ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

शनिवार, 14 अक्टूबर 2023

मेरी जीवनी एक दिन अमर कथा हो जायेगी -पढ़ें - भाग -42 -ज्योतिषी झा मेरठ



"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -42 -ज्योतिषी झा मेरठ
मेरी जीवनी एक दिन अमर कथा हो जायेगी --भले ही पाठकगण --अभी अपने -अपने तर्क लगाते हों -----अस्तु --अब मैं अपनी दीदी की परिचर्चा करना चाहता हूँ --कैसे मेरे घर में साम्राज्य हुआ | --मेरी दीदी मुझसे ढाई वर्ष बड़ी है | अगर मुझे कहे कैसी बहिन चाहिए --तो हजार बार कहूंगा यही दीदी चाहिए --क्यों ? मेरी दीदी की भी बहुत खूबियां है जिसे केवल अनुभव किया जा सकता है --मेरी दीदीने भी मुझे बहुत माँ की तरह स्नेह दिया है ,जब मैं छोटा था तो अपनी गोद में बालक की तरह खिलाया है | एकबार मुझे उठाने के चक्कर में उसका हाथ टूट गया था --तब भी उतना ही स्नेह किया था जितना माँ ने किया है | जब मैं कहीं चला जाता था तो ढूंढ कर माँ के पास वही लाती थी | हम दोनों बच्चे थे तो कपडे पहले मुझे पहनाती थी --जैसे स्वेटर - खुद नहीं खाती थी पहले मुझे खिलाती थी | मेरी छोटी -छोटी गलती को छुपाती नहीं थी बल्की माँ से शिकायत करती थी ताकि मैं गलत राह न चलूँ | परन्तु --उस समय मेरा राजयोग चल रहा था -चन्द्रमा ,मंगल ये उच्च के हैं मेरे तो सभी प्रकार के सुख मुझे मिलने थे --किन्तु --दीदी की कुण्डली उपलब्ध नहीं है इसलिए कुछ कह नहीं सकता पर --मेरी कुण्डली में राहु की दशा शुरू हुई -तो 1981 में दीदी की शादी हुई -उस समय मैं 11 वर्ष का था और पातेपुर जिला वैशाली पढ़ने गया था --बिना पिता के धन के और बिना पिता की आज्ञा के --इसी बीच दीदी की शादी हो गयी | केवल तीन माह वहां रहे -वहां से भोपाल जाना था -सभी मित्र नहीं गए मैं जाना चाहता था पर मुझे भी वापस गांव आना पड़ा | मेरा घर मांसाहार था पर यहाँ से मैं शाकाहार बनने लगा | इसी बीच पिताकी जमीन बिकी ,दुकान बिक गयी ,कुछ जमीन नदी में समा गयी ,घर बाढ़ के कारण टूट गया ,जो दीदी के जेवर ,कपड़े ,बर्तन ससुराल के थे -मेरे घर में ही थे -चोरी हुई -सब सामान चोर ले गए --पिता नौकरी के लिए कलकत्ता गए थे --जो मेरा राजयोग था अब राहु की वजह से दरिद्र योग में परिवर्तन हो गया | दीदी का गोना हुआ नहीं था | हमलोग महादरिद्र हो गए --पिता वापस कलकत्ता से आ गए --क्योंकि कभी शहर गए नहीं थे ,अनुभव नहीं था ,मन नहीं लगा वापस आ गए | मेरी माँ तो पांचवी पास है --दीदी ने कभी स्कूल की शकल नहीं देखी न किसी ने दिखाई | राहु का दरिद्र योग हो तो ऐसा ही होता है --मेरे पिता ने धूमधाम से शादी की थी --जमीन बेचकर ,दुकान बेचकर और दहेज में दामाद को पढ़ाने की शर्त भी ले ली थी ---मेरा जो घर है वो शहर में है --झंझारपुर बाजार --यहाँ सभी प्रकार की सुविधा थी --कालेज भी था ---जीजा बी ए में शायद पढ़ रहे थे --तो उन्होंने सोचा ससुराल में रहकर ही पढेंगें --पर शादी के दो माह बाद ही दरिद्रभंजन मेरा परिवार हो गया | तो मेरे जीजा सबसे बड़े थे पढ़े लिखे थे --हमलोगों पर दया करनी चाहिए थी --पर हमारे घर पर रहकर पढ़ने लगे --घर में कुछ था ही नहीं --माँ इधर -उधर से मांगकर कुछ लाती थी --जिसे ईज्जत बचाने के लिए केवल जीजा को खिलाती थी | मेरा छोटा भाई बहुत छोटा था तो जीजा के साथ बैठकर खा लेता था --मुझसे भूख सहन नहीं होती थी ,माँ ,दीदी ,पिताजी भी भूखे जैसे -तैसे रह लेते थे --मुझसे रहा नहीं जाता था --मैं ऊधम मचाता था --अन्त में एकदिन जीजा के कपड़ें कीचड़ में डाल दिया --जीजा तो चले गए --मुझे लगता है --आजतक इस बात को भूले नहीं होंगें | यह बात दीदी भी आजतक भूली नहीं होगी | माता पिता तो क्षमा कर दिए होंगें --बालक समझकर ---पर इसके बाद जीजा पढ़ते तो थे नित्य मेरे घर आते थे दीदी से मिलने --उस माली हालत में पिता एकदिन मुझे आश्रम छोर आये ---घर की खाई बढ़ती रही -------आगे की चर्चा आगे करेंगें -----ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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