सृष्टि में वर्ण व्यवस्था की क्यों जरुरत पड़ी विस्तार से बतायें -गुरुदेव-पढ़ें?
-- उत्तर -वत्स --जैसे देश चलाने के लिए शासन की जरुरत होती है वैसे ही परमात्मा की सृष्टि कैसे सुदृढ़ चलती रहे इसके लिए मानवों को चार भागों में विभाजित किया --साथ ही सबसे बड़ी बात -नियमावली ,जो आज है वही थी पर जो विचार कल थे वो आज नहीं हैं --इसका प्रभाव यह हुआ -तब एक दूसरे से सब जुड़ें थे पर आज सभी स्वतंत्र हैं | ---वर्ण व्यवस्था में पहला -ब्राह्मण का स्थान पहला था -पर नियम ये थे -ब्राहण वही बनेगा जो -सत्यवादी ,शिक्षित {वेदों -पुराणों }आचरणवान ,कर्मनिष्ठ और नियम करने वाला और कराने वाला ही ब्राहण होगा | राजा को भी मार्ग बतायेगा पर सिंहासन पर विराजमान नहीं होगा | क्षत्रीय --अर्थात जिसकी छत्र छाया में सभी सुखी रहें -साथ ही -अपना सुख का त्यागी होगा ,सिंहासन का सेवक समझकर विराजमान होगा -साथ ही ब्राह्मण की बातों को अमल करेगा और गुरु समझेगा वही क्षत्रिय होगा |वैश्य --अर्थात -जो सभी का भरण पोषण करेगा उसी में अपना हित समझेगा साथ ही राजा को सही कर देगा, ब्राह्मणों के मन्त्रों से देवों को प्रसन्न करेगा वही वैश्य बनेगा | शूद्र {हरिजन }अर्थात -जो सबकी सेवा करेगा ,या ब्राह्मण ,क्षत्रिय और वैश्यों के हित के लिए अपने आप को समर्पित करेगा वही हरिजन बनेगा | --ध्यान दें --सभी राजा नहीं बन सकते है ,सभी ब्राह्मण नहीं बन सकते हैं सभी क्षत्रिय नहीं बन सकते है और न ही सभी हरिजन ही बन सकते हैं | इस बात को दूसरे तरीके से समझेँ --जैसे शरीर एक है -मुख का काम बोलने का है और खाने का -जैसा खायेगा वैसा ही बोलेगा --अतः जो यह समझ ले हम क्या खाएं और क्या बोलें तो उस शरीर का कोई अहित नहीं हो सकता हैं | इसी तरीके से -हाथों का काम है शरीर की रक्षा करने का या किसी भी कार्य को करने के लिए हाथों की जरुरत होती है ,हाथों के बिना शरीर अधूरा है काम करेगा तो शरीर ठीक रहेगा नहीं करेगा तो शरीर बेकार हो जायेगा |--इसी प्रकार से उदर का काम है जो भी उदर में डाले वो पचना चाहिए -क्योंकि शरीर की सभी इन्द्रियां उदर के ऊपर निर्भर करतीं हैं | अर्थात सही पेट की निगरानी ही शरीर को सुखद अनुभूति करा सकती है अन्यथा शरीर दुखी रहेगा | शूद्र --अर्थात शरीर की टाँगें -अगर टाँगें न हों तो शरीर कही जा आ नहीं सकता है --पर कहाँ जाये -कैसे जाएँ कब जाएँ तभी तो शरीर सुरक्षित रहेगा | वस्तुतः -जब शरीर के सभी अंग एक साथ जुड़ें हैं सभी अंग अपना -अपना काम करते हैं तभी तो शरीर की एक पहचान होती है इसमें न तो कोई छोटा है न कोई बड़ा - तो कर्म है किसी भी अंग के गलत कार्य से शरीर का पतन हो सकता है और सभी अंगों के सही कार्य से उन्नति तो --विधाता ने संसार में वर्णों की व्यवस्था इसलिए की | गलती व्यवस्था में नहीं गलती मुझमें है यह जबतक हम नहीं समझेंगें तब तक यह सृष्टि के नियम ठीक नहीं हो सकते हैं | आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें https://www.facebook.com/Astrologerjhameeru

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