किस रोग से पीड़ित हो सकते हैं हम -जानने हेतु -पढ़ें !ज्योतिषी झा "मेरठ "
भचक्र में स्थित 12 राशियों के समस्त राशि -मंडल को एक विराट काल पुरुष मानते हुए -मेष राशि को सिर ,वृष को मुख ,मिथुन को बाहुएवं गला ,कर्क को -ह्रदय,सिंह को -पेट ,कन्या को -कटि भाग ,तुला को -वस्ति ,वृश्चिक को गुदा ,धनु को -कूल्हे एवं जांघ ,मकर को घुटने ,कुम्भ को पिंडलियां मीन राशि को -पैर माना है ज्योतिषी आचार्यों ने । अस्तु ---शरीर के भीतरी अवयवों पर भी क्रमशः राशियों का अधिकार इस प्रकार है ----1 -मेष -मस्तिष्क =दिमाग ,2 -वृष -कंठ की नली {टांसिल },3 -मिथुन -फेफड़ें {श्वास लेना }4 -कर्क -पाचन शक्ति ,,5 सिंह -ह्रदय {दिल }6 -कन्या -अंतड़ियां {पेट के भाग का निचला भाग }7 -तुला {गुर्दें }8 -वृश्चिक -मूत्रेन्द्रिय {जननेन्द्रिय }9 धनु -स्नायु मंडल एवं नसें जिनसे रक्त प्रवाहित होता रहता है ,10 मकर -हड्डियां तथा अंगों के जोड़ ,11 -कुम्भ -रक्त एवं रक्त प्रवाह ,12 -मीन -शरीर में सर्वत्र कफोत्पादन । ------यहाँ ध्यान देने की यह बात है कि हमारी जन्मकुण्डली यानि जन्म के समय जिस राशि में शुभ ग्रह होते हैं ,शरीर का वो भाग मजबूत होता है जातक का एवं जिस जन्मकुंडली जिस राशि में पाप ग्रह होते हैं तो शरीर का उससे सम्बंधित भाग कृश ,रोगयुक्त एवं पीड़ित होता है एवं जातक किस रोग से कब पीड़ित होगा या हुआ है यह महादशा एवं अन्तर्दशा के ऊपर ही आधारित होता है । -----कृपया ध्यान दें ---अपनी जन्मकुण्डली की कोई बात जाननी है या कुण्डली की तीन बात जानने की जिज्ञासा है तो हम फ्री में एकबार बतायेंगें ---जानने के लिए इस लिंक --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
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