" कल आज और कल -पढ़ें - भाग -65 ज्योतिषी झा मेरठ
2019 -लोभ ,अर्थ ,काम ,मद और मोह से विरक्त होना बहुत सरल नहीं होता है | जब मुझे ज्योतिष और कर्मकाण्ड रूपी ज्ञान का सही अनुभव हुआ तब तक मैं 49 वर्ष का हो चूका था | जो माता पिता प्रत्यक्ष भगवान होते हैं ,-जिन परिजनों के सान्निध्य में मैं छोटा से बड़ा हुआ --कभी -कभी ऐसी परिस्थिति आती है --तमाम बातों को जानते हुए युद्ध चाहे सच के लिए हो या असत्य के लिए --लड़ना पड़ता है | मृत्यु रूपी पाश से तो मैं जीवन भर जूझता रहा --पर मृत्यु को न पाकर मेरे पिता स्वयं चल बसे | पिता के जाने के बाद मैं मरा तो नहीं पर फिर एकबार विक्षिप्त हो गया | पिता के जीते जी भी मरना चाहता था और पिताके मरने के बाद भी जीना नहीं चाहता था --मेरी कुण्डली में शनि की महादशा -2014 से शुरू हुई ,शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है अतः जैसे -तैसे मैं भाग्यवान रहा सम्पत्ति के मामले में किन्तु --शनि की दृष्ट्रि और बृहस्पति का पराक्रम क्षेत्र में निवास होने से --भाई -बन्धुओं से हानि होनी थी | दीदी -जीजा ,मामा -मामी ,अनुज -अनुजबधू एवं समस्त परिजनों से हानि होनी थी --मुझे एक ट्यूमर गांठ थी गर्दन के ऊपरी भाग में --जिसका मैं ऑपरेशन नहीं करबाना चाहता था पर परिजनों के कहने पर करबाया --इसकी बजह से मैं विक्षिप्त रहने लगा | मुझमें जोश था ,ताकत थी ,जिसके बल पर मैं निःशुल्क ज्योतिष सेवा एकबार 2010 से देता आ रहा था वो हमने बन्द कर दी ,कुछ दिन के लिए जीवन स्तब्ध हो गया | मन में बहुत विद्या दान की कामना थी --तो मरते -मरते सोचा कुछ ज्ञान अपने पुत्र को दे दूँ --पर हिम्मत नहीं हो रही थी | एक मेरे यजमान थे मुम्बई में --मेरी यह परिस्थिति उनसे देखि नहीं गयी अतः उन्हौनें मुम्बई अपने घर पर बुलाया सारा खर्च खुद किया --करीब -15 दिन हम सपरिवार मुम्बई में रहे | मेरा बालक बहुत छोटा था 11 वर्ष का ,कभी यानि -1991 से 1994 तक मुम्बई में रहे थे ,ग्रहों की वजह से शिक्षा अधूरी रह गयी थी ,पर सम्पूर्ण मुम्बई का अनुभव हो चूका था --अतः अपने बालक को वो यादें दिखाने लगा -हम कहाँ और कैसे पढ़ते थे ,कहाँ भोजनालय था ,श्रीमुम्बादेवी की कृपा कैसी होती है | जब मुम्बई नगरी को 1994 में छोर रहा था तब किसीने कहा था -जो एकबार श्रीमुम्बादेवी का दर्शन करता है उसे तीन बार दर्शन करने का अबसर अवश्य मिलता है | यह बात मेरे गले के नीचे नहीं उत्तरी थी तब किन्तु जब मैं 48 वर्ष का हुआ तो अनायास यह दर्शन करने का सौभाग्य मिला | अतः श्रीमुम्बादेवी का आशीर्वाद कहें या ग्रहों के खेल --अब मैं अपने बालक को संस्कृत का ज्ञान देने लगा ---चाहकर भी हटती नहीं है | --अब आगे 2019 की चर्चा अगले भाग में करूँगा | आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut-

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