ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शनिवार, 4 नवंबर 2023

अब यह कथा एक किताब का प्रारूप ले चुकी है --पढ़ें - भाग -67 ज्योतिषी झा मेरठ


 



मेरा" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -67 ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी आत्मकथा -मेरा कल आज और कल में हमने जीवनी रूपी कथा सुनाई है | अब यह कथा एक किताब का प्रारूप ले चुकी है | जो आगे चलकर किताब छपेगी और जन -जन तक पहुंचे यही सोच है | आज मैं उन बातों पर प्रकाश डालना चाहता हूँ जो वास्तविक होते हुए भी सच बहुत दूर होता है | भगवान का प्रसाद भले ही पुजारी की समझ में न आये पर भक्तों के लिए अमृत होता है | हॉस्पिटल में रोगी को भले ही देखने बहुत लोग जाते हों पर दर्द का अहसास सिर्फ दर्द वालों को ही होता है | ज्योतिष की जानकारी भले ही सभी रखते हों पर योग का अबलोकन सिर्फ मर्मज्ञ ज्योतिषी ही कर सकते हैं | --अस्तु --मेरे पिता धन की कामना न करते हुए सिर्फ मुझे शिक्षाविद देखना चाहते थे बाल्य काल में यही वो नींव थी जो मुझे आजतक निरन्तर पढ़ने पर मजबूर करती है | बाद में समय बदला तो सभी बदल गए पर आजतक मैं स्वयं नहीं बदल सका इसलिए आज भी अधूरे हैं | मेरे जीवन में बहुत सी बातें अनुभव करने योग्य हैं --दूर के लोग बहुत सम्मान देते हैं किन्तु जहाँ रहता हूँ वो सबसे ज्यादा तिरस्कार करते हैं | मेरे ज्ञान के मुरीद बहुत से लोग हैं पर अपने परिवार में आज भी मैं वैसा ही दीखता हूँ जैसा बाल्यकाल में था | मेरे आलेखों को दूर देश में रहने वाले बड़े ही श्रद्धा से पढ़ते हैं किन्तु अपने पड़ौसी हों ,परिजन हों ,मित्र हों परिवार हो उन्हें पागल दिखता हूँ | मेरी ज्योतिषी से सभी को भी लाभ मिलता है --चाहे अपने हों या पराये जरुरत पर हम ही समझ में आते हैं --पर प्रभाव क्षणिक देर तक ही रहता है | --कर्मकाण्ड जगत में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं जिसको लाभ न मिला हो उस व्यक्ति को उसकी कामना की पूर्ति अवश्य हुई है पर मेरे प्रति श्रद्धा तबतक रहती है जबतक वो व्यक्ति अपनी मंजिल तक न पहुंच जाय --फिर काहे के गुरूजी | मेरठ क्षेत्र में 1988 में आया था शिक्षा से परिपूर्ण था पर --दरिद्र योग चल रहा था तो जीविका के लिए मित्रों से सहायता लेनी पड़ी --पर मेरी सोच ये थी, मेरे द्वारा भी लोगों को काम मिले --जब राजयोग शुरू हुआ तो हम भी लोगों को कार्य देने लगे यह सोचकर की यह मेरा धर्म है | पर मैं जन्मजात न तो कर्मकाण्डी था न ही दान लेना ,मेरे हुए का खाना या मंदिर में रहना ये मेरी सोच में न था न है पर कहते हैं | दान लेने वाले से देने वाले महान होते हैं --अतः मैं तो एक पत्रकार या शिक्षक या फिर उत्तम दर्जे का ज्योतिषी बनना चाहता था --जो किसी पर आश्रित न हो सिर्फ भगवान पर आश्रित रहे | यही सोच मुझे नेट की दुनिया में आने का कारण है | -इस राह में जो दूर देश में रहते हैं उन्हें मैं विभद्र व्यक्ति दीखता हूँ | जो मेरे परिजन हैं या पड़ौसी हैं उन्हें या तो ठगने वाला दीखता हूँ या एक साधारण सा पण्डित | इन तमाम बातों का मुझपर कभी भी कोई फर्क नहीं पड़ा --मुझे जो करना है वो ईस्वर को साक्षी मानकर चलता हूँ --वही मेरे प्रेरणा के श्रोत हैं --यही वो आशीष है जो मेरे अडिग स्तम्भ है | ऐसा प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में होता है और प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार पर अडिग रहना चाहिए ---अब आगे के भागों में यही दिखाना चाहता हूँ --व्यक्तिगत जो खूबी व्यक्ति में होती है उसे सिर्फ व्यक्ति ही जनता है --परिजन भी नहीं जानते है ---आत्मकथा की अगली बात को --आगे के भाग में पढ़ने हेतु लिंक पर पधारें - https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

कनकधारा स्त्रोत्र सुनें -खगोलशास्त्री झा मेरठ


 दोस्तों -हमें हिन्दी भाषा शुद्ध -शुद्ध लिखनी या बोलनी आज भी नहीं आती है | हिन्दी भाषा सीखने के लिए मैं किसी कक्षा में नहीं गया बल्कि लोग ,पत्रिका ,अख़बार में क्या और किस प्रकार से लिखते या बोलते हैं --इस प्रक्रिया से हिन्दी सीखने का प्रयास किया था | --इसी प्रकार से बहुत सी सुतियाँ हमें याद नहीं थी तो अपने बालक को सिखाते -सिखाते ही हमने याद किया मेरी उम्र थी -48 वर्ष ,साथ ही पिता होने के नाते विद्या का प्रचार और प्रसार करना भी शिक्षक का धर्म होता है तो सुनें कनकधारा स्तोत्र भाषा संस्कारित है --रचनाकार स्वयं श्री आदि शंकराचार्य हैं | 


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2010 से -नेट की दुनिया में हमने जो कुछ भी लिखा या बोला था -पढ़ें - भाग -66 ज्योतिषी झा मेरठ


 


" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -66 ज्योतिषी झा मेरठ

2010 से -नेट की दुनिया में हमने जो कुछ भी लिखा या बोला था --वास्तव में मुझे यह आभाष नहीं था कि मैं शुद्ध बोल रहा हूँ या अशुद्ध साथ ही तनिक सी भूल हमें लाभ से वंचित कर देगी | 2014 तक नेट भारत में कम विदेशों में प्रयोग ज्यादा करते थे ,साथ ही नेट पर हिन्दी भाषा के प्रति विदेशों में जो भी भारतीय थे --वो सुनते भी थे पढ़ते भी थे | स्काइप पर वीडियो कॉल की फ्री सुविधा थी --इसका लाभ सभी उठाते थे --इस स्काइप पर एक महिला जो पाकिस्तान में थी रहने वाली लखनऊ की थी --उन्हौने पहला वीडियो कॉल की | हमने उन्हें फ्री सेवा दी | मेरी समस्त गलतियों को न देखते हुए लोग मेरे आलेखों को पढ़ते रहे ,फ्री सेवा लेते रहे और सुझाव भी देते रहे | हमने अपने जीवन काल में किसी से कभी कुछ बताने के लिए नहीं कहा न ही नेट का बेसिक ही सीखा --पागलपन सवार था --बहुत प्रख्यात होना था भले ही धन बहुत मिले या न मिले --सम्मान बहुत मिले ,बहुत से लोग हमें जानें --यही उत्कंठा से लिखता गया ,बोलता गया | जब 2019 का दिसम्बर ,मास आया तो एक व्यक्ति श्रीसुदर्शन कर्दमजी माले गांव महाराष्ट्र से ज्योतिष की जानकारी लेनी चाही --हमने कहा अब फ्री सेवा बन्द हो चुकी है ,शुल्क 1100 देकर सेवा मिल सकती है | उन्होनें कहा आपका एक वीडियो जो कनकधारा स्तुति है उसे युटुब से 2011 से निरन्तर सुन रहा हूँ और पाठ भी कर रहा हूँ --आज मेरे मन में जिज्ञासा उठी ज्योतिष की जानकारी करने की तो हमने फोन किया है | स्वयं उनका कॉलेज था | बहुत पूजा पाठ कराते थे | मैं कहीं से कहीं तक उनके योग्य नहीं था --पर बोले आपकी स्तुति के शब्द मुझे मोह लेते हैं | अतः उन्हौनें पैसे दिए --हमने जन्मपत्री देखी ,निदान बताया --उन्होनें कहा पूजा आपसे ही करानी है | हमने बहुत कहा आप वहीँ अपने किसी पण्डितजी से करायें --मेरी सेवा महंगी है | बोले पूजा तो आपही करोगे | एक लाख रूपये उनके खर्च हुए मेरठ आये सपरिवार पूजा करायी ,हमने यथा संभव सत्कार करने का प्रयास किया | यहाँ एक शब्द कहना चाहता हूँ --वृथा न होहि देव रिषि वाणी --जो ऋषि -महर्षियों ने बाते कहीं हैं -वो विस्वास करने पर सटीक उतरती हैं --मुझे कनकधारा स्तुति की जानकारी बाल्यकाल से थी पर याद हमने 2011 में किया और युटुब पर डाला तो माँ लक्ष्मी की मुझ पर भी कृपा होनी थी सो 2020 में जब करोना काल था तो यही धन मुझे जीने का सहारा बना | इस कनकधारा स्तुति को मैं अपने बालक को भी कंठाग्र कराया -2018 में | कभी -कभी लोग कहते हैं -फ्री में बता दो या पंडितजी बहुत पैसे लेते हैं ----इसका एक उदहारण देना चाहता हूँ --आज मैं 53 वर्ष का होने वाला हूँ -करीब -करीब 11 वर्ष का था तब से कर्मकाण्ड कराता आ रहा हूँ ,2010 से 18 /02 /2019 तक फ्री ज्योतिष की सेवा एकबार देने की कोशिश की है | बहुत से ऐसे यजमान रहे -जिनके पिता +पुत्र के लिए बहुत से निःशुल्क कार्य किये पर --आजतक किसीने यह नहीं कहा होगा निःस्वार्थ --पण्डितजी -यह धन रखलो ,अपनी पसंद की एक चादर ले लो ,यह मिठाई अपनी पसन्द की खा लेना ,या कुछ अपने योग्य ले लो , सिर्फ अगर कहा है या दिया है तो वो चीज जिसके द्वारा उनकी भलाई होगी और किसी ग्रह के दोष से मुक्त होंगें --यही वो शब्द या बातें हैं --जो फ्री देने से बाध्य करते हैं | आज के समय में चूल में उलझने पर सत्कार होता है अन्यथा भगवान की सत्ता को भी दिल से न स्वीकार करें | आगे परिचर्चा अगले भाग में करूँगा
खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ ----आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

धनतेरस यानि "भगवान धन्वंतरि" के दिन क्या करें -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 धनतेरस यानि "भगवान धन्वंतरि" के दिन क्या करें -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ



धन्वन्तरि देवताओं के चिकित्सक हैं और चिकित्सा के देवता माने जाते हैं इसलिए चिकित्सकों के लिए *धनतेरस* का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है। धनतेरस के संदर्भ में एक लोक कथा प्रचलित है कि एक बार यमराज ने यमदूतों से पूछा कि प्राणियों को मृत्यु की गोद में सुलाते समय तुम्हारे मन में कभी दया का भाव नहीं आता क्या?

---दूतों ने यमदेवता के भय से पहले तो कहा कि वह अपना कर्तव्य निभाते है और उनकी आज्ञा का पालन करते हें परंतु जब यमदेवता ने दूतों के मन का भय दूर कर दिया तो उन्होंने कहा कि एक बार राजा हेमा के ब्रह्मचारी पुत्र का प्राण लेते समय उसकी नवविवाहिता पत्नी का विलाप सुनकर हमारा हृदय भी पसीज गया लेकिन विधि के विधान के अनुसार हम चाह कर भी कुछ न कर सके।
--एक दूत ने बातों ही बातों में तब यमराज से प्रश्न किया कि अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय है क्या। इस प्रश्न का उत्तर देते हुए यम देवता ने कहा कि जो प्राणी धनतेरस की शाम यम के नाम पर दक्षिण दिशा में दीया जलाकर रखता है उसकी अकाल मृत्यु नहीं होती है। इस मान्यता के अनुसार धनतेरस की शाम लोग आँगन मे यम देवता के नाम पर दीप जलाकर रखते हैं। इस दिन लोग यम देवता के नाम पर व्रत भी रखते हैं।
-धनतेरस के दिन दीप जलाककर भगवान धन्वन्तरि की पूजा करें। भगवान धन्वन्तरी से स्वास्थ और सेहतमंद बनाये रखने हेतु प्रार्थना करें। चांदी का कोई बर्तन या लक्ष्मी गणेश अंकित चांदी का सिक्का खरीदें। नया बर्तन खरीदे जिसमें दीपावली की रात भगवान श्री गणेश व देवी लक्ष्मी के लिए भोग चढ़ाएं।-------ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शुक्रवार, 3 नवंबर 2023

जीवन का छट्ठा सुख "सुपुत्र सुख "--सुनें ---?- ज्योतिषी झा मेरठ


 जीवन का छट्ठा सुख "सुपुत्र सुख "--सुनें -


--?- ज्योतिषी झा मेरठ

--दोस्तों --किसी भी व्यक्ति का सुन्दर जीवन - धन ,आरोग्य ,सुन्दर पतनी और सुन्दर सु पुत्र इन सुखों पर निर्भर करता है --इसीलिए-- अर्था गमो नित्य मरोगिताच ,प्रिया च भार्या ,प्रिय वादिनी च वसस्य पुत्रोर्थ शडि च विद्या षड जीवने केषु सुखानि राजनः --कहा गया है | ---- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

"अपने विवेक का सतत उपयोग करें --पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ


"अपने विवेक का सतत उपयोग करें ?"
--पढ़ें - ज्योतिषी झा मेरठ



-{१}-मनः एवं मनुष्याणाम कारणं बंध मोक्षयोह ?
------भाव -मनुष्यों के बंधन और मोक्ष का कारण उनका मन ही है ।अतः विवेक रूपी मन का प्रयोग से मोक्ष मिल सकता है । अविवेकी होकर बन्धनों के पाश में जकड़े ही रहते हैं ।।
{२} -नासमीक्ष्य परं स्थानं पुर्वमायतनं त्यजेत ?-
----भाव -दूसरा स्थान देखे बिना पहला स्थान नहीं छोड़ना चाहिए ।अर्थात --हमलोग किसी भी प्रलोभन में बहुत जल्दी उलझ जाते हैं --अतः विवेक से पथ का चयन करें ।
{३}-लोचनाभ्यां विहीनस्य दर्पणः किं करिष्यति ?
----भाव -आँखों से रहित व्यक्ति को दर्पण क्या लाभ पहुंचा सकता है ।-अर्थात किसी भी बात को विवेक से समझे बिना प्रत्युत्तर न दें ।।
-----{४}-यांचा मोघा वरमाधिगुने नाधमे लाभ्धकामा ।
-----भाव -सज्जन से निष्फल याचना भी अच्छी,किन्तु नीच से सफल याचना भी अच्छी नहीं --अर्थात -हमें मागना अच्छे लोगों से चाहिए चाहे मिले या न मिले ,किन्तु बुरे लोगों से मांगने से कुछ मिल भी जाये तो प्रसन्न नहीं होना चाहिए ।।
-----प्रियेषु सौभाग्य फला ही चारुता ?
---भाव --सुदरता प्रिय को प्रसन्न करने पर ही सार्थक है । अर्थात --- सुदरता की उपमा केवल साहित्य में प्रियतमा के लिए है ,यद्यपि सुन्दरता सबको प्रिय है ,परन्तु किसी भी सुदरता से प्रियतमा प्रसन्न हो जाये -तो आपकी सुन्दरता सार्थक है ।।
----आपदि स्फुरति प्रज्ञा यस्य धीरः स एव ही ?
----भाव --आपत्ति के समय जिसकी बुद्धि स्फुरित होती है ,वही धैर्यवान है----अर्थात आपत्ति के समय जो विवेक से काम लेते हैं,बिचलित नहीं होते हैं ,वही व्यक्ति विवेकवान होते हैं ।।
भवदीय -पंडित कन्हैयालाल झा- किशनपुरी धर्मशाला देहली गेट मेरठ {उत्तर प्रदेश }--ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

जब मुझे ज्योतिष और कर्मकाण्ड रूपी ज्ञान का सही अनुभव हुआ -पढ़ें- भाग -65 ज्योतिषी झा मेरठ


 


" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -65 ज्योतिषी झा मेरठ

2019 -लोभ ,अर्थ ,काम ,मद और मोह से विरक्त होना बहुत सरल नहीं होता है | जब मुझे ज्योतिष और कर्मकाण्ड रूपी ज्ञान का सही अनुभव हुआ तब तक मैं 49 वर्ष का हो चूका था | जो माता पिता प्रत्यक्ष भगवान होते हैं ,-जिन परिजनों के सान्निध्य में मैं छोटा से बड़ा हुआ --कभी -कभी ऐसी परिस्थिति आती है --तमाम बातों को जानते हुए युद्ध चाहे सच के लिए हो या असत्य के लिए --लड़ना पड़ता है | मृत्यु रूपी पाश से तो मैं जीवन भर जूझता रहा --पर मृत्यु को न पाकर मेरे पिता स्वयं चल बसे | पिता के जाने के बाद मैं मरा तो नहीं पर फिर एकबार विक्षिप्त हो गया | पिता के जीते जी भी मरना चाहता था और पिताके मरने के बाद भी जीना नहीं चाहता था --मेरी कुण्डली में शनि की महादशा -2014 से शुरू हुई ,शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है अतः जैसे -तैसे मैं भाग्यवान रहा सम्पत्ति के मामले में किन्तु --शनि की दृष्ट्रि और बृहस्पति का पराक्रम क्षेत्र में निवास होने से --भाई -बन्धुओं से हानि होनी थी | दीदी -जीजा ,मामा -मामी ,अनुज -अनुजबधू एवं समस्त परिजनों से हानि होनी थी --मुझे एक ट्यूमर गांठ थी गर्दन के ऊपरी भाग में --जिसका मैं ऑपरेशन नहीं करबाना चाहता था पर परिजनों के कहने पर करबाया --इसकी बजह से मैं विक्षिप्त रहने लगा | मुझमें जोश था ,ताकत थी ,जिसके बल पर मैं निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार 2010 से देता आ रहा था वो हमने बन्द कर दी ,कुछ दिन के लिए जीवन स्तब्ध हो गया | मन में बहुत विद्या दान की कामना थी --तो मरते -मरते सोचा कुछ ज्ञान अपने पुत्र को दे दूँ --पर हिम्मत नहीं हो रही थी | एक मेरे यजमान थे मुम्बई में --मेरी यह परिस्थिति उनसे देखि नहीं गयी अतः उन्हौनें मुम्बई अपने घर पर बुलाया सारा खर्च खुद किया --करीब -15 दिन हम सपरिवार मुम्बई में रहे | मेरा बालक बहुत छोटा था 11 वर्ष का ,कभी यानि -1991 से 1994 तक मुम्बई में रहे थे ,ग्रहों की वजह से शिक्षा अधूरी रह गयी थी ,पर सम्पूर्ण मुम्बई का अनुभव हो चूका था --अतः अपने बालक को वो यादें दिखाने लगा -हम कहाँ और कैसे पढ़ते थे ,कहाँ भोजनालय था ,श्रीमुम्बादेवी की कृपा कैसी होती है | जब मुम्बई नगरी को 1994 में छोर रहा था तब किसीने कहा था -जो एकबार श्रीमुम्बादेवी का दर्शन करता है उसे तीन बार दर्शन करने का अबसर अवश्य मिलता है | यह बात मेरे गले के नीचे नहीं उत्तरी थी तब किन्तु जब मैं 48 वर्ष का हुआ तो अनायास यह दर्शन करने का सौभाग्य मिला | अतः श्रीमुम्बादेवी का आशीर्वाद कहें या ग्रहों के खेल --अब मैं अपने बालक को संस्कृत का ज्ञान देने लगा ---चाहकर भी हटती नहीं है | --अब आगे 2019 की चर्चा अगले भाग में करूँगा | आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-

गुरुवार, 2 नवंबर 2023

जीवन का सर्वोत्तम सुख "सुन्दर दाम्पत्य "--सुनें --?- ज्योतिषी झा मेरठ



 जीवन का सर्वोत्तम सुख "सुन्दर दाम्पत्य "--सुनें --?- ज्योतिषी झा मेरठ

-दोस्तों --किसी भी व्यक्ति का जीवन दाम्पत्य सुख पर निर्भर करता है --इसीलिए-- प्रिया च भार्या ,प्रिय वादिनी च --कहा गया है | ---- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 धनतेरस पर पूजा का विशेष महत्व होता है-पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ




धनतेरस के दिन{अहर्निशं } लक्ष्मी – गणेश और कुबेर की पूजा की जाती है। पर इस दिन सबसे महत्वपूर्ण पूजा होती है स्वास्थ्य और औषधियों के देवता धनवन्तरी की। इन सभी पूजाओं को घर में करने से स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है। इस दिन लोग अपने स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए कामना करते हैं। इसके लिए इस दिन धनवन्तरी की पूजा की जाती है। इसके लिए अपने घर के पूजा गृह में जाकर ॐ धं धन्वन्तरये नमः मंत्र का 108 बार उच्चारण करें। ऐसा करने बाद स्वास्थ्य के भगवान धनवंतरी से अच्छी सेहत की कामना करें। ऐसी मान्यता है कि इस दिन धनवन्तरी की पूजा करने से स्वास्थ्य सही रहता हैा धनवन्तरी की पूजा के बाद यह जरूरी है कि लक्ष्मी और गणेश का पूजन किया जाए। इसके लिए सबसे पहले गणेश जी को दिया अर्पित करें और धूपबत्ती चढ़ायें। इसके बाद गणेश जी के चरणों में फूल अर्पण करें और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद इसी तरह लक्ष्मी पूजन करें। इसके अलावा इस दिन धनतेरस पूजन भी किया जाता है और कुबीर देवता की पूजा की जाती है। धनतेरस पूजन के लिए सबसे पहले एक लकड़ी का पट्टा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बना
---इसके बाद इस पर एक तेल का दिया जला कर रख दें----दिये को किसी चीज से ढक दें--दिये के आस पास तीन बार गंगा जल छिड़कें---इसके बाद दीपक पर रोली का तिलक लगाएं और साथ चावल का भी तिलक लगाएं---इसके बाद दीपक में थोड़ी सी मिठाई डालकर मीठे का भोग लगाएं--फिर दीपक में 1 रुपया रखें। रुपए चढ़ाकर देवी लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें--इसके बाद दीपक को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें और परिवार के लोगों से भी आशीर्वाद लेने को कहें।---इसके बाद यह दिया अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें,----- ध्यान रखे कि दिया दक्षिण दिशा की ओर रखा हो। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक इन तीनों पूजन के समापन से घर में लक्ष्मी सदैव विद्यमान रहती हैं और स्वास्थ्य बेहतर रहता है।------ ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

जीवन क्या है निर्झर है मस्ती ही इसका पानी है--पढ़ें भाग -64-ज्योतिषी झा मेरठ


 



 

" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -64-ज्योतिषी झा मेरठ
जीवन क्या है निर्झर है मस्ती ही इसका पानी है --श्री निरालाजी की यह उक्ति कभी पढ़ी थी पर जीवन जीना इतना सहज भी नहीं होता है | मैं अपने जीवन में कर्मक्षेत्र और पिता से सम्बन्ध के बारे में इतना कह सकता हूँ -सौ प्रतिशत निभाने का प्रयास किया है | क्योंकि मेरी कुण्डली में उच्च का चन्द्रमा कर्मक्षेत्र में है एवं सूर्यदेव स्वराशि के लग्न में हैं| एक शास्त्री होने के नाते धर्म सम्मत जो कार्य मुझे करने चाहिए वही किया है --इस कारण से बड़े -बड़े यजमानों को खो दिए हैं --क्योंकि यजमान बनाते तो मन्दिर हैं ,कराते तो पूजा पाठ ही हैं ,मानते तो ज्योतिष को ही हैं पर आचरण ,व्यवहार में बहुत अन्तर होता है | आज के समय कोई भी व्यक्ति अपने स्वार्थ सिद्ध हेतु चाहे भूदेव हों ,भगवान हों कोई यह कह दे ये चढाने से या ये खिलाने से ये लाभ होंगें --तो बिना देर किये ,बिना बुद्धि का उपयोग किये झट कर देगा --इससे किसी की हानि हो कोई मतलब नहीं --ऐसी स्थिति में भी धर्म को निभाने की भरसक कोशिश की है --इसका परिणाम यह हुआ धन की दुनिया में जहाँ हमें होना चाहिए --हम वहां नहीं पहुंच पाए --मुझे तो इस बात का गर्व है --पर हम अकेले नहीं हैं ,हमारे भी परिजन हैं --इसकी वजह से उन्हें दुःख सहने पड़ें --चाहे पुत्री हो या पतनी | --वैसे सम्बन्ध की बात करें तो सभी हैं ,ससुराल पक्ष में भले ही ससुर -साले शीघ्र चल बसे --पर अकेली सास ने समस्त जिम्मेदारी को निभाती रही हैं --कभी भी मुझे वीरान ससुराल महसूस नहीं हुआ | मेरा एक अनुज जब हम 18 वर्ष के थे तो चल बसा --यह नाता ऐसा रहा --ज्योतिष की खोज इस कारण से की ,आज जहाँ हूँ मेरी ज्योतिष प्रेरणा के श्रोत यह अनुज ही रहा -अतः मेरे ह्रदय पटल पर निरन्तर रहता है| हमने कभी भी अपनी कुण्डली पर उतना मंथन नहीं किया जितना अनुज की कुण्डली के लिए किया | दूसरा जो सर्वोतर सम्बन्ध ह्रदय पटल पर रहा वो पिता रहे --यह सम्बन्ध ऐसा था दिखने में कहीं पर या कहीं से महसूस नहीं किया जा सकता था --पर पिता मेरे लिए सबकुछ थे ,मेरे पिता को तनिक भी तकलीफ न हो ,मेरे पिता की शान कैसे बढ़े ,उनकी उन्नति कैसे हो यह प्रयास जीवन भर रहा --इसका एक उदहारण देना चाहता हूँ --जब पिता दिवंगत हुए तो मातृभूमि पर अनुज था ,उसके परिजन मेरठ में थे ,हम भी मेरठ में थे --दाह संस्कार की बात आयी तो मेरे बिना संभव नहीं था --पर हमने वही धर्म निभाया --जिससे पिता की आत्मा को शान्ति मिलती | सभी परिजन बोले तुम्हारे बिना दाहसंस्कार संभव नहीं है ----हमने कहा एक भाई दाहसंस्कार करें --दूसरा भाई जो मैं बहुत दूर था -अनुज के परिजनों को एवं अपने परिवार को लेकर घर देर से पहंचा ,जबकि हम दोनों भाई की शत्रुता सदियों से थी ,आजतक मुझे अपने अनुज का घर का पता नहीं है ,अनुज का नंबर मेरे पास नहीं है --फिर भी मैं वही धर्म निभाया जो शास्त्र सम्मत थे | आज मैं अगर शिक्षाविद हूँ तो पिता की देने है ,वो मेरे पिता ही थे अपने हृदय पर पथ्थर रखकर आश्रम में इसलिए दे आये --किसी तरह से मैं शिक्षाविद बनू ,मेरे पिता गरीब थे चाहते तो मजदूरी कराते पर बोले धन नहीं मेरा पुत्र विद्वान हो ,मेरठ लाने वाले व्यक्ति भी मेरे पिता के अनुयायी थे ---इतना पिता का मुझपर स्नेह था --पर मेरी कुण्डली में शुक्र कर्मेश है जो धन के क्षेत्र में नीच का है ,पिता की कुण्डली में शनि की दृष्ट्रि धन के क्षेत्र में थी -और भी बहुत से कारण थे --यद्पि सफलता मुझे पिता के सहयोग से नहीं मिली ,यद्पि इन तमाम बातों को ज्योतिष के माध्यम से जब समझ में आयी तबतक पिता भी चल बसे थे | हम पिता पुत्र जब एकत्र होते थे तो बहुत युद्ध होता था --पर मेरे बिना पिता अधूरे थे पिता के बिना मैं अधूरा था | पिताने मेरे जीवन को नरक भी बना दिया --क्योंकि वो मुझे अपने में समाना चाहते थे --मैं उन्हें अपने जैसा बनाना चाहता था -मेरे अपने बच्चे थे जिनको देखकर मुझे चलना था ,पिता के अपने परिजन थे जो मुझे लूटते थे | इन तमाम बातों के बावयुद भी पिता को मैं खोना नहीं चाहता था --उनका जाने का गम आज भी है और आजीवन रहेगा | मेरे जीवन में ये पिता रूपी पाश सदा रहती है---चाहकर भी हटती नहीं है | --अब आगे 2019 की चर्चा अगले भाग में करूँगा | आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-

बुधवार, 1 नवंबर 2023

आयु -आरोग्य दूसरा सुख होता है --सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ


 आयु -आरोग्य दूसरा सुख होता है --सुनें ?-ज्योतिषी झा मेरठ


-दोस्तों प्रत्येक व्यक्ति का दूसरा सुख आयु -आरोग्य है --जिसके लिए अनन्त प्रकार के प्रयास लोग करते हैं | ----- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शिखा से आयु ,तेज ,बल ,ओज और पुरुषार्थ बढ़ते हैं -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 






शिखा से आयु ,तेज ,बल ,ओज और पुरुषार्थ बढ़ते हैं -पढ़ें -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा "मेरठ "
-----हिन्दुओं के प्रमुख सोलह संस्कारों में "चूडाकरण"या "चौल "एक विशेष संस्कार है |इसी संस्कार में आर्यजाति के प्रतीक अथवा मुख्य जातीय चिन्ह स्वरूप "शिखा धारण का विधान है | इसके धारण से आयु ,तेज ,बल ,ओज और पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है | पारस्कर ,आश्वलायन,बैखानस ,बौधायन ,अग्निवेश्य ,आपस्तम्ब और जैमिनीय आदि गुह्य -सूत्र ग्रंथों में चुदकर्म के अंतर्गत शिखा रखने का श्पष्ट विधान मिलता है ||--सिर के मध्य स्थित केश समूह ही चूड़ा कहलाता है | यही चूड़ा प्रधान शिखा मानी जाति है | वशिष्ठ गोत्र वाले मध्य शिखा से दक्षिण भाग में स्थित केश शिखा को चूड़ा कहते हैं | अत्रि और कश्यप गोत्र वाले मध्यभाग में स्थित शिखा के उभय पार्श्व {अगल -बगल }में स्थित केशों को शिखा कहते हैं ||-उपनयन काल में मध्य शिखा के अतिरिक्त अन्य गौण शिखाओं के वपन का विधान "निर्णय सिन्धु " में स्पष्ट रूप से पाया जाता है | महर्षि "हारित" कहते हैं --कि जो लोग मोह ,द्वेष या अज्ञानता से शिखा काट देते हैं ,वे "तप्तकश्छ"व्रत करने से शुद्ध होते हैं ||--ब्रह्मण ,क्षत्रिय ,वैश्य को शिखा,सूत्र और हिन्दुमात्र को शिखा अवश्य धारण करनी चाहिए | बिना यज्ञोपवित और शिखा के हिन्दुओं का किया गया सभी सत्कार्य व्यर्थ हो जाता है और राक्षस कर्म कहलाता है ||---शिखा के साथ बल ,बीर्य,आयुवृद्धि ,तेज और पराक्रम का गहरा सम्बन्ध है | इसलिए हिन्दुओं का यह सर्वोत्कृष्ट जातीय चिन्ह माना जाता है | जिस प्रकार फौजी सिपाहियों का फौजी वेश वीरता सूचक है | उसी प्रकार सिर के मध्य भाग में सुरक्षित सुस्थिर शिखा चिरंतन ,आर्य गौरव तथा हिंदुत्व की द्योतक है |इसलिए शिखा रखना नितांत आवश्यक है ||---वेदं और योगदर्शन के सिद्धांतों के अनुसार शिखा का अधः स्थित भाग ब्रह्मरंध्र माना गया है | इस ब्रह्मरंध्र के ऊपर सहश्रदल कमल में अमृत रुपी ब्रह्मा का स्थान है |विधिपूर्वक किये गए वेदादि के स्वाध्याय और सविधि कर्मानुष्ठान से समुत्पन्न अमृतत्व का अतिक्रांत वायुवेग से सहश्रदल की कर्णिका से प्रविष्ट होता है ||धर्मशास्त्रकारों ने कहा है -कि सनन ,दान ,जप ,होम ,संध्या ,स्वाध्याय और देवार्चन करते समय शिखा में ग्रंथि अवश्य लगानी चाहिए------"स्नाने दाने जपे होमे संधयायाम देवतार्चने | शिखा ग्रंथि सदा कुर्यादीत्येतन मनुरब्रबीत||---वैदिक विज्ञानं से यह बात सिद्ध है कि सर्वव्यापी परमेश्वर परमात्मा की अप्रमेय शक्ति को आकृष्ट करने का सर्वोतम साधन "शिखा -धारण "है |ज्योतिष सम्बंधित कोई भी आपके मन में उठने वाली शंका या बात इस पेज में-https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut उपलब्ध हैं और लिखने की अथक कोशिश करते रहते हैं -आप छात्र हैं ,अभिभावक हैं ,या फिर शिक्षक परखकर देखें साथ ही कमियों से रूबरू अवश्य कराने की कृपा करें .|आपका - ज्योतिषी झा-"मेरठ -झंझारपुर ,मुम्बई"

ज्योतिष क्यों प्रभावित या आकर्षित लोगों को करता है-पढ़ें-भाग -63 -ज्योतिषी झा मेरठ


 




कल आज और कल भाग -63 -ज्योतिषी झा मेरठ"
कृपया समस्त पाठकगण ध्यान दें -न तो मैं जन्मजात गरीब था न हूँ ,न तो अपनी जीवनी लिखकर या बोलकर अमीरी या गरीबी दर्शाना चाहता हूँ --सिर्फ ज्योतिष क्यों प्रभावित या आकर्षित लोगों को करता है --उन तमाम बातों को एक ज्योतिषी होने के नाते जो अनुभव किया है --वो व्यक्त करना चाहता हूँ | 'सत्संगेण गुणा दोषः "--सत्संग का असर सभी जीवों को होता है | मानव बनकर आये हैं --तो मानवता सत्संग से ही संभव है | हम अपनी जीवनी को एक पुस्तक का रूप देना चाहते हैं -अतः अपने -अपने ज्ञान के आधार पर मेरी जीवनी को न परखते हुए --तमाम बातों को पढ़ने या सुनने के बाद ही --इसका मूल्यांकण करें | मैं बार -बार लिखता हूँ --आज के समय में अल्प ज्ञानी लोग नेट की दुनिया में बहुत हैं -किसी एक भाग को सुनने या पढ़ने के बाद ही अर्थ का अनर्थ करते हैं --क्योंकि बहुत पढ़ने या सुनने का समय नहीं होता है तो जो हम समझाना चाहते हैं वो न समझकर --वैसे ही समझ जाते हैं जैसे --अश्व्थामा हतो हतः -- या यह भी कहा-- नरो वा या कुंजरो वा तब तक अर्थ का अनर्थ हो चूका था | मैं जन्मजात गरीब नहीं था न हूँ --कालचक्र के कारण मेरे जीवन में सुख दुःखों का खेल रहा | जो पढ़े लिखे लोग होंगें या जिनको थोर बहुत ज्योतिष का अनुभव होगा --वो समझ समझ सकते हैं --मैं सिंह लगन का जातक हूँ -सूर्य मंगल लग्न में विराजमान हैं | चन्द्रमा उच्च का कर्मक्षेत्र में विराजमान है | बुध +शुक्र की युति धन के क्षेत्र में है | त्रिकोणेश गुरु हानि कम लाभ अत्यधिक देते हैं | शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --अतः भाग्य का लाभ अनमोल है --इतना होने के बाद भी राहु की 18 वर्ष की दशा ने दरिद्र भी बनाया | ऐसा जब था तब मैं अज्ञानी था ,अनपढ़ परिवार से था ---सबकुछ होते हुए भी सबकुछ खो दिए --इसका एक ही कारण था --ज्योतिष का मार्गदर्शन ,मैं कर्मकाण्ड या ज्योतिषी नहीं करना चाहता था --पर वही करना पड़ा ,अगर मेरे जीवन में एक गुरु या मार्गदर्शन करने वाले परिजन होते तो मैं कुछ और होता ---समय का चक्र को हम ठीक से समझ नहीं पाए --यही दर्शाना चाहता हूँ --भले ही मैं अपने लिए छोटा व्यक्ति रहा पर मुझसे जुड़ा व्यक्ति बड़ा बने यही कामना रहती है | रही बात हमारी सेवा महंगी है तो जब किसी चीज की मुझे जरुरत होती है --तो दान में वो चीज मुझे नहीं मिलती है --उसके लिए हम भी धन खर्च करते हैं | आज के समय में हर व्यक्ति उत्तम प्रकार से जीता है --मोबाइल उत्तम ,वस्त्र उत्तम ,वाहन उत्तम ,भवन उत्तम ,शिक्षा उत्तम ,रहन -सहन उत्तम ,दवा -दारू उत्तम ,दिखाबा उत्तम -----तो ज्योतिष भी तो उत्तम होना चाहिए --अतः मुझपर यह आरोप गलत है | अन्त में एक ही बात कहना चाहता हूँ --मुण्डे -मुण्डे मतिर्भिन्ना --जितने लोग होते हैं उतने विचार होते हैं --पर ग्रन्थ तो वही सभी पढ़ते हैं ---अपने बारे में एक ही शब्द कहना चाहता हूँ -मुझे हर व्यक्ति समझ नहीं सकता है ,मुझे हर व्यक्ति झेल नहीं सकता है --सिर्फ परमात्मा ही मुझे झेल भी सकते हैं और समझ भी सकते हैं | ---आगे की परिचर्चा आगे के भाग में करेंगें --भवदीय -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut 

मंगलवार, 31 अक्टूबर 2023

धन प्राप्ति के यज्ञ और उपचार सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ


 धन प्राप्ति के यज्ञ और उपचार सुनें ?- -ज्योतिषी झा मेरठ-


- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई-----ॐ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को जानने हेतु इस लिंक पर पधारें --https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut. खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

"यंत्र -मन्त्र एवं तंत्र क्या हैं -ज्योतिष -विशेष -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ


 "यंत्र -मन्त्र एवं तंत्र क्या हैं -ज्योतिष -विशेष -पढ़ें -ज्योतिषी झा मेरठ---



----"मननात त्रायते यस्मात तस्मात् मन्त्रः प्रकीर्तितः ।

जपात सिद्धिर्जपात सिद्दिर्न संशयः । ।
---मन्त्र ऐसे दिव्यशब्दों का समूह है ,जिसे दृढ इच्छाशक्तिपूर्वक उच्चारण एवं मनन से ही हम अलौकिक काम कर सकते हैं । चुने हुए गुप्त शब्द ही मन्त्र हैं । इनमें शब्दों का ऐसा क्रम दिया जाता है ,कि उनके मौन या अमौन अवस्था में उच्चारण मात्र से शून्य महाकाश में एक विचित्र कम्पन उत्पन्न होती है ,जिसमें अभिसिप्त कार्यसिद्धि एवं रचनात्मक प्रबल -प्रछिन्न शक्ति होती है -----।

अस्तु ------मन्त्र शास्त्र के अनुसार वेदमन्त्रों को ब्रह्मा ने शक्ति प्रदान की । तांत्रिक प्रयोगों को भगवान शिव ने शक्ति संपन्न किया । इसी प्रकार कलियुग में शिवावतार श्री शाबरनाथ जी ने शाबर मन्त्रों को अद्भुत शक्ति प्रदान की । शाबरमन्त्र अनमिल बेजोड़ शब्दों का एक समूह होता है ,जो कि अर्थहीन मालूम देते हैं ,परन्तु भगवान शंकर जी के प्रताप से ये मन्त्र अवन्ध्य प्रभाव रखते हैं ----
"अनमिल आखर अर्थ न जापू । प्रकट प्रभाव महेश प्रतापू {रामचरित मानस }नोट -यंत्र -मन्त्र एवं तंत्रों के योग्य बनें ,किसी गुरु के सान्निध्य में सिद्धि करें ,साथ ही गुप्तता रखें, तब फिर इनके चमत्कार से अपनी और जग की रक्षा करें ।
------प्रेषकः -पंडित कन्हैयालाल झा शास्त्री {मेरठ -भारत }--परामर्श हेतु सूत्र -09897701636 +09358885616--- आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

2014 में शनि की दशा चालू हुई --पढ़ें - भाग -62-ज्योतिषी झा मेरठ




" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -62-ज्योतिषी झा मेरठ
2014 में शनि की दशा चालू हुई | शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है -वैसे जहाँ शनि विराजमान हो वहां लाभ उसी प्रकार का होता है --शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --अतः अनायास या नीच प्रवृत्ति के लोगों से ही मेरा भाग्योदय हुआ | शनि की दृष्टि आय के क्षेत्र में है अतः हर व्यक्ति न तो मुझे समझ सकता है न ही झेल सकता है | जीवन में अनन्त आय के साधन बने ,अनन्त मित्र बनें ,अनन्त लोगों तक पहुंचे पर सिंह का सूर्य, त्रिकोण का मंगल लग्न में विराजमान होकर --इतना सशक्त ,जिद्दी स्वभाव के बना दिए --जिनकी वजह से मैं बहुत ही सिद्धांतवादी और कठोर स्वभाव का हूँ --अतः न तो किसी का मैं हो सका न ही मेरा कोई हो सका | मेरी कुण्डली में चन्द्रमा उच्च का कर्मक्षेत्र में है -जिसकी वजह से देखने में मैं आकर्षक ,मिलनसार , सौम्य स्वभाव का हूँ ,प्रभावशाली भी हूँ --पर आधुनिक युग में जहाँ किसी भी व्यक्ति का जीवन हो उसे मिलकर चलने में ही भला होता है, यह समझते हुए भी मेरे सिद्धान्त ,मेरे शास्त्रों के उपदेश ,मेरे कर्तव्य मुझे प्राचीनता को भूलने नहीं देते हैं --इनकी वजह से निरन्तर मैं भाग्यहीन रहता हूँ | यद्पि मेरा जन्म साधारण परिवार में हुआ ,जन्मजात चोर ,उचक्का ,लफंगा रहा --पर गुरुकुल की शिक्षा और दीक्षा ने मानों पूर्ण रूपेण अपने पाश में बांध दिया --जो चाहकर भी --यह जानते हुए भी की इससे हानि होती है ,यह जानते हुए भी की ऐसे स्वभाव -प्रभाव से अपने परिवार का ठीक से भरण पोषण नहीं हो पायेगा --फिर भी आधुनिकता में ढल नहीं पाया | एक सक्षम व्यक्ति होकर भी भूखा रहना पसन्द किया पर अधर्म की राह स्वीकार नहीं किया | शनि की दृष्टि तृतीय भाव पर होने से -समस्त परिजन हो या प्रभाव का क्षेत्र -हानि होती रही जबकि हमने किसी को सताया नहीं है ,हमने वही बात कही है जिससे किसी भी व्यक्ति का भविष्य ठीक हो ,जो शास्त्र सम्मत हो --पर आज के समय में माथे पर तिलक होता है स्वभाव से अधर्मी होते हैं ,गर्व से कहो हिन्दू हैं किन्तु शिखा नहीं होती है ,गो हत्या बंद हो ----पर चमड़े के बिना नल पानी नहीं देता है ,व्यक्ति की पादुका नहीं बनती है --यही सब अनन्त बातें हैं --जो मुझे आधुनिकता में चलने नहीं देती है | शनि की दृष्टि रोग और शत्रु के क्षेत्र में भी है --मेरी शत्रुता का कारण यही है -यजमान मुझे अपने में ढालना चाहते रहते हैं मैं उन्हें अपने शास्त्रों की दुनिया में ढालना चाहता रहता हूँ --जो संभव नहीं है क्यों-- क्योंकि आधुनिक समय में पहला सुख तो धन है ,कैसा भी व्यक्ति है धन है -तो मन्दिर बना देगा ,----धन है तो विद्वानों को खरीद लेगा ,धन है तो साम्राज्य स्थापित कर लेगा ,धन है तो महामृत्यंजय के पाठ भी करा लेगा | आज के समय में या आने वाले समय में धर्म की परिभाषा बदल जाएगी | मेरे जीवन में जन्मजात नीच का शनि है अतः जीवन पर्यन्त इन तमाम क्षेत्रों में कठिनाई रही पर जब से --2014 से दशा शुरू हुई तो सबकुछ होते हुए भी मानो कठिनाई और बढ़ गयी | आगे की परिचर्चा आगे करूँगा ---भवदीय निवेदक --खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --ज्योतिष और कर्मकाण्ड की अनन्त बातों को निःशुल्क पढ़ें --लिंक पर पधारकर -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...