ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ

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ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

गुरुवार, 26 अक्टूबर 2023

इतनी खामिया हैं सनातनी व्यवहार में तो हम धनिक कैसे हुए -पढ़ें -- भाग -58-ज्योतिषी झा मेरठ


 


"मेरा" कल आज और कल -पढ़ें ?--- भाग -58-ज्योतिषी झा मेरठ

'आज अपनी जीवनी में उन प्रश्नों के जबाब देना चाह रहा हूँ --जब इतनी खामिया हैं सनातनी व्यवहार में तो हम धनिक कैसे हुए "--अस्तु --जीवन में धन श्रम +बुद्धि के सहयोग से ही एकत्रित किया जा सकता है | आज के युग में धन कमाना बड़ी बात नहीं है अपितु धन दीर्घकाल तक लाभ दे इसके लिए सद्बुद्धि +संयम की आवश्यकता होती है | इतना होने के बाद भी निरोगी रहें तभी दीर्घकाल तक धन का लाभ लिया जा सकता है | और सबसे बड़ी बात होती है --धनातधर्मः ततः सुखं -धन से धर्म के कार्य होते रहे तभी सुख संभव है | आज के समय में बुद्धि सबके पास है ,सोते -जागते सभी धन कैसे प्राप्त हो बखूबी लगाते हैं --धन प्राप्त भी करते हैं किन्तु --यह बुद्धि हर जगह काम नहीं करती है --जैसे -प्रेम बुद्धि से नहीं दिल से संभव है | दया बुद्धि से नहीं दिल से संभव है| क्षमा बुद्धि से नहीं दिल से संभव है | भगवान और मोक्ष की प्राप्ति बुद्धि से नहीं दिल से संभव है | आज के समय भाई -भाई की शत्रुता ,गुरु शिष्य का सम्बन्ध ,माता पिता से सम्बन्ध ,दाम्पत्य जीवन , यज्ञ इन तमाम चीजों में दिल नहीं दिमाग लगाते हैं --इसलिए धन तो है प्रेम नहीं है ,शिक्षा तो है गुरु शिष्य के सम्बन्ध उत्तम नहीं हैं ,पतनी या पति तो हैं एकता नहीं है ,पिता पुत्र तो हैं --सम्बन्ध नहीं है ,पूजा में धन तो लगाते हैं या करते हैं -पर श्रद्धा और विस्वास नहीं हैं --इसलिए लाभ नहीं मिलता है | एक उदहारण देना चाहता हूँ --घी +शहद अमृत हैं पर एक मात्रा में होने पर विष बन जाते हैं | अतः तार्किक बुद्धि से धन तो आ सकता है --धर्म नहीं हो सकता है --यही आज के समय में सबसे बड़ा दुःख है | अगर दिल से -माता पिता ,पतनी +पति ,पुत्र +पुत्री ,परिजनों ,गुरुजनों ,धर्मशास्त्रों पर भरोसा करें तभी वास्तविक सुख संभव हैं | मैं पढ़ा लिखा शास्त्री हूँ ----मेरे तमाम परिजन मेरी अपेक्षा अनपढ़ हैं --इन्हें हम तार्कित बुद्धि से नहीं अपना सकते हैं --इन्हें केवल दिल से ही जीत सकते हैं --इसलिए मैं माता पिता को सामने मैं भले ही शत्रु दिखता हूँ --पर परोक्ष में मुझ पर गर्व होता है | मैं अपनी दीदी +जीजा का परमशत्रु हूँ किन्तु -परोक्ष में मेरा उपहास नहीं करते हैं बल्कि तारीफ करते हैं | मेरा अनुज जब मेरी पतनी को अपशब्द कहता है --तो मैं दिल का प्रयोग करता हूँ और कहता हूँ ये चप्पल उठाओ मुझे पीटो इससे तुम्हें शान्ति मिलती हो तो --बदले में मैं अपशब्दों का प्रयोग नहीं करता हूँ | मामा =मामी से भले ही अनवन हो किन्तु परोक्ष में वर्णन करते हैं ---------ये सभी इसलिए तारीफ करते हैं क्योंकि हमारा प्रयास रहता है -रिश्ते -नाते दिल की चीजें हैं न कि तार्किक --वही बात कहने का सदा प्रयास करते हैं --जिससे हमें भी लाभ मिले परिजनों को भी मिले --परन्तु एक हाथ से ताली नहीं बजती है --सभी मेरे जैसे हो जायेंगें तो उनका जीवन नहीं चलेगा --अतः भरपूर शत्रुता है उनकी नजर में पर मेरी नजर में कोई किसी का शत्रु नहीं है --ये सब ग्रहों के खेल हैं ,हर व्यक्ति अपनी प्रारब्ध को भोगता है --वो सही राह चलकर भोगे या विपरीत राहों पर चलकर | मेरे यजमान भी मुझसे शत्रुता रखते हैं --शब्दों की वजह से ,व्यवहार की वजह से पर जब ज्ञान की बात आती है ,कर्म की बात आती है ,धर्म की बात आती है तो नतमस्तक भी वही होते हैं --क्योंकि मुझे वही कहनी चाहिए जो शास्त्र सम्मत होते हैं ,मुझे वही परामर्श देने चाहिए --जिससे यजमान का हित हो --ऐसी बातें अच्छी लगे या न लगे ---इसलिए हमने अनेकों यजमान खो दिए --पर जब सत्य समझ में आती है --तब उन्हें हमही अच्छे लगते हैं | --मैं धनिक कैसे हुआ --पर परिचर्चा आगे करूँगा ---अब मैं जीवनी की ज्वलंत घटनाओं को दर्शाऊँगा जो ग्रहों के खेल भी हैं ,व्यक्ति का अनुभव भी है | ---ॐ आपका - -खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ---ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut

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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ

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