ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

गुरुवार, 2 अक्टूबर 2025

मेरी कुण्डली का आठवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -122 - ज्योतिषी झा मेरठ




 दोस्तों - कुण्डली एक दर्पण है -जिसमें  अध्ययन हो ,गुरुकृपा हो एवं जीवन का लक्ष्य तप पर आधारित हो साथ ही नजरें हों तो सबकुछ स्पष्ट दिखेगा | हर व्यक्ति की कुण्डली का आठवां घर वैसा ही महत्व रखता है -जैसा किसी भवन की नींव जितनी मजबूत होगी उसकी छत उसी के अनुसार टिकी रहती है | ---अस्तु --मेरी कुण्डली का पहला घर बहुत ही मजबूत है -तो आठवां घर भी बहुत ही मजबूत है | ईस्वर ने जीवन में दुःख अनन्त लिखे तो सुख भी अनन्त लिखे | जीवन में कईबार मरना चाहा पर मरे नहीं | एकबार उम्र थी -12 वर्ष अपने गांव से 15 किलोमीटर दूर पिता के साथ रहते थे --एकबार डांट दिये पिताने --फिर क्या था -बहुत तेज पैदल -पैदल भागा -रस्ते में सर्प से लिपटे पर भागते रहे -शाम -6 बजे चलना शुरू किये --अँधेरा मार्ग  था पर पक्की सड़क थी | कब क्या हुआ पता नहीं रात्रि -8 बजे घर पहुंचा --माँ ने गरम पानी से दोनों टांगों को धोया --हम सही सलामत रहे |  एकबार  उम्र थी 14 वर्ष -सरकार ने आश्रम में गाय चराने नहीं गया बारिस हो रही थी --कारण था --मेरे पैरों में चप्पल नहीं होने के कारण तलवों में गड्डे  हो गए थे --जिसका असह्य दर्द हो रहा था --न ओषधि न दुआ --दर्द से कराह रहा था --ऐसी स्थिति में सरकार ने रस्सी से मारा गरीबी चरम सीमा पर थी --सोचा  कहाँ जाऊ --न तातो न माता --तो मृत्यु नजर आयी -बिजली के तारों को छूकर मरना चाहा पर --बिजली ने झटका देकर छोड़ दिया --यहाँ भी मृत्यु नहीं आयी | एकबार उम्र -15 वर्ष  अनायास प्रेम पत्र लिखा -वह पत्र वापस विद्यालय आया -गुरूजी ने एक थापर जर दिया --मेरा ललाट अलवारी से टकराया --खून की धारा बहने लगी --मारने वालो  को यह स्थिति देखि नहीं गयी --बोले भाग जा --हमने कहा मुझे जीना नहीं है  यहीं मरना चाहता हूँ --पर -क्या विद्यालय ,क्या परिजन ,क्या गुरुजन और छात्र सभी जगह परिहास होने लगा --जीवन मृत्यु से ही बदतर हुआ पर फिर भी निर्लज की तरह जीता रहा | --उम्र 18 वर्ष --मेरा अनुज अनायास सर्पदंश से मर गया --इसके बाद मानों मैं अजर अमर हो गया --पथ्थर की तरह | -जीवन में सिर्फ यह शरीर साथ दे रहा था --जबकि इस शरीर को कभी दूध ,दही या पौष्टिक आहार नहीं मिला | इसके बाद -चाहे माता पिता हों ,परिजन हों  या सगे -सम्बन्धी हों या रोजगार --सबने मृत्यु के द्वार तक पहुंचाए पर फिर भी मरे नहीं | -- इसके बाद -उम्र -30 हुई राजयोग आया --पतनी के सहारे चलना सीखा -धन मिला ,भवन मिले ,बच्चे मिले ,वाहन मिले सभी सुख मिले --किन्तु --कईबार  ऐसा लगा --चूड़ियां  पतनी की जगह खुद पहन लूँ --क्योंकि पतनी के साथ चलने पर सबकुछ तो था --पर स्वाभिमान बिक गया --यह स्वाभिमान एक पुरुष का ऐसा जहर होता है --जो नित्य मृत्यु के द्वार तक ले जाता है फिर वहीँ लाकर खड़ा कर देता है |  कहने का अभिप्राय है --मेरी कुण्डली में दीर्घायु योग था लग्नेश और सप्तमेश की वजह से इसलिए जीते रहे | इस घर का स्वामी तृतीय भाव में विराजमान है --अतः स्वाभिमान को चोट पहुंचना निरंतर लिखा हुआ है --सो यह चोट आज जब हम 55 वर्ष के हो गए  तो निरंतर चोट स स्वाभिमान की लगती रहती है --यह घूंट निरंतर पीता रहता हूँ --मरना भी चाहता हूँ पर यह अभी तक संभव नहीं हुआ है | ----अगले भाग में -नवां 


घर की चर्चा करेंगें | ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त  जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com  

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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

मेरी कुण्डली का दशवां घर आत्मकथा पढ़ें -भाग -124 - ज्योतिषी झा मेरठ

जन्मकुण्डली का दशवां घर व्यक्ति के कर्मक्षेत्र और पिता दोनों पर प्रकाश डालता है | --मेरी कुण्डली का दशवां घर उत्तम है | इस घर की राशि वृष है...