत की तराई में जा पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि नाच-गाकर खुशियां मनाई जा रही हैं। जब श्रीकृष्ण ने इसका कारण पूछा तो गोपियों ने कहा- आज मेघ व देवों के स्वामी इंद्र का पूजन होगा। पूजन से प्रसन्न होकर वे वर्षा करते हैं, जिससे अन्न पैदा होता है तथा ब्रजवासियों का भरण-पोषण होता है। तब श्रीकृष्ण बोले- इंद्र में क्या शक्ति है? उससे अधिक शक्तिशाली तो हमारा गोवर्धन पर्वत है। इसी के कारण वर्षा होती है। हमें इंद्र से भी बलवान गोवर्धन की ही पूजा करना चाहिए।
तब सभी श्रीकृष्ण की बात मानकर गोवर्धन पर्वत की पूजा करने लगे। यह बात जाकर नारद ने देवराज इंद्र को बता दी। यह सुनकर इंद्र को बहुत क्रोध आया। इंद्र ने मेघों को आज्ञा दी कि वे गोकुल में जाकर मूसलधार बारिश करें। बारिश से भयभीत होकर सभी गोप-ग्वाले श्रीकृष्ण की शरण में गए और रक्षा की प्रार्थना करने लगे। गोप-गोपियों की पुकार सुनकर श्रीकृष्ण बोले- तुम सब गोवर्धन-पर्वत की शरण में चलो। वह सब की रक्षा करेंगे। सब गोप-ग्वाले पशुधन सहित गोवर्धन की तराई में आ गए। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन को अपनी उंगली पर उठाकर छाते-सा तान दिया।
गोप-ग्वाले सात दिन तक उसी की छाया में रहकर अतिवृष्टि से बच गए। सुदर्शन चक्र के प्रभाव से ब्रजवासियों पर एक जल की एक बूंद भी नहीं पड़ी। यह चमत्कार देखकर ब्रह्माजी द्वारा श्रीकृष्णावतार की बात जान कर इंद्रदेव अपनी मूर्खता पर पश्चाताप करते हुए कृष्ण से क्षमा याचना करने लगे। श्रीकृष्ण ने सातवें दिन गोवर्धन को नीचे रखा और ब्रजवासियों से कहा कि- अब तुम प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा कर अन्नकूट का पर्व मनाया करो। तभी से यह पर्व गोवर्धन पूजा के रूप में प्रचलित है।-----दोस्तों आप भी अपनी -अपनी राशि के स्वभाव और प्रभाव को पढ़ना चाहते हैं या आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं कि नहीं परखना चाहते हैं तो इस पेज पर पधारकर पखकर देखें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

यह अच्युतश्याष्टक स्तुति है- सुनें---ज्योतिषी झा "मेरठ "



 यह अच्युतश्याष्टक स्तुति है- सुनें---ज्योतिषी झा "मेरठ "

- ॐ |--ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज मे https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा "मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

तमाम कठिनाईयों के बाद भी बहुत तीव्र गति से प्रगति की ओर बढ़ रहे थे--पढ़ें भाग -74 ज्योतिषी झा मेरठ



मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -74 ज्योतिषी झा मेरठ
2006 - तमाम कठिनाईयों के बाद भी बहुत तीव्र गति से प्रगति की ओर बढ़ रहे थे | मेरठ के एक प्रमुख यजमान थी -जिन्होनें उलाहना दी -आप इतने बड़े पण्डित हो तो आपको खुद पुत्र क्यों नहीं हो जाता है | ये ऐसी यजमान थी -जिनके यहाँ अनुष्ठान किया तो पुत्र का विवाह हुआ | दूसरे पुत्र का विवाह नहीं हो रहा था --तो हमने पुत्रेष्टि यज्ञ के लिए कहा था --इसका जबाब यह मिला था | हम तो नीरास हो चुके थे एवं उम्र भी 36 वर्ष हो चुकी थी | बड़ी पुत्री 16 वर्ष की थी ,छोटी पुत्री 10 वर्ष की --इन्हीं का भरण- पोषण ठीक से हो जाय यही कामना बची थी | घर पर परिजन बहुत ही तिरस्कृत करते थे --जबकि चाहे ननिहाल हो ,ससुराल हो या फिर मेरी मातृ भूमि के लोग -जब भी गांव जाते थे तो लोगों का ताता लगा रहता था --जन्मपत्री दिखाने के लिए | मेरे जिस घर में काफी सालों से -दरिदृयोग चल रहा था --1982 से 2001 तक --इस मध्य हमने एक शतचण्डी करि थी 1996 में --इसके बाद माँ लक्ष्मी की प्राप्ति हेतु माता पिता से बहुत यज्ञ कराये थे --जबकि मेरे हालात अच्छे नहीं थे --उन पैसों से मेरे बच्चों का भरण पोषण ठीक से हो सकता था किन्तु जो गुरु जनों से सीखा था --उन यज्ञ की विधियों को अपनी कसौटी पर परखना था | इससे मेरा अनुज बहुत नाराज रहता था --वो कहता था कमाता मैं हूँ लुटाता यह है --पर माता पिता और पतनी का दान या यज्ञ करने में पूर्ण सहायता मिलती थी | माँ लक्ष्मी की कृपा से मेरे घर में चाहे अनुज हो ,दीदी हो ,हम हों, मेरे माता पिता हों या फिर मामा सभी धनाढ्य हुए | मुझे लगता है --तमाम यज्ञ माता पिता के द्वारा ही हुए -धन हम लगाते थे ,आचार्य भी हम ही बनते थे --पर यज्ञ में चढ़ी दक्षिणा या दान सभी भूदेवों को अर्पण करते थे | तो मुझे अनुभव हुआ माता पिता सभी परिजनों का हित चाहते थे --सो इनका आशीर्वाद हम सभी को मिला | पर धन आना और विवेक रहना ये गुण केवल धार्मिक व्यक्ति में ही संभव है --अतः धन आने के बाद जब हम अलग हुए फिर कभी कोई यज्ञ माता पिता ने नहीं की | अतः मेरे परिवार में विघटन शुरू हुआ | मैं कदापि अपने घर परिवार को अलग होते नहीं देख सकता था या हूँ --पर ग्रहों के खेल निराले होते हैं | जो युद्ध हमें बाहरी लोगों से लड़ना चाहिए था --वो युद्ध हमारे घर में ही शुरू हुआ | एक तरफ मैं था --दूसरी ओर सम्पूर्ण परिजन थे | मेरे ज्योतिष के सभी अनन्य भक्त थे सभी को यथा योग्य निःशुल्क सहायता करता था | मेरा घर झंझारपुर शहर में है ,यहाँ मारवाड़ी समाज का बाजार ही है -साथ ही मेरे पिता की ख्याति बढ़ रही थी | --मेरी पहचान पिता की वजह से थी --पिता इसी में गदगद रहते थे ,चाय सरबत का भंडारा चलता रहता था | चारो ओर पिता की छत्रछाया में हम सभी मस्त रहते थे | पर मेरठ में अपना मकान होते ही -सभीने मुझपर ही आक्रमण कर दिए | अगर हम सर्वस्व पिता को देते रहते -तो तत्काल तो मस्त रहते -पर आगे चलकर यही होना था सो केवल अपना अलग रहना चाहते थे | मेरे अलग होने के कई कारण थे | मेरे बच्चे बड़े हो रहे थे, इनको गांव में अपना मकान होते हुए भी दीक्कत होती थी --किरायेदारों की वजह से संकीर्ण मार्ग था ,अनुज का परिवार नहीं रहता था ,माता पिता बिना मुझे पूछे धन के बल पर युद्ध लड़ना चाहते थे --जो हम नहीं चाहते थे | माता पिता धार्मिक बनें व्याज का करोबार न करें | एकबार व्याज के चक्कर में पिता का अपमान बाजार में किसी ने कर दिया -यह बात मुझ सहन नहीं हुई ,हमने उसके घर जाकर --उसकी हैकरी निकाल दी --वो तत्काल पूरा पैसा दे गया | यह धन अनुज का था --हमने पिता से यह काम करने को मना किया पर नहीं माने | जब भी हम गांव जाते --पैसे व्याज पर लेने के लिए भीड़ लगी रहती थी --कुछ लोगों को माँ मेरी ओर सरका देती इससे ले लो ये बात बहुत ही अखरती थी | और भी बहुत से कारण थे --जिनका उल्लेख आगे के भाग में करेंगें ----खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

यूँ तो बाल्यकाल और युवावस्था दरिद्रयोग में ही रहे --पढ़ें - भाग -73 ज्योतिषी झा मेरठ




मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -73 ज्योतिषी झा मेरठ
यूँ तो बाल्यकाल और युवावस्था दरिद्रयोग में ही रहे | जब हम गुरुकुल में पढ़ रहे थे 1984 चौदह वर्ष के थे तो दसों ठाठों का अभ्यास करा दिया था गुरूजी ने पर गुरूजी को नौकरी नहीं मिली तो यह शिक्षा तभी छूट गयी थी | 1999 जब हम 29 वर्ष के हुए राजयोग शुरू हुआ --किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ में निवास था तो पहली कमाई से एक हारमोनियम ख़रीदा --इसके पीछे एक रहस्य था -कर्मकाण्ड की दुनिया में बहुत मजबूत थे ,सभी यज्ञों का पूर्ण अनुभव था ,तमाम मन्त्र मेरी जिह्वा पर थे --ये सारा ज्ञान मुझे आश्रम की शिक्षा में ही प्राप्त हो चुके थे -1981 से 1986 के बीच ,पर बिना किसी की सहायता या प्रेरणा के बिना व्यक्ति आगे नहीं बढ़ सकता है | यह कला मुझे मेरठ और मुम्बई के अनुभव से प्राप्त हुयी अतः बहुत सारे मित्रों को कर्मकाण्ड में अपने साथ ले जाते रहे | जब किसी मन्दिर की प्राण प्रतिष्ठा कराते थे तो मेरा प्रयास रहता था --जरुरत मन्द जो शिष्य हैं उन्हें मन्दिर दिलाएं | साथ ही शिक्षित भी करें | मेरठ में एक मन्दिर बांस वाली गली एवं जुनेजा मार्किट कबाड़ी बाजार में प्राण प्रतिष्ठा कराने का अवसर प्राप्त हुआ --ये दोनों मन्दिर अपने शिष्यों को दिलवाये ,साथ ही एक शिष्य हीरानन्द ठाकुर से हमने कहा संगीत सिख लो --तो वहीँ कबाड़ी बाजार में जय हिन्द बैण्ड के संचालक श्री जगदीश धानक रहते थे | उनसे निवेदन किया इस बालक को संगीत सीखा दो --बालक सीखने लगा --एक दिन मैं देखने गया ये क्या और कैसे सीखता है | जब मैं गया और बालक को हारमोनियम बजाते देखा --तो हमने कहा ये सरगम ऐसे नहीं बजाते हैं --इस प्रकार से बजाओ --वो बालक फिर कभी सीखने नहीं गया हम खुद सीखने लगे | अब मेरी सोच थी संगीतमय कथा वाचक बनने की | संगीत की दुनिया में भी उस योग्य बन चूका था --1999 से 2009 तक संगीत भी सीखता रहा ,अपने बच्चों को सही शिक्षा दीक्षा देने का प्रयास करता रहा | दो बेटियां थीं हमने कभी नमक भी बाजार से लाने को नहीं कहा ,पतनी घर संभालती थी मैं संगीत कर्मकाण्ड के क्षेत्रों में मस्त था | मेरे साथ इतना होने के बाद भी बहुत समस्या थीं | गृहकलेश भयंकर था ,सभी परिजन शत्रु थे ,अपना कोई था नहीं ,जहाँ जाते बच्चों को अपने साथ ले जाते ले आते ,बच्चों को छोड़कर कहीं जाना असंभव था | साइकिल से हीरो पूक पर आ गए --एक यजमान मित्र थे उन्होनें यह हीरो पुच दी | अपना भवन मेरठ में हो चूका था | जब हम प्रेम विहार मेरठ -यहाँ के भवन -2003 में गए --यहाँ के पड़ौसी बहुत परेशान करते रहे ,कोई क्रिकेट की बॉल से दरवाजे ठोकता तो कोई ---अपशब्द कहता ,दिन रात मेरे मकान के सामने नौ जवानों का ताता लगा रहता था | बेटियां डरी -सहमी सदा रहती थी ,कोई वाहन दरवाजे के सामने लगा देता ,तो कोई पतनी को तू तड़ाक से बात करता ,दिन रात पतनी इन तमाम बातों को कहती रहती थी | सबकुछ होते हुए भी मैं असहाय रहता था | कभी होली में सभी लोग मेरे घर के आगे शोर- शराबा करते तो कभी दिवाली में पटाके जान बूझकर मेरे घर के आगे फोड़ते थे ,मानों यह मुहल्ला नहीं --कोई चौराहे पर घर ले लिया था | हमारी रक्षा सिर्फ परमात्मा ही कर सकते थे | सभी की नजर में हम धनिक थे ,शास्त्री थे --पर मैं सबसे बड़ा अपने आप में असहाय थे | संगीत के सुर उत्तम तब बनते हैं जब व्यक्ति प्रसन्न होता है --मैं दिनों दिन मन से पतन की और जा रहा था | यह मकान कईबार बेचने को सोचा पर बेच नहीं पाया क्योंकि इस मकान का दाम उतना देने को तैयार नहीं था --साथ ही कई अवगुण गिना देते थे लोग | साथ ही बढियाँ मकान लेने की परिस्थिति नहीं थी | बेटियां बड़ी हो रही थीं | उन बच्चों का भविष्य कैसे ठीक हो यही सोचता रहता था | दिन -रात मेरी पतनी से कहा सुनी हो जाती --बात वहीँ से शुरू होती थी --जेवर बेच दिए ,भैस बेच दी ,सारे पैसे माँ बाप को दे दिए --मुझे और बच्चों को सड़क पर छोड़ दिए | ऐसा लगता था जैसे मृत्यु का दामन मेरे साथ -साथ चलता हो | पर फिर भी पत्थर की तरह जीता रहा --------अगली चर्चा अगले भाग में करूँगा --आपका खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ -ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु यहाँ पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

ज्योतिष के अनुसार कितने लोक हैं - -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ





ज्योतिष के अनुसार कितने लोक हैं - -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ

--अंतरिक्ष और पृथ्वी जगत के 3 भाग माने गये हैं । वेदों में इस बात का स्पष्ट उल्लेख है कि मेघ ,विदयुत और नक्षत्रों का आक्रमण -प्रदेश पृथ्वी से बहुत दूर है । इसी प्रमाण पर पौराणिक ग्रंथों में जगत {संसार }को लोक की संज्ञा दी गई है । तथा उनमें प्रमाणित वर्णित लोक इस प्रकार से हैं । --1 -भूलोक ,2 -भुवर्लोक ,3 -महलोक ,4 जनलोक ,5 -सत्यलोक ,6 -तपोलोक ,7 -स्वर्गलोक । ------स्वर्ग ,मृत्य अर्थात पृथ्वी और पतालात्मक विभाग वेदों में नहीं मिलते । पुरातन ऋषि -मिनियों ने ये लोक इन लोकों से ऊपर माने हैं । उनकी की दृष्टि में नीचे के सात लोक ---1 -तल ,2 -अतल, 3-सुतल ,4 -वितल ,5 -तलातल ,6 -रसातल ,और 7 पाताल हैं । नोट --ज्योतिष को नेत्र की उपाधि मिली है ये केवल जीव के लिए है इसलिए जब तक चराचर जगत के बाह्य एवं आभ्यन्तर को नहीं जानेंगें तब तक एक सच्चा ज्योतिषी नहीं बन सकते हैं --क्योंकि जीव के आने से लेकर जाने तक की बातों को ज्योतिष बताता है । ---प्रेषकः खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --- - परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut- 

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...