ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ
ऑनलाइन ज्योतिष सेवा होने से तत्काल सेवा मिलेगी -ज्योतिषी झा मेरठ 1 -कुण्डली मिलान का शुल्क 2200 सौ रूपये हैं | 2--हमसे बातचीत [परामर्श ] शुल्क है पांच सौ रूपये हैं | 3 -जन्म कुण्डली की जानकारी मौखिक और लिखित लेना चाहते हैं -तो शुल्क एग्ग्यारह सौ रूपये हैं | 4 -सम्पूर्ण जीवन का फलादेश लिखित चाहते हैं तो यह आपके घर तक पंहुचेगा शुल्क 11000 हैं | 5 -विदेशों में रहने वाले व्यक्ति ज्योतिष की किसी भी प्रकार की जानकारी करना चाहेगें तो शुल्क-2200 सौ हैं |, --6--- आजीवन सदसयता शुल्क -एक लाख रूपये | -- नाम -के एल झा ,स्टेट बैंक मेरठ, आई एफ एस सी कोड-SBIN0002321,A/c- -2000 5973259 पर हमें प्राप्त हो सकता है । आप हमें गूगल पे, पे फ़ोन ,भीम पे,पेटीएम पर भी धन भेज सकते हैं - 9897701636 इस नंबर पर |-- ॐ आपका - ज्योतिषी झा मेरठ, झंझारपुर और मुम्बई----ज्योतिष और कर्मकांड की अनन्त बातों को पढ़ने हेतु या सुनने के लिए प्रस्तुत लिंक पर पधारें -https://www.facebook.com/Astrologerjhameerut
रविवार, 31 अगस्त 2025
मेरी आत्मकथा का उत्तर भाग 1 ज्योतिषी झा मेरठ
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शनिवार, 30 अगस्त 2025
मेरी कुण्डली का प्रथम भाव -आत्मकथा पढ़ें -भाग -115 - ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -आत्मकथा के कुछ भाग शेष रह गए हैं | जब हम आत्मकथा लिखने लगे तो सोच केवल मेरी यह थी -मुझसे गलती कहाँ हुई -क्या अब कुछ ठीक कर सकते हैं | -2017 से चलते -चलते अब यह समझ में आया है --केवल गुरु का मागदर्शन ही किसी व्यक्ति को सही जगह आसीन कर सकता है | इसके सिवा भटकाव से बचने का कोई मार्ग नहीं हो सकता होता है | ---अस्तु --दोस्तों ज्योतिष की खोज केवल मानव के लिए हुई थी | इसका सही लाभ राजा -महराजा ही ले पाए | आज भले ही ज्योतिष सर्वमान्य है --किन्तु मार्गदर्शन शून्य है | आज भले ही घर -घर ज्योतिष है किन्तु भरोसा शून्य है | क्योंकि ज्योतिष वैदिक कर्मकाण्ड विहीन हो रहा है साथ ही संस्कृत भाषा से भी बहुत दूर हो चूका है | इसकी वजह से गुप्त शून्य है -जब सबकुछ उजागर हो जाता है तो फिर --व्यक्ति को कल का फिक्र नहीं होता है --इसकी आर में अधर्म एवं गलत राह से भी चिंता मुक्त रहता है | अतः हो सके तो अपनी ज्योतिष खुद न पढ़ें -गुरु जनों का सान्निध्य प्राप्त करें -इसमें ही किसी व्यक्ति का कल्याण हो सकता है | --मेरा जन्म निम्न परिवार में हुआ किन्तु गुरुजनों के सान्निध्य से वैदिक और ज्योतिषी भी बनें | कम उम्र में पलायन धन के लिए हुआ | दर -दर भटकता रहा | कुण्डली भी थी ,एक शास्त्री भी थे पर उपचार का सामर्थ नहीं था, न ही गुरु जनों का सान्निध्य | कुण्डली में राजयोग ,धन ,संपत्ति ,वाहन ,भवन को तो ढूंढते रहे पर सही गुरु जनों का मार्ग दर्शन नहीं होने के कारण --दुनिया की सभी वस्तुओं को प्राप्त करने के बाद भी दुःखी रहा | जब पहलीबार अपनी कुण्डली में ज्ञात हुआ --सिंह लग्न का हूँ --तो किताब के अनुसार अपने आप को राजा समझा | जब यह ज्ञात हुआ कि सूर्य के साथ मंगल भी लग्न में दो -दो त्रिकोण का स्वामी होकर बैठे हैं --तो अपने आपको प्रधानमंत्री से कम नहीं रहेंगें --किताबों के अनुसार और ऐसा हुआ भी | ---जीवन भर यह सुख मिला --राजा की तरह जीये ,कभी झुके नहीं ,तनिक सी गड़बड़ बात पसंद नहीं ,तनिक सी असभ्यता पसंद नहीं ,अपनी शान में कोई कमी न रहे ,जैसा मैं चाहू वही हो ,सभी मेरी बातों को अमल करें ,सबको बेहतर जीवन मिले ,सभी सुखी से रहें ,नित्य परोपकार करें ,एक सुन्दर समाज की रचना करें ,सत्य पथ पर सभी चलें ,सभी कर्मठ हों ,सबके घर में राम राज्य हो --इतने तमाम गुण मेरी कुण्डली के प्रथम भाव में थे ---ध्यान दें --समाज में धर्म है तो अधर्म भी हैं ,सत्य है तो असत्य भी है --अतः इतने गुण होने के बाद भी अपने घर को नहीं संभाल पाए ---क्यों ? क्योंकि जो व्यक्ति केवल किताब के आधार पर चलता है --वो ज्ञानी होते हुए भी अधूरा रहता है --अतः हर व्यक्ति को किताबों का ज्ञान अवश्य होना चाहिए --पर मार्गदर्शन किताबों से संभव नहीं है --अध्यात्म की दुनिया के लिए तो किताब सही है पर जीवंत दुनिया के लिए -एक मार्ग दर्शन दाता की जरुरत होती है --जो दोनों ज्ञान से जीने की कला सिखाये --इस मामले में मैं अधूरा रहा ,गुरु का सान्निध्य बाल्यकाल में समाप्त हो गया --अतः केवल किताबी ज्ञान पर चला --जो अहंकार से भरा था --अतः अधूरा रहा | हो सके तो सभी श्रोताओं से अनुरोध करना चाहता हूँ --एक सफल व्यक्ति बनना है --तो खूब ज्योतिष को मानें पर मार्ग दर्शन के बिना न चलें हमारी तरह अधूरा रह जायेंगें | --अगले भाग में अपनी कुण्डली के द्वितीय भाव क पर प्रकाश डालेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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शुक्रवार, 29 अगस्त 2025
तीसरी कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -114 - ज्योतिषी झा मेरठ
हमारे प्रिय आत्मकथा के पाठकगण -मेरी कुण्डली में शनि नीच का भाग्य क्षेत्र में विराजमान है साथ ही गुरु तृतीय भाव में विराजमान हैं --यह जो मेरा तृतीय भाव कुण्डली का है -इसकी सबसे बड़ी विशेषता है --मेरा भाग्य -शनि और गुरु की वजह से सर्वोत्तम है --किन्तु --तृतीय भाव सबसे गड़बड़ है --इसकी वजह से मेरा प्रभाव क्षेत्र उत्तम होने के बाद भी धूमिल हो जाता है एवं सगे -सम्बन्धियों के हम सबसे शत्रु बन जाते हैं | --अस्तु -जिस मित्र यजमान से दोस्ती -2017 में हुई थी -वो देखने में तो धनाढ्य था किन्तु --जड़ खोखला था जो मुझे ज्ञात नहीं था | हमने एक यज्ञ किया भलाई के लिए किन्तु यज्ञ के प्रभाव से वो सात्विक व्यक्ति बन गया ,जब धर्म के पथ पर चलता है व्यक्ति तो कष्ट भी सहने होते हैं -- आज के समय में धार्मिक दोस्त कम मिलेंगें ,अधर्म पथ पर बहुत सारे मित्र बन जाते हैं | सो उस व्यक्ति के सभी मित्र वास्तव में शत्रु थे और सभी दूर हो गए | हमने धर्म की स्थापना एवं सुखद और संतोष जनक जीवन जीने की सलाह दी साथ ही रास्ते की हर बाधा को दूर कर चलना सिखाया | यह कार्य इतना सरल भी नहीं था -उसके परिजनों का सबसे बड़ा शत्रु बना फिर भी आगे बढ़ाता रहा | सारे अपयश अपने ऊपर लिया --और एक सही पति ,सही पिता ,सही व्यापारी ,सही व्यक्ति सही जीवन देने का प्रयास किया | किन्तु ज्ञान नहीं दिया क्योंकि ज्ञान के योग्य वो पात्र नहीं था न ही कभी ज्ञानी बनने की याचना की | अब आते हैं उसकी कुण्डली पर --उसकी कुण्डली में मंगल एवं राहु की युति लग्न में थी --इसका सबसे बड़ा प्रभाव यह होता है --ऐसा व्यक्ति किसी का नहीं होता है ,ऐसा व्यक्ति किसी के कहने पर कुछ भी कर सकता है --क्योंकि उसका अपना कुछ होता ही नहीं है --वो भले ही ज्योतिषी न हो किन्तु सबसे उत्तम वो अपने आप को ज्योतिषी भी मानता है | उस व्यक्ति को भले ही विवेक न हो पर सबसे बड़ा धार्मिक अपने आप को मानता है | --मेरी कुण्डली में सूर्य और मंगल मित्र होकर स्वराशि का सूर्य लग्न में विराजमान हैं --मेरे जीवन में एक बहुत बड़ी बात रही है -अगर मन में मैल थोड़ा भी आ गया तो कदपि उस व्यक्ति के साथ नहीं रह सकता | मुझे जीवन में भाग्य का बहुत ही लाभ मिला है --व्यक्ति और परिस्थिति कैसी भी हो हमने ठान लिया इसे ठीक करना है तो ठीक वो व्यक्ति अवश्य होगा | दूसरा स्वभाव मेरा स्वभाव ऐसा रहा है --दाग अपने जीवन में लगने नहीं देता हूँ साथ ही अगर पता चल जाये --यह राह गलत है तो तत्काल वो राह छोड़कर चल देता हूँ --चाहे इसमें कितना ही घाटा हो | और होता भी यही है --चाहे घर हो, शिक्षा हो ,संतान हो ,सगे -सम्बन्धी हों ,धन हो या फिर संसार की कोई वस्तु --इनसे हम बहुत ही स्नेह करते हैं किन्तु --परित्याग करने में सोचते नहीं हैं --बेफिक्र होकर वहां से चल देते हैं | जब इस व्यक्ति को सब प्रकार से ठीक कर दिया --और हम दोनों के बीच थोड़ा विचार में मैल आ गया तो अपना सबकुछ छोड़कर चल दिया --यहाँ तक की किताब ,सौन्दर्यता की चीजें साथ में नगद पचास हजार रूपये भी | पर उस व्यक्ति ने कभी नहीं पूछा --हिसाब तो कर लो --अगर जीवन की सारी संपत्ति होती तो भी छोड़कर चल देता --कभी घूमकर देखता भी नहीं ---किन्तु ईस्वर की मेरे ऊपर कितनी बड़ी कृपा ---सप्तक भाव पर गुरु की दृष्टि और सप्तक का स्वामी भाग्य क्षेत्र में है --अतः अगर यह योग मेरी कुण्डली में नहीं होता तो सबकुछ बर्बाद हो जाता --क्योंकि आज के समय में सबकुछ संभव है --त्याग करना संभव नहीं है | जो मैं त्याग करता हूँ --मानों भार्या का आंचल रक्षा हेतु तैयार रहता है | इसको कहते हैं धर्मो रक्षति रक्षकः --अगर आप धर्म के पथ पर चलेंगें --तो धर्म आपकी रक्षा अवश्य करेगा | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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गुरुवार, 28 अगस्त 2025
दूसरी कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -113 - ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों --अगर नेट की दुनिया नहीं होती तो ज्यादा से ज्यादा जीवन में 5000 कुण्डली देख पाते ,किन्तु नेट के कारण और फ्री सेवा के कारण लाखों कुण्डलियों को देखने का अनुभव हुआ | सबसे बड़ी बात जिन तीन कुण्डलियों से व्यक्तिगत मेरा सम्बन्ध रहा उन पर प्रकाश डाल रहे हैं | --अस्तु --दूसरी कुण्डली का अनुभव जब हम -29 वर्ष के हुए तब हुआ --यह बात मेरठ की है -एक यजमान मित्र से सम्बन्ध हुआ --उनकी कुण्डली के चतुर्थ भाव में नीच का चन्द्रमा और पराक्रम क्षेत्र में नीच का सूर्य यह योग उत्तम नहीं था | जिस व्यक्ति की कुण्डली में दोनों सशक्त ग्रह नीच के हों तो बहुत ही गड़बड़ जीवन होता है --धर्म एवं अधर्म के लिए | मेरी कुण्डली में ये दोनों बहुत ही मजबूत हैं सूर्य एवं चन्द्रमा --इनके प्रभाव के कारण न तो कभी मैं झुका न ही कभी किसी से याचना की | सबसे बड़ी बात स्वतंत्र और प्रभावशाली जीवन जीने की कोशिश की है | छोटी -छोटी गलती पर सदा धयान रखा है --जबसे सही व्यक्ति बनें | किन्तु ईस्वर की बिडम्बना देखें --समाज में कुछ ऐसे लोग भी होते हैं -जिनको भले ही अकल कम हो किन्तु वो अपनी चाल चलने में माहिर होते हैं --इसी चाल के बल पर जीवन शान से काटते हैं | हमारी दोस्ती दूसरी कुण्डली वाले से हुई और बहुत दिनों तक चली -हम इस बात को जानते थे -हमारे विचार अलग -अलग हैं अतः दूर हो जाना चाहिए -किन्तु मौका की तलाश में रहे पर जुड़ना और टूटना सरल नहीं होता है --जैसे जुड़ने में समय लगता है वैसे ही टूटने में भी बहुत समय लगता है | जो सच का व्यक्ति होता है वो तबतक जुड़ें रहना चाहता है -जबतक अधर्म की पूर्ण सत्ता न हो जाये | जो अधर्म का व्यक्ति होता है --वो तबतक प्रहार करता है --जबतक किसी लायक न रहे ---सनातन विचार में धर्म से जो व्यक्ति ओत -प्रोत होता है --वो छोटी -छोटी बातों पर भी धर्म का विचार करता है किन्तु भारतीय समाज में लोगों का जीवन दो तरह का होता है --एक धर्मयुक्त ऐसे लोग छोटी बात पर भी गिर जाते हैं और कभी नहीं उठ पाते हैं | दूसरे लोग जो कूटनीति के जीवन पर आधारित होते हैं --ऐसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ता है --किसी भी तरह मुद्रा मिलनी चाहिए --अपना काम बनना चाहिए --ऐसे लोग कितनी बार भी गिरे --फिर उठ जाते हैं --जैसे कपड़े में धूल -मिटटी लग जाये और दोनों हाथों से झार कर चल देते हैं | मेरे साथ ऐसा ही हुआ --दोस्ती की अंतिम अवस्था तक बचाने का प्रयास किया किन्तु --दोस्त अन्तिम क्षण तक धन की चाहत में रहे | आज दोस्ती को टूटे हुए कई वर्ष हो गए --तमाम बातें याद हैं किन्तु उनको हमने देखा कोई फर्क नहीं पड़ा | ---अंत यह कहना चाहता हूँ --कुण्डली देखने की चीज नहीं है --वास्तव में कुण्डली के पथ को अमल करने से ही लाभ संभव है --अन्यथा ज्योतिष का कोई लाभ नहीं है | अगले भाग में तीसरी
कुण्डली पर विचार साझा करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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मंगलवार, 26 अगस्त 2025
पहली कुण्डली का मेरा अनुभव -आत्मकथा --पढ़ें भाग -112 - ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों -हमने अपने मामा के सानिधय रहकर जो प्रथम किसी जातक एवं जातिका की कुण्डली से अनुभव किया -वो मेरा युवाकाल था एवं ज्योतिष की जिज्ञासा थी तो उस समय यह ज्ञात हुआ --कुण्डली वास्तव में दर्पण होती है जिसे गणना से जाना जा सकता है | यह दशा प्रत्येक जातक जिज्ञासु की होती है | --------अस्तु -- दोस्तों भारतीय जो नियमा बली है उसमें व्यवहारिकता का अस्तित्व बहुत ही बड़ा है ---तत्काल आपको भारतीय -नियम ,संयम ,जप ,तप ,हवन ,व्रत स्वाध्याय में बहुत ही परिबर्तन देखने को मिलेगा | इसका परिणाम -उनीसवीं सदी में भ्रष्टता कम देखने को मिलती थी | लोग मान -मर्जादा में विशेष रहते थे -आधुनिकता में ज्यादा विस्वास नहीं करते थे | आज के समय में हर व्यक्ति के पास आधुनिकता की चीजें उपलब्ध हैं --इसका परिणाम यह हो रहा है -व्रत -व्रत जैसे नहीं होते हैं ,जप --जप की तरह नहीं लोग करते हैं , तप --तप की तरह नहीं करते हैं लोग ,नियम --नियम की तरह पालन नहीं करते हैं लोग ,स्वाध्याय --स्वाध्याय की तरह नहीं होते हैं ,हवन -हवन की तरह नहीं होते हैं | ---इसका परिणाम यह हो रहा है -बालक युवा होने के बाद भी ,बालिका युवा होने के बाद भी -नियम और संयम माता पिता ,परिजन ,पडोसी या समाज से वो नहीं सीखते हैं जो भारतीय हैं --इसका परिणाम भी भटकाव है --आज के समय में किसी कुण्डली में यह कह देना कि प्रेम है आसान बात है किन्तु उस समय जब भारत में लोकाचार का विशेष महत्व होता था --बहुत ही कठिन बात थी | आज जब मैं 55 वर्ष का हो चूका हूँ --तो जब मैं 19 वर्ष का था तब प्रेम करना कठिन बात थी उसका कारण भाई -भाई के पास सोता था ,बेटी- माँ के पास सोती थी -या सबके बिस्तर भले ही छोटा घर होता था --अलग -अलग होते थे --इसलिए भ्रष्टता कम थी --साथ ही कुण्डली से पहचान करना कठिन था --इसलिए यह बात मेरे लिए जिज्ञासा की थी ,किन्तु आज के समय में भले ही घर बड़ा हो पर शयन एक ही जगह देखने को मिलता है --आज के समय में मानों ममता ने कठोरता पर अंकुश लगा रखी है --माँ को बेटे का ,बेटे को माँ का ,भाई को बहिन का ,बहिन को भाई का या फिर और भी बहुत रिश्ते नाते हैं --जिन पर सत्संग का प्रभाव पड़ रहा है | --आज के समय में किसी भी ज्योतिषी के लिए सरल है --उससे --उसका प्रेम है --उस समय प्रेम होते हुए भी प्रतीत नहीं होता था | -सनातन संस्कृति में अपनी बेटी दूसरे घर के घर -मान ,मर्जादा ,नियम ,संयम ,व्रत ,जप ,तप ,हवन ,स्वाध्याय के अनुसार दी जाती है --साथ ही दूसरे की बेटी को इसी सभी नियम के तहत लक्ष्मी स्वरूपा अपने घर लायी जाती है --इससे एक सुसम्भ्य और सुन्दर समाज का निर्माण होता है --आज इसका हनन हो रहा है | अगले भाग में दूसरी कुण्डली पर विचार साझा करेंगें ---भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs
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सोमवार, 25 अगस्त 2025
24 /08 /2025 से 07 /09 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
ॐ --श्रीसंवत -2082 शाके -1947 --भाद्र शुक्ल पक्ष --तदनुसार दिनांक -24/08 /2025 से 07 /09 /2025 तक की भविष्यवाणी की बात करें --इस माह पांच रविवार का योग उत्तम नहीं है --प्रमाण देखें --यत्र मासे रवेर्वारा जायन्ते पंच संततम ,दुर्भिक्षं छत्र भंगः स्यात दास्ते च महदभयम ---प्रस्तुत प्रमाण के अनुसार देश के किसी भाग प्रदेश विशेष में दैनिक उपयोगी खाद्य सामग्री की कमी पड़ सकती है | हो हल्ला मचेगा ,मारपीट ,झीना झपटी के चलते जनता अपने को असहाय महसूस करेगी | राजनीती के पटेबाज नेता एक -दूसरे की उठा -पटक नीचा दिखाने की फिराक में राज्य की झीना झपटी में लगे रहेंगें | कहीं आश्चर्यजनक बदलाव हो सकता है | राजस्थान ,महाराष्ट्र ,पंजाब ,उत्तराखंड ,बिहार ,पश्चिम बंगाल ,उत्तर प्रदेश की राजनीति में नई हलचल के योग हैं | कोई नया नेता प्रसिद्धि पायेगा | ---तेजी मंदी की बात करें तो --चल रहे सम्यक भावों में घट -बढ़ चलेगी | पक्षारम्भ के भाव अंत में प्रतिकूल हो सकते हैं | --दाल ,चावल ,चीनी ,चायपत्ती ,नमकीन भुजिया ,पापड़ ,मूंगदाल ,मिर्च -मसाले ,अचार -मुरब्बा ,घी ,दूध ,दही के भावों में इजाफा हो सकता है | सूत्री वस्त्र ,पूजा सामग्री ,दालें ,अनाज ,मटर ,राजमा में तेजी अन्य चीजों में मंदी का झटका लग सकता है | -----आकाश लक्षण की बात करें तो --यत्र -तत्र बादल चाल ,मेघगर्जना ,वायुवेग ,जहाँ -तहाँ न्यूनाधिक वर्षा होगी | कहीं भूकंप ,दिग्दाह ,झंझावात के चलते क्षति होगी | पहाड़ी क्षेत्रों में अधिक वर्षा होगी | कहीं ज्वालामुखी विस्फोट ,पहाड़ खिसकने से क्षति तो कहीं यान -खान कुघटना ,वाहन टकराव से नुकसान हो सकता है | --- ----भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
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सोमवार, 18 अगस्त 2025
आत्मकथा में अपने अनुभव पर कुछ कहना चाहता हूँ -पढ़ें भाग -111 - ज्योतिषी झा मेरठ
आज आत्मकथा में अपने अनुभव पर कुछ कहना चाहता हूँ | हमने 55 वर्ष के होने पर अपने जीवन में तीन जन्म -कुण्डली को देखने पर आश्चर्य चकित रहा | --अस्तु --प्रथम कुण्डली जब हम केवल 20 वर्ष के थे स्थान -प्रह्लाद नगर मेरठ अपने चचेरे मामा के पास रहते थे --वो ज्योतिषी थे हम वैदिक तो थे ही ज्योतिष गणित मजबूत था पर फलित का अनुभव कम था --हम दोनों का सम्बन्ध मामा -भांजा का तो था ही किन्तु मित्र का भी था अतः यह निर्णय हुआ वेद हम पढायेंगें और फलित वो हमें सिखाएंगें | यह सत्संग का समय केवल एक वर्ष का रहा -उसके बाद हम मुम्बई पढ़ने चले गए --मेरे मामा के पास दो कुण्डलिया आयी -दोनों का सम्बन्ध भाई -बहिन का था -किन्तु में प्रेम था -एक पण्डित के लिए यह कहना बहुत ही कठिंन था किन्तु जब मामाने यह प्रेम की बात कही उन दोनों ने स्वीकार कर लिया --यह ज्योतिष के विस्वास को सबसे पहले मुझे बढ़ाया और मुझे लगा ज्योतिष के द्वारा बहुत कुछ जाना जा सकता है | ---दूसरी घटना मेरठ किशनपुरी की है --जब हम 30 वर्ष के हुए | एक यजमान मित्र मिले --जिनकी कुण्डली में सूर्य और चन्द्रमा दोनों नीच के एक मातृ क्षेत्र चंद्र तो दूसरा सूर्य पिता और कर्मक्षेत्र में --इसका अर्थ जानने के बाद भी उनसे मेरा सम्बन्ध बहुत दिनों तक रहा और मैं तलाश करता रहा --जब ऐसा योग कुण्डली में है तो दिखता क्यों नहीं है | उनसे बहुत ही घनिष्ठता थी उठना -बैठना सबकुछ एकसाथ था | जब यह अनुभव हुआ नीचता का प्रभाव का -तबतक बहुत कुछ खोने के बाद भी बहुत बड़ी हानि से बच गया फिर हमने दूरी बनाली | --तीसरा -उदहारण मेरठ शारदारोड का रहा -तब मैं 47 वर्ष का था -एक व्यक्ति की कुण्डली में -राहु और केतु का प्रभाव उलटा था और मेरी कुण्डली में सुलटा था --जब ऐसा योग हो तो मुझे दूरी बना लेनी चाहिए | किन्तु -दोस्ती उस व्यक्ति से पहले हुई और कुण्डली देखी बाद में परिणाम यह हुआ | इसका परिणाम देखने की इच्छा हुई -कईबार सोचता रहा देखने में भले मानुष है ,इसकी रक्षा तहे दिल से करनी चाहिए | दुनिया की सारी बदनामी अपने नाम किया ,मकान बचाया ,दुकान बचायी ,बाल -बच्चों को बचाया ,रोजगार खड़ा किया ,सभी रिश्तेदारों से शत्रुता की ,पूंजी बचायी ,देनदारों से बचाया ,दाम्पत्य सुख कैसे मिले ,समाज में सशक्त कैसे हो प्रयास किया | कोई भी व्यक्ति सुखी होना चाहे तो सबसे पहले खर्च को सीमित करे इस फार्मूला के तहत आगे बढ़ाया --जब सबकुछ हो गया तो सोचा --इस कुण्डली का जो योग है -उसका प्रभाव देखने के लिए इसकी परीक्षा लें --तो पता चला --हम सबसे बड़े इसके गुनाहगार हैं | इस बारे किसी और आलेख में जिक्र करेंगें | हमने अनुभव किया --वृथा न होहि देव् ऋषि वाणी --अर्थात ज्योतिष सच है --गलती हम जैसे अल्पज्ञानी ज्योतिषी करते हैं | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogs
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रविवार, 10 अगस्त 2025
10 /08 /2025 से 23 /08 /2025 तक की भविष्यवाणी पढ़ें -खगोलशास्त्री झा मेरठ
ॐ मास में पांच रविवार रोग ,जनता में उपद्रवों को प्रोत्साहन देने वाले हैं --एक प्रमाण देखें --पंचार्क वासरे रोग पीड़ा लोकेषु जायते | आगे शनिवारों का फल भी देखें --शनिवारा यदा पंच जायन्ते रवि पञ्चकं ,महार्घं जायते धान्यं रोग शोका कुलामही ---भावार्थ ---चालू बाजार का रुख गरम रहेगा | शोक संतापों से जनता त्रस्त रहेगी | सीमावर्ती राज्यों में आतंकी नई गतिविधियां चला सकते हैं | कश्मीर के मामले में पड़ौसी देश बयानबाजी कर सकता है | सरकार दूसरे देशों से अस्त्र -शस्त्र आयात बढ़ा सकती है | एक और प्रमाण देखें --यदैक मासे ग्रहण जायन्तेचंद्र सूर्ययोः ,शस्त्र कोपे क्षयं यान्ति तदा भूपा परस्परम | इस मास पूर्णिमा में ग्रहण का फल राजनेताओं में तनाव बढेगा | पार्टीबेस पर उठा -पटक मारपीट हो सकती है | किसी प्रदेश की सत्ता बदल सकती है | ---तेजी मंदी की बात करें तो --इस वर्ष कर्क और मकर दोनों संक्रांतियां बुधवार में बैठी है --भाव --इस वर्ष युद्धादि संकट के चलते किसी देश -प्रदेश का नायक संकट में पड़ सकता है | वस्तुओं के अभाव में महंगाई बढ़ेगी | इस वर्ष आलू ,टमाटर ,गोभी ,मूंगफली ,प्याज ,लहसुन ,मेथी ,मटर ,बथुआ ,मक्का ,बाजरा की फसल अच्छी होगी | आकाश लक्षण की बात करें तो --शनिवारी अमावस झंझाबात ,दुर्दिन होने के संकेत है | कहीं कम तो कहीं अधिक वर्षा हो सकती है | हिमाचल ,पंजाब ,उत्तराखण्ड ,बिहार ,उड़ीसा में जलाधिक्य से परेशानी होगी | मध्यभारत में सूखा पद सकता है| -- ----भवदीय --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
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शुक्रवार, 1 अगस्त 2025
मेरी आत्मकथा पढ़ें भाग -110 - खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों --आज मैं अपनी आत्मकथा में जो कुछ कहना चाहता हूँ वो सत्य होते हुए भी असत्य सा प्रतीत होता है | ऐसा हर व्यक्ति के साथ होता है --ऐसी स्थिति में मेरा अनुभव है -केवल गुरु ही हर व्यक्ति का सही मार्गदर्शन कर सकते हैं --जिसपर भारत भूमि पर सबसे विशेष मतान्तर देखने को मिलता है | हर व्यक्ति का प्रथम गुरु माता पिता होते हैं किन्तु इनका लाभ आज के समय में बहुत कम लोगों को मिल पाता है --इसका कारण है सही शिक्षा और सही अनुभव --इन कसौटी पर बहुत से माता पिता खड़े नहीं उतरते हैं --जिसका परिणाम यह होता है केवल तार्किक बुद्धि जो संतान और माता पिता के बीच सही सेतु का काम नहीं करती हैं | --दूसरा उदहारण जो माता पिता से भी बड़े होते हैं -मार्गदर्शन देने वाले सदगुरु -जिनका केवक सार्थक प्रयास यह होता है -सही शिष्य का निर्माण करना -जिसमें लोभ ,अर्थ काम ,मद और मोह से पड़े बनाना | यह मार्ग बड़ा ही कठिन होता है -सबसे पहले गुरु त्याग करना सिखाते हैं -केवक एकबार कह देने से शिष्य गुरु के लिए सबकुछ समर्पित कर देता है | इस संसार में धन हो, मन हो या फिर सांसारिक वस्तु इन्हें छोड़ना सहज नहीं होता है -अगर कोई छोड़ता है तो सिर्फ डर के कारण डर न हो तो काहे का दान ,काहे का त्याग सबकुछ मेरा है --ऐसी स्थिति में सिर्फ विवेक ही काम आता है -जिसपर केवल गुरु की कृपा से ही विवेक संभव है जो आज सबसे असंभव है | अस्तु --हम वैसे एक निम्न परिवार से आते हैं किन्तु मेरे पिता दक्षिणा अवश्य चढ़ाते थे किसी भी मन्दिर में यह सत्संग पिता का मेरे जीवन में केवल 13 वर्ष तक ही रहा | मेरा 13 वर्ष से 29 वर्ष तक का जीवन अति दरिद्र योग में बीता किन्तु -गुरुजनों के सत्संग से हमने यह अनुभव किया धन दान करने से धन अवश्य मिलता है | अतः अमीर बनने का सबसे बड़ा सपना था पर गरीबी चरम सीमा पर थी फिर भी जो भी धन दान में मिलता था उसे हमने किताब खरीदने पर या दान -यज्ञ करने पर लगाया --यह मेरा परम विस्वास था -जबकि गुरुजनों का सत्संग तो जब हम -18 वर्ष के हुए तभी छूट चूका था | पर आत्म विस्वास से लबालव था --मुझे धन दान देने में आनन्द आता था ,कभी गम नहीं होता था | आगे चलकर कई यजमान मेरे रहे जिन्होनें हमारा धन खा गए पर हम कभी मांगने नहीं गए | जब भी हम धन से या मन से दुःखी हुए तो किसी व्यक्ति के पास नहीं गए --उस परमात्मा भोलेनाथ के पास गए जो सबके दाता हैं --उन्होनें कईबार उठाया | मुझे कईबार लगा अब आगे नहीं बढ़ पायेंगें पर भोलेनाथ ने खुद उठाया -इस संसार में सबसे ज्यादा अपनों ने ही गिराया --चाहे सगे -सम्बन्धी हों या शिष्य सबने अपना -अपना भरपूर लाभ उठाया --जब तक लाभ नहीं मिला गुरूजी थे ,अपने थे ,सर माथे पर थे पर लाभ मिलते ही काहे के गुरु --पर फिर भी हमने याचना न तो अपनों से की न ही शिष्यों से --अगर याचना की तो सिर्फ भोले नाथ से और मानों मेरे साक्षात् गुरु के रूप में मार्ग भी दिखते हैं और लाज भी बचाते हैं | --अगले भाग में कुछ और बातों का जिक्र करेंगें | --भवदीय निवेदक खगोलशास्त्री झा मेरठ -ज्योतिष की समस्त जानकारी के लिए इस लिंक पर पधारें khagolshastri.blogspot.com
आत्मकथा क्यों लिखी या बोली सुनें -ज्योतिषी झा मेरठ
दोस्तों आत्मकथा एक सोपान हैं | प्रथम सोपान एक से तैतीस भाग तक ,दूसरा सोपान तैतीस भाग से बानवें भाग तक और अन्तिम सोपान बानवें भाग से अन्त तक -इसके बारे में कुछ कहना चाहता हूँ सुनें --आपकी राशि पर लिखी हुई बातें मिलती है कि नहीं परखकर देखें -
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खगोलशास्त्री ज्योतिषी झा मेरठ
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