कल आज और कल भाग -63 -ज्योतिषी झा मेरठ"
कृपया समस्त पाठकगण ध्यान दें -न तो मैं जन्मजात गरीब था न हूँ ,न तो अपनी जीवनी लिखकर या बोलकर अमीरी या गरीबी दर्शाना चाहता हूँ --सिर्फ ज्योतिष क्यों प्रभावित या आकर्षित लोगों को करता है --उन तमाम बातों को एक ज्योतिषी होने के नाते जो अनुभव किया है --वो व्यक्त करना चाहता हूँ | 'सत्संगेण गुणा दोषः "--सत्संग का असर सभी जीवों को होता है | मानव बनकर आये हैं --तो मानवता सत्संग से ही संभव है | हम अपनी जीवनी को एक पुस्तक का रूप देना चाहते हैं -अतः अपने -अपने ज्ञान के आधार पर मेरी जीवनी को न परखते हुए --तमाम बातों को पढ़ने या सुनने के बाद ही --इसका मूल्यांकण करें | मैं बार -बार लिखता हूँ --आज के समय में अल्प ज्ञानी लोग नेट की दुनिया में बहुत हैं -किसी एक भाग को सुनने या पढ़ने के बाद ही अर्थ का अनर्थ करते हैं --क्योंकि बहुत पढ़ने या सुनने का समय नहीं होता है तो जो हम समझाना चाहते हैं वो न समझकर --वैसे ही समझ जाते हैं जैसे --अश्व्थामा हतो हतः -- या यह भी कहा-- नरो वा या कुंजरो वा तब तक अर्थ का अनर्थ हो चूका था | मैं जन्मजात गरीब नहीं था न हूँ --कालचक्र के कारण मेरे जीवन में सुख दुःखों का खेल रहा | जो पढ़े लिखे लोग होंगें या जिनको थोर बहुत ज्योतिष का अनुभव होगा --वो समझ समझ सकते हैं --मैं सिंह लगन का जातक हूँ -सूर्य मंगल लग्न में विराजमान हैं | चन्द्रमा उच्च का कर्मक्षेत्र में विराजमान है | बुध +शुक्र की युति धन के क्षेत्र में है | त्रिकोणेश गुरु हानि कम लाभ अत्यधिक देते हैं | शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --अतः भाग्य का लाभ अनमोल है --इतना होने के बाद भी राहु की 18 वर्ष की दशा ने दरिद्र भी बनाया | ऐसा जब था तब मैं अज्ञानी था ,अनपढ़ परिवार से था ---सबकुछ होते हुए भी सबकुछ खो दिए --इसका एक ही कारण था --ज्योतिष का मार्गदर्शन ,मैं कर्मकाण्ड या ज्योतिषी नहीं करना चाहता था --पर वही करना पड़ा ,अगर मेरे जीवन में एक गुरु या मार्गदर्शन करने वाले परिजन होते तो मैं कुछ और होता ---समय का चक्र को हम ठीक से समझ नहीं पाए --यही दर्शाना चाहता हूँ --भले ही मैं अपने लिए छोटा व्यक्ति रहा पर मुझसे जुड़ा व्यक्ति बड़ा बने यही कामना रहती है | रही बात हमारी सेवा महंगी है तो जब किसी चीज की मुझे जरुरत होती है --तो दान में वो चीज मुझे नहीं मिलती है --उसके लिए हम भी धन खर्च करते हैं | आज के समय में हर व्यक्ति उत्तम प्रकार से जीता है --मोबाइल उत्तम ,वस्त्र उत्तम ,वाहन उत्तम ,भवन उत्तम ,शिक्षा उत्तम ,रहन -सहन उत्तम ,दवा -दारू उत्तम ,दिखाबा उत्तम -----तो ज्योतिष भी तो उत्तम होना चाहिए --अतः मुझपर यह आरोप गलत है | अन्त में एक ही बात कहना चाहता हूँ --मुण्डे -मुण्डे मतिर्भिन्ना --जितने लोग होते हैं उतने विचार होते हैं --पर ग्रन्थ तो वही सभी पढ़ते हैं ---अपने बारे में एक ही शब्द कहना चाहता हूँ -मुझे हर व्यक्ति समझ नहीं सकता है ,मुझे हर व्यक्ति झेल नहीं सकता है --सिर्फ परमात्मा ही मुझे झेल भी सकते हैं और समझ भी सकते हैं | ---आगे की परिचर्चा आगे के भाग में करेंगें --भवदीय -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
कृपया समस्त पाठकगण ध्यान दें -न तो मैं जन्मजात गरीब था न हूँ ,न तो अपनी जीवनी लिखकर या बोलकर अमीरी या गरीबी दर्शाना चाहता हूँ --सिर्फ ज्योतिष क्यों प्रभावित या आकर्षित लोगों को करता है --उन तमाम बातों को एक ज्योतिषी होने के नाते जो अनुभव किया है --वो व्यक्त करना चाहता हूँ | 'सत्संगेण गुणा दोषः "--सत्संग का असर सभी जीवों को होता है | मानव बनकर आये हैं --तो मानवता सत्संग से ही संभव है | हम अपनी जीवनी को एक पुस्तक का रूप देना चाहते हैं -अतः अपने -अपने ज्ञान के आधार पर मेरी जीवनी को न परखते हुए --तमाम बातों को पढ़ने या सुनने के बाद ही --इसका मूल्यांकण करें | मैं बार -बार लिखता हूँ --आज के समय में अल्प ज्ञानी लोग नेट की दुनिया में बहुत हैं -किसी एक भाग को सुनने या पढ़ने के बाद ही अर्थ का अनर्थ करते हैं --क्योंकि बहुत पढ़ने या सुनने का समय नहीं होता है तो जो हम समझाना चाहते हैं वो न समझकर --वैसे ही समझ जाते हैं जैसे --अश्व्थामा हतो हतः -- या यह भी कहा-- नरो वा या कुंजरो वा तब तक अर्थ का अनर्थ हो चूका था | मैं जन्मजात गरीब नहीं था न हूँ --कालचक्र के कारण मेरे जीवन में सुख दुःखों का खेल रहा | जो पढ़े लिखे लोग होंगें या जिनको थोर बहुत ज्योतिष का अनुभव होगा --वो समझ समझ सकते हैं --मैं सिंह लगन का जातक हूँ -सूर्य मंगल लग्न में विराजमान हैं | चन्द्रमा उच्च का कर्मक्षेत्र में विराजमान है | बुध +शुक्र की युति धन के क्षेत्र में है | त्रिकोणेश गुरु हानि कम लाभ अत्यधिक देते हैं | शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में है --अतः भाग्य का लाभ अनमोल है --इतना होने के बाद भी राहु की 18 वर्ष की दशा ने दरिद्र भी बनाया | ऐसा जब था तब मैं अज्ञानी था ,अनपढ़ परिवार से था ---सबकुछ होते हुए भी सबकुछ खो दिए --इसका एक ही कारण था --ज्योतिष का मार्गदर्शन ,मैं कर्मकाण्ड या ज्योतिषी नहीं करना चाहता था --पर वही करना पड़ा ,अगर मेरे जीवन में एक गुरु या मार्गदर्शन करने वाले परिजन होते तो मैं कुछ और होता ---समय का चक्र को हम ठीक से समझ नहीं पाए --यही दर्शाना चाहता हूँ --भले ही मैं अपने लिए छोटा व्यक्ति रहा पर मुझसे जुड़ा व्यक्ति बड़ा बने यही कामना रहती है | रही बात हमारी सेवा महंगी है तो जब किसी चीज की मुझे जरुरत होती है --तो दान में वो चीज मुझे नहीं मिलती है --उसके लिए हम भी धन खर्च करते हैं | आज के समय में हर व्यक्ति उत्तम प्रकार से जीता है --मोबाइल उत्तम ,वस्त्र उत्तम ,वाहन उत्तम ,भवन उत्तम ,शिक्षा उत्तम ,रहन -सहन उत्तम ,दवा -दारू उत्तम ,दिखाबा उत्तम -----तो ज्योतिष भी तो उत्तम होना चाहिए --अतः मुझपर यह आरोप गलत है | अन्त में एक ही बात कहना चाहता हूँ --मुण्डे -मुण्डे मतिर्भिन्ना --जितने लोग होते हैं उतने विचार होते हैं --पर ग्रन्थ तो वही सभी पढ़ते हैं ---अपने बारे में एक ही शब्द कहना चाहता हूँ -मुझे हर व्यक्ति समझ नहीं सकता है ,मुझे हर व्यक्ति झेल नहीं सकता है --सिर्फ परमात्मा ही मुझे झेल भी सकते हैं और समझ भी सकते हैं | ---आगे की परिचर्चा आगे के भाग में करेंगें --भवदीय -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलतीं हैं पखकर देखें https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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